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पावर ई*ट्रेड प्लेटफॉर्म पर और उसके माध्यम से उपलब्ध सिक्योरिटीज उत्पाद और सेवाएं ई*ट्रेड सिक्योरिटीज एलएलसी, सदस्य एसआईपीसी[https://www.sipc.org/] या मॉर्गन स्टेनली स्मिथ बार्नी एलएलसी, सदस्य एसआईपीसी द्वारा पेश किए जाते हैं। पावर ई*ट्रेड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध फ्यूचर्स उत्पादों और सेवाओं पर कमोडिटी फ्यूचर्स और विकल्प ई*ट्रेड फ्यूचर्स एलएलसी, सदस्य एनएफए द्वारा पेश किए जाते हैं। सभी संस्थाएं मॉर्गन स्टेनली की अलग लेकिन संबद्ध सहायक कंपनियां हैं।

Power E*TRADE प्लेटफ़ॉर्म फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? पर और उसके माध्यम से उपलब्ध उत्पाद और सेवाएँ अन्य E*TRADE प्लेटफ़ॉर्म पर E*TRADE द्वारा ऑफ़र किए जाने वाले उत्पादों से भिन्न हो सकते हैं। Power E*TRADE प्लेटफॉर्म पर सिस्टम प्रतिक्रिया समय और खाता एक्सेस समय भी विभिन्न कारकों के कारण भिन्न हो सकता है, जिसमें ट्रेडिंग वॉल्यूम, बाजार की स्थिति, सिस्टम प्रदर्शन और अन्य कारक शामिल हैं।

ई*ट्रेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से वायदा बाजारों में लगभग 24 घंटे, सप्ताह में छह दिन (रविवार शाम 5 बजे सीटी से शुक्रवार शाम 4 बजे सीटी) तक पहुंचें। फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड स्पेसिफिकेशंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए, जिसमें टिक साइज, टिक वैल्यू, मार्जिन आवश्यकताएं और ट्रेडिंग घंटे शामिल हैं, etrade.com/futures पर जाएं।

रिलायंस रिटेल की डील पर Amazon ने उठाए सवाल, फ्यूचर ग्रुप को भेजा नोटिस

एमेजॉन ने आरोप लगाया है कि फ्यूचर समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के बीच की डील में नॉन-कंपीट कांट्रैक्ट के नियमों का उल्लंघन हुआ है.

रिलायंस से 24713 करोड़ की डील

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 08 अक्टूबर 2020,
  • (अपडेटेड 08 अक्टूबर 2020, 10:47 AM IST)
  • आरोप है कि फ्यूचर समूह ने कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नियमों को तोड़ा
  • ऐमजॉन ने फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी
  • जियो और फेसबुक के बीच की डील भी सवालों के घेरे में

अमेरिका की ई कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और फ्यूचर समूह के बीच की डील पर सवाल खड़े किए हैं. न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एमेजॉन का आरोप है कि फ्यूचर समूह ने कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नियमों को तोड़ा है. इस संबंध में एमेजॉन ने फ्यूचर समूह के प्रमोटर्स को लीगल नोटिस भी भेजा है.

क्‍या है मामला
दरअसल, बीते साल ऐमजॉन ने फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी करीब 1500 करोड़ रुपये में खरीदी थी. इसके अलावा एमेजॉन की फ्यूचर रिटेल में 7.3 फीसदी हिस्सेदारी है. एमेजॉन ने लीगल नोटिस में आरोप लगाया है कि फ्यूचर ग्रुप ने डील की योग्यता को पूरा नहीं किया है. इस विवाद से अब यह आशंका बन रही है कि मामला कोर्ट में भी जा सकता है.

रिलायंस से 24713 करोड़ की डील
बता दें कि अगस्‍त महीने में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? लिमिटेड (RRVL) ने फ्यूचर समूह के साथ डील की जानकारी दी थी. इसके तहत कंपनी फ्यूचर समूह के रिटेल एंड होलसेल बिजनेस और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग बिजनेस का अधिग्रहण करने जा रही है. इससे रिलायंस फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार, ईजीडे और FBB के 1,800 से अधिक स्टोर्स तक पहुंच बनाएगी, जो देश के 420 शहरों में फैले हुए हैं. यह डील 24713 करोड़ में फाइनल हुई है.

जियो-फेसबुक डील पर भी सवाल
रिलायंस रिटेल से जुड़ी ये खबर ऐसे समय में आई है जब कंपनी के जियो प्लेटफॉर्म्स और फेसबुक के बीच की भी एक डील सवालों के घेरे में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जियो प्लेटफॉर्म्स और फेसबुक के बीच हुई डील में डेटा शेयरिंग को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने सवाल उठाये थे. सीसीआई का कहना था कि इन कंपनियों को एक-दूसरे से जो डेटा हासिल होगा उससे बाजार में प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण बढ़ेगा. हालांकि फेसबुक ने भरोसा दिया है कि रिलायंस से डेटा का 'सीमित आदान-प्रदान' ही होगा.

रिलायंस रिटेल में निवेश की भरमार
हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिटेल कारोबार को एक और बड़ा निवेशक मिला है. अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) रिलायंस रिटेल में 5,512.50 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. इसके लिए उसे रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिडेट (RRVL) में 1.20 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी. इस निवेश के साथ रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिडेट (RRVL) आरआरवीएल अब तक कुल 37,710 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. इससे पहले सिल्वर लेक, केकेआर, जनरल अटलांटिक, फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? मुबाडला, जीआईसी और टीपीजी कंपनी में निवेश की घोषणा कर चुकी हैं. रिलायंस रिटेल पूरे देश में 12,000 स्टोर्स का संचालन करती है.

कॉटन वायदा पर संकट! दिसंबर में 18 फीसदी टूटा, जानिए क्यों बढ़ा कमोडिटी मार्केट में डर

Cotton future trading latest news : 2023 से सौदों की मंजूरी नहीं है. मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट 30 दिसंबर को एक्सपायर होगा।

कॉटन की कीमतों पर दबाव जारी है. वहीं, अब कॉटन फ्यूचर्स को लेकर खबर आ रही है. दिसंबर में वायदा 18 फीसदी टूट गयटा है. NCDEX पर लगातार 7वें हफ्ते कपास की कीमतें गिरी है. अप्रैल फ्यूचर्स के भाव 1600 रुपये के नीचे आ गई है. लेकिन अब घबराहट कॉटन के जनवरी फ्यूचर्स को लेकर है. जनवरी फ्यूचर्स ट्रेडिंग के लिए नहीं खुले है. ऐसे में निवेशकों के मन में कई चिंताएं आ गई है.

कॉटन वायदा पर संकट क्यों आया है. CPAI ने की SEBI से वायदा पर नियम जल्द लाने की अपील की है. वहीं, MCX ने नियमों में बदलाव की बात कहीं थी. इसीलिए जनवरी 2023 से सौदों की मंजूरी नहीं है. मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट 30 दिसंबर को एक्सपायर होगा. एक्सपायरी के 5 दिन पहले डिलीवरी में चला जाएगा. नए सौदों के मंजूरी न होने से हेजिंग नहीं हो पाएगी.बाजार में अनिश्चित्ता का माहौल फैला हुआ.

जब तक इन निर्देशों को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक जनवरी 2023 और उसके बाद के कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेडिंग अस्थायी रूप से बंद रहेगी. शेयर और कमोडिटी बाजार के रेगुलेटर सेबी और सभी संबंधित पक्षों फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? के बीच बैठक में यह निर्णय लिया था.

किसान परेशान-लोकल18 के रिपोर्टर से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तरी महाराष्ट्र में कपास की खेती बड़े स्केल पर होती फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? है. इस साल नंदुरबार जिले में एक लाख 25 हजार से अधिक क्षेत्रों में कपास की रोपाई की गई है. पहले कीमतें अच्छी थी. लेकिन अब कपास के दामों में बढ़ोतरी नहीं होने से किसान कपास नहीं बेचना चाहते है.

शुरुआत में कपास की कीमत 9000 से 9700 रुपये प्रति क्विंटल थी. लेकिन पिछले 15 दिनों में कपास की कीमत 1,500 रुपये गिरकर 2,000 रुपये पर आ गई है. नंदुरबार जिले में एक तस्वीर देखने को मिल रही है कि कपास के दाम में कमी के कारण किसानों ने अस्थायी तौर पर कपास बेचना बंद कर दिया है. किसानों का कहना मिल रहे क़ीमतों से उनका लागत नहीं निकल पायेगा.

जानिए क्‍या होती है फ्यूचर ट्रेडिंग, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

हम स्टॉक ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाले एक बहुत ही सामान्य शब्द के बारे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? में बात कर रहे हैं जिसे वायदा कारोबार या फ्यूचर ट्रेडिंग कहते हैं.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - July 17, 2021 / 05:48 PM IST

जानिए क्‍या होती है फ्यूचर ट्रेडिंग, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

शेयर बाजार (Stock Market) में उपयोग किए जाने वाले जटिल वित्तीय शब्दजाल अक्सर शुरुआती लोगों के लिए मुश्किल भरे हो जाते हैं. निवेश एक संवेदनशील मामला है क्योंकि इसमें आपकी मेहनत की कमाई शामिल है. इसलिए, आपको कभी भी बिना तैयारी के अज्ञात क्षेत्र में कदम नहीं रखना चाहिए. यहां, हम स्टॉक ट्रेडिंग में इस्तेमाल फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? होने वाले एक बहुत ही सामान्य शब्द के बारे में बात कर रहे हैं जिसे वायदा कारोबार या फ्यूचर ट्रेडिंग कहते हैं.

फ्यूचर्स को समझने के लिए, फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? किसी को डेरिवेटिव ट्रेडिंग की मूल बातें पता होनी चाहिए. डेरिवेटिव वित्तीय अनुबंध हैं जो किसी अन्य वित्तीय साधन की कीमत में बदलाव से मूल्य प्राप्त करते हैं. सरल शब्दों में यह वित्तीय वस्तु की कीमत को ट्रैक करती है. अब, वायदा कारोबार में एक खरीदार और विक्रेता के बीच एक निश्चित मूल्य के लिए भविष्य में एक पूर्व निर्धारित समय पर एक विशेष डेरिवेटिव खरीदने के लिए अनुबंध शामिल हैं. खरीदार को अनुबंध शुरू करने के समय एक छोटे से मार्जिन मूल्य का भुगतान करना होगा.

समय के साथ, अनुबंध की कीमत बाजार की गति के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन क्‍योंकि व्यापारी ने इसे पहले ही एक निश्चित कीमत पर खरीद लिया है, इससे अनुबंध की मौजूदा कीमत के अनुसार लाभ/हानि होगी.

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट चार अलग-अलग एसेट्स – स्टॉक, इंडेक्स, करेंसी पेयर और कमोडिटीज पर उपलब्ध है. अनुबंध के दो प्रतिभागियों को हेजर्स (जोखिम से उनकी संपत्ति की रक्षा करता है) और सट्टेबाजों के रूप में जाना जाता है.

फ्यूचर्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होता है. वे किसी अन्य डेरिवेटिव के मूल्य पर जीवित रहते हैं और ये अनुबंध समाप्ति तिथि के साथ भी आते हैं. शेयरों फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है? के विपरीत, आप किसी विशेष वायदा स्टॉक को लंबे समय तक व्यापार नहीं कर सकते। इसकी एक समय अवधि होती है जिसका पालन किया जाना चाहिए.

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future and option ट्रेडिंग ये एक डेरीवेटिव होते हे। और ये कॉन्ट्रैक्ट होता हे जिसकी एक्सपायरी होती हे। फ्यूचर और ऑप्शन को मार्किट में लानेका उदेश्य risk managment के लिए हे ,लेकिन दोनों में बहुत फरक हे ,फ्यूचर और ऑप्शन दोनों अलग अलग कॉन्ट्रैक्ट्स या derivetives हे। और ये सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनाये गए हे।

future market

फ्यूचर मार्किट एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जैसे की हमें लगता हे शेयर का प्राइज फ्यूचर में बढ़ेगा तो हम उस स्टॉक को खरीद लेते हे और फायदा होने पे बेच देते हे। लेकिन इसकी एक्सपायरी होती हे जोकि हमें हमारा शेयर एक्सपायरी के पहले बेचना होता हे। चलो अभी इसे एक उदाहरन लेके समजते हे –

example

जैसे की एक किसान ने अपने खेत में आलू लगाया हे। और आलू की कीमते घटती बढाती रहती हे तो उस किसान को चिंता रहती हे की मेरे आलू को बाजार में क्या भाव मिलेगा। क्युकी उसको आलू उगने में १० रु का खर्च्या आया हे. तो उसे लगता हे की मुझे २० या २५ रु मिल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा। यह सोचकर वो बाजार में चला जाता हे। और उसी बाजार में व्यापारी भी होते हे। उन्हें भी आलू लेने होते हे उनको लगता हे की कम से कम दाम में हमें आलू मिल जाये तो अच्छा रहेगा। क्युकी उन्हें भी आगे बाजार में उन आलू को ज्यादा भाव में बेचकर प्रॉफिट कमाना हे।

अब वह व्यापारी उस किसान से वो आलू ३० रु के भाव में खरीद लेता हे। अभी किसान का तो काम हो गया उसको उसके मुताबिक जितना चाहता था उतने से अच्छा भाव मिल गया। अभी वो बाजार से बहार हो गया। अभी बारी आती हे व्यापारी की अभी उसका जो प्रॉफिट हे वो तो अभी बाजार पैर निर्भर हे. जैसे बाजार में भाव बढ़ा उसको प्रॉफिट मिलेगा। और अगर बाजार का भाव गिरा तो उसको नुकसान होता , अब यही संकल्पना शेयर मार्किट में समझते हे।

शेयर मार्किट में जो खरीदने (buyers) वाले होते हे वो होते हे व्यापारी। इसका मतलब buyers ने अभी शेयर्स खरीद लिए अभी उनका प्रॉफिट मार्किट पे निर्भर रहता हे. जब मार्किट में शेयर का भाव ऊपर जायेगे तब उनको प्रॉफिट होगा। और अगर मार्किट निचे गिरा तो buyers को नुकसान होगा। और ये सिमित रहता हे एक्सपायरी दीन तक, इस पूरी संकल्पना को ही फ्यूचर मार्किट या फ्यूचर ट्रडिंग कहते हे।

फ्यूचर मार्किट ये eqity market एडवांस लेवल होता हे। फ्यूचर मार्किट एक standerlized कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जो मार्किट के एक्सपायरी पे निर्भर होता हे और उसकी एक्सपायरी निच्छित होती हे। फ्यूचर मार्किट में हम स्टॉक की खरेदी और विक्री मार्जिन लेकर कर सकते हे इसके लिए हम पुरे पैसे देने की कोई जरुरत नहीं होती।

फ्यूचर मार्किट में और भी सकल्पनाये होती हे जैसे की स्टॉक की लॉट साइज,कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी ,mark to market . फ्यूचर मार्किट में हर एक स्टॉक की एक फिक्स लॉट साइज (lot size) होती है.मतलब जितना किसी स्टॉक की लॉट साइज होती हे उतनी ही हमें लेनी पड़ती हे। और कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी में कॉन्ट्रैक्ट के तीन तरह के प्रकार होते हे पहला near month ,दूसरा mid month ,तीसरा far month . और near month की एक्सपायरी महिले महीने के आखरी गुरुवार को होती हे। mid month की एक्सपायरी दूसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे और far month की एक्सपायरी तीसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे।

option market

option market

future and option दोनों अलग अलग हे। ऑप्शन फ्यूचर से बना हे लेकिन वो प्रीमियम बेस पर काम करता हे जैसे की हमें शेयर की चालू कीमत को खरीदने की कोई जरुरत नहीं। हम उसका एक छोटासा premium amount देकर उसे खरीद सकते हे. और प्रॉफिट होने पर उसे बेच दे सकते हे। और इसकी एक फिक्स एक्सपायरी होती हे।

जैसे हमने आज कोई स्टॉक का प्रीमियम खरीद लिए और फ्यूचर में स्टॉक की मैन प्राइज (strike prize ) बढ़ गयी तो हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्ट्राइक प्राइज निचे गिरती हे तो हमारा प्रीमियम भी निचे गिरता हे मतलब स्टॉक की मेन प्राइज अगर बढ़ेगी तो हमें प्रॉफिट होता क्युकी उसके साथ साथ हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्टॉक प्राइज निचे गिरता हे तो हमारा प्रीमियम एक्सपायरी तक जीरो हो जायेगा ये बात ध्यान में रख लीजिये।

call & put options

option में प्रकार होते हे एक होता हे call option और एक होता हे put option . पहला call option में call के अंदर खरीदना मतलब आप तेजी की ओर हे और कॉल के अंदर बेचना मतलब आप मंदी की ओर हे। और वैसे हे दूसरा put option में put के अंदर खरीदना मतलब आप मंदी की ओर हे ,और अगर आप put के अंदर कोई स्टॉज बेचते हो तो इसका मतलब आप तेजी की तरफ हे.और इन दोनों की भी एक्सपायरी निच्छित होती हे।

फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेडिंग करके के लिए आपको technical analysis को समझने की बाहर जरुरत होती हे ,इससे आपको ट्रेडिंग में मदत होगी की चार्ट को कैसे देखते हे ट्रेंड लाइन क्या होती हे जो की ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्व पूर्ण में अगर आपको technical analysis kya hota he समझना हे तो आप मेरी पिछली पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हे उसमे मैंने पुरे डिटेल्स में समझाया हे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता हे और कैसे किया जाता हे वो सभी बाटे उस पोस्ट में लिखी हे .

आपने सुना होगा की ऑप्शन ट्रेडिंग से लोग लाखो रु कमाते हे , सही हे लेकिन में आपसे विनती करूँगा की आप बिना नॉलेज के इसमें न पड़े. मैंने लोगो लाखो रु गवाते भी देखा हे इस ऑप्शन ट्रेडिंग में। तो कृपया आप इसका आप पहले नॉलेज (ज्ञान )ले। और धीरे धीरे इसे सीखे और सिखने के बाद छोटे छोटे अमाउंट से इसमें ट्रेडिंग करे। और जब आप इसमें एक्सपर्ट हो जायेंगे तब आप इसमें लाखो क्या करोडो कमा सकते हे।

यकीं हे आजकी हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आयी होगी ,अगर आपको कुछ समज न आया हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हे.और आपका future and option की संकल्पना समज में आ गयी होती।

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