Long term investing क्या होता है?

Zerodha

जब किसी स्टॉक में लम्बे समय तक निवेश किया जाये, तो उसे Long term investing कहा इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? जाता है, Long Term Investing से हमारा मतलब, स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने की उस तरीके से है, जिसमे कोई निवेशक कोई स्टॉक 6 महीने से लेकर कुछ सालो तक लिए उसी स्टॉक में निवेश किया रहता है,

Long Term investing के Example-

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के कुछ Example इस प्रकार है –

जैसे –1 साल से अधिक का निवेश,

1 साल से 3 साल तक का निवेश

1 साल से 5 साल तक का निवेश

5 साल या उस से ज्यादा समय के लिए निवेश

इस तरह के टाइम फ्रेम में की जाने वाली ट्रेडिंग को Long term investing कहा जाता इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? है,

LONG TERM INVESTING और LONG TERM TRADING

Technically देखा जाये तो, स्टॉक मार्केट में Investing जैसी कोई चीज नहीं होती, हम स्टॉक खरीदते और बेचते है, चाहे समय का अंतर कितना भी हो, 1 दिन वाली ट्रेडिंग हो या 10 साल वाली ट्रेडिंग,

स्टॉक मार्केट में सिर्फ ट्रेडिंग ही होता है,

लेकिन जब हम किसी एक ही कंपनी में लम्बे समय तक स्टॉक खरीदने के बाद बने पैसा उसी कंपनी में लगाये रहते है, तो इस तरह की ट्रेडिंग, ट्रेडिंग नहीं बोल के इन्वेस्टिंग कहा जाता है,

LONG TERM INVESTING का PURPOSE

इस तरह Long Term Trading में ट्रेडर का मकसद होता है,

  1. टैक्स का लाभ लेना, (किसी एक स्टॉक में 1 साल से ज्यादा समय तक निवेश टैक्स फ्री हो जाता है)
  2. Dividend का लाभ लेना, (कुछ कंपनी अपने स्टॉक्स पर रेगुलर डिविडेंड देती है )
  3. कंपनी का ग्रोथ अगर तेजी से होता है, तो ऐसे में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? पर बहुत अच्छा लाभ मिल जाता है,

यहाँ पर एक गौर करने वाली बात है कि , स्टॉक मार्केट के King कहे जाने वाले चाहे वारेन वफे हो या राकेश झुनझुनवाला दोनों भी इसी तरह के इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? लम्बे समय की ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में विस्वास रखते है,

Long term investing के फायदे,

अगर बात की जाये लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फायदों की तो,

  1. मार्केट में रोज के उतार चढाव से आप को घबराने की जरुरत नहीं होती,
  2. आपको टैक्स फ्री dividend और लाभ मिलता है,
  3. अगर आप का निवेश किसी ऐसी कमपनी है, जिसका फ्यूचर में मार्केट ग्रोथ बहुत अच्छा है, तो आपको अपने निवेश पर बहुत ही शानदार फायदा होता है,

Long term Investing के लिए क्या करे-

अगर आप स्टॉक मार्केट में अनुशाषित निवेश इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? करते है, और मार्केट पर नजर बनाए रखते हुए, fundamental और technical दोनों पहलु को ध्यान रखने के साथ फ्यूचर इकॉनमी को ध्यान में रखते हुए, अच्छे स्टॉक्स, का चुनाव करके आप, लॉन्ग टर्म इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? काफी अच्छा लाभ कमा सकते है.

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के लिए हमें स्टॉक का fundamental analysis पहले करना पड़ता है, इसिलिये अगर आप लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट का लाभ उठाना चाहते है तो आपको fundamental analysis अच्छी तरह समझना होगा. ताकि आप बड़े निवेशको की इस धन बनाने के तरीके से लाभ उठा सके .

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कम समय में चाहते हैं मोटा मुनाफा, तो आप ट्रेडिंग ऑप्शन पर लगा सकते हैं दांव

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.

शेयर मार्केट के संबंध में अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. हालांकि, दोनों माध्यमों में निवेशकों का मकस . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 11, 2022, 14:52 IST

नई दिल्ली . शेयर मार्केट संबंधित चर्चा होते ही अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. कई लोग ट्रेडिंग और निवेश में फर्क नहीं कर पाते हैं. तो इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? आपको बता दें कि ट्रेडिंग और निवेश के बीच सबसे अहम अंतर समय अवधि का है. निवेश की तुलना में ट्रेडिंग में समय अवधि काफी कम होती है. ट्रेडिंग कई प्रकार की होतीं हैं और ट्रेडर्स स्टॉक में अपनी पॉजिशन बहुत कम समय तक रखते हैं, जबकि निवेश वे लोग करते हैं, जो स्टॉक को वर्षों तक अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. अगर आप कम समय में मोटा मुनाफा चाहते हैं, तो ट्रेडिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है.

सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं. फाइनेंसियल मार्केट की स्थिति और जोखिम के आधार पर ट्रेडिंग की विभिन्न स्ट्रेटेजी हैं. ट्रेडर्स अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से इनका चयन करते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क और लागत को भी ध्यान में रखते हैं. आइए, यहां हम उन लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की चर्चा करते हैं, जो अधिकतर ट्रेडर अपनाते हैं.

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इंट्राडे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में महज 1 दिन के कारोबार में इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? भी मोटा प्रॉफिट कमाया जा सकता है. दरअसल, बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading) कहते हैं. इस स्ट्रेटेजी के तहत शेयर खरीदा तो जाता है, लेकिन उसका मकसद निवेश नहीं, बल्कि 1 दिन में ही उसमें होने वाली बढ़त से प्रॉफिट कमाना होता है. इसमें चंद मिनटों से ले कर कुछ घंटे तक में ट्रेडिंग हो जाती है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इंट्रोडे ट्रेडर्स को हमेशा प्रॉफिट ही होता हो. ट्रेडर्स अपना ट्रेड शेयर मार्केट बंद होने से पहले बंद करते हैं और प्रॉफिट या लॉस उठाते हैं. इसमें तेजी से निर्णय लेना होता है.

पॉजिशनल ट्रेडिंग

पॉजिशनल ट्रेडिंग (Positional trading) स्टॉक मार्केट की एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें स्टॉक को लंबे समय तक होल्ड किया जाता है. इस स्ट्रेटेजी के तहत ट्रेडर्स किसी स्टॉक को कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक के लिए खरीदते हैं. उसके बाद उस स्टॉक को बेच कर प्रॉफिट या लॉस लेते हैं. उनका मानना होता है कि इतनी अ​वधि में शेयर के दाम में अच्छी बढ़ोतरी होगी. निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल ग्राउंड को ध्यान इंट्राडे और इंट्रा डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है? में रखकर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल को ध्यान में रखकर यह स्ट्रेटेजी अपनाते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग

स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading) में टाइम पीरियड इंट्राडे से अधिक होता है. कोई स्विंग ट्रेडर अपनी पॉजिशन 1 दिन से अधिक से लेकर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी कम होने के साथ प्रॉफिट बनाने की संभावना काफी अधिक होती है. यही कारण है कि अधिकतर लोग इंट्राडे की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

टेक्निकल ट्रेडिंग

टेक्निकल ट्रेडिंग (technical trading) में निवेशक मार्केट में मूल्य परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए अपने टेक्निकल एनालिसिस ज्ञान का उपयोग करते हैं. हालांकि, इस ट्रेडिंग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है. इसमें पॉजिशन 1 दिन से लेकर कई महीने तक रखा जा सकता है. शेयर मार्केट में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकतर ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल का उपयोग करते हैं. टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी शेयर की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.

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