पर्यावरण अनुकूल इस प्लांट से पानी की बचत होने के साथ साथ समय की बचत हो रही है, वहीं ट्रेनों में उच्च गुणवत्ता की सफाई भी सुनिश्चित हो रही है। pic.twitter.com/1nxAjvdbSu — Ministry of Railways (@RailMinIndia) February 10, 2022

जर्मन रेलवे उद्योग संघ (VDB)

VDB 210 से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है - जिसमें विश्व प्रसिद्ध सिस्टम हाउस, अत्यधिक विशिष्ट मध्यम आकार के ‘हिडन चैंपियंस’ और कई युवा, रचनात्मक कंपनियां शामिल हैं। जो चीज हमें अलग करती है वह मुख्य रूप से हमारा करीबी, क्लस्टर आधारित सहयोग है - यही वह चीज है जो हमें दुनिया में विशिष्ट बनाती है। सहयोग हमारे डीएनए का हिस्सा है। जिसमें हमारा निर्यात व्यापार भी शामिल है।

जर्मनी में बना हुआ

हम वही हैं जो हम बनाते हैं: स्थायी। हम स्थायी समाधान के लिए जाने जाते हैं। क्योंकि हमारी अभिनव मेड इन जर्मनी तकनीक दुनिया भर में उत्कृष्ट रेल प्रणाली, जलवायु के अनुकूल गतिशीलता और कुशल डिजिटलीकरण प्रदान करती हैं।

हम स्थायी सहयोग के लिए भी जाने जाते हैं। क्योंकि हम आपके लिए अनुकूलतम, ऑन-साइट समाधान और साथ ही स्वचालित व्यापार क्या है स्वचालित व्यापार क्या है अनुकरणीय CSR की गारंटी देते हैं। चाहे वो हाई-स्पीड इंटरसिटी ट्रेनें, महानगरों में शून्य-उत्सर्जन वाली ट्राम या मेट्रो, स्वचालित माल लॉजिस्टिक, पेशेवर योजना, विद्युतीकरण या इंटरमॉडल नेटवर्क हों - जर्मनी का रेलवे उद्योग आपके साथ रेल 4.0 को लागू करने के लिए काम करना चाहेगा। हम यही करते हैं। यह हमारा मिशन है।

क्लीन मोबिलिटी के लिए विन-विन पार्टनरशिप्स

VDB सदस्य अपने टर्नओवर का लगभग आधा निर्यात से उत्पन्न करते हैं। इसलिए हम वैश्विक लीडर हैं। इसका आधार क्या है? हमारा निर्यात दर्शन: निष्पक्ष भागीदारी।

हमारा दर्शन चार स्तंभों पर बनाया गया है, जिनसे आप लाभान्वित होते हैं।

1. अनुकूलित मुनाफा

हम किफायती कीमतों और अनुमानित जीवन-चक्र लागतों (LCC) के लिए जाने जाते हैं जो कि ट्रेन, इंफ्रास्ट्रक्चर और घटकों के लिए 10, 20 या 30 वर्षों से अधिक में इष्टतम हुए हैं। इसका मतलब है: स्नैप-शॉट मूल्य निर्धारण के बजाय वास्तविक लागत। मुक्त प्रतियोगिता अधिकतम प्रदर्शन पैदा करती है। हम अक्सर नए क्रांतिकारी शानदार विचारों को किफायती दाम पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादों एवं सेवा में परिणत करते हैं। नतीजा: 100 प्रतिशत उत्कृष्टता।

2. जलवायु संरक्षण में अग्रणी

हम अधिकतम ऊर्जा दक्षता, नए घटकों, डिजिटल रूप से अनुकूलित ऑपरेटिंग प्रोफ़ाइल, पूरी तरह से स्वचालित ट्रेनों, अत्यधिक अभिनव, शून्य-उत्सर्जन संचालित प्रौद्योगिकियों (कुछ बिना ओवरहेड लाइनों के साथ) और क्रांतिकारी रूप से विभिन्न सामग्रियों के लिए वैश्विक लीडर हैं। दुनिया भर में प्रमुख प्रेरणादायक परियोजनाओं और विशेष रूप से साइट पर, हम आकर्षक शून्य-उत्सर्जन समाधान प्रदान करते हैं जैसा कि ग्राहक चाहते हैं। नतीजा: शून्य उत्सर्जन।

3. बुद्धिमत्तापूर्ण रखरखाव

हमारे पास पूरे जीवन-चक्र के दौरान खुले मानकों और विश्वसनीय भागों की आपूर्ति (3 डी प्रिंटिंग सहित) के साथ अनुमान करने योग्य रखरखाव का अनूठा अनुभव है। आप हमारे साथ किसी भी लॉक-इन प्रभाव या अनचाहे आश्चर्य का अनुभव नहीं करेंगे। नतीजा: 100 प्रतिशत उपलब्धता।

4. विश्वसनीय सहयोग

हम स्थायी सहयोग के लिए जाने जाते हैं। हम हर कदम पर आपके साथ खास तौर पर आपके लिए बनाए गए परिवहन अवधारणाओं को विकसित करने के लिए काम करते हैं। कम और बहुमूल्य से लेकर पर्याप्त और सुलभ तक। इसलिए हम ज्ञान साझा करने और दीर्घकालिक संभावनाओं की पेशकश करने के लिए कर्मचारियों के लिए साइट पर दोहरी प्रशिक्षुता प्रदान करते हैं। आप हमारे परियोजना के अनुभव पर भरोसा कर सकते हैं: ब्लैक-बॉक्स के बजाय पारदर्शिता नतीजा: 100 प्रतिशत साझा सफलता।

हमारे वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर भविष्य की स्वच्छ गतिशीलता को लागू करना - यह जर्मनी में रेलवे उद्योग का मिशन है।

मोबिलिटी। रीइनवेंटेड।

शून्य-उत्सर्जन मोबिलिटी एक नए युग की शुरुआत करती है – जीवाश्म ईंधन और अंतहीन भीड़-भाड़ से दूर, एक बुद्धिमत्तापूर्ण, जलवायु-तटस्थ गतिशीलता के समाधान के युग की ओर।

यह नया युग बहुत विशिष्ट परियोजनाओं के साथ शुरू होता है: स्थानीय, शून्य-उत्सर्जन मेट्रो के साथ, उदाहरण के लिए, जो लोगों के रोजमर्रा के शहरी जीवन को थोड़ा बेहतर बनाते हैं।

बेशक, इसके लिए उद्योग जगत, राजनेताओं और समाज के बीच बातचीत की आवश्यकता है। यूरोपीय संघ और फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी दोनों महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं - और इसलिए रेल 4.0 में अपने निवेश में काफी वृद्धि कर रहे हैं। इसकी व्यापक, बाजार उन्मुख विशेषज्ञता, VDB को राजनेताओं, रेल ऑपरेटरों और समाज के लिए एक वांछित भागीदार बनाती है। 30 से अधिक कार्यकारी समूह - और सदस्य कंपनियों में उच्च योग्य कर्मचारी - VDB को अद्वितीय विशेषज्ञता देते हैं। VDB उच्चतम स्तर पर जर्मन सरकार, यूरोपीय आयोग और संसदों के साथ सफलतापूर्वक काम करता है। क्लीन मोबिलिटी को लागू करने के साझा उद्देश्य के साथ। एक राजनीतिक भागीदार के रूप में VDB के महत्व का अर्थ हमारे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है।

निर्यात परियोजनाओं के संबंध में, राजनेताओं और फंडिंग पार्टनर्स (जैसे KfW, Euler Hermes) दोनों के साथ मेल जोल, साथ ही यूरोपीय भागीदारों के साथ संपर्क, निश्चित रूप से एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। VDB दुनिया भर में अपने सदस्यों की मदद करता है। प्रतिनिधिमंडलों के साथ, अक्सर हाई-प्रोफ़ाइल राजनेताओं के साथ। डिजिटल स्वरूपों सहित दुनिया भर में कई व्यापार मेलों में। VDB अंतर्राष्ट्रीय रूप से अहम संवाद भागीदार भी है। चीन में तीन कार्यालयों के साथ इसका अच्छा प्रतिनिधित्व है। और VDB बर्लिन में InnoTrans का भी भागीदार है, जो भविष्य की मोबिलिटी के लिए दुनिया का प्रमुख व्यापार मेला है।

जर्मनी में रेलवे उद्योग निर्यात उद्योग का एक बड़ा उदाहरण है। हम भविष्य की मोबिलिटी के आकर्षण से प्रेरित हैं। हम आपके साथ मिलकर कल की क्लीन मोबिलिटी को लागू करने में सक्षम होने की प्रेरणा से प्रेरित हैं। आइए मोबिलिटी.रीइंवेंटेड के लिए प्रयास करें। एक-साथ।

हमारे VDB पीठासीन बोर्ड से परिचय के लिए यहां पर क्लिक करें। हमारी प्रबंधन टीम के लिए यहां पर क्लिक करें।

हमारे सदस्यों, उनके स्थानों और उनके उत्पादों के अवलोकन (अंग्रेजी में) के लिए यहाँ पर क्लिक करें।

Indian Railways: साफ और चमकती हुई ट्रेन में यात्री उठाएंगे सफर का लुत्फ, रेलवे में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की संख्या बढ़ी

Railways Facilities: रेलवे में इस मानवरहित कोच वाशिंग प्लांट को सबसे पहले दक्षिण पूर्व रेलवे (South Eastern Railways) जोन में लगाया गया है.

By: ABP Live | Updated at : 12 Feb 2022 07:29 AM (IST)

Edited By: Taruna

Indian Railways Facilities: रेलवे को भारत (Indian Railway) की जीवनी कहा जाता है. हर दिन लाखों की संख्या में लोग ट्रेन में सफर (Travelling in Train) करते हैं. ट्रेन के सफर को बेहद सुविधाजनक और सस्ता माना जाता है. देश में आज भी एक बड़ा तबका लंबे सफर के लिए ट्रेन को ही पसंद करता है. रेलवे भी अपने यात्रियों को कई तरह की नई सुविधाएं देने की कोशिश कर रही है. यह सुविधाएं आपके ट्रैवेल को सुविधाजनक के साथ संक्रमण (Infection) से दूर रखने में भी मदद करेंगी. रेलवे की यह हमेशा कोशिश रहती है कि वह यात्रियों को रेलवे स्टेशन (Railway Station) और ट्रेन में साफ सफाई की सुविधा दे सकें. पिछले कुछ दिनों में साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने कई कदम उठाए हैं.

उन्हीं में से एक है ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट (Automatic Coach Washing Plant). अब रेलवे अपने परंपरागत धुलाई के तरीकों को खत्म करके ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की सुविधा शुरू कर रहा है. देश के अलग-अलग रेलवे स्टेशन पर इस नई सुविधा की शुरुआत की जा रही है. इस ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगाने के पीछे का मकसद ये है कि ट्रेनों में बढ़िया से बढ़िया और जल्दी सफाई दी जा सके. रेलवे में इस मानवरहित कोच वाशिंग प्लांट को सबसे पहले दक्षिण पूर्व रेलवे (South Eastern Railways) जोन में लगाया गया है.

ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट होगी समय की बचत
इस मामले पर रेल मंत्रालय (Railway Ministry) ने जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण पूर्व रेलवे (South Eastern Railways) जोन के टाटानगर रेलवे स्टेशन (Tatanagar Railway Station) पर इस सुविधा की शुरुआत की है. यह झारखंड और दक्षिण पूर्व रेलवे जोन का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट है. इस प्लांट के कई फायदे हैं. इससे समय की बहुत बचत होती है. यह ट्रेन की 24 बोगियों को 10 से 15 मिनट के अंदर साफ कर देगा. इसके साथ ही यह पानी की भी बचत करता है. यह रेलवे में ट्रेन की सफाई करने के लिए लगने वाले मैनपॉवर की भी बचत करता है. इसके साथ ही समय की भारी बचत होती है. पहले ट्रेन की सफाई में कई घंटों का समय लगता था.

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दक्षिण पूर्व रेल के चक्रधरपुर मंडल का पहला स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट टाटा में लगाया गया है।

पर्यावरण अनुकूल इस प्लांट से पानी की बचत होने के साथ साथ समय की बचत हो रही है, वहीं ट्रेनों में उच्च गुणवत्ता की सफाई भी सुनिश्चित हो रही है। pic.twitter.com/1nxAjvdbSu

— Ministry of Railways (@RailMinIndia) February 10, 2022

टॉयलेट की सफाई कर बनाता है संक्रमण मुक्त
ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की सबसे बड़ी खासियत है कि यह ट्रेन के टॉयलेट के निचले हिस्से को भी जल्द से जल्द साफ कर देता है. इसके साथ ही यह इसे संक्रमण मुक्त (Infection Free) करता है. पहले परंपरागत सफाई में ऐसा नहीं हो पाता था. रेलवे की यह कोशिश है कि इस तरह के ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट को पूरे देश में लगाया जाए. इससे समय और पानी दोनों की बचत होगी. इसके साथ ही ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट को सबसे पहले उन स्टेशन पर लगाने का प्लान है जहां डेली बड़ी संख्या में ट्रेनों का लोड रहता है. बाद में इसे पूरे देश में लगाने का रेलवे का प्लान है.

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Published at : 12 Feb 2022 07:29 AM (IST) Tags: Indian Railway irctc Railway Rules indian railway rules हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

AutoMatic Vs Manual: ऑटोमैटिक और मैनुअल कार के बीच हैं कन्फ्यूज, जानें क्या हैं फायदे और नुकसान

ऑटोमैटिक और मैनुअल ट्रांसमिशन

अभी तक हमारे देश में मैनुअल गियरबॉक्स वाली कारों का ही ज्यादा प्रचलन है लेकिन अब धीरे-धीरे ऑटोमैटिक कारें भी बाजार में अपनी जगह बना रही हैं। अगर आप भी कार खरीदने वाले हैं और आपको ये समझ नहीं आ रहा कि मैनुअल कार लें या फिर ऑटोमैटिक की तरफ जाएं तो इस खबर में हम आपको दोनों के बीच फर्क समझा रहे हैं।

मैनुअल कार

मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कार

भारत में जब से कारों की शुरूआत हुई तब से लगभग सभी कारें मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ आती रही हैं। इसलिए हम भी मैनुअल कार खरीदना पसंद करते हैं। इसके पीछे बड़ा कारण भी है और वो ये है कि हम बचपन से ही उन कारों में सफर करते आए हैं जिनमें गियर होते हैं और हमें पता भी होता है कि गियर लगाए कैसे जाते हैं।

मैनुअल कार के फायदे

मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कार

हम बात करें मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों की तो इनके फायदे भी होते हैं। जैसे इनकी कीमत ऑटोमैटिक कार की तुलना में कम होती है। इन्हें रिपेयर करना आसान और सस्ता होता है। जरूरत के हिसाब से कार के गियर बदलकर इंजन की पावर कम या ज्यादा की जा सकती है।

मैनुअल के नुकसान

मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कार के नुकसान

मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें भले ही काफी समय से चल रही हों लेकिन इनके नुकसान भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा नुकसान होता है कि इन्हें चलाने पर ड्राइवर ज्यादा जल्दी थक जाता है। अगर ट्रैफिक में कार फंस जाए तो फिर बार बार गियर बदलना पड़ता है जिससे पैरों को आराम नहीं मिलता। इसके साथ ही मैनुअल कार में क्लच काफी जल्दी गर्म हो जाता है और कार के माइलेज पर भी बुरा असर होता है। इसके अलावा इन्हें चलाना नए ड्राइवर के लिए मुश्किल होता है बार बार गियर बदलने की आदत ना होने के कारण कई बार नए ड्राइवर कार को एक ही गियर पर चलाने लगते हैं जिससे इंजन पर लोड बढ़ता है।

ईंट बनाने के लिए कितने प्रकार की मशीनें आती है और उनकी कीमत क्या है ?

आज के टाइम में अच्छी पढाई करने के बावजूद मनचाही नौकरी नहीं मील पाती है। हर कोई अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहता है लेकिन बिज़नेस स्टार्ट करने के लिए उनके पास न तो दमदार आईडिया होता है और कई बार तो अच्छा आईडिया होने के बावजूद जमा पूंजी न होने के कारण वे बिज़नेस स्टार्ट नहीं कर पाते।

अगर आप भी अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट करना चाहते है तो यह पोस्ट को अंत तक पढ़े। अगर आप भी अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट करना चाहते है तो आप फ्लाई ऐश ईंटे या कंक्रीट की ईंटे एवं ब्लॉक बनाने का बिज़नेस शुरू कर सकते है।

यदि आप घर बना रहे है या फिर कोई बड़ी ईमारत, इनको बनाने के लिए ईंटे इस्तेमाल होती है। आप ईंट बनाके बेचने का बिज़नेस शुरू कर सकते है। यह बिज़नेस के जरिए आप फ्लाई ऐश ईंटे, कंक्रीट ब्लॉक और ब्रिक, कंक्रीट पेवर बना के अच्छे दामों पर बेच के मुनाफा कमा सकते है।

अगर हम ईंटो की बात करे तो ईंटे कई प्रकार की होती है जैसे की मिट्टी की ईंटे, फ्लाई ऐश ईंटे, सीमेंट से बनने वाली ईंटे इत्यादि।

यदि आप बिहार में रहते है तो आपको पता होगा की बिहार में लाल ईंटो पर सम्पूर्ण प्रतिबन्ध है तो आप यहाँ पर फ्लाई ऐश की ईंटे बनाने का बिज़नेस स्टार्ट कर के अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

ईंटे बनाने की मशीने मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। सेमि – ऑटोमैटिक और फूली ऑटोमैटिक

rt 15 ultimate block making machine

ईंटे बना ने की अलग अलग मशीनें

  • हाइड्रोलिक ब्रिक मेकिंग मशीन
  • क्ले ब्रिक मेकिंग मशीन
  • सीमेंट ब्रिक मेकिंग मशीन
  • इंटरलॉक स्वचालित व्यापार क्या है ब्रिक मेकिंग मशीन
  • हॉलो ब्लॉक मेकिंग मशीन
  • CLC ब्लॉक मेकिंग मशीन
  • कंक्रीट ब्लॉक मेकिंग मशीन

फ्लाई ऐश ब्रिक मेकिंग मशीन – Fly Ash Brick Making Machine

ईंटे बनाने की मशीन के फ़ायदे

  1. ईंट बनाने वाली मशीन से काम मेहनत में ज्यादा ईंटे बनाई जा सकती है।
  2. ईंटे बनाने वाली मशीन से एक दिन में करीब 20,000 से ले के 50,000 ईंटे बनाई जा सकती है।
  3. मशीन से ईंट बनाने में कम समय में ज्यादा ईंटे बनती है।
  4. मशीन से ईंटे कम लगत में बनती है जिसे ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

अभी भारत में मशीन से ईंटे बनाने का बिज़नेस तेजी से बढ़ रहा है।

अगर हम ईंट बनाने की मशीन की क़ीमत की बात करे तो यह रोजाना ईंट बनाने की क्षमता, सेमी -आटोमेटिक या फूली आटोमेटिक, मशीन का प्रकार इत्यादि पर निर्भर है।

अगर हम ईंट बनाने की मशीन की कीमत की बार करे तो फ्लाई ऐश ब्रिक बनाने की मशीन की कीमत 10 लाख से शुरू होती है और कंक्रीट ब्लॉक या ब्रिक मेकिंग मशीन की कीमत 20 लाख से शुरू होती है।

अगर आप भी अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना कहते है आज ही Q Green Techon PVT LTD से संपर्क करे।

New Toll System: देश भर में खत्म होंगे टोल प्लाजा, गडकरी ने बताया कैसे आपके खाते से ऑटोमैटिक कटेंगे पैसे

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार टोल प्लाजा की जगह स्वचालित ’नंबर प्लेट पहचान प्रणाली’ के उपयोग के लिए ’पायलट प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है।

Sachin Chaturvedi

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: September 13, 2022 19:04 IST

Toll Fastag- India TV Hindi

Photo:FILE Toll Fastag

Highlights

  • स्वचालित ’नंबर प्लेट पहचान प्रणाली’ के उपयोग के लिए ’पायलट प्रोजेक्ट’
  • ऑटोमोबाइल नंबर प्लेट तकनीक या ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा पेश
  • Fastag से टोल आय में सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई

टोल प्लाजा पर फास्टैग (Fastag) का प्रचलन शुरू हुए अभी ज्यादा वक्त बीता नहीं है, कि सरकार अब इससे भी एडवांस तकनीक पेश करने की कोशिश कर रही है। जल्द ही हो सकता है कि आपको सड़क पर टोल प्लाजा (Toll Plaza) का नामो निशान न मिले। लेकिन ऐसा नहीं है कि आपको टोल (Toll) से आजादी मिल जाएगी। दरअसल बिना टोल प्लाजा पर रुके आपके खाते से पैसे कट जाएंगे।

क्या है ये ऑटोमैटिक सिस्टम

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार टोल प्लाजा की जगह स्वचालित ’नंबर प्लेट पहचान प्रणाली’ के उपयोग के लिए ’पायलट प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है। इसकी जानकारी देते हुए गडकरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से वाहन मालिकों के बैंक खातों से सीधे शुल्क की कटौती की जा सकेगी।

फास्टैग से 15000 करोड़ बढ़ी टोल इनकम

गडकरी ने कहा कि फास्टैग की शुरुआत के बाद, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की टोल आय में सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। फास्टैग की शुरुआत के साथ वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान वाहनों के लिए औसत प्रतीक्षा समय में कमी आयी। यह घटकर 47 सेकंड हो गया। हालांकि यह कुछ स्थानों पर, विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरों में प्रतीक्षा समय में काफी सुधार देखा गया। इसके बावजूद व्यस्त समय के दौरान टोल प्लाजा पर कुछ देरी होती है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान टोल प्लाजा पर वाहनों का औसत प्रतीक्षा समय आठ मिनट था।

कैसे काम करेगी नंबर प्लेट तकनीक

गडकरी ने कहा, ’हम अब ऑटोमोबाइल नंबर प्लेट तकनीक या ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा पेश करने जा रहे हैं। इसके बाद किसी टोल प्लाजा की जरूरत नहीं होगी। यहां हाइवे पर लगे कैमरे सड़क पर चल रहे वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे। इसके बाद सीधे आपकी नंबर प्लेट से लिंक बैंक अकाउंट से पैसे कट जाएंगे।

सरकार के पास हैं दो विकल्प

गडकरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार अब दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला उपग्रह आधारित टोल प्रणाली जहां एक कार में जीपीएस होगा और टोल सीधे यात्री के बैंक खाते से लिया जाएगा और दूसरा विकल्प नंबर प्लेट पहचान के जरिए शुल्क लेना है। उन्होंने कहा, ’हम उपग्रह का इस्तेमाल करते समय फास्टैग की जगह जीपीएस लगाने की प्रक्रिया में हैं। वहीं देश में नंबर प्लेट पर भी अच्छी तकनीक उपलब्ध है।’

क्या गाड़ियों में नई नंबर प्लेट लगेंगी

हां, इसके लिए गाड़ियों में हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट यानी HSRP लगेंगी। इस तरह के नंबर प्लेट्स से गाड़ी से जुड़ी सभी जानकारी मिल जाती है। सरकार इन विशेष नंबर प्लेट को लगाने की शुरुआत 2019 में ही कर चुकी है। सरकार ने तब सभी पैसेंजर व्हीकल को कंपनी फिटेड नंबर प्लेट्स लगाने को कहा था। सरकार की जल्द ही सभी गाड़ियों से पुराने नंबर प्लेट्स को HSPR यानी नए नंबर प्लेट्स से रिप्लेस करने की योजना है।

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