नोटिस में एस्टेट विभाग ने लिखा, दो माह में हटाओ अन्यथा गिरा दिये जाएंगे
-व्यापारियों की दलील, सहूलियतें दिलाने व पालिसी बनाने के नाम पर किया सर्वे, बाद में भेज दिये नोटिस
-4 हजार व्यापारियों की सुध नहीं, 150 बड़े व्यापरियों के लिये बिछाए पलक पांवड़े
हरियाणा में छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत, सरकार ने दी ये बड़ी छूट
My Sirsa, Chandigarh हरियाणा सरकार ने राज्य में पांच लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए, उन्हें बाजार शुल्क में एक प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संबंध में
My Sirsa, Chandigarh
हरियाणा सरकार ने राज्य में पांच लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए, उन्हें बाजार शुल्क में एक प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि इसके लिए, हरियाणा कृषि उत्पाद बाजार (सामान्य) नियम, 1962 में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इसके लिए किसी भी छोटे व्यापारी को वित्तीय वर्ष के समापन पर मार्केट कमेटी में अंतिम वार्षिक रिटर्न जमा करवाना होगा जिसमें यह दर्शाया गया हो कि पिछले वर्ष के दौरान हरियाणा में कृषि उपज की बिक्री से उसका कुल वार्षिक कारोबार 5 लाख रुपये से कम था। इसके बाद, यदि व्यापारी ने इस तरह की खरीद-फरोख्त पर राज्य की किसी भी मार्केट कमेटी में कोई मार्केट फीस जमा करवाई है तो वह उस कारोबार पर एक प्रतिशत तक मार्केट फीस के क्लेम रिफंड का हकदार होगा।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा कृषि उत्पाद बाजार (सामान्य) नियम, 1962 के नियम-17 में भी संशोधन करने की मंजूरी दी है, जिसमें श्रेणी (iii) लाइसेंस जारी करने के लिए मापदंड दिए गए हैं। संशोधन के अनुसार, श्रेणी (iii) लाइसेंस प्राप्त करने की सीमा 5 लाख से 12 लाख रुपये तक होगी। इससे, 5 लाख रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाले छोटे व्यापारियों को धारा 10 और नियम-17 के तहत आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, उन्हें संबंधित मार्केट कमेटी के लिए जरूरी रिकॉर्ड रखने और जमा करवाने की भी जरूरत नहीं होगी। ऐसे छोटे व्यापारियों से कोई बाजार शुल्क भी नहीं लिया जाएगा।
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वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कंपोजिशन योजना (GST Composition Scheme) से जुड़ने के लिए आवेदन शुरु हो गए हैं. मौजूदा पंजीकृत करदाताओं को इसके लिए 31 मार्च 2020 से पहले जीएसटी पोर्टल (GST Portal) पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. यह स्कीम विशेष रूप से छोटे व्यवसायियों के लिए है. GSTN द्वारा जारी किए गए विज्ञप्ति के अनुसार छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी इसमें छोटे व्यापारियों को अपना हिसाब-किताब रखने, रिटर्न फाइल करने और कर जमा करने के मामले में कई तरह की रियायतें दी गई हैं. सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले व्यवसायी इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं.
उत्तर-पूर्व के सात राज्यों और उत्तराखंड के व्यवसायियों के लिये यह सीमा 75 लाख रुपये रखी गई है. माल के साथ-साथ सेवाएं भी प्रदान करने वाले व्यवसायियों अथवा केवल सेवाएं देने वाले कारोबारी के लिये यह सीमा 50 लाख रुपये सालाना है.
16 लाख से अधिक टैक्सपेयर्स कंपोजिशन स्कीम से जुड़े
जीएसटीएन के आंकड़ों के मुताबिक 16,82,000 से ज्यादा करदाता कंपोजिशन योजना से जुड़े हैं. कंपोजिशन योजना के अंतर्गत करदाता को अपनी बिक्री (सप्लाई) पर निर्धारित, विभिन्न दरों से जीएसटी जमा करने की जरूरत नहीं होती है. इसके बजाय वह अपनी कुल बिक्री पर एक निश्चित दर से एकमुश्त राशि जमा कर सकता है. कंपोजिशन योजना के तहत आने वाले व्यवसायी को तीन महीने में एक बार कर जमा कराना होता है.
सूचना देने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2020
विज्ञप्ति में कहा गया है कि जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम से सामान्य करदाता के रूप में पंजीकृत होने वाले व्यवासायियों को जीएसटी पोर्टल के फॉर्म सीएमपी-02 में सूचना देनी होगी. इसके लिए अंतिम तारीख 31 मार्च है. जो व्यवसायी पहली बार जीएसटी पंजीकरण ले रहे हैं, वे रजिस्ट्रेशन के वक्त छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी ही पोर्टल पर फॉर्म सीएमपी-01 में सूचना देकर इस स्कीम से जुड़ सकते हैं.
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ऊपरी मंजिलें हटाने के नोटिस जारी होने पर भडक़े व्यापारी
नोटिस में एस्टेट विभाग ने लिखा, दो माह में हटाओ अन्यथा गिरा दिये जाएंगे
-व्यापारियों की दलील, सहूलियतें दिलाने व पालिसी बनाने के नाम पर किया सर्वे, बाद में भेज दिये नोटिस
-4 हजार व्यापारियों की सुध नहीं, 150 बड़े व्यापरियों के लिये बिछाए पलक पांवड़े
चंडीगढ़, 28 नवंबर (साजन शर्मा) Upper Storey Removal Notice: एस्टेट आफिस ने चंडीगढ़ के 82 व्यापारियों को मिसयूज और वायलेशन(misuse and violation) का नोटिस जारी किया है। 300 अन्य व्यापारियों के नोटिस(merchants' notices) भी जल्द पहुंचने वाले हैं। दो माह के अंदर व्यापारियों ने अगर वायलेशन(If the traders violated) नहीं हटाया तो इसे गिराने की कार्रवाई होगी। पंजाब के राज्यपाल और यूटी के छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा था कि व्यापारियों को कुछ सहूलियतें देनी हैं, इसके लिए सर्वे कर रहे हैं। व्यापारियों के हित में कोई न कोई पालिसी प्रशासन की ओर से लाई जाएगी। इसके बाद एस्टेट ऑफिस की ओर से सर्वे हुआ लेकिन साथ ही नोटिस जारी हो गए। यानि प्रशासन ने छद्म तरीके से सर्वे कर नोटिस भेजने का काम किया। सहूलियतें तो क्या देनी थी, उल्टा प्रताडि़त कर दिया। यह कहना था अधिकांश व्यापारियों का जो सोमवार को इंडस्ट्रियल एरिया दो में प्रदर्शन के लिए जुड़े थे।
व्यापारी नेता अवि भसीन का कहना है कि चंडीगढ़ का दुर्भाग्य है कि यहां के अफसर सुनते नहीं। ये तीन साल के डेपूटेशन पर आते हैं और फाइलों व मुद्दे का स्वरूप बिगाड़ कर चले जाते हैं। जब तक चंडीगढ़ का अफसरों का अपना कैडर नहीं होगा, यहां की समस्याएं हल नहीं होंगी। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के पास मसले भेज दिये जाते हैं। वहां से इस पर कोई मंजूरी नहीं मिलती। व्यापारी वर्ग जो बड़ी उम्मीदों से भाजपा से जुड़ा था, वह परेशान हो चुका है। व्यापारियों की दलील हैं कि अब दूसरे विकल्पों की ओर भी देखने लगे हैं क्योंकि भाजपा ने तो तीन बार अपने घोषणा पत्र में मुद्दा सुलझाने की बात रखी थी लेकिन इस पर तो अब तक काम नहीं हुआ। व्यापारियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। कभी यहां फैक्टरियां चलाने वाले उद्योगपति आइशर, एचएमटी, पीटीएल व स्वराज माजदा जैसी कंपनियों की एंसलरी यूनिट के तौर पर काम करती थी और उन्हें सप्लाई होने वाले पुर्जों का निर्माण करती थी। अचानक ये बड़ी कंपनियां बंद हो गई या शिफ्ट हो गई जिसके बाद यह फैक्टरियां भी बंद हो गई। इन इंडस्ट्रयलिस्टों ने रोजी रोटी कमाने के लिए काम तो कुछ करना था। उन्होंने यहां ट्रेडिंग शुरू कर दी। प्रशासन इसका विरोध कर रहा है। इलेक्ट्रिकल व फर्नीचर इंडस्ट्री के लिए अब ये व्यापारी लीगल तरीके से सर्विस प्रोवाइडर का काम कर रही है और सरकार व प्रशासन को करोड़ों का टैक्स दे रहे हैं।
डीसी आफिस को घेरना था, राष्ट्रपति के दौरे के चलते रुके व्यापारी
सोमवार को प्रशासन के रवैये के खिलाफ व्यापारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। एक हजार से ज्यादा व्यापारी बड़े आक्रोश में दिखाई दिये। उन्होंने न केवल सत्तारूढ़ दल बल्कि प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली। काली पट्टियां बांधे ये व्यापारी प्रशासन के तानाशाह रवैया की आलोचना कर रहे थे और अफसरों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी में जुटे रहे। व्यापारियों ने छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी कल मंगलवार को डीसी आफिस पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी लेकिन अंतिम वक्त पर प्रशासन ने अनुरोध किया कि चूंकि राष्ट्रपति का दौरा है लिहाजा इसे टाल दें। इस अनुरोध पर व्यापारियों ने प्रदर्शन वीरवार को करने की योजना बनाई।
150 बड़े व्यापारियों तो कनवर्ट करने की परमिशन, 4 हजार छोटे व्यापारियों को ठेंगा
अवि भसीन ने बताया कि 2006 में एक कनाल से बड़े प्लाट वालों को प्रशासन ने कनवर्ट करने की इजाजत दे दी। उन्होंने 9-9 मंजिल बना भी ली जबकि इनकी संख्या 150 ही है। छोटे व्यापारी व इंडस्ट्रलिस्ट 4 हजार से भी ज्यादा हैं। इनकी ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं। हजारों मजदूर यहां काम करते हैं। ट्रांसपोर्ट उद्योग यहां जुड़ा है। जो व्यापारियों का परमिसिस है, उसे अंदर कम से कम दो मंजिल बनाने की इजाजत दे दी जाए जिसके चार्जिस देने को भी व्यापारी तैयार हैं। एडवाइजर और गवर्नर और प्रशासक से छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी इस बारे मिल कर पूरा दुखड़ा सुना चुके हैं लेकिन प्रशासन की मसला हल करने की मंशा नहीं दिख रही। कह रहे हैं कि मामला एमएचए के पास भेज दिया। जब तक वहां से कोई निर्णय नहीं आता तो हम कुछ नहीं कर सकते। अवि भसीन ने कहा कि एक तो प्रशासन एमएसएमई एक्ट को लागू करे और सभी 4 हजार छोटे व्यापारियों को ट्रेडिंग की मंजूरी दे। ऊपर परिसर में दो मंजिल बनाने की इजाजत दे। बनी बनाई बिल्डिंगों को तोडऩा कोई हल नहीं। 90 प्रतिशत व्यापारी पहले दो-दो मंजिल बना चुके हैं। 1972 में यहां सबसे पहले इंडस्ट्री को अलॉटमेंट हुई थी जो 1982 तक चली। 1982 से लेकर 2022 तक 40 साल का वक्त गुजर चुका है जिस दौरान व्यापारियों व इंडस्ट्रियलिस्टों की जरूरतें भी बदल चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर चरणजीत कौर ने केस भी डाल रखा है जिसकी तारीख 23 फरवरी 2023 लगी है लेकिन उससे पहले ही प्रशासन जल्दबाजी में अतिक्रमण हटाने की बात कर रहा है और नोटिस भेज रहा है।
बड़ी खुशखबरी! अगले पांच सालों में 5 करोड़ को मिलेगा जॉब
कोरोना के काल में देश की आर्थिक व्यवस्था चरमराई हुई है . लॉक डाउन में छुट देकर और अनलॉक लागू कर सर्कार देश के लोगों की जान की हिफाजत एक तरफ कर रही हिं वहीँ दूसरी तरफ आर्थिक स्थिति की बागडोर को भी सँभालने में जूरी हुई है . इस सब के बीच गडकरी ने बड़ा ऐलान कर दिया है .
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में एम एस एम ई सेक्टर का बहुर बड़ा योगदान है और यह देश के जीडीपी में भी आय का 30 प्रतिशत इसी सेक्टर से आती है . उन्होंने यह भी बताया कि 48 फसदी निर्यात भी इसी सेक्टर से होता है . इस क्रम में इस सेक्टर से 11 करोड़ नौकरियां पैदा की गई साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा है कि अगले पांच सालों में नौकरियां बढेंगी . कम से कम 30 फीसदी तक नौकरियां बढाई जाएगी वहीँ ग्रोथ रेट को 50 प्रतिशत किया जायेगा इसके अलावा 48 फीसदी निर्यात को 60 फीसदी तक करने की कोशिश है .
बता दें कि एस सेक्टर के तहत छोटे व्यापारियों को भी शामिल कर उन्हें लाभान्वित किये जाने की योजना है . 20 लाख राहत पैकेज में सबसे अधिक पैकेज इसी को दिया गया है .
गडकरी ने भारत के उत्पादन और उसके क्वालिटी की तारीफ की है और कहा है कि ग्रामीण इलाकों में बने उत्पाद को बाजार उपलब्ध नहीं हो पता है इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल चालू किया गया है जिसका नाम स्वदेश बाजार है जो बाजार उपलब्ध कराए जाने में योगदान देगा .
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