Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST

Bharat Bond ETF: बिना जोखिम बेहतर रिटर्न

फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले निवेशकों को फिर से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी सीरीज/चरण लॉन्च करने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ लॉन्च की गई थी। फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2023, 2025, 2030, 2031, और 2032 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के द्वारा 3 चरणों में लॉन्च किए गए हैं। 5 और 10 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2023 और 2030 में मैच्योर होंगे पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।

अब इस ईटीएफ में निवेश को लेकर विस्तार से जानते हैं :

क्या है Bharat Bond ETF?

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) स्कीम है। मतलब इसकी लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है और इसमें ट्रेडिंग की सुविधा होती है। इस स्कीम में अंडरलाइंग एसेट (underlying asset) चुनिंदा सरकारी कंपनियों के बॉन्ड हैं। अगर आप भी इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट अकाउंट (demat account) का होना जरूरी है। वैसे निवेशक जिनके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, उनके लिए भी इसमें निवेश की सुविधा है। लेकिन वे इसमें किसी भी म्यूचुअल फंड की तरह फंड ऑफ फंड्स (FoF) रूट के जरिए ही निवेश कर सकते हैं। इसमें रिटेल/आम निवेशक कम से कम 1,000 रुपए से निवेश कर सकते हैं, जबकि अधिकतम निवेश की सीमा 2 लाख रुपए है (1,000 रुपए के गुणक में)।

क्यों सुरक्षित है यह स्कीम?

नियमों के अनुसार इस स्कीम में सिर्फ AAA क्रेडिट रेटिंग वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के बॉन्ड को ही शामिल किया जा सकता है। साथ ही एक कंपनी के बॉन्ड का अधिकतम वेटेज (हिस्सेदारी) इंडेक्स में 15 फीसदी होगा। ज्यादा से ज्यादा 12 से 13 सरकारी कंपनियों के बॉन्ड इस स्कीम में हैं। एक तो पब्लिक सेक्टर की कंपनी और दूसरे AAA रेटिंग के चलते कहा जा सकता है कि इस स्कीम में जोखिम नहीं के बराबर है।

कितने रिटर्न की संभावना?

सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत अब तक 3 चरणों में अलग-अलग समय पर मैच्योर होने वाले 5 इश्यू लॉन्च किए हैं। आने वाले समय में और अलग-अलग मैच्योरिटी पीरियड के इश्यू लॉन्च किए जा सकते हैं। अगर आप इस स्कीम में निवेश को पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक बनाए रखते हैं तो आपको फिक्स्ड रिटर्न (इंडिकेटिव यील्ड) मिल सकता है। जिसकी जानकारी आपको स्कीम खरीदने के वक्त यानी एनएफओ (new fund offer / न्यू फंड ऑफर के दौरान) के दौरान मिलती है। लेकिन अगर आप मैच्योरिटी पीरियड के बीच में स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेचेंगे तो आपका रिटर्न ज्यादा या कम भी हो सकता है। यह मार्केट कंडीशंस (market conditions) खासकर उस समय की ब्याज दर में उतार-चढाव से प्रभावित होगा। इसलिए जो निवेशक फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं, उन्हें पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक इस स्कीम में बने रहना होगा।

फिलहाल अप्रैल 2032 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए रिटर्न (यील्ड टू मैच्योरिटी/YTM) 7.69 फीसदी है, जबकि अप्रैल 2031 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए यील्ड टू मैच्योरिटी 7.67 फीसदी ETF की सीमाएं क्या हैं? है। इसी तरह :

अप्रैल 2030 - YTM (7.64%)

अप्रैल 2025 - YTM (7.52%)

अप्रैल 2023 - YTM (7.23%)

इस तरह इसमें पोस्ट टैक्स रिटर्न बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा मिल सकता है। खासकर वैसे निवेशकों को जो higher tax slab के अंतर्गत आते हैं।

कितनी टैक्स अदायगी?

अगर आप तीन साल के बाद इस बॉन्ड को रिडीम करेंगे तो आपको इंडेक्सेशन की सुविधा के साथ 20.8 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स यानी LTCG चुकाना होगा। इंडेक्सेशन (Indexation) के तहत पर्चेज कॉस्ट (purchase cost) को महंगाई (कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स) के हिसाब से बढा दिया जाता है जिससे टैक्स देनदारी में कमी आती है, जबकि एफडी पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। वहां इंडेक्सेशन की सुविधा भी नहीं मिलती। इसलिए टैक्स के मामले में भी यह एफडी के मुकाबले बेहतर है।

कितना expense?

इस स्कीम को मैनेज करने के लिए फंड हाउस को निवेश की राशि का 0.0005 फीसदी यानी दो लाख रुपये पर 1 रुपये देना होगा। जो बहुत ही ETF की सीमाएं क्या हैं? कम या लगभग ना के बराबर है। हालांकि अगर कोई निवेशक 30 दिन के अंदर ही स्कीम से निकल जाता है जो उसे 0.10 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा।

Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम

Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम Gold ETF is better or sovereign gold bond know very useful information before investing

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST

Gold ETF vs sovereign gold bond - India TV Hindi

Photo:INDIA TV Gold ETF vs sovereign gold bond

Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।

दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।

किसे खरीदना-बेचना आसान

गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच नहीं ETF की सीमाएं क्या हैं? सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।

डीमैट अकाउंट की जरूरत?

गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।

निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम

साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।

किस पर कितना ब्याज

साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।

ब्रोकरेज चार्ज

गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।

टैक्स का बोझ

अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। अगर तरलता की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं ETF की सीमाएं क्या हैं? है। लेकिन सॉवरेन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा।

Liquid ETF: शेयर बाजार में ट्रेड करने वालों के लिए बेहतर है ये फंड, कम जोखिम में रिटर्न के साथ अच्‍छी लिक्विडिटी की सुविधा भी

Liquid ETF: अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश करते हैं तो लिक्विड ईटीएफ आपके लिए बेहतर विकल्‍प हो सकता है. आइए, समझते हैं इसके फायदे

By: ABP Live | Updated at : 29 Sep 2022 04:31 PM (IST)

Liquid ETF: क्‍या आप भी शेयर बाजार में ट्रेड या निवेश करते हैं? अगर हां, तो लिक्विड ईटीएफ (Liquid Exchange Traded Funds) आपके लिए एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है. समझते हैं कि आखिर इसके पीछे क्‍या तर्क है. जब कोई स्‍टॉक मार्केट ट्रेडर या इंवेस्‍टर अपना ETF की सीमाएं क्या हैं? निवेश बेचता है तो अपने पैसों का दोबार निवेश करने से पहले उसके पास दो समस्‍याएं आती हैं. मान लेते हैं कि किसी व्‍यक्ति ने आपने स्‍टॉक मार्केट में निवेश किया और कुछ महीने में आपका इंवेस्‍टमेंट बढ़ गया. अब आप मुनाफा कमाने के लिए उसे बेचना चाहते हैं. आप पहले दिन सेल ऑर्डर देंगे. दूसरे दिन आपके डीमैट अकाउंट से आपका स्‍टॉक डेबिट होगा और तीसरे दिन आपके मार्जिन अकाउंट में उसके पैसे आएंगे. अब आपकी इच्‍छा कि आप नए निवेश करने तक उन पैसों को मार्जिन अकाउंट में रखना चाहते हैं या फिर बैंक खाते में ट्रांसफर करते हैं.

Liquid ETF कैसे है फायदे का सौदा?

एक स्‍टॉक मार्केट इंवेस्‍टर के तौर पर आपके मन में यह उलझन हो सकता है कि मार्जिन अकाउंट में आपके पैसे यूं ही पड़े रहेंगे और उस पर कोई ब्‍याज भी नहीं मिलेगा. ट्रेडिंग अकाउंट से बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए आपके पास वक्‍त भी होना चाहिए. लिक्विड ईटीएफ आपकी इन दोनों समस्‍याओं का समाधान है. ये कम जोखिम वाले ओवरनाइट सिक्‍योरिटीज जैसे कोलैटरलाइज्‍ड बॉरोइंग एंड लेंडिंग ऑब्लिगेशंस (CBLO), रेपो और रिवर्स रेपो सिक्‍योरिटीज में निवेश करते हैं. ये दैनिक आधार पर आपको डिविडेंड देते हैं जिसका पुनर्निवेश फंड में कर दिया जाता है. इनमें जोखिम कम होता है और आप जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं.

किस लिक्विड ईटीएफ का करें चयन?

लिक्विड ईटीएफ में निवेश से पहले बेंचमार्क की तुलना में उसके रिटर्न और एक्‍सपेंस रेशियो की तुलना करें. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लिक्विड ईटीएफ का एक्‍सपेंस रेशियो 0.25 प्रतिशत है. वहीं, डीएसपी निफ्टी लिक्विड ईटीएफ का एक्‍सपेंश रेशियो 0.64 प्रतिशत है, जबकि निप्पॉन इंडिया ईटीएफ के ल‌िक्विड बीईईएस का खर्च 0.69 फीसदी पड़ता है.
खुदरा निवेशकों के लिए, इक्विटी शेयरों की बिक्री के समय ब्रोकर को समान राशि का निवेश करने का निर्देश देकर लिक्विड ईटीएफ की यूनिट खरीदना समझदारी है. जब निवेशक कुछ इक्विटी शेयर खरीदना चाहें, तो किसी ब्रोकर से लिक्विड ETF की सीमाएं क्या हैं? ईटीएफ का उपयोग करके खरीदारी करने के लिए कह सकता है जिसे मार्जिन मनी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

लिक्विड ईटीएफ अर्जित रिटर्न अपेक्षाकृत ज्‍यादा स्थिर होते हैं क्योंकि इस तरह की शॉर्ट-टर्म डेट सिक्योरिटीज लंबी अवधि की तुलना में कीमत में उतार-चढ़ाव की संभावना कम होती है. इसके अलावा, किसी भी कम समय में इन लिक्विड ईटीएफ यूनट्सि को हाजिर बाजार में स्वतंत्र रूप से बेचा जा सकता है और इसे आसानी से कैश कराया जा सकता है. इसके अलावा, लिक्विड ईटीएफ यूनिट्स की खरीद या बिक्री पर कोई सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) नहीं लगता है. यदि आप एक आम निवेशक हैं जो सोच रहे हैं कि कम समय के लिए पूंजी कहां लगाएं और पारंपरिक निवेश विकल्प से बेहतर रिटर्न मिले तो एक लिक्विड ईटीएफ इसके लिए बेहतर साबित हो सकता है.

News Reels

Published at : 29 Sep 2022 04:31 PM (IST) Tags: Mutual Funds Liquid ETF Overnight Funds हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Nifty 50 ETF : कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न का मौका, पैसा डूबने का जोखिम भी कम

Investment : सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है.

Nifty 50 ETF : कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न का मौका, पैसा डूबने का जोखिम भी कम

Nifty 50 ETF : इक्विटी की समझ नहीं रखने वाले लोग अक्सर निवेश के सही मौके की तलाश में रहते हैं. इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई को पछाड़ने की संभावना रहती है, इस कारण लोग इसकी ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसके अलावा इक्विटी में भविष्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी होती है. फिर चाहे निवेश Mutual Fund के जरिये किया गया हो या Direct Stock में या फिर दोनों के मिले-जुले माध्यम से, लेकिन इक्विटी में नए निवेशकों के लिए सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करने में सही कंपनी पर निर्णय लेना कठिन होता है.

सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है. ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) निवेश के लिए सबसे आसान तरीका है. ईटीएफ एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, जिससे एक्सचेंजों पर स्टाक की तरह कारोबार किया जाता है. ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से पेश किए जाते हैं.

कम निवेश से कर सकते हैं शुरुआत

निफ्टी 50 ईटीएफ की खास बात यह है कि बहुत कम राशि से भी इसकी शुरुआत की जा सकती है. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं.

आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन (deviation) का एक पैमाना है – 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितनी कम होती है, उतना ही बेहतर रहता है.

बड़ी कंपनियों में होता है निवेश

निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (market capitalization) के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इसलिए निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण (excellent diversification) प्रदान करता है. यह सूचकांक की राह पर चलता है. आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं. ऐसे में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टाक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती बिंदु में से एक है.

जोखिम को कम करती है पोर्टफोलियो विविधता

एक विविध पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है. किसी स्टाक में निवेश करने के मामले में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टाक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक (underlying index) में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा. केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.

सस्ता होता है निवेश

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है. खर्च अनुपात या दूसरे शब्दों में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है. एक आधार अंक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है.

कम जोखिम में वर्षों तक बाजार ETF की सीमाएं क्या हैं? समझने का मौका

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके आप बहुत अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता ( market dynamics) को समझना शुरू कर सकते हैं. जब आप बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite), लक्ष्य, समय सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं. इस प्रकार आप निफ्टी-50 ईटीएफ के जरिये बाजार में निवेश की यात्रा शुरू कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें

निवेशकों को ले डूबा ये क्रिप्टो एक्सचेंज, एक झटके में गायब हुए 8054 करोड़ रुपये!

निवेशकों को ले डूबा ये क्रिप्टो एक्सचेंज, एक झटके में गायब हुए 8054 करोड़ रुपये!

PNB लाया बंपर ऑफर, इस स्पेशल FD स्कीम पर मिल रहा 7.85% ब्याज

PNB लाया बंपर ऑफर, इस स्पेशल FD स्कीम पर मिल रहा 7.85% ब्याज

13 नवंबर 2022 की बड़ी खबरें: इंग्लैंड ने जीता T20 विश्व कप, पंजाब में गन कल्चर बढ़ाने वाले गानों पर रोक

13 नवंबर 2022 की बड़ी खबरें: इंग्लैंड ने जीता T20 विश्व कप, पंजाब में गन कल्चर बढ़ाने वाले गानों पर रोक

अब आप सुरक्षित रख सकते हैं अपना हेल्थ डाटा, शुरू हुई ये नई सुविधा

अब आप सुरक्षित रख सकते हैं अपना हेल्थ डाटा, शुरू हुई ये नई सुविधा

English News Headline : Nifty 50 ETF Opportunity for higher returns on less investment.

सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों का CPSE ETF निवेश के लिए खुला, क्या आपको इसमें पैसा लगाना चाहिए?

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSE) का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) निवेश के लिए खुल गया है. यह इस ईटीएफ की 7वीं ख . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 31, 2020, 10:04 IST

नई दिल्ली. सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSE) का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) निवेश के लिए खुल गया है. यह इस ईटीएफ की 7वीं खेप है. इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लॉन्ग टर्म के इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले इसे दूर रहें.भले ही वैल्यूएशन कम हों और डिस्काउंट की पेशकश की जा रही हो. इस तरह के फंड केंद्रि‍त होते हैं. इसलिए इनमें ज्यादा अस्थिरता रहती है. इसमें सिर्फ 12 शेयर हैं जिनमें से चार कंपनियों कोल इंडिया, NTPC, ONGC और पावर ग्रिड का हिस्सा 79.5 फीसदी है. इसके चलते इसमें उथल-पुथल का खतरा ज्यादा है. आपको बता दें कि CPSE ETF का पहला न्यू फंड ऑफर मार्च 2014 में लॉन्च हुआ था. फिर जनवरी 2017 में इसके जरिए 13,705 करोड़ रुपये जुटाए गए थे. इसके बाद मार्च 2017 और नवंबर 2018 में इसकी पेशकश की गई थी.

आपको बता दें कि इसके पहले के ETF के जरिए सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपये जुटाए हैं. मार्च 2014 में पेश किए गए पहले ट्रांच में 3 हजार करोड़ रुपये, जनवरी 2017 में 6 हजार करोड़ रुपये, मार्च 2017 में 2,500 करोड़ रुपये, नवंबर 2018 में 17 हजार करोड़ रुपये, मार्च 2019 में 10 हजार करोड़ रुपये और जुलाई 2019 में कुल 11,500 करोड़ रुपये जुटाया गया था.

News18 Hindi

पुराने CPSE ETF ने कितना दिया रिटर्न
पिछले एक साल में सीपीएसई ईटीएफ में 6.53 फीसदी गिरावट आई है जबकि इस दौरान BSE सेंसेक्स ने 13.72 फीसदी का रिटर्न दिया है. एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि कम वैल्यूएशन और ऊंची डिविडेंड यील्ड वाली सेफ पीएसयू में निवेश करने के बुनियादी सिद्धांत अब भी दमदार है लेकिन पिछले CPSE ETF को लेकर इनवेस्टर्स का अनुभव अच्छा नहीं रहा है.

वैल्यूएशन के लिहाज से निफ्टी CPSE इंडेक्स में 8.76 P/E पर ट्रेड हो रहा है जबकि इसके मुकाबले निफ्टी 50 का P/E 28 चल रहा है. इसके अलावा निफ्टी CPSE की डिविडेंड यील्ड 5.32 फीसदी है. वहीं, निफ्टी 50 की डिविडेंड यील्ड 1.24 फीसदी चल रही है.

न्यूनतम निवेश 5 हजार रुपये

(1) छोटे निवेशक कम से कम 5 हजार रुपये तक का निवेश कर सकते हैं. वहीं, गैर-संस्थागत निवेशक और क्वालिफाइड संस्थापक बायर्स के लिए यह सीमा 2 लाख रुपये है. एंकर इन्वेस्टर्स के लिए न्यूनतम निवेश की सीमा 10 करोड़ रुपये है.

(2) हर CPSE ट्रांच डिस्काउंट के साथ आता है, जोकि ​रिटेल निवेशकों के लिए 3-5 फीसदी के करीब होता है. वर्तमान में इस सातवें ट्रांच के लिए निवेशकों को 3 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा.

CPSE ETFs 7th tranche to open on 30 January 2020 what Investors do All you need to know

(3) सीपीएसई ईटीएफ में 12 पब्लिक सेक्टर कंपनियां शामिल है, जिनमें अधिकतर एनर्जी और पावर सेक्टर की कंपनियां है.

(4) 23 जनवरी तक बीते एक, तीन और पांच साल में इनका कंपाउंड एन्युअल ग्रोथ रेट क्रमश: -6.36 फीसदी, -6.35 फीसदी और -2.59 फीसदी रहा है. ONGC, NTPC, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल, REC, PFC, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑयल इंडिया, NBCC इंडिया, NLC इंडिया और SJVN जैसी कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों को इंडेक्स में 20 फीसदी तक वेटेज है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

रेटिंग: 4.35
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 847