किसानों को जागरूक करने के लिए निकलेगी ड्रोन यात्रा

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) खेती की लागत को कम करने तथा किसानों को ड्रोन जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने के लिए जागरूक करने के मकसद से देश की एक प्रमुख ड्रोन निर्माता कंपनी पंजाब से ‘ड्रोन यात्रा’ शुरू करने जा रही है। यह यात्रा दिसंबर से जनवरी माह तक देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जाएगी।

यह यात्रा देश की अग्रणी ड्रोन निर्माता कंपनी आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन प्रा. लि. द्वारा शुरू की जा रही है। इससे पहले कंपनी ने अन्य सहायक नामी-गिरामी कृषि रसायन कंपनियों एवं सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर देशभर में 25,000 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी। अब वह पुन: जल्द इस यात्रा को क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है शुरू करने जा रही है, जो खेती के कामकाज में ड्रोन के उपयोग और उसके फायदे से अवगत कराने की मुहिम के रूप में होगी। इस यात्रा के जनवरी के अंत तक चलने की संभावना है।

आयोटेकवर्ल्ड के निदेशक एवं सह संस्थापक- दीपक भारद्वाज और अनूप उपाध्याय ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘इस यात्रा का मकसद किसानों को खेती के कामकाज में ड्रोन के जरिये खाद, कीटनाशक के समुचित छिड़काव और बीजों के छिड़काव जैसे आसान तरीकों और इससे लागत में कमी लाने जैसे फायदों के प्रति जागरूक करना है।’’

ड्रोन से खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं नागर विमानन मंत्रालय इस दिशा में परस्पर सहयोग कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने कृषि कार्यो में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने के मकसद से ड्रोन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत 2022-23 से 2023-24 के दौरान खर्च के लिए 120 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। इस योजना का लाभ लेने वाली कंपनियों के लिए कुछ अर्हता निर्धारित की गई है। इनमें से कुछ शर्तें हैं कि उनका न्यूनतम वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये का हो और वह कंपनी ड्रोन तथा उसके कलपुर्जों का निर्माण भारत में करती हो।

उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस मकसद से जो ड्रोन बनाया है उसका नाम ‘एग्रीबॉट ड्रोन’ है जो ‘मशीन लर्निंग’ या कृत्रिम मेधा (एआई) के उपयोग से किसानों की लागत में काफी कमी लाने में सक्षम है। यह ड्रोन कृत्रिम मेधा तकनीक की मदद से खेत के किसी खास हिस्से में जितने कीटनाशक और दवाओं के छिड़काव की जरूरत होगी, उसी निर्धारित मात्रा में छिड़काव करेगा। इससे मिट्टी की गुणवत्ता दुरुस्त रखने और फसल में कीटनाशकों व दवाओं के अवशेष को कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से किसानों की उपज बढ़ेगी और उनके समय व लागत में भारी कमी आयेगी। इसके अलावा ड्रोन का कृषि कामकाज में उपयोग बढ़ने से कृषि का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान तीन प्रतिशत बढ़ सकता है।

राजधानी राजधानी क्षेत्र गुरुग्राम मुख्यालय वाली इस स्टार्टअप कंपनी के निदेशक भारद्वाज ने बताया कि फिलहाल कंपनी देश के 14 राज्यों में अपने व्यवसाय और सेवाओं का परिचालन कर रही है और उसका लक्ष्य पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का है। इन 14 राज्यों में महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है तेलंगाना, आंध्र प्रदेश शामिल हैं। खेती के काम में उपयोग होने वाले छोटे ड्रोन का वजन 25 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी के मद्देनजर इस ड्रोन का वजन 14.5 किलो रखा गया है। ड्रोन के नीचे लगे बक्से में 10 लीटर तक कीटनाशक या दवाओं का लदान संभव है और यह बीजों का छिड़काव भी कर सकता है। ड्रोन की मदद से एक एकड़ खेत में कीटनाशक या दवाओं का छिड़काव सात मिनट में किया जा सकता है।

भाषा राजेश राजेश अजय

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क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है

हमने नहीं, भारत के सैनिकों ने अवैध तरीके से किया LAC का उल्लंघन -चीनी विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली: चीनी सेना ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सैनिकों ने "अवैध रूप से" हिमालय में एक विवादित सीमा पार की और चीनी सैनिकों को "बाधित" क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है किया, जिससे पिछले सप्ताह एक नया गतिरोध शुरू हो गया। यह बयान चीनी विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है सेक्टर में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के कुछ दिनों बाद दिया है, जिसमें दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आई थीं।

आपको बता दें कि,इससे पहले मंगलवार को बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों पर सुचारू संचार बनाए रखा है।खबरों के अनुसार, वांग ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को हुए संघर्ष का विवरण देने से इनकार कर दिया।

भारतीय सेना ने बहादुरी से PLAअतिक्रमण करने से रोका

वहीं इससे एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में संसद में तवांग सेक्टर में हुई घटना पर बयान दिया। उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में अपने बयान में कहा, "भारतीय सेना ने बहादुरी से PLAको हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपने पदों पर वापस जाने के लिए मजबूर किया। झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिक घायल हो गए।"राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को "एकतरफा" बदलने के प्रयास को विफल कर दिया। हाथापाई में भारतीय सैनिकों को कोई घातक या गंभीर चोट नहीं आई, उन्होंने कहा जोड़ा गया।

भारत में बिटकॉइन का भविष्य?

भारत में बिटकॉइन का भविष्य अनिश्चित है, लेकिन एक बात निश्चित है: क्रिप्टोकरंसी क्रांति ने देश में अपनी जगह बना ली है। वर्षों से, भारतीय नागरिक क्रिप्टोकरंसी स्पेस में शामिल होने के तरीकों की तलाश कर रहे थे, और अब उनके पास आखिरकार यह अवसर है।

बिटकॉइन 2020 की शुरुआत से भारत में कर्षण प्राप्त कर रहा है, जब इसे पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वैध किया गया था। इस फैसले ने भारतीय नागरिकों को कानूनी तौर पर बिटकॉइन खरीदने और बेचने की अनुमति दी और इसने उनके लिए एक पूरी नई दुनिया खोल दी। हर दिन अधिक से अधिक लोग बिटकॉइन में शामिल हो रहे हैं, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह डिजिटल मुद्रा क्या कर सकती है, इसमें बहुत रुचि है।

हालाँकि, इस सारे उत्साह के बावजूद, अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है, इससे पहले कि हम वास्तव में समझ सकें कि बिटकॉइन में भारतीयों के लिए कितना लाभदायक निवेश हो सकता है। इन चुनौतियों में से एक विनियमन है; जबकि दुनिया भर के कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए कदम उठाए हैं, भारत ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। इसका मतलब यह है कि बीटीसी में निवेश करते समय निवेशकों के पास कोई कानूनी सुरक्षा नहीं होती है, जो उन्हें ऑनलाइन निवेश से जुड़े घोटालों और अन्य जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाता है।

भारत में बिटकॉइन को अपनाने में एक और चुनौती इसकी अस्थिरता है; किसी भी अन्य परिसंपत्ति वर्ग की तरह, बीटीसी की कीमतें तेजी से बदल सकती हैं जिसका मतलब है कि निवेशकों को अपना निवेश करते समय संभावित नुकसान और लाभ दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए। सौभाग्य से, अब भारतीय निवेशकों के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं जो अपने जोखिम को कम करना चाहते हैं जैसे कि डॉलर-लागत औसत या यूनोकॉइन या ज़ेबपे जैसे एक्सचेंजों पर स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना।

अंतत: हमें शिक्षा पर विचार करना चाहिए; जबकि अधिकांश भारतीय अब तक इसकी लोकप्रियता और मीडिया कवरेज के कारण बिटकॉइन के बारे में जानते हैं, कुछ वास्तव में यह समझते हैं कि यह वास्तव में क्या है या निवेश करते समय वे इसे सुरक्षित और जिम्मेदारी से कैसे उपयोग कर सकते हैं। इस चुनौती को दूर करने के लिए, शैक्षिक पहल की आवश्यकता है ताकि लोग बिटकॉइन व्यापार में शामिल होने या खनन कार्यों में सीधे निवेश करने से पहले यह समझ सकें कि वे क्या कर रहे हैं।

इन सभी चुनौतियों क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है के बावजूद, भारत में बिटकॉइन का भविष्य उज्ज्वल दिखता है; देश की अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रभाव के साथ-साथ क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है इसकी मजबूत प्रौद्योगिकी अवसंरचना को देखते हुए जो उपयोगकर्ताओं को भारी लेनदेन शुल्क का भुगतान किए बिना वैश्विक बाजारों तक पहुंच की अनुमति देता है – यह डिजिटल मुद्रा बहुत अच्छी तरह से क्रांति ला सकती है कि समय के साथ भारत में पैसा कैसे काम करता है अगर ठीक से विनियमित किया जाए। केवल समय ही बताएगा कि BTC भारतीय नागरिकों के बीच कर्षण प्राप्त करना जारी रखेगी या नहीं, लेकिन एक बात निश्चित है – यह निश्चित रूप से पहले से ही एक प्रभाव बना चुका है!

केंद्र सरकार का पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का कोई प्रस्ताव नहीं: वित्त राज्यमंत्री

नई दिल्ली: वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने सोमवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

उन्होंने लोकसभा को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी.

ज्ञात हो कि पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है. इसके तहत कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलने का प्रावधान है. हालांकि पेंशन की राशि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदायिता वाली होती है जो 2004 से प्रभाव में है.

कराड ने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से शुरू करने के अपने फैसले से केंद्र सरकार को और पेंशन निधि नियामक तथा विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को अवगत कराया है.

उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने 18 नवंबर, 2022 को सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में अधिसूचना जारी की है, जो वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत हैं. उन्होंने जोड़ा, ‘पंजाब सरकार से अब तक ऐसा कोई क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है प्रस्ताव नहीं मिला है.’

इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों के जवाब में पीएफआरडीए ने संबंधित राज्यों को सूचित किया क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है है कि सरकार के और कर्मचारी के अंशदान के रूप में जमा राशि को राज्य सरकार को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने आगे जोड़ा, ‘पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’

ज्ञात हो कि साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ओपीएस को बंद करने का फैसला किया था और एनपीएस की शुरुआत की थी. एक अप्रैल, 2004 से केंद्र सरकार की सेवा (क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है सशस्त्र बलों को छोड़कर) में शामिल होने वाले सभी नए कर्मचारियों पर लागू होने वाली यह योजना एक भागीदारी योजना है, जहां कर्मचारी सरकार के साथ मिल-जुलकर अपने वेतन से पेंशन कोष में योगदान करते हैं.

पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने एनपीएस लागू किया था. इस साल विपक्ष शासित छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड और पंजाब ने घोषणा की है कि वे ओपीएस को बहाल करेंगे. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में ओपीएस एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उभरा था.

समय-समय पर कई कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए प्रदर्शन करते रहे हैं. बीते क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है महीने ही केंद्र सरकार के कर्मचारी यूनियन के एक महासंघ ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते हुए कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि नई पेंशन योजना सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे में आपदा के समान है.

उधर, एक अलग प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि भारतीय नोटों पर स्वतंत्रता सेनानियों, प्रतिष्ठित हस्तियों, देवी-देवताओं, जानवरों आदि की फोटो शामिल करने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं.

कांग्रेस सांसद ए. एंटनी ने पूछा था कि क्या सरकार को भारतीय करेंसी नोटों पर अधिक फोटो (लक्ष्मी और गणेश की छवियों सहित) को शामिल करने के लिए कोई अनुरोध/अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है. इस पर चौधरी ने हामी भरी.

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘…करेंसी नोटों पर तस्वीर के संबंध में कई अनुरोध/सुझाव प्राप्त हुए हैं. आरबीआई ने इस संबंध में 6 जून, 2022 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि मौजूदा मुद्रा और बैंक नोटों में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


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