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राष्ट्रीय सरकारी सेवाएं पोर्टल सरकारी सेवाएं तेजी से खोजें

उउपयोगकर्ता निर्यातकों के लिए प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के कृषि पर वित्तीय सहायता योजना (एफएएस) के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से, पंजीकृत उपयोगकर्ता एपीडा के इंटरफेस पर लॉग इन कर सकते हैं। प्रवेश के लिए RCMC नंबर आवश्यक है। पंजीकृत निर्यातक सदस्य कंपनी प्रोफाइल, मासिक रिटर्न (पार्टी रिटर्न) को अद्यतन करने, बाजार विकास सहायता योजना, परिवहन सहायता सब्सिडी, चावल निर्यातक के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र, आदि के लिए आवेदन जैसे अन्य ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

व्यापार चिन्ह आवंटन के लिए ऑनलाइन आवेदन दें

व्यापार चिह्न के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करें। व्यापार चिह्न पंजीकरण के आवेदन के लिए आपको लॉगइन करना होगा। आपको यहां दूसरी ऑनलाइन सेवाओं का लाभ भी मिलेगा, जैसे कि मालिकों को नए खाते की सुविधा, एजेंट और वकीलों की जानकारी, सार्वजनिक खोज, आवेदन की स्थिति की जानकारी, दिशा निर्देश और अद्यतन डिजिटल हस्ताक्षर आदि।

वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक देखें

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक सलाहकार के कार्यालय के बारे में जानकारी प्राप्त करें। आप विभिन्न वर्षों एवं समूहों की वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। थोक मूल्य सूची के साप्ताहिक मूल्य विवरण ऑनलाइन जमा करवाने के लिए लिंक दिए गए हैं। अवधारणा पत्रों, शोध अध्ययन, कार्य और चर्चा पत्रों, छह इंफ्रा इंडस्ट्रीज, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई है। रेलवे और बैंकिंग सेवा मूल्य से संबंधित प्रायोगिक सूचकांक की जानकारी प्राप्त करने के लिए लिंक उपलब्ध कराया गया है।

भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री के अंतर्गत अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी प्राप्त करें

आप भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री के अंतर्गत अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। यह सुविधा पेटेंट डिजाइन एवं व्यापार चिह्नों के महानियंत्रक द्वारा प्रदान की जा रही है। अपने आवेदन की स्थिति देखने के लिए आपको अपनी आवेदन संख्या बतानी होगी। आप भौगोलिक उपदर्शन सूची के विभिन्न विकल्पों जैसे – पंजीकृत आवेदन/लंबित आवेदन/सभी प्रकार के आवेदन इत्यादि में से भी अपने आवेदन की स्थिति की जाँच कर सकते हैं।

वाणिज्य विभाग में अपनी शिकायत दर्ज करवाएँ

आप वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग में अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए आपको कंपनी का नाम, आयत-निर्यात कोड (आईईसी) संख्या, पता इत्यादि की जानकारी देनी होगी।

Pengertian E-commerce dan E-business, Serta 5 Perbedaannya!

E-business memungkinkan perusahaan untuk mengelola sistem pemrosesan data secara internal dan eksternal dengan lebih efisien dan juga lebih fleksibel. E- business pula banyak digunakan buat berhubungan dengan pemasok industri serta mitra bisnis serta pula buat bisa memuaskan serta melayani kepuasan pelanggan sehingga dapat lebih baik lagi .

Pengertian E-commerce dan E-business, Serta 5 Perbedaannya!

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E-business tidak hanya terkait dengan e-commerce. Dalam hal ini, e-commerce merupakan subbagian dari e-business. sedangkan e-business adalah aktivitas bisnisnya dilakukan dengan menggunakan semua data elektronik, termasuk dalam hal pemasaran internet

Sebagai bagian dari e-business, e-commerce cenderung lebih fokus pada transaksi bisnis dengan menggunakan website atau aplikasi. Menggunakan sistem manajemen pengetahuan, e-commerce bertujuan untuk meningkatkan pendapatan perusahaan.

Dengan demikian, e-commerce itu sendiri adalah semua kegiatan pendistribusian, pembelian, penjualan, pemasaran barang atau jasa dengan menggunakan sistem elektronik atau televisi, website, atau menggunakan jaringan komputer lainnya.

E-commerce mampu melibatkan transfer dana elektronik, pertukaran data elektronik, sistem manajemen inventaris otomatis, dan sistem pengumpulan data otomatis.

5 Perbedaan E-Commerce dan E-Business

Tidak asing lagi ketika bisnis saat ini banyak merambah dunia digital. Dalam dunia bisnis digital, ada dua istilah yang sering digunakan yaitu e-commerce dan e-business. E-commerce atau e-business memang sekilas mirip dan sering digunakan oleh masyarakat. Namun, keduanya berbeda. Anda dapat memahami beberapa perbedaan di bawah ini.

1. Berbeda dalam pemahaman

Dalam e-commerce atau singkatan dari electronic commerce, baik pembelian maupun penjualan dilakukan melalui jaringan elektronik, termasuk internet. Kegiatan jual beli ini bisa sangat luas, baik jual beli barang maupun jasa, maupun transfer data secara elektronik ke dana.

Sedangkan dalam e-business, cakupan dan jangkauannya lebih luas dan tidak hanya menangani transaksi bisnis seperti e-commerce tetapi juga menyediakan layanan lain yang lebih mendasar seperti penyedia layanan e-commerce. Sehingga dapat dikatakan bahwa e-commerce juga termasuk dalam ruang lingkup e-business.

2. Memiliki jangkauan yang berbeda

E-business memiliki jangkauan yang lebih कॉमर्स प्रणाली का विकास luas daripada e-commerce. Dalam e-business, tidak hanya proses jual beli yang dilakukan, tetapi setiap aspek bisnis. Mulai dari permodalan, dari sumber energi manusia, dari seluruh proses pemasaran produk serta jasa, sampai tiap resiko yang timbul sehabis pembelian benda ataupun jasa. Sebaliknya e- commerce, ruang lingkupnya cuma terbatas pada proses jual beli jasa ataupun produk lewat internet saja dalam wadah web.

3. Berbeda dengan sistem kerja

Seperti disebutkan di atas, e-commerce menjalankan sistemnya hanya sebagai media untuk transaksi jual beli online. Selain itu, e-commerce juga dapat dianggap sebagai aktivitas yang menarik siapa pun, termasuk pelanggan, pemasok, atau mitra, untuk membeli atau menjual barang dan jasa secara online.

Sementara itu, e-business lebih ditujukan untuk edukasi dan juga kesadaran pelanggan akan manfaat suatu produk atau jasa yang ditawarkan dalam transaksi online. Jadi, e-business bergerak dari awal, mulai dari perencanaan proses produksi, manajemen risiko, pengembangan produk atau layanan, manajemen keuangan suatu organisasi atau perusahaan.

4. Sistem pemasaran yang diterapkan berbeda

Jika e-commerce hanya membutuhkan sistem pemasaran yang mencakup spesifikasi dan bahkan analitik dalam hal penjualan, e-business tidak demikian. Sistem pemasaran yang digunakan oleh e-business lebih kompleks dan membidik setiap bagian dari suatu perusahaan.

5. E-commerce hanyalah bagian dari e-business

E-commerce hanya merupakan bagian dari e-business, karena e-business merupakan suatu sistem yang lengkap dan terdiri dari banyak bagian yang mendukung berjalannya suatu bisnis, terutama yang dioperasikan di Internet.

भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का प्रभाव

भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ओई कॉमर्स इंटरनेट के उपयोग के साथ दुनिया के अधिकांश देशों में पहुंच गया है, और इसके भविष्य के लिए और भी अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, सभी को धन्यवाद अपार वृद्धि क्षमता यह उपकरण हाल के वर्षों में हासिल किया है और भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का प्रभाव।

20 के दशक की शुरुआत में इसे बढ़ावा दिया गया था सूची द्वारा उत्पादों की बिक्री संयुक्त राज्य अमेरिका। थोक उद्यमियों ने शहर के खरीदारों तक पहुंचने का सपना देखा और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक फोटो कैटलॉग बनाकर उद्योग में क्रांति ला दी।

भविष्य में ई-कॉमर्स

20 के दशक के कुछ दशक बाद टेलीविजन दिखाई दिया और इसके साथ द प्रसिद्ध टेलीविजन विज्ञापन, कि उद्योग को बचाए रखें। आपको बस इतना करना था कि कॉल करें और अपना ऑर्डर दें। 90 के दशक की शुरुआत तक, उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने की प्रक्रिया को और सरल बना दिया गया था। इंटरनेट की बदौलतउपयोगकर्ता कर सकते हैं दुनिया में कहीं से भी अपनी खरीदारी करें, कर्मचारियों को भुगतान करने की आवश्यकता के बिना और दिन के किसी भी समय।

38 मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने में टेलीविज़न को 50 साल लग गए, एक ऐसी संख्या जो इंटरनेट केवल चार में पहुंची, जिसमें सूचनाओं का अधिक तेज़ विस्तार है, जो है वर्तमान वैश्विक बाजार में सबसे अच्छा वाणिज्यिक प्रचार उपकरण।

2005 में यह भविष्यवाणी की गई थी कि ए स्पेन में ई-कॉमर्स की वृद्धि 40% होगी। हर किसी को आश्चर्यचकित करने के लिए, 2007 में यह 60% तक बढ़ गया, जो कि यूएस $ 10,908,000 के बिक्री मूल्य में तब्दील हो गया, और इस तरह से घातीय तरीके से ई-कॉमर्स का विकास होता कॉमर्स प्रणाली का विकास रहा है के स्तर तक पहुँचने तक आज प्रभाव।

और यह है कि हम जानते हैं आराम यह आपके घर से दिन के किसी भी समय खरीदने की शक्ति प्रदान करता है, सुरक्षा यह प्रणाली प्रदान करती है, गति और विविधता उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के पक्ष में कई बिंदुओं में से कुछ हैं।

लेख की सामग्री हमारे सिद्धांतों का पालन करती है संपादकीय नैतिकता। त्रुटि की रिपोर्ट करने के लिए क्लिक करें यहां.

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ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: ई-कॉमर्स क्षेत्रक विगत कुछ वर्षों से भारत में तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में प्रस्तावित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति के आलोक में इसके विनियमन की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए। साथ ही, इस क्षेत्रक द्वारा वर्तमान में सामना की जाने वाली चुनौतियों की पहचान कीजिए। (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • उन कारणों को सूचीबद्ध कीजिए जो एक ई-कॉमर्स नीति की आवश्यकता को इंगित करते हैं।
  • ई-कॉमर्स क्षेत्रक द्वारा अनुभव कॉमर्स प्रणाली का विकास की जाने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिए।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

ई-कॉमर्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म (मुख्यतः इन्टरनेट आधारित) है जिसके माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय अथवा फण्ड या डेटा का प्रसारण किया जाता है। इसने भारत में व्यवसाय के तरीके को परिवर्तित कर दिया है। वर्तमान में यह अनुमानित 25% की वृद्धि दर के साथ 53 बिलियन डॉलर का व्यवसाय बन गया है तथा इस उद्योग के 2020 तक 100 अरब डॉलर से भी अधिक हो जाने का अनुमान किया गया है।

ई-कॉमर्स उद्योग के विनियमन की आवश्यकता इस क्षेत्र से उत्पन्न या भविष्य में उत्पन्न होने वाली विशिष्ट चुनौतियों के कारण प्रकट हुई है। इन चुनौतियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • उपभोक्ताओं का शोषण: उपभोक्ताओं को ऑनलाइन विक्रेताओं की संभावित धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करने हेतु उपभोक्ता संरक्षण मानदंडों की आवश्यकता है।
  • घरेलू खुदरा बाजार: अमेज़न और फ्लिप्कार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं द्वारा किया जाने वाला अनुचित मूल्य निर्धारण ( Predatory pricing) स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को हानि पहुंचाता है जबकि खुदरा विक्रेताओं द्वारा बड़ी संख्या में श्रमबल को नियोजित किया जाता है।
  • प्रतिस्पर्धा: कुछ ई-रिटेलर्स लाखों छोटे खुदरा विक्रेताओं (मुख्यत: दुकान) की तुलना में खुदरा बाजार में गैर-आनुपातिक रूप से बड़ी हिस्सेदारी का लाभ उठाते हैं। व्यावसायिक गुटबंदी, विलय, अधिग्रहण या अन्य तरीकों से उनके पास बाजार मूल्यों को निर्धारित करने तथा प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने की शक्ति होती है।
  • उपभोक्ता डेटा: लेन-देन से संबंधित डेटा को डेटा सुरक्षा हेतु स्थानीयकृत करना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति उद्देश्यों के लिए सरकार को इस डेटा तक पहुंच की आवश्यकता हो सकती है।
  • स्थानीय भुगतान प्रणालियाँ: वित्तीय लेन-देन से संबंधित लागतों को कम करने हेतु राज्य-संचालित रूपे (RuPay) भुगतान, भीम (BHIIM) ऐप इत्यादि को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • MSME की सहभागिता: ऑनलाइन खुदरा व्यापार में MSME की सहभागिता में वृद्धि करने की भी आवश्यकता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ऐसे तरीके से विनियमित किया जाना चाहिए जो मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित करते समय विदेशी और घरेलू अभिकर्ताओं के लिए व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करें।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा प्रतिस्पर्धा को हानि पंहुचाने वाले विलयों तथा अधिग्रहणों के निरीक्षण करने की भी आवश्यकता है। हाल ही में प्रस्तावित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति का उद्देश्य इन चुनौतियों का समाधान करना है। इसके कुछ विशिष्ट पहलू निम्नलिखित हैं:

  • प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विक्रय मूल्यों को प्रभावित करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रतिबंधित करना चाहिए।
  • संबंधित तीसरे पक्ष के विक्रेताओं द्वारा मोबाइल फोन, फैशन आइटम जैसी वस्तुओं की थोक खरीद पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जो बाजार में मूल्य विकृति का कारण बनता है।
  • अत्यधिक छूट ऑफर के लिए सनसेट क्लॉज़ (अर्थात् छूटों की समयबद्ध प्रकृति)।
  • इन्वेंटरी मॉडल के सन्दर्भ में यह तय किया जाना चाहिए कि केवल बहुसंख्यक भारतीय स्वामित्व या प्रबंधन वाली कंपनियां ही इस मॉडल का प्रयोग करते हुए विक्रय कर सकती हैं। वहीं विदेशी वित्तपोषित कंपनियों के लिए रिस्ट्रिक्टेड इन्वेंटरी मॉडल का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • कराधान मामलों में उल्लंघन पर निगरानी रखने हेतु पृथक प्रवर्तन निदेशालय विंग।
  • विलयों और अधिग्रहणों के मुद्दों पर निगरानी रखने हेतु प्रतिस्पर्धा आयोग।
  • ई-कॉमर्स क्षेत्रक हेतु एकल विनियामक तथा एकल क़ानून।
  • भारत द्वारा उत्पन्न डेटा पर नियंत्रण और प्रतिबंध लगाना तथा साथ ही कुछ परिस्थितियों में सरकार के लिए उपयोग हेतु उपलब्ध होना चाहिए।

ई-कॉमर्स क्षेत्रक द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियाँ:

  • सीमारहित अर्थव्यवस्थाएं: वैश्वीकरण के साथ ही कंपनियों के समक्ष सरकारी विनियमों, भू-राजनीतिक प्रस्थिति, “स्टेटलेस इनकम” तथा अत्यधिक स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से निपटने की आवश्यकता प्रकट होती है।
  • भारत में पसंदीदा भुगतान प्रणाली के रूप में कैश ऑन डिलीवरी (COD) को प्राथमिकता दी जाती है जोकि जो कठिन, जोखिमपूर्ण तथा महंगी प्रणाली है।
  • पेमेंट गेटवे की उच्च विफलता दर: भारतीय पेमेंट गेटवे की विफलता दर वैश्विक मानकों की तुलना में सामान्यत: उच्च है।
  • विश्वास और ब्रांड निर्माण: उपभोक्ताओं की मांगों के किसी भी पहलू की आपूर्ति की विफलता के कारण ऑनलाइन ग्राहक के विश्वास में कमी आ सकती है।
  • डाक पते का मानकीकृत न होना: अंतिम गन्तव्य स्थल से संबंधित मुद्दे ई-कॉमर्स की लॉजिस्टिक्स समस्याओं में वृद्धि करते है।
  • आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित मुद्देः अवस्थिति, अवसंरचना तथा अपरिहार्य बाधाओं पर आधारित समयबद्ध वितरण एक प्रमुख मुद्दा है जो ऑर्डर्स को रद्द करने का कारण बनता है।
  • ऑनलाइन सुरक्षा से संबंधित मुद्दे: ई-कॉमर्स साइट्स साइबर हमलों के उच्च जोखिम का सामना करती हैं, क्योंकि वहां वित्तीय लेन-देन तथा उपभोक्ताओं से संबंधित आंकड़े संग्रहित होते हैं।

इस प्रकार, समय की मांग है कि एक ई-कॉमर्स नीति को क्रियान्वित किया जाए जो इस क्षेत्र के व्यापक महत्त्व की उपेक्षा किए बिना एक कुशल ई-कॉमर्स उद्योग के लिए मार्ग प्रशस्त करे। नीति में प्रस्तावित एकल राष्ट्रीय ई-कॉमर्स विनियामक उपभोक्ता संरक्षण और ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा के अनुपालन को सुनिश्चित करेगा।

ई-कॉमर्स से लाई जा सकती है आर्थिक विकास व रोजगार में तेजी

भारत के विकास में मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर का बड़ा योगदान होने जा रहा है। इसके लिए माइक्रो, स्माल, मीडियम एंटरप्राइजिस (एम.एस.एम.इका) को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तमाम जरूरी सुविधाएं प्रदान की जाएं तो आर्थिक विकास, रोजगार, आय के स्तर में तेजी लाने और सप्लाई चेन क्षमता बढ़ाने के लिए यह डिजिटल क्रांति वरदान साबित होगी।

एम.एस.एम.इका के कारोबार को टिकाऊ और लाभकारी बनाने के लिए समय की मांग न केवल उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता और ऑटोमेशन लाना है, बल्कि उन्हें अधिक से अधिक बाजारों तक पहुंचने के लिए स्थानीय और वैश्विक सप्लाई चेन से जोडऩा भी जरूरी है। डिजिटल सशक्तिकरण के बगैर हमारे एम.एस.एम.इका भविष्य के विश्वव्यापी बाजार के मुकाबले के लिए तैयार नहीं हो सकेंगे।

आज ई-कॉमर्स एक ऐसा क्रांतिकारी परिवर्तन है जिसके विश्वव्यापी मंच से एम.एस.एम.इका कम निवेश पर भी कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अब स्थापित सप्लाई चेन से मुकाबले के लिए डिजिटल क्रांति के जरिए कारोबार और निवेश फायदे का सौदा है। एक सर्वे के मुताबिक, 2020 में ई-कॉमर्स सैक्टर में 8 प्रतिशत और 2021 में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024 तक इस सैक्टर में कारोबार 111 अरब डॉलर और 2026 तक 200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। 2021 में ई-कॉमर्स और संबद्ध उद्योगों (ऑनलाइन फूड बिजनैस, सोशल कॉमर्स, ऑनलाइन किराना) में रोजगार के अवसरों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

विकास के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था के 2025 तक 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का लक्ष्य पाना एक चुनौती है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘लोकल टू ग्लोबल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का दृष्टिकोण साकार करने में ई-कॉमर्स मददगार हो सकता है। यह दूर-दराज के इलाकों से भी उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार में लाने का मंच है।

स्टार्टअप और नए ब्रांड भी राष्ट्रीय ब्रांड बनने के अलावा दुनियाभर में छा जाने के अवसर की तलाश में हैं। यह आजीविका के कई अवसरों के जरिए अतिरिक्त आय अर्जित करने का एक बेहतर विकल्प है, जिसका आर्थिक समृद्धि और समावेशी विकास में कॉमर्स प्रणाली का विकास बड़ा योगदान हो सकता है। कई ऑफलाइन स्टोर भी इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए ई-कॉमर्स के रास्ते तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

बाधाएं दूर करने की जरूरत :कॉमर्स प्रणाली का विकास ई-कॉमर्स सैक्टर के ऑनलाइन कारोबार को आसान करने के रास्ते में आने वाली तमाम बाधाएं दूर करने की जरूरत है। पहला, ई-कॉमर्स मार्कीटप्लेस पर विक्रेताओं को एक से दूसरे राज्य में माल की सप्लाई के लिए जी.एस.टी. थ्रैशहोल्ड छूट (40 लाख रुपए) का लाभ नहीं मिलता, जबकि ऑफलाइन विक्रेताओं को टर्नओवर कम होने के बावजूद इसका लाभ मिल रहा है।

दूसरा, व्यापार के प्रमुख स्थान (पी.पी.ओ.बी.) की आवश्यकता को विशेष रूप से ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए डिजिटल बना कर सरकार उनके गृह राज्य से बाहर अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए ‘फिजिकल’ उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म करे। ऑफलाइन होने के कारण विक्रेताओं के पास फिजिकल व्यापार का प्रमुख स्थान होना आवश्यक है, जो ई-कॉमर्स कारोबार के लिए व्यावहारिक नहीं है।

तीसरा, ई-कॉमर्स की कार्यशैली एम.एस.एम.इका को समझाने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकारें विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम के साथ जागरूकता सत्र आयोजित करें, इमेजिंग और कैटलॉगिंग जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए ई-कॉमर्स संस्थाओं की विशेषज्ञता का लाभ लिया जा सकता है। एम.एस. एम.इका के लिए एम.एस.एम.इका को दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचने और डिजिटल मार्केटिंग में निवेश करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की जरूरत है।

चौथा, डिजिटल क्रांति अपनाने के लिए फिजिकल और डिजिटल बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण है। सड़क और टैलीकॉम नैटवर्क से न केवल उपभोक्ता तक पहुंच आसान होगी, बल्कि यह दूरदराज के क्षेत्रों के विक्रेताओं को बड़े राष्ट्रीय बाजार के साथ एक्सपोर्ट के लिए भी सक्षम करेगा। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए बनाए गए एक मजबूत लॉजिस्टिक नैटवर्क और वेयरहाऊस चेन से इस कारोबार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी ई-कॉमर्स सैक्टर की जरूरतों पर केंद्रित होनी चाहिए और पांचवां, भविष्य की मांग को देखते हुए कौशल नीति और कार्यक्रम ई-कॉमर्स सैक्टर की जरूरतों के मुताबिक बनाए जाएं।

ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट : ई-कॉमर्स के जरिए एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाए जाएं। उन उत्पादों की पहचान हो, जिनमें एक्सपोर्ट कारोबार की क्षमता है। ई-कॉमर्स को ‘एक्सपोर्ट ओरिएंटेड मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर्स’ से जोडऩा, एक्सपोर्ट प्रमोशन काऊंसिल्स के साथ गठजोड़, मौजूदा एस.ई.जैड में ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट जोन बनाए जाएं और उन्हें भी एस.ई.जैड को दी जाने वाली रियायतों का लाभ मिले।

आगे का रास्ता : भारतीय ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर्स को वैश्विक बाजारों में सफल बनाने के लिए डिजिटलीकरण में सक्षम बनाने और इसके प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। विदेश व्यापार नीति को ऐसे क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जो ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट में शामिल हों। ई-कॉमर्स के जरिए साढ़े 6 करोड़ एम.एस.एम.इका देश के आॢथक विकास एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने में कारगर साबित हो सकते हैं।-अमृत सागर मित्तल(सोनालीका ग्रुप के वाइस चेयरमैन एवं कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन)

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