क्या मुझे बोली पर बेचना चाहिए या पूछना चाहिए?

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अरे! भाभी अभी तो माँ-बाबूजी खर्चा कर रहे हैं

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तभी रुक्मणि देवी बोलीं. "मन्जु ऐसी बात नहीं बोलते बेटी, भाई के लिए | हमारे बाद भाई भाभी ही करेगें |
वाह माँ! भाभी और भैया की तरफ बोलती हैं, ये कहकर वो गुस्से में कमरे चली गई.

रहने दीजिए माँजी मुझे बुरा नहीं लगता,वो भी चाहती हैं उनके मायके वालों की ससुराल में तारीफ हो|

बहु तारिफों लिए चाहे भाई कर्ज में डूब जाए| मैं अपने बेटे को कर्ज में नहीं डूबने दूंगी |
माँजी अभी तो बच्चे छोटे हैं बड़े होगे तब तक सब सही हो जाएगा, निशा बोली.
नहीं अगर अभी मैने अपनी बेटी की मांग की लगाम नहीं खींची तो आने वाले समय में हमारी जैसे हालात हो जाएगें|
"माँजी ऐसा क्या हुआ आपके साथ"?निशा बोली

रुक्मिणी देवी बोलीं. बहु मेरी नंनद यानि की तुम्हारी बुआ सास जब भी मायके आतीं, हमेशा अपने ससुराल पक्ष की बड़ाई करती| जिससे मेरी सास और बढ़ावा देतीं|मेरी बेटी के ससुराल में सभी अच्छे से रहते हैं, महंगे कपड़े पहनते हैं अब इसको भात देने के समय बहुत अच्छा करना पड़ेगा |

माँजी के आगे कुछ मैं और तुम्हारे ससुर जी कुछ नहीं बोलते| एक दिन वह समय आ गया जब मेरी नंनद के भात देना था |मेरी सास ने अपनी बेटी के लिए गहने बनवाये,नंनदोई के गहने |

तुम्हारे ससुर जी बहुत मंहगे कपड़े लाये|पूरे परिवार के लिए |तुम्हारे ससुर जी ने बहुत कर्ज कर लिया |
दरवाजे पर साहूकार आने लगे अपने रुपए लेने के लिए |बहु कमाने वाले अकेले इन्सान खर्चे बहुत सारे, मकान बेचना पडा़|हम किराये के मकान में रहने लग गये, उसके मेरी नंनद कभी मेरे घर नहीं आया क्योंकि मकान किराये का था जिससे उनकी ससुराल में बुराई होती|

धीरे -धीरे विवेक की पढ़ाई पूरी हुई, उसकी सरकारी जॉब लग गयी, फिर बहु मकान बनाया|

एक दिन मेरी नंनद वापस आयी घर पर फिर वहीं ससुराल की तारिफ लेकिन एक बार भी यह नहीं पूछा कि आप किस परेशानी में थे? कैसे गुजारा किया|

तुम्हारे ससुर जी को गुस्सा आ गया. और बोले जीजी आप मेरे, यहाँ मत आया करों क्योंकि हम आपके, हैसियत के बराबर नहीं है,और हमें अब दुसरा मकान नहीं बेचना है| मेरी सास भी सुन रही थी लेकिन कुछ नहीं बोली, वो समझ चुकी थी|अब मेरी बेटी का मायका छूटने वाला है।

उसके बाद ना तो नंनद आयी और ना उनको बुलाया, मै नहीं चाहती की मेरे बेटे का मकान बिक जाये, और मेरी बेटी का मायका छूट जाये|

माँ की सारी बीते मन्जु सुन रही थी कमरे के बाहर खडी़ खडी़| उसने कमरे के अन्दर जाकर अपनी भाभी से माफी माँगते हुए बोलीं, "मुझे ऐसा भात नहीं चाहिए जो मेरे भाई का मकान बिकवा दे, मेरी मायका छुड़ा दे|
भाभी मुझे जो भी आप दोनों देओगें वह मेरे लिए सोना है, मुझे तो आपका और भैया का प्रेम चाहिए |

रुक्मिणी देवी बोलीं. अच्छा हुआ बेटी तुमने जल्दी बात समझ ली, बेटी हमारे बाद मायका भाई भाभी से ही है|
निशा बोली. दीदी आपका घर है आप जब चाहे आए, और रही बात लेने देने की तो आपको कभी ससुराल में नीचा नहीं देखने देगे|

डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है ।

इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के बाद भी उसे कैंसिल कर सकते हैं आप, मिलती है ये सुविधा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जल्दबाजी में लिया गया कोई भी फैसला ठीक नहीं होता है, फिर वो चाहे इंश्योरेंस पॉलिसी का चयन हो या फिर कुछ और। इंश्योरेंस के मामले में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पॉलिसी के दस्तावेज हाथ में आ जाने के बाद लोगों को अहसास होता है कि उन्होंने गलत पॉलिसी का चयन कर लिया है और उन्हें फलां पॉलिसी नहीं खरीदनी चाहिए थी। हालांकि इस स्थिति से बचने के लिए भी कुछ नियम होते हैं, जिनकी जानकारी रख आप निजात पा सकते हैं। हम अपनी इस खबर में आपको इसी की जानकारी दे रहे हैं।

अक्सर इंश्योरेंस एजेंट (बीमा एजेंट) या एडवाइजर (सलाहकार) ज्यादा कमीशन कमाने के चलते ग्राहकों को गलत पॉलिसी बेच देते हैं। ऐसे में लोगों के लिए किसी भी बीमा पॉलिसी की खरीद से पहले दो चीजों पर गौर करना जरूरी हो जाता है। आपको पॉलिसी खरीदने से पहले खुद से दो सवाल जरूर पूछने चाहिए।

  • क्या वास्तव में यह आपके लिए जरूरी है?
  • कहीं एजेंट ने कमीशन के चक्कर में तो आपको गलत पॉलिसी नहीं बेच दी है?

आपको मालूम होना चाहिए कि अगर आपने कोई गलत पॉलिसी खरीद ली है या किसी ने आपको गलत पॉलिसी बेच दी है या फिर पॉलिसी के डॉक्यूमेंट हाथ में आने के बाद आपको अहसास हुआ है कि आपने गलत पॉलिसी क्या मुझे बोली पर बेचना चाहिए या पूछना चाहिए? खरीद ली है तो आप उसे अगले 15 दिनों के भीतर कैंसिल भी करवा सकते हैं।

क्या कहना है एक्सपर्ट का: फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का मानना है कि अगर आपको फेक या नकली पॉलिसी बेच दी गई है तो इंश्योरेंस कंपनी की शाखा में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर कंपनी आपकी शिकायत पर कोई जवाब नहीं देती है तो ओम्बड्समैन (लोकपाल) या कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत लेकर जाएं। वहीं, उन्होंने बताया कि अगर आप फेक या गलत पॉलिसी खरीद से बचना चाहतें है तो कोशिश करें कि फिजिकल फॉर्म को अपने हाथ से भरें। यह एजेंट को न भरने दें। अधिकांश समय जल्दबाजी में एजेंट पॉलिसीधारक की मेडिकल हिस्ट्री छुपा देते हैं। ऐसे में जब भविष्य में आप क्लेम करने जाते हैं तो पॉलिसीधारक को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरा, इस बात का ध्यान रखें कि पॉलिसी खरीदते समय एक ही एजेंट की बातों में न आएं। फाइनेंशियल एडवाइजर से पॉलिसी के लाभ के बारे में पता करें और उसके बाद ही पॉलिसी खरीद का फैसला करें।

क्या होता है फ्री लुक पीरियड: फ्री लुक पीरियड को सरल भाषा में समझें तो यह एक तरह से ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दी जाने वाली रिप्लेसमेंट गारंटी की तरह होता है। अधिकांश पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियां फ्री लुक पीरियड की सुविधा देती हैं। बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के तहत पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक फ्री लुक पीरियड होता है। पॉलिसीधारक की ओर से ऑनलाइन या ऑफलाइन पॉलिसी खरीदते ही पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स उसके घर के पते पर भेज दिये जाते हैं। डॉक्यूमेंट के मिलते ही 15 दिन का फ्री लुक पीरियड शुरू हो जाता है। इसमें आप 15 दिनों के भीतर बिना किसी पेनल्टी के वाजिब कारण के साथ इंश्योरेंस पॉलिसी कैंसिल कर सकते हैं।

अरे! भाभी अभी तो माँ-बाबूजी खर्चा कर रहे हैं

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तभी रुक्मणि देवी बोलीं. "मन्जु ऐसी बात नहीं बोलते बेटी, भाई के लिए | हमारे बाद भाई भाभी ही करेगें |
वाह माँ! भाभी और भैया की तरफ बोलती हैं, ये कहकर वो गुस्से में कमरे चली गई.

रहने दीजिए माँजी मुझे बुरा नहीं लगता,वो भी चाहती हैं उनके मायके वालों की ससुराल में तारीफ हो|

बहु तारिफों लिए चाहे भाई कर्ज में डूब जाए| मैं अपने बेटे को कर्ज में नहीं डूबने दूंगी |
माँजी अभी तो बच्चे छोटे हैं बड़े होगे तब तक सब सही हो जाएगा, निशा बोली.
नहीं अगर अभी मैने अपनी बेटी की मांग की लगाम नहीं खींची तो आने वाले समय में हमारी जैसे हालात हो जाएगें|
"माँजी ऐसा क्या हुआ आपके साथ"?निशा बोली

रुक्मिणी देवी बोलीं. बहु मेरी नंनद यानि की तुम्हारी बुआ सास जब भी मायके आतीं, हमेशा अपने ससुराल पक्ष की बड़ाई करती| जिससे मेरी सास और बढ़ावा देतीं|मेरी बेटी के ससुराल में सभी अच्छे से रहते हैं, महंगे कपड़े पहनते हैं अब इसको भात देने के समय बहुत अच्छा करना पड़ेगा |

माँजी के आगे कुछ मैं और तुम्हारे ससुर जी कुछ नहीं बोलते| एक दिन वह समय आ गया जब मेरी नंनद के भात देना था |मेरी सास ने अपनी बेटी के लिए गहने बनवाये,नंनदोई के गहने |

तुम्हारे ससुर जी बहुत मंहगे कपड़े लाये|पूरे परिवार के लिए |तुम्हारे ससुर जी ने बहुत कर्ज कर लिया |
दरवाजे पर साहूकार आने लगे अपने रुपए लेने के लिए |बहु कमाने वाले अकेले इन्सान खर्चे बहुत सारे, मकान बेचना पडा़|हम किराये के मकान में रहने लग गये, उसके मेरी नंनद कभी मेरे घर नहीं आया क्योंकि मकान किराये का था जिससे उनकी ससुराल में बुराई होती|

धीरे -धीरे विवेक की पढ़ाई पूरी हुई, उसकी सरकारी जॉब लग गयी, फिर बहु मकान बनाया|

एक दिन मेरी नंनद वापस आयी घर पर फिर वहीं ससुराल की तारिफ लेकिन एक बार भी यह नहीं पूछा कि आप किस परेशानी में थे? कैसे गुजारा किया|

तुम्हारे ससुर जी को गुस्सा आ गया. और बोले जीजी आप मेरे, यहाँ मत आया करों क्योंकि हम आपके, हैसियत के बराबर नहीं है,और हमें अब दुसरा मकान नहीं बेचना है| मेरी सास भी सुन रही थी लेकिन कुछ नहीं बोली, वो समझ चुकी थी|अब मेरी बेटी का मायका छूटने वाला है।

उसके बाद ना तो नंनद आयी और ना उनको बुलाया, मै नहीं चाहती की मेरे बेटे का मकान बिक जाये, और मेरी बेटी का मायका छूट जाये|

माँ की सारी बीते मन्जु सुन रही थी कमरे के बाहर खडी़ खडी़| उसने कमरे क्या मुझे बोली पर बेचना चाहिए या पूछना चाहिए? के अन्दर जाकर अपनी भाभी से माफी माँगते हुए बोलीं, "मुझे ऐसा भात नहीं चाहिए जो मेरे भाई का मकान बिकवा दे, मेरी मायका छुड़ा दे|
भाभी मुझे जो भी आप दोनों देओगें वह मेरे लिए सोना है, मुझे तो आपका और भैया का प्रेम चाहिए |

रुक्मिणी देवी बोलीं. अच्छा हुआ बेटी तुमने जल्दी बात समझ ली, बेटी हमारे बाद मायका भाई भाभी से ही है|
निशा बोली. दीदी आपका घर है आप जब चाहे आए, और रही बात लेने देने की तो आपको कभी ससुराल में नीचा नहीं देखने देगे|

डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है ।

इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के बाद भी उसे कैंसिल कर सकते हैं आप, मिलती है ये सुविधा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जल्दबाजी में लिया गया कोई भी फैसला ठीक नहीं होता है, फिर वो चाहे इंश्योरेंस पॉलिसी का चयन क्या मुझे बोली पर बेचना चाहिए या पूछना चाहिए? हो या फिर कुछ और। इंश्योरेंस के मामले में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पॉलिसी के दस्तावेज हाथ में आ जाने के बाद लोगों को अहसास होता है कि उन्होंने गलत पॉलिसी का चयन कर लिया है और उन्हें फलां पॉलिसी नहीं खरीदनी चाहिए थी। हालांकि इस स्थिति से बचने के लिए भी कुछ नियम होते हैं, जिनकी जानकारी रख आप निजात पा सकते हैं। हम अपनी इस खबर में आपको इसी की जानकारी दे रहे हैं।

अक्सर इंश्योरेंस एजेंट (बीमा एजेंट) या एडवाइजर (सलाहकार) ज्यादा कमीशन कमाने के चलते ग्राहकों को गलत पॉलिसी बेच देते हैं। ऐसे में लोगों के लिए किसी भी बीमा पॉलिसी की खरीद से पहले दो चीजों पर गौर करना जरूरी हो जाता है। आपको पॉलिसी खरीदने से पहले खुद से दो सवाल जरूर पूछने चाहिए।

  • क्या वास्तव में यह आपके लिए जरूरी है?
  • कहीं एजेंट ने कमीशन के चक्कर में तो आपको गलत पॉलिसी नहीं बेच दी है?

आपको मालूम होना चाहिए कि अगर आपने कोई गलत पॉलिसी खरीद ली है या किसी ने आपको गलत पॉलिसी बेच दी है या फिर पॉलिसी के डॉक्यूमेंट हाथ में आने के बाद आपको अहसास हुआ है कि आपने गलत पॉलिसी खरीद ली है तो आप उसे अगले 15 दिनों के भीतर कैंसिल भी करवा सकते हैं।

क्या कहना है एक्सपर्ट का: फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का मानना है कि अगर आपको फेक या नकली पॉलिसी बेच दी गई है तो इंश्योरेंस कंपनी की शाखा में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर कंपनी आपकी शिकायत पर कोई जवाब नहीं देती है तो ओम्बड्समैन (लोकपाल) या कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत लेकर जाएं। वहीं, उन्होंने बताया कि अगर आप फेक या गलत पॉलिसी खरीद से बचना चाहतें है तो कोशिश करें कि फिजिकल फॉर्म को अपने हाथ से भरें। यह एजेंट को न भरने दें। अधिकांश समय जल्दबाजी में एजेंट पॉलिसीधारक की मेडिकल हिस्ट्री छुपा देते हैं। ऐसे में जब भविष्य में आप क्लेम करने जाते हैं तो पॉलिसीधारक को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरा, इस बात का ध्यान रखें कि पॉलिसी खरीदते समय एक ही एजेंट की बातों में न आएं। फाइनेंशियल एडवाइजर से पॉलिसी के क्या मुझे बोली पर बेचना चाहिए या पूछना चाहिए? लाभ के बारे में पता करें और उसके बाद ही पॉलिसी खरीद का फैसला करें।

क्या होता है फ्री लुक पीरियड: फ्री लुक पीरियड को सरल भाषा में समझें तो यह एक तरह से ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दी जाने वाली रिप्लेसमेंट गारंटी की तरह होता है। अधिकांश पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियां फ्री लुक पीरियड की सुविधा देती हैं। बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के तहत पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक फ्री लुक पीरियड होता है। पॉलिसीधारक की ओर से ऑनलाइन या ऑफलाइन पॉलिसी खरीदते ही पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स उसके घर के पते पर भेज दिये जाते हैं। डॉक्यूमेंट के मिलते ही 15 दिन का फ्री लुक पीरियड शुरू हो जाता है। इसमें आप 15 दिनों के भीतर बिना किसी पेनल्टी के वाजिब कारण के साथ इंश्योरेंस पॉलिसी कैंसिल कर सकते हैं।

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