“इस पुस्तक के आठ अध्याय में विमान बनाने की तकनीकी का ही वर्णन है”
“आठ अध्याय में 100 खंड है जिसमें विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”
“महर्षि भारद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक में विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”

दुनिया का सबसे पहला हवाई जहाज भारत में बना था, जिसे अंग्रेजों ने धोखे से अपने नाम पेटेंट कराया ……

अगर आज किसी को पूछा जाये के सबसे पहला हवाई जहाज किसने बनाया? तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह आविष्कार. हम बचपन से यह पढ़ते आये हैं कि 17 दिसंबर सन 1903 को अमेरिका के तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जहाज बना कर उड़ाया, जो 120 फिट उड़ा और गिर गया और उसके बाद फिर आगे हवाई जहाज की कहानी शुरू होती है.

मुम्बई के समुद्र तट पर उड़ा था दुनियां का पहला विमान

1903 से कई साल पहले सन 1895 में हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जहाज बनाया, और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया.

लेकिन अभी जो दस्तावेज़ मिले है और वो यह बताते है कि 1903 से कई साल पहले सन 1895 में हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जहाज बनाया, और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया. और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया !

जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे. मुंबई में एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, वहां उनका जन्म और पढ़ाई लिखाई हुयी. एक गुरु के सान्निध्य में रह कर संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया. अध्ययन करते समय उनकी विमान शास्त्र में रूचि पैदा हो गयी.

महर्षि भारद्वाज ने लिखा है विमान शास्त्र

आपको जानकर हैरानी होगी की भारत में तो विमान बनाने पर पूरा एक शास्त्र लिखा गया है उसका नाम है विमानशास्त्र और हमारे देश में विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो है “महर्षि भारद्वाज”. महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी. उस पुस्तक के आधार पर फिर सैंकड़ो पुस्तकें लिखी गयी. भारत में जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुरानी पुस्तक 1500 साल पुरानी है और महर्षि भारद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए.
शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ में महर्षि भारद्वाज के विमान शास्त्र की पुस्तक लग गयी, और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा. इस पुस्तक के बारे में तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे –

“इस पुस्तक के आठ अध्याय में विमान बनाने की तकनीकी का ही वर्णन है”
“आठ अध्याय में 100 खंड है जिसमें विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”
“महर्षि भारद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक में विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”

एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे एक इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, और ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने अर्थात 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है. हर एक सिद्धांत पर इस पुस्तक के बारे में तलपडे जी और लिखते है के –
“इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र में”
यह तो (Technology) तकनीकी होती है, इसकी एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनीकी की एक विशेष प्रक्रिया होती है, तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है. 32 तरह से 500 किस्म के विमान बनाए जा सकते है, मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के. एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके. 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ में है. 3000 श्लोक है, 100 खंड है और 8 अध्याय है. आप सोचिये यह कितना बड़ा ग्रन्थ है.

इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे ने पढा. अपनी विद्यार्थी जीवन से पढ़ा , और पढ़ पढ़ कर परीक्षण किये, और परीक्षण करते करते 1895 में वो सफल हो गए, और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया.

विमान का परीक्षण देखने मुम्बई के बड़े बड़े लोग आए थे

इस परीक्षण को देखने के लिए भारत के तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था में जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट में. रानाडे गए उसको देखने के लिए. बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुआ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के, वो भी गए उसको देखने के लिए. ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारों साधारण लोगों की उपस्थिति में शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया. और हैरानी की बात यह थी जिस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमें खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको.

1895 में ही बनाया था रिमोट वाला विमान

उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे के हाथ में है और विमान हवा में उड़ रहा है और यह घटना 1895 में हुयी. जबकि बिना चालक के उड़ने वाला विमान 2 -3 साल पहले अमेरिका ने बनाया है जिसे ड्रोन कहते है और भारत में सन 1895 में लगभग 110 साल पहले तलपड़े ने ये बना दिया था और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो ले के गए, फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया.

विमान सफल उड़ान के बाद लैंड किया था

वो विमान टूटा नहीं, उसमें आग लगी नहीं उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नहीं, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर नीचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे को कंधे पर उठा लिया.

महाराजा गायकोवाड ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे ने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाएं की, इनाम की घोषनाएं की .

तलपडे का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूं, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अच्छी स्थिति नहीं है. तो लोगो ने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाएं की कि आगे उनको कोई जरुरत नहीं थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोखा हुआ.

Talli Brother ब्रिटेन कंपनी ने धोखे से ले लिया फार्मूला

अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे के पास और तलपडे को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्राइंग हमें दे दीजिये. तलपडे ने कहा कि उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदद करना चाहते है, आपने यह जो आविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत काम में लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझौता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये.

तलपडे भोले भाले सीधे साधे आदमी थे, तो वो मान गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझौता कर लिया. उस समझौते में Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मॉडल था उनसे ले लिया, ड्राइंग ले ली और डिजाईन ले ली और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझौते को वो कंपनी भूल गयी और वो ही ड्राइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुंच गयी. फिर अमेरिका में Write Brothers के हाथ में आ गयी फिर Write Brothers ने वो विमान बना के अपने नाम से सारी दुनिया में रजिस्टर करा लिया.

शिवकर बापूजी तलपडे के द्वारा 1895 में बनाया हुआ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Write Brothers ने बनाया और 1903 में 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत में विमान बन चुका था, और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था.

तलपड़े की रहस्यमय मृत्यु

Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी खत्म हो तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत गयी. उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है कि उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाविक है जिसके नाम दुनिया में इतना बड़ा आविष्कार होने की संभावना हो.

अग्निपथ योजना स्वैच्छिक, जिन्हें समस्या है वे न हों शामिल : हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अग्निपथ योजना को विशेषज्ञों ने तैयार किया है, कोर्ट विशेषज्ञ निकाय नहीं जो इस पर फैसला करे।

by WEB DESK

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अग्निपथ योजना को विशेषज्ञों ने तैयार किया है और कोर्ट विशेषज्ञ निकाय नहीं है कि वो इस योजना के बारे में फैसला करे। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वो विभिन्न देशों के रक्षा बलों और उनकी सैन्य रणनीति की भी पड़ताल नहीं करने जा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अग्निपथ योजना स्वैच्छिक है, जिन लोगों को इसमें कोई समस्या है, उन्हें सशस्त्र बलों में नहीं शामिल होना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।

सोमवार तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है। सैन्य बलों में शामिल होने वाले अग्निवीरों में किसी यूनिट से जुड़ने के लिए ट्रेनिंग की कमी होगी। ये योजना समान काम समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन है। अग्निपथ योजना से चार साल बाद बाहर होने वाले 75 फीसदी जवानों के लिए कोई बैक अप प्लान नहीं है। सेना से रिटायर एक याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि फील्ड के विशेषज्ञ और उप-सेनाध्यक्षों तक ने इस योजना को भारतीय सेना के लिए नुकसानदेह बताया है। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वो इस मसले पर केंद्र से निर्देश लेंगी।

इस मामले में केंद्र सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि अग्निपथ योजना में कोई कानूनी कमी नहीं है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत होने के साथ-साथ ये सेना की जरूरतों के मुताबिक होगी। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि देश की सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ देश अंदर और बाहर के दुश्मनों से लड़ने तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत के लिए भारतीय सेना की औसत आयु 32 साल से 26 साल हो जाएगी और सेना तकनीकी रूप से भी ज्यादा दक्ष होगी। अग्निपथ योजना मेरिट के आधार पर और पारदर्शी तरीके से होगी। अग्निवीर देश के साथ-साथ समाज के लिए संसाधन साबित होंगे।

अग्निपथ योजनाओं को लेकर दायर याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को अपने पास और दूसरे हाई कोर्ट में लंबित केस दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट पहले से भारतीय नौसेना के उस विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें अभ्यर्थियों को 12वीं में मिले मार्क्स कट-ऑफ बढ़ाकर चयन करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि भारतीय नौसेना में चयन के लिए जो मापदंड बनाए गए हैं, उसका ये विज्ञापन उल्लंघन करता है।

अग्निपथ योजना को लेकर एयरफोर्स में चयनित 20 अभ्यर्थियों ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना से प्रभावित हुए बिना उन्हें एयरफोर्स में ज्वाइन करने का आदेश जारी किया जाए। एयरफोर्स में चयनित अभ्यर्थियों का एयरफोर्स की X और Y ट्रेड में नियुक्ति के लिए 2019 में चयन हुआ था, लेकिन उन्हें ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है। याचिका में मांग की गई है कि एयरफोर्स की 2019 का एनरॉलमेंट सूची प्रकाशित की जाए और उन्हें ज्वाइनिंग करायी जाए। एयरफोर्स की आधिकारिक वेबसाइट में कहा गया कि कोरोना की वजह से उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो रही है, लेकिन अब केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना की वजह से उनकी ज्वाइनिंग पर असर पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में अग्निपथ योजना को लेकर तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं। एक याचिका वकील हर्ष अजय सिंह ने दायर की है। याचिका में सरकार को इस योजना पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकारी खजाने पर बोझ कम करने की कवायद में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता ना हो। चार साल बाद रिटायर हुए अग्निवीर बिना किसी नौकरी के गुमराह हो सकते हैं।

अग्निपथ योजना को लेकर दूसरी याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने और तीसरी याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी। मनोहर लाल शर्मा की याचिका में अग्निपथ योजना को चुनौती देते हुए कहा गया था कि ये योजना बिना संसद की मंजूरी के लाई गई है। वकील विशाल तिवारी की याचिका में अग्निपथ योजना का सेना पर पड़ने वाले प्रभाव और उसके खिलाफ हुई हिंसा और तोड़फोड़ की जांच की मांग की गई थी।

तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: WHO-GCTM से सम्बंधित तथ्य।

  • राज्यसभा में आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में WHO-GCTM (डब्ल्यूएचओ-पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र) के संबंध में जानकारी दी और WHO-GCTM के वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभरने की संभावना व्यक्त की।

WHO-GCTM भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय (जिनेवा) का एक आउटपोस्ट केंद्र है। यह WHO सदस्य देशों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने में सहायता करेगा। WHO-GCTM वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभरेगा जो पारंपरिक औषधियों से संबंधित दवाओं और अनुसंधान के विकास को बढ़ावा देगा तथा पारंपरिक दवाओं के बारे में साक्ष्य आधारित अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा जागरूकता को मजबूत बनाएगा।

WHO-GCTM की गतिविधियां/कार्यक्षेत्र इस प्रकार हैं-

  1. विकास और स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंडा को आकार देने, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और मानकों को स्थापित करने, देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने और पारंपरिक चिकित्सा के स्वास्थ्य रुझानों की निगरानी और आकलन के लिए एक संरक्षक के रूप में कार्य करना।
  2. अनुसंधान पद्धति मानकों को स्थापित करना तथा पारंपरिक चिकित्सा में नैदानिक अभ्यास और प्रोटोकॉल के लिए मानकों को विकसित करना।
  3. पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता, पहुंच तथा तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करना।
  4. प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों में मानदंड, मानक और दिशानिर्देश विकसित करना, डेटा एकत्र करने के लिए उपकरण और तरीके विकसित करना, विश्लेषण करना और प्रभाव का आकलन करना।
  5. WHO के भीतर साझेदारी और सहयोग का निर्माण करना तथा विशेष कार्यक्रमों (IARC, WHO अकादमी, TDR, स्वास्थ्य नीति अनुसंधान के लिए गठबंधन, PHC पर विशेष कार्यक्रम), उद्देश्यों के लिए प्रासंगिता के क्षेत्र में अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां, WHO सहयोगी केंद्र नेटवर्क, अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा पेशेवर संघ और विशिष्ट क्षमता निर्माण समर्थन समूहों के साथ सहयोग करना।
  6. उद्देश्यों के लिए प्रासंगिता के क्षेत्र में विशिष्ट क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना और परिसर, आवासीय या वेब आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना तथा साझेदारी के माध्यम से WHO अकादमी और अन्य रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  7. पारंपरिक चिकित्सा से अनुमानित स्वास्थ्य प्रौद्योगिक मूल्यांकन और स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के लिए दिशा-निर्देश विकसित करने में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करना तथा इस पर देशों की विकसित रणनीतियों का समर्थन करना।

2. री-सैट और वेदाज के इस्तेमाल से कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए:

सामान्य अध्ययन: 3

प्रौद्योगिकी:

विषय: देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

मुख्य परीक्षा: कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के प्रयोग से किसानों की आय में वृद्धि के अवसर।

बिडेन अफ्रीकी नेता: अमेरिका महाद्वीप पर 'ऑल इन' है

वाशिंगटन - राष्ट्रपति जो बिडेन ने वाशिंगटन में एकत्रित दर्जनों अफ्रीकी नेताओं से कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका "अफ्रीका के भविष्य पर" है, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, व्यापार और बढ़ते महाद्वीप में मदद करने के लिए बुधवार तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत को वादा किए गए सरकारी धन और निजी निवेश में अरबों खर्च कर रहा है। तकनीकी।

बिडेन ने एक बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल में नेताओं और अन्य लोगों से कहा, "अमेरिका अफ्रीका के विकास के हर पहलू का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

बिडेन, जो अमेरिका को लोकतांत्रिक चुनावों को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और ऊर्जा विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में पिच कर रहे हैं, ने भीड़ को अगले तीन वर्षों में प्रतिबद्ध निवेश में $ 55 बिलियन बताया - सोमवार को घोषित किया - "बस शुरुआत थी।"

अपने भाषण के बाद राष्ट्रपति ने मोरक्को के प्रधान मंत्री अज़ीज़ अखनौच सहित नेताओं के साथ कुछ समय बिताया, जो फ्रांस के साथ मोरक्को के विश्व कप मैच को देख रहे थे। मोरक्को हार गया लेकिन टूर्नामेंट के सेमीफाइनल दौर में आगे बढ़ने वाली पहली अफ्रीकी टीम के रूप में इतिहास रच दिया।

संयुक्त राज्य अमेरिका उप-सहारा अफ्रीका में निवेश के मामले में चीन से काफी पीछे है, जो प्रमुख शक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण युद्ध का मैदान बन गया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि इस सप्ताह की सभा बीजिंग के प्रभाव का मुकाबला करने के प्रयास की तुलना में अफ्रीकी नेताओं के साथ सुनने का सत्र अधिक है, लेकिन राष्ट्रपति की केंद्रीय विदेश नीति का सिद्धांत सभी पर हावी है: अमेरिका यह साबित करने के लिए एक युग-परिभाषित लड़ाई में है कि लोकतंत्र निरंकुशता को दूर कर सकता है। .

बुधवार की घटनाओं में यह संदेश स्पष्ट था। अपने भाषण में, बिडेन ने बताया कि कैसे अमेरिका पूरे महाद्वीप में प्रौद्योगिकी को तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत आधुनिक बनाने, स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने, व्यापार के अवसरों के माध्यम से महिलाओं की समानता को आगे बढ़ाने, समुदायों को स्वच्छ पेयजल लाने और स्वास्थ्य देखभाल के लिए बेहतर वित्त पोषण में मदद करेगा। प्रथम महिला जिल बिडेन के कार्यालय ने अफ्रीका में कैंसर की रोकथाम, जांच, उपचार और अनुसंधान के लिए 300 मिलियन डॉलर भी रखे।

बुधवार को बाइडेन ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, गैबॉन, लाइबेरिया, मेडागास्कर, नाइजीरिया और सिएरा लियोन के नेताओं के साथ व्हाइट हाउस में एक छोटी सी बैठक भी की। गुरुवार को नेताओं के बीच उच्च स्तरीय चर्चाओं के लिए समर्पित होना है; बिडेन महाद्वीप के लिए अफ्रीकी संघ की रणनीतिक दृष्टि के साथ साझेदारी पर एक सत्र के साथ दिन की शुरुआत करेंगे।

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