क्या है कैपिटल गेंस बॉन्ड, क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए?
कैपिटल गेंस बॉन्ड्स में निवेश की न्यूनतम रकम 20,000 रुपये है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिमम लिमिट 50 लाख रुपये है। अगर आपकी प्रॉपर्टी ज्वाइंट नाम से है तो हर ओनर के लिए 50-50 लाख रुपये की अलग-अलग क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? लिमिट होगी
कैपिटल गेंस बॉन्ड को सरकार का सपोर्ट हासिल होता है। इसलिए रेटिंग एजेंसियां इससे सबसे ज्यादा रेटिंग देती हैं। इसलिए इसे सबसे सुरक्षित इनवेस्टमेंट माना जाता है।
अगर खरीदने के दो साल के अंदर आप रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी (जमीन, घर या अपार्टमेंट) बेच देते हैं तो उससे हुए प्रॉफिट को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहा जाता है। दो साल के बाद बेचने पर हुए प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है। STCG पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। LTCG पर इंडेक्सेशन (Indexation) के साथ 20.6 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है।
अगर आपको अपना पुराना घर बेचने पर 50 लाख रुपये LTCG होता है तो आपका टैक्स 10.3 लाख रुपये होगा। अगर आप यह टैक्स (10.3 लाख रुपये) बचाना चाहते हैं तो आपके पास दो ऑप्शंस हैं।
पहला ऑप्शन टैक्स सेविंग्स बॉन्ड (Capital Gains Bonds) का है। आपको 50 लाख रुपये का पूरा LTCG टैक्स सेविंग्स बॉन्ड में इनवेस्ट करना होगा। दूसरा ऑप्शन यह है कि इस पूरे पैसे का इस्तेमाल आपको दूसरी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए करना होगा।
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आइए अब पहले ऑप्शन के बारे में जानते हैं। कैपिटल गेंस बॉन्ड्स में निवेश की न्यूनतम रकम 20,000 रुपये है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिमम लिमिट 50 लाख रुपये है। अगर आपकी प्रॉपर्टी ज्वाइंट नाम से है तो हर ओनर के लिए 50-50 लाख रुपये की अलग-अलग लिमिट होगी।
कैपिटल क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? गेंस बॉन्ड को सरकार का सपोर्ट हासिल होता है। इसलिए रेटिंग एजेंसियां इसे सबसे ज्यादा रेटिंग देती हैं। इसलिए इसे सबसे सुरक्षित इनवेस्टमेंट माना जाता है। लेकिन, इसमें पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इस पर आपको सिर्फ सालाना 5 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है। इनवेस्टर को इस पर टैक्स भी देना पड़ता है।
दूसरा ऑप्शन यह है कि LTCG का इस्तेमाल रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी (मैक्सिमम दो) खरीदने के लिए किया जाए। यह काम आपको तय समयसीमा के अंदर करना होगा। यह याद रखें कि LTCG का इस्तेमाल दो प्रॉपर्टी खरीदने के लिए तभी किया जा सकता है जब LTCG का अमाउंट 2 करोड़ रुपये से ज्यादा न हो। यह भी ध्यान में रखें कि अगर आपने एक बार इस ऑप्शन का इस्तेमाल कर लिया तो भविष्य में आप फिर कभी दोबारा इस ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
कैपिटल गेन बॉन्ड्स (54EC) का रिटर्न बहुत कम है। इसकी ट्रांजेक्शन कॉस्ट ज्यादा है। उधर, रियल एस्टेट में रिइनवेस्ट करने में काफी रिस्क है। इसलिए कई फाइनेंशियल प्लानर्स LTCG पर टैक्स चुकाने और फंड को सही जगह इनवेस्ट करने की सलाह देते हैं।
लैडर7 वेल्थ प्लानर्स के फाउंडर और प्रिंसिपल ऑफिसर सुरेश सदगोपन ने कहा, "टैक्स चुकाकर सही जगह इनवेस्ट करना और ज्यादा रिटर्न हासिल करना बेहतर ऑप्शन है। कैपिटल गेन बॉन्ड्स में इनवेस्ट करने पर आपका पैसा पांच साल के लिए लॉक हो जाता है। "
उन्होंने कहा कि आप इक्विटी आधारित प्रोडक्ट्स पर विचार कर सकते क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? हैं। लंबी अवधि के निवेश के लिए यह अच्छा है। उन्होंने कहा, "आप सीधे शेयरों, म्यूचुअल फंड्स, पीएमएस आदि में इनवेस्ट कर सकते हैं। इनमें लंबे समय तक इनवेस्ट कर 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न कमाया जा सकता है।"
MoneyControl News
First Published: Jun 15, 2022 12:41 PM
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निवेशकों को क्यों शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में करना चाहिए निवेश ?
जो निवेशक बिलकुल भी जोखिम नहीं ले सकते या कम रिस्क लेना चाहते हैं, उन्हें फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में जाना चाहिए.
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कोटक म्यूचुअल फंड की चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (डेट) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, 'निवेशक शॉर्ट टर्म डेट फंड और एक्युरल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. वे फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में भी निवेश कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'जो निवेशक लंबी अवधि के ड्यूरेशन फंड में निवेश कर चुके हैं, वे अपने पोर्टफोलियो में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं. अब उन्हें अपने फिक्स्ड इनकम वाले निवेश का थोड़ा हिस्सा शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में लगाना चाहिए.'
डीएचएफएल प्रमेरिका म्यूचुअल फंड के सीआईओ फिक्स्ड इनकम कुमारेश रामकृष्णन ने कहा, 'पॉलिसी में बहुत सावधानी बरती गयी है. इसमें राजकोषीय चिंता का भी ख्याल रखा गया है.'
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उन्होंने कहा कि फिक्स्ड इनकम के निवेशकों को भी शॉर्ट टर्म डेट फंड में जाना चाहिए, क्योंकि इनमें उतार-चढ़ाव कम होता है. जो निवेशक जोखिम ले सकते हैं उन्हें एक्युरल फंड में जाना चाहिए.
रामकृष्णन ने कहा, 'जो निवेशक बिलकुल भी जोखिम नहीं ले सकते या कम रिस्क लेना चाहते हैं, उन्हें फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में जाना चाहिए.'
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान वास्तव में क्लोज एंडेड फंड हैं, जिनकी परिपक्वता की अवधि पहले से तय होती है. इसमें निवेश से निकलने के विकल्प सीमित होते हैं. ये प्रोडक्ट आम तौर पर तय समय के लिए "खरीदें एवं होल्ड करें" की धारणा पर आधारित होते हैं.
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बॉन्ड से मिले ब्याज पर भी लगता है टैक्स, किस बॉन्ड पर क्या है टैक्स का हिसाब-किताब, जानिए डिटेल
पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट (Debt) के बीच डायवर्सिफाई किया जाना चाहिए ताकि ओवरआल रिस्क को नियंत्रित किया जा सके. डेट . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 25, 2022, 18:42 IST
हाइलाइट्स
हमारे देश में उपलब्ध कुछ बॉन्ड पर टैक्स लाभ मिलता है.
कुछ तरह के बॉन्ड पर लॉग टर्म कैपिटन गेन्स (Log Term Capital Gains) भी नहीं चुकाना पड़ता.
एक निवेशक के पोर्टफोलियो में बॉन्ड भी होने चाहिए. इससे पोर्टफोलियो में विविधता आती है.
नई दिल्ली. बॉन्ड (Bond) से जुटाई गई पूंजी कर्ज की श्रेणी में आती है. सरकार और कंपनियां बॉन्ड जारी करती हैं. सरकार द्वारा जारी बॉन्ड सरकारी बॉन्ड (Government Bond) कहलाते हैं जबकि कंपनी द्वारा जारी किए गए बॉन्ड को कॉर्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) कहा जाता है. सरकार और कंपनियां बॉन्ड जारी कर पैसा उधार लेती हैं. बहुत से निवेशक बॉन्ड में पैसा लगाते हैं क्योंकि इनमें रिटर्न अच्छा मिलता है और इनमें किया गया निवेश भी सुरक्षित माना जाता है.
एक निवेशक के पोर्टफोलियो में बॉन्ड भी होने चाहिए. इससे पोर्टफोलियो में विविधता आती है. पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट (Debt) के बीच डायवर्सिफाई किया जाना चाहिए ताकि ओवरआल रिस्क को नियंत्रित किया जा सके. हमारे देश में उपलब्ध कुछ बॉंड्स पर टैक्स लाभ मिलता है तो वहीं कुछ पर कूपन रेट (ब्याज दर) फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा मिलता है. कुछ तरह के बॉन्ड पर लॉग टर्म कैपिटन गेन्स (Log Term Capital Gains) भी नहीं चुकाना पड़ता.
सुरक्षित निवेश
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बॉन्ड को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. इनमें निवेश का यह फायदा होता है कि इसमें ब्याज दर पहले से ही निर्धारत होती है. बॉन्ड से कमाई पर टैक्स भी लगता है. इसलिए बॉन्ड खरीदने से पहले निवेशक को यह जान लेना चाहिए की किस तरह के बॉन्ड पर कितना टैक्स चुकाना होगा.
54 ईसी बॉन्ड (54 EC Bond)
ये लिस्टिड बॉन्ड हैं और इन्हें हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन और पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन जारी करते हैं. इन बॉन्ड्स से मिले ब्याज पर टैक्स, निवेशक की आय के टैक्स स्लैब के अनुसार ही लगता है. इसका अर्थ यह हुआ कि निवेशक की आय जिस टैक्स स्लैब के दायरे में आती है, उसी अनुसार ब्याज पर टैक्स निवेशक को देना होगा.
लिस्टेड बॉन्ड (listed Bond)
ये लॉग टर्म बॉन्ड होते है जिनकी अवधि एक साल से ज्यादा होती है. इन बॉन्ड्स से मिले ब्याज क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? पर भी टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स लगता है. इसके अलावा इन पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Short Term Capital Gains Tax) स्लैब रेट के हिसाब से लगता है और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर 10.4 फीसदी है.
सेक्शन 10 (15) टैक्स फ्री बांड (SECTION 10(15) TAX FREE BOND)
ये भी लिस्टिेड बॉन्ड हैं. इनको मैच्योरिटी से पहले ट्रांसफर किया जा सकता है. एक साल से ज्यादा अवधि वाले बॉन्ड्स से मिले ब्याज पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है जबकि जबकि लॉग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की दर 10.4 क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? फीसदी है.
वहीं, सेक्शन 10 (15) टैक्स फ्री बांड, जो तीन साल से ज्यादा अवधि के होते हैं उन पर लॉग टर्म कैपिटल गेन्स की दर क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? 20.8 फीसदी है. ये भी लिस्टिेड बॉन्ड हैं. इनको मैच्योरिटी से पहले ट्रांसफर किया जा सकता है. शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स इन बॉन्ड्स से मिले ब्याज पर भी टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है.
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अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड
अत्यंतशॉर्ट टर्म फंड्स, पहले लिक्विड प्लस फंड के रूप में संदर्भित, ऐसे फंड हैं क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? जो 91 दिनों से अधिक और आमतौर पर 1 वर्ष से कम की अवशिष्ट परिपक्वता वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं (कुछ मामलों में वे 1.5 वर्ष तक जा सकते हैं)। अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड शॉर्ट टर्म निवेश हैं जो उन निवेशकों के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं जो क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? अच्छा रिटर्न अर्जित करने के लिए निवेश के जोखिम को मामूली रूप से बढ़ाने के इच्छुक हैं। अनिवार्य रूप से, अल्ट्रा शॉर्ट फंड निवेश करते हैंमुद्रा बाजार प्रतिभूतियों और छोटी परिपक्वता के अन्य ऋण साधन, हालांकि, इन फंडों की औसत पोर्टफोलियो परिपक्वता आमतौर पर की तुलना में थोड़ी अधिक होती हैलिक्विड फंड.
कैश या ट्रेजरी मैनेजमेंट फंड के रूप में भी जाना जाता है, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड आम तौर पर अन्य प्रकार के अच्छे रिटर्न की पेशकश क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? करते हैंडेट फंड (तरल की तरहम्यूचुअल फंड्स)
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड विशेषताएं
फंड का प्रकार
अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड ओपन-एंडेड होते हैं और फंड की मैच्योरिटी अवधि फंड से फंड में भिन्न होती है। परिपक्वता बहुत कम है (आमतौर पर कुछ महीने) लेकिन लिक्विड फंड की तुलना में अधिक लंबी होती है। निवेशक इन फंडों की यूनिट्स को नियम के अनुसार आसानी से खरीद और बेच सकते हैंनहीं हैं (नेट एसेट वैल्यू)मोचन दिन।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड का एनएवी
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड के लिए, खरीदारी (T+0) पर होती हैआधार. इसका मतलब है कि एनएवी उसी दिन तय हो जाती है जिस दिन फंड पहुंच जाता हैएएमसी. उदाहरण के लिए एक के लिएइन्वेस्टर मंगलवार को कट-ऑफ समय के भीतर फंड खरीदना (और फंड की वसूली की जा रही है), लागू एनएवी तिथि मंगलवार को ही होगी।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड का एक्जिट लोड
कुछ अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंडों में बहुत कम समय (7 दिनों से लेकर 1 महीने तक) के भीतर किए गए निकासों पर एक्जिट लोड हो सकता है। जिस अवधि तक एक्जिट लोड लागू होता है, वह फंड के साथ भिन्न हो सकता है। हालांकि, कुछ अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स पर कोई एक्जिट लोड भी नहीं होता है।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड की वापसी
निवेशकों को रिटर्न का भुगतान लाभांश के रूप में (डिविडेंड फंड के मामले में) या फंड एनएवी (ग्रोथ फंड के मामले में) की सराहना के रूप में किया जा सकता है।
मोचन अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड
रिडेम्पशन के मामले में, लिक्विड फंड और अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड दोनों के लिए प्रक्रिया समान है। एएमसी को कट-ऑफ समय (दोपहर 3 बजे) के भीतर प्राप्त सभी मोचन अनुरोधों के लिए, ग्राहक को अगले दिन यानी (टी + 1) के आधार पर आय का भुगतान किया जाता है। यद्यपि, यदि अनुरोध अपराह्न 3 बजे के बाद पंजीकृत हो जाता है, तो निवेशकों को एक दिन बाद मोचन राशि प्राप्त होगी।
निवेश की न्यूनतम राशि
न्यूनतमनिवेश अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में INR 5 है,000 10,000 तक (खुदरा योजनाओं पर)।
अल्ट्रा शॉर्ट म्यूचुअल फंड के निवेश के रास्ते
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड निश्चित हैंआय निवेश जो पैसे में निवेश करते हैंमंडी ट्रेजरी बिल जैसे उपकरण लेकिन ये 91-दिन, 182-दिन या 360-दिवसीय ट्रेजरी बिल हो सकते हैं। वे 91 दिनों से अधिक की अवशिष्ट परिपक्वता वाली सीडी और सीपी में भी निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, कभी-कभी यह समझा जाता है कि ऐसे पोर्टफोलियो में कोई क्रेडिट जोखिम नहीं होता है। बहरहाल, मामला यह नहीं। अल्ट्रा शॉर्ट फंड जैसा कोई भी शॉर्ट टर्म निवेश एक नकारात्मक रिटर्न भी दे सकता है यदि कोई हैचूक. लेकिन, अधिकांश कंपनियां लंबी अवधि के भुगतान में देरी करती हैंबांड इससे पहले कि वे अल्पावधि ऋण पर चूक करना शुरू करें (क्योंकि इससे अल्पावधि ऋण में फ्रीज हो जाएगा)। साथ ही, निवेशकों को इन फंडों के पोर्टफोलियो को ध्यान से देखने की जरूरत है ताकि उपकरणों की गुणवत्ता का आकलन किया जा सके और वह जोखिम लेने के लिए तैयार रहे।
बेस्ट अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में निवेश क्यों करें?
आमतौर पर, डेट इंस्ट्रूमेंट पर यील्ड लंबी मैच्योरिटी वाले इंस्ट्रूमेंट्स के लिए ज्यादा होती है। इसे उस अतिरिक्त जोखिम को पुरस्कृत करने के तरीके के रूप में सोचें जो निवेशक लंबी अवधि के लिए उपकरणों में निवेश करने के लिए लेते हैं। वित्त में, इसे कहा जाता हैलिक्विडिटी अधिमूल्य सिद्धांत। इस प्रकार, अल्ट्रा शॉर्ट म्यूचुअल फंड में प्रतिभूतियां आमतौर पर लिक्विड फंड की तुलना में अधिक उपज अर्जित करती हैं (यद्यपि अपेक्षाकृत अधिक जोखिम पर)। नतीजतन, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड तुलनीय समयावधि में लिक्विड फंड की तुलना में थोड़ा बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड में निवेश करके एक समझदार अल्पकालिक निवेश करेंबेस्ट अल्ट्रा शॉर्ट टर्म कम अस्थिरता के साथ अच्छा रिटर्न अर्जित करने के लिए म्युचुअल फंड।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड का कराधान
नीचे दी गई तालिका में, लाभांश के रूप में प्राप्त अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड का रिटर्न निवेशकों के हाथ में कर-मुक्त है।
हालांकि, फंड हाउस द्वारा स्रोत पर एक लाभांश वितरण कर (डीडीटी) काटा जाता है, जो कि अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड जैसे डेट फंड के मामले में 25% है।
लिक्विड फंड | लिक्विड फंड | अल्ट्रा शॉर्ट फंड | अल्ट्रा शॉर्ट फंड | |
---|---|---|---|---|
निवेशकों का वर्ग | व्यक्ति/खुर | निगमित | व्यक्ति/एचयूएफ | निगमित |
लाभांश वितरण कर | 27.038% | 32.445% | 13. 519% | 32.445% |
लघु अवधिराजधानी लाभ | के अनुसारआयकर स्लैब दरें | आयकर स्लैब दरों के अनुसार | आयकर स्लैब दरों के अनुसार | आयकर स्लैब दरों के अनुसार |
(कृपया ध्यान दें, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनेकर सलाहकार कोई भी निर्णय लेने से पहले)
वित्तीय वर्ष 22 - 23 में निवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अल्ट्रा शॉर्ट डेट फंड
नीचे उन शीर्ष फंडों की सूची दी गई है जिनकी शुद्ध संपत्ति अधिक है 100 करोड़ और कम से कम 3 वर्षों के लिए संपत्ति का प्रबंधन।
Ultra-Short Bond Fund
अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड्स निवेशकों को, ज्यादा दीर्घावधि वाले बॉन्ड इन्वेस्टमेंट्स की तुलना में इंट्रेस्ट रेट रिस्क पर अधिक प्रोटेक्शन देते हैं।
निवेशक के लिए यह रिसर्च करना जरूरी है कि अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड्स किस तरह की सिक्योरिटीज में निवेश कर रहे हैं। इसकी वजह है कि क्रेडिट डाउनग्रेड या पोर्टफोलियो सिक्योरिटीज का डिफॉल्ट हो सकता है। वैसे तो ऐसे फंड्स सरकारी सिक्योरिटीज (Government Securities) में निवेश करते हैं लेकिन कुछ फंड्स लो क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के बॉन्ड, डेरिवेटिव सिक्योरिटीज या प्राइवेट लेबल मॉर्गेज समर्थित सिक्योरिटीज में भी निवेश करते हैं। निवेशक को ऐसे अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड्स को लेकर जागरुक रहना चाहिए क्योंकि इस तरह के फंड्स में निवेश के जोखिम का स्तर उच्च होता है।
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