गुप्तकालीन वाणिज्य और व्यापार
गुप्त काल में व्यापार एवं वाणिज्य अपने उत्कर्ष पर था। उज्जैन, भड़ौंच, प्रतिष्ष्ठान, विदिशा, प्रयाग, पाटलिपुत्र, वैशाली, ताम्रलिपि, मथुरा, अहिच्छत्र, कौशाम्बी आदि महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर है। इन सब में उज्जैन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था क्योंकि देश के हर कोने से मार्ग उज्जैन की ओर आते थे। स्वर्ण मुदाओं की अधिकता के कारण ही संभवतः गुप्तकालीन व्यापार विकास कर सका।
स्वर्ण मुद्रा
विषय सूची
गुप्त राजाओं ने ही सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राओं ज़ारी की, इनकी स्वर्ण मुद्राओं को अभिलेखों में ‘दीनार‘ कहा गया है। इनकी स्वर्ण मुद्राओं में स्वर्ण की मात्रा कुषाणों की स्वर्ण मुद्राओं की तुलना में कम थी। गुप्त राजाओं ने गुजरात को विजित करने के उपरान्त चांदी के सिक्के चलाए। यह विजय सम्भवतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों के विरुद्ध दर्ज की गई थी। तांबे के सिक्कों का प्रचलन गुप्त काल में कम था। कुषाण काल के विपरीत विदेशी मुद्रा गुप्त गुप्त काल में आन्तरिक व्यापार में ह्रास के लक्षण दिखते हैं। ह्रास के कारणों में गुप्तकालीन मौद्रिक नीति की असफलता भी एक महत्त्वपूर्ण कारण थी क्योंकि गुप्तों के पास ऐसी कोई सामान्य मुद्रा नहीं थी जो उनके जीवन का अभिन्न अंग बन सकती थी।
फ़ाह्यान ने लिखा है कि गुप्त काल में साधारण जनता दैनिक जीवन के विनिमय में वस्तुओं के आदान प्रदान या फिर कौड़ियों से काम चलाती थी। आन्तरिक व्यापार की ही तरह गुप्तकाल में विदेशी व्यापार भी पतन की ओर अग्रसर था क्योंकि तीसरी शताब्दी ई. में बाद रोमन साम्राज्य निरन्तर हूणों के आक्रमण को झेलते हुए क़ाफी कमज़ोर हो गया था। वह अब इस स्थिति में नहीं था कि अपने विदेशी व्यापार को पहले जैसी स्थिति में बनाये रखे, दूसरे रोम जनता ने लगभग छठी शताब्दी के मध्य चीनियों से रेशम उत्पादन की तकनीक सीख ली थी। चूकिं रेशम व्यापार ही भारत और रोम के मध्य महत्त्वपूर्ण व्यापार का आधार था, इसलिए भारत का विदेशी व्यापार अधिक प्रभावित हुआ।
विदेश व्यापार
रोम साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय रेशम की मांग विदेशों में कम हो गई जिसके परिणाम स्वरूप 5 वीं शताब्दी के मध्य बुनकरों की एक श्रेणी जो, लाट प्रदेश में निवास करती थी, मंदसौर में जाकर बस गयी।
पूर्व में भारत का व्यापार चीन से हो रहा था। इन दोनों के मध्य मध्यस्थ की भूमि सिंहलद्वीप, श्रीलंका निभाता था। चीन और भारत के मध्य होने वाला व्यापार सम्भवतः वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित था जिसकी पुष्टि के लिए यह कहना पर्याप्त है कि न तो चीन के सिक्के भारत में मिले हैं, और न ही भारत के सिक्के चीन में। भारत-चीन को रत्न, केसर, सुगन्धित पदार्थ, सिले-सिलायें सुन्दर वस्त्र आदि निर्यात करता था।
समुद्री व्यापार
पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाह ताम्रलिप्ति, घंटाशाला एवं कदूरा से शायद गुप्त शासक दक्षिण-पूर्व एशिया से व्यापार करते थे। पश्चिमी तट पर स्थित भड़ौच (ब्रोच), कैम्बे, सोपारा, कल्याण आदि बन्दरगाहों से भूमध्य सागर एवं पश्चिम एशिया के साथ व्यापार सम्पन्न होता था। इस समय भारत में चीन से रेशम (चीनांशुक), इथोपिया से हाथी दांत, अरब, ईरान एवं बैक्ट्रिया से घोड़ों आदि का आयात होता था। भारतीय जलयान निर्बाध रूप से अरब सागर, हिन्द महासागर उद्योगों में से था। रेशमी वस्त्र मलमल, कैलिकों, लिनन, ऊनी एवं सूती था। गुप्त काल के अन्तिम चरण में पाटलिपुत्र, मथुरा, कुम्रहार, सोनपुर, सोहगौरा एवं गंगाघाटी के कुछ नगरों का ह्रास हुआ।
अचार और पापड़ के बीच विदेशी मुद्रा छुपाकर ले जा रहा था बैंकॉक
दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की इंटेलिजेंस की टीम ने 15.5 लाख रुपये मूल्य के विदेशी मुद्रा बरामद की है। यह मुद्रा बैंकॉक जा रहा ऋषिकेश नामक एक यात्री अपने साथ ले जा रहे अचार और पापड़ के पैकेट के बीच छिपाकर ले जा रहा था।
सीआईएसएफ के प्रवक्ता अपूर्व पांडेय ने बताया कि मंगलवार सुबह पांच बजे निगरानी टीम ने टर्मिनल -3, आईजीआई हवाई अड्डे पर एक यात्री की गतिविधियों को संदिग्ध पाया। उसका नाम ऋषिकेश पता चला। वह चेक-इन क्षेत्र में विस्तारा एयरलाइंस की उड़ान संख्या यूके-121, जिसके प्रस्थान का समय सुबह 8.25 था, जिससे वह बैंकॉक जा रहा था। शक होने पर उन्हें अपने सामान की पूरी जांच के लिए रैंडम चेकिंग पॉइंट पर ले जाया गया। एक्स-बीआईएस मशीन के माध्यम से उसके सामान की जांच की गई। इसी दौरान मशीन में सामान के बीच संदिग्ध छवि दिखी। इसके बाद बारीकी से जांच करने पर अचार और पापड़ के बीच से विदेशी मुद्रा पाई गई। सूचना सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों और सीमा शुल्क अधिकारी को दी गई। सामान से बरामद हुई विदेशी मुद्रा 19,900 यूएस डॉलर बताई गई है। पूछताछ करने पर, वह इतनी राशि ले जाने के लिए वैध दस्तावेज भी पेश नहीं कर सका। आगे की जांच के लिये यात्री को सीमा शुल्क अधिकारियों को सौंप दिया गया है।
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विदेशी मुद्रा गुप्त
ज़िम्बाब्वे में लोग अब वहाँ की राष्ट्रीय मुद्रा के अलावा अन्य मुद्रा में भी व्यापार कर सकते हैं. ऐसा वहाँ तेज़ी से बढ़ रही मुद्रास्फीति दर पर लगाम कसने के लिए किया गया है.
ये घोषणा ज़िम्बाब्वे के अंतरिम वित्त मंत्री पैट्रिक चिनमासा ने की.
बीबीसी के अफ़्रीका संवाददाता पीटर बाइल्स का कहना है कि ज़िम्बाब्वे डॉलर की स्थिति इतनी ख़राब है कि वो उपहास का बिंदु बन गया है.
वहाँ मंहगाई इतनी ज़्यादा है कि हाल ही में 100 ट्रिलियन ज़िम्बाब्वे डॉलर का नोट जारी करना पड़ा था. इसका मूल्य बदलता रहता है लेकिन अनुमान के मुताबिक इसका मूल्य 50 अमरीकी डॉलर के आसपास है.
अब तक केवल लाइसेंस लेने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठान ही विदेशी मुद्रा स्वीकार कर सकते थे हालांकि आम लोगों में भी इसका चलन था.
लेकिन बजट भाषण विदेशी मुद्रा गुप्त में अंतरिम वित्त मंत्री ने कहा कि अब सब लोग विदेशी मुद्रा में व्यापार कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, आम चलन को देखते हुए सरकार ने ज़िम्बाब्वे डॉलर के साथ-साथ अन्य विदेश मुद्राओं के उपयोग की भी अनुमति दे दी है.
पिछले कुछ समय से ज़िम्बाब्वे में दुकानों में केवल अमरीकी डॉलर का ही इस्तेमाल हो रहा है. यहाँ तक के लोग पानी का बिल भी अमरीकी डॉलर में ही कर रहे थे.
लेडीज लहंगा बटन में छिपाकर ले जा रहा था 41 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा, IGI Airport से गिरफ्तार
CISF जवानों ने दिल्ली के टर्मिनल -3 आईजीआई हवाई अड्डे पर खुफिया कर्मचारियों ने चेक इन पर एक यात्री की संदिग्ध गतिविधियों को देखा. मिसम रजा नाम का पैसेंजर मिसम रजा को स्पाइस जेट फ्लाइट दुबई के लिए उड़ान भरने वाला था.
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शरद भारद्वाज/नई दिल्ली : दिल्ली आईजीआई हवाई अड्डे पर CISF ने करीब 41 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा (सऊदी रियाल) बरामद की है. आरोपी की पहचान मिसम रजा के रूप में हुई. आरोपी यह विदेशी मुद्रा लेडीज लहंगा बटन में छिपाकर ले जा रहा था. CISF ने जब एक्स-बीआईएस मशीन से उसके काले रंग के ट्रॉली बैग की जांच की, तब यह विदेशी मुद्रा बरामद की गई.
CISF जवानों ने दिल्ली के टर्मिनल -3 आईजीआई हवाई अड्डे पर खुफिया कर्मचारियों ने चेक इन पर एक यात्री की संदिग्ध गतिविधियों को देखा. मिसम रजा नाम का पैसेंजर मिसम रजा को स्पाइस जेट फ्लाइट दुबई के लिए उड़ान भरने वाला था. संदेह होने पर उसे अपने सामान की गहन जांच के लिए रैंडम चेकिंग प्वाइंट पर ले जाया गया. यहां एक्स-बीआईएस मशीन के माध्यम से उसके काले रंग के ट्रॉली बैग की जांच की गई तो कुछ संदिग्ध छवि वाले “बटन” की भारी मात्रा देखी गई.
आरोपी यात्री को इसके बाद यात्री को चेक-इन औपचारिकताओं को पूरा करने की अनुमति दी गई और भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक उपायों के विदेशी मुद्रा गुप्त माध्यम से उसे कड़ी निगरानी में रखा गया. चेक-इन प्रक्रिया और आप्रवासन औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद यात्री को सीमा शुल्क कार्यालय में लाया गया.
यहां उसके बैग की पूरी तरह से जांच करने पर कस्टम अधिकारियों की उपस्थिति में लगभग 41 लाख रुपये मूल्य के 1,85,500 सऊदी रियाल बरामद किया गया.
इसे सामान के अंदर रखे "लेडीज लहंगा बटन" में छुपाकर रखा गया था. इसके बाद आरोपी को हिरासत में ले लिया गया.
विदेशी मुद्रा भंडार 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर
मुंबई : देश का विदेशी मुद्रा भंडार नौ दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। विदेशीमुद्रा भंडार में लगातार पांचवें सप्ताह तेजी आई है। पिछले सप्ताह देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का उपयोग करने की वजह से बाद में इसमें गिरावट आई थी। विदेशी मुद्रा गुप्त केंद्रीय बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) नौ दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर हो गईं।
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्राओं में आई घट बढ़ के प्रभावों को भी शामिल किया जाता है। इसके अलावा स्वर्ण भंडार का मूल्य आलोच्य सप्ताह में 29.6 करोड़ डॉलर घटकर विदेशी मुद्रा गुप्त 40.729 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर हो गया।
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