आज दिन में शेयर बाजार में कमाई वाले 20 शेयर
Stock market top picks for intraday : Seedha Sauda में हर रोज़ जानें Intraday में Best कमाई वाले शेयर्स जिसमें निवेश करने से आपको Intraday में अच्छी कमाई का मौका मिलेगा.
Seedha Sauda में हर रोज़ जानें Intraday में Best कमाई वाले शेयर्स जिसमें निवेश करने से आपको Intraday में होंगे बेहतरीन फायदें. जानिए Neeraj Bajpai के हर दिन कौन से है नए Top 20 Stocks. देखें पूरी वीडियो और बनाएं कमाई की रणनीति.
शेयरों में जोखिम को कम करने और प्रॉफिट बुक करने के लिए स्टॉप लॉस और टारगेट का काफी इस्तेमाल होता है. स्टॉप लॉस और टारगेट का ज्यादातर इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है, लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश कर रहे हैं तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि जो प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.
जैसा ही ऊपर हमने बताया है कि स्टॉप लॉस का इस्तेमाल नुकसान को सीमित करने के ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? लिए किया जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. आपने सोचा की शेयर की कीमत बढ़ेगी और आप अच्छा खासा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन हुआ कुछ उल्टा और शेयर की कीमत बढ़ने के बजाय घटकर 90 रुपए हो गई. यानी आपको एक शेयर पर 10 रुपए के हिसाब से 1000 रुपए का घाटा होने लगा. मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते है कि की बार ट्रेडर को इसका पता ही नहीं चलता.
अब आपके पास दो ऑप्शन है या तो इन शेयरों को होल्ड कर आने वाले दिनों में कीमत बढ़ने का इंतजार किया जाए या घाटा बुक किया जाए. ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए ही स्टॉपलॉस काम आता है. ये कैसे काम करता है समझते है. स्टॉपलॉस को आप शेयर खरीदने के तुरंत बाद ही लगा सकते हैं. ऊपर दिए उदाहरण में ट्रेडर को 10 रुपए का नुकसान हो रहा था लेकिन अगर उसने स्टॉपलॉस लगाया होता तो नुकसान सीमित हो सकता था. स्टॉपलॉस वह मूल्य होता है जिसे लगाने पर आपके शेयर उस मूल्य पर ऑटोमेटिक बिक जाते हैं. इसे आप अपनी नुकसान की क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर लगा सकते हैं.
यानी ट्रेडर ने अगर 100 रुपए के भाव पर शेयर खरीदने के बाद नीचे की तरफ 98 रुपए या 95 रुपए जो भी स्टॉपलॉस लगाया होता तो उसके शेयर स्टॉपलॉस मूल्य पर अपने आप बिक जाते और उसे घाटा कम होता. अगर उसने 98 रुपए पर इसे लगाया होता तो जहां पहले 10 रुपए प्रति शेयर का नुकसान हो रहा था वो 2 रुपए तक सीमित हो जाता. वहीं अगर स्टॉपलॉस 95 रुपए का होता तो घाटा 5 रुपए प्रति शेयर तक सीमित हो जाता. यानी इससे साफ है कि स्टॉप लॉस प्राइस पर शेयर बेच देने से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं. वहीं अगर आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं यानी पहले शेयर को बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं तो भी स्टॉपलॉस लगाया जा सकता है.ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया?
टारगेट का मतलब लक्ष्य. इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बुकिंग के लिए होता है. इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. अब ये शेयर बढ़कर 105 रुपए पर पहुंच गया, लेकिन कुछ देर बाद वापस ये शेयर 100 रुपए पर आ गया या उससे नीचे 99 रुपए पर आ गया. जब ये शेयर 105 रुपए पर गया था तब आप इसे किसी कारण से बेच नहीं पाए. यानी आप प्रॉफिट बुक ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? नहीं कर पाए. अब आपको उसी शेयर के नीचे आ जाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही टारगेट काम आता है.
टारगेट में आप पहले से ही आपके खरीदे शेयर को बेचने का ऑर्डर लगा सकते है. यानी अगर आपको लगता है कि ये शेयर 105 रुपए तक जा सकता है तो आप 105 रुपए का टारगेट प्राइस के लिए सेलिंग ऑर्डर लगा सकते हैं. जब शेयर उस भाव पर पहुंचेगा तो अपने आप ही वो बिक जाएगा और प्रॉफिट बुक हो जाएगा.
: CNBC TV18 हिंदी पर दी गई सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं. वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार यानी सर्टिफाइड एक्सपर्ट की राय जरूर लें.
Option Trading Strategies
विकल्प रणनीतियाँ सभी देशों में पूरी तरह से मुफ़्त ऐप है। फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत मुश्किल काम है। यह ऐप आपको फ्यूचर्स और ऑप्शन का ज्ञान देता है। यह आपको इंट्राडे ट्रेडिंग (डे ट्रेडिंग) या पोजिशनल ट्रेडिंग के लिए F&O में ट्रेडिंग रणनीतियां सीखने के लिए उदाहरणों के साथ शिक्षा देता है।
शुरुआती लोगों के लिए विकल्प ट्रेडिंग एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। और जब विकल्प अस्थिरता और मूल्य निर्धारण कार्रवाई की गणना करना कठिन होता है, तो विकल्प बेचने की रणनीतियों को खोजना काफी कठिन होता है। इस वित्तीय शैक्षिक एपीपी द्वारा आप अपने विकल्प कौशल को बढ़ा सकते हैं और एक विशेषज्ञ विकल्प व्यापारी बन सकते हैं।
यह ऐप प्रदान करता है
1. डायरेक्शनल ट्रेडिंग, वोलैटिलिटी, हेजिंग, आर्बिट्रेज और स्विंग ट्रेडिंग के लिए ऑप्शन और ऑप्शन स्ट्रैटेजी के बारे में जानकारी।
2. विकल्प ग्रीक और यह विकल्पों की कीमत को कैसे प्रभावित करता है।
3. प्रीमियम मूल्य कार्रवाई पर विकल्प प्रीमियम और समाप्ति का प्रभाव (ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? साप्ताहिक, मासिक)।
4. इसके अलावा सभी विकल्प रणनीतियाँ: जैसे
बुलिश रणनीतियाँ:
1. लंबी कॉल (कॉल खरीदें),
2. शॉर्ट पुट (सेल पुट), ऑप्शन राइटिंग
3. बुल कॉल स्प्रेड (कवर कॉल)
4. बुल पुट स्प्रेड (ऑप्शन स्प्रेड)
मंदी की रणनीतियाँ:
1. लांग पुट (पुट खरीदें)
2. शॉर्ट कॉल (सेल कॉल), बिक्री विकल्प
3. बेयर पुट स्प्रेड (प्रोटेक्टिव पुट)
4. भालू कॉल स्प्रेड (बैकस्प्रेड)
रेंज बाउंड ट्रेडिंग रणनीतियाँ:
1. लघु गला घोंटना विकल्प रणनीति
2. लघु तितली विकल्प रणनीति
3. लघु लौह कोंडोर रणनीति
4. लघु स्ट्रैडल विकल्प रणनीति
बड़ा कदम (अस्थिर बाजार विकल्प) रणनीतियाँ:
1. लॉन्ग स्ट्रैंगल ऑप्शन स्ट्रैटेजी
2. लंबी तितली विकल्प रणनीति
3. लांग आयरन कोंडोर रणनीति
4. लांग स्ट्रैडल विकल्प रणनीति
साथ ही विशेष विकल्प रणनीतियाँ जैसे कैलेंडर स्प्रेड मार्जिन और वायटैलिटी से बचने के लिए।
कृपया इस ऐप को रेट करें क्योंकि आपकी रेटिंग हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अस्वीकरण: वित्तीय ज्ञान देने के लिए यह केवल शिक्षा ऐप है। किसी भी तरह से यह कोई सुझाव नहीं दे रहा है या ट्रेडिंग को प्रोत्साहित नहीं कर रहा है। यदि आपको कोई अनुचित सामग्री मिलती है तो आप [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं।
शेयर बाजार में चाहते हैं पैसा कमाना तो इन 5 पसंदीदा ट्रेडिंग रणनीतियों के बारे में ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? आपको होगा जानना
शेयर बाजार में ट्रेडिंग की कई रणनीतियां हैं लेकिन यहां पर हम सबसे ज्यादा लोकप्रिय रणनीतियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं
ट्रेडर्स चाहें तो हर प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत को समझकर ट्रेडिंग में रणनीतियों के संयोजन का उपयोग भी कर सकते हैं
ट्रेडिंग का मतलब सिक्टोरिटीज को खरीदना और बेचना होता है। ट्रेडिंग भी कई प्रकार की होती हैं। एक दिन से लेकर सालों के लंबे अंतराल के लिए भी ट्रेडिंग की जाती है। इसके साथ ही अलग-अलग बाजारों के माहौल और वहां मौजूद जोखिम से जुड़ी विभिन्न ट्रेडिंग रणनीतियां (trading strategies) शेयरों में कारोबार करने के समय अपनाई जाती हैं।
यहां पर हम कुछ ट्रेडिंग रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं जो बाकी रणनीतियों में से सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये रणनीतियां निवेशकों को तर्कसंगत निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकती हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
संबंधित खबरें
Market Jumps: सैंटा क्लॉज वापस लाया निवेशकों की खुशियां, इन 4 कारणों से आज शेयर बाजार ने की जोरदार वापसी
Multibagger Stock: Maruti Suzuki के साथ कारोबार करने वाली कंपनी ने बनाया करोड़पति, शेयरों में धमाकेदारी तेजी
Polyplex Share Price: हर शेयर पर ₹386 का घाटा, रुकें या निकल जाएं
इंट्राडे ट्रेडिंग जिसे डे ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है। ये ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें निवेशक एक ही दिन में शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। वे शेयर बाजार के बंद होने के समय से पहले ट्रेडिंग बंद कर देते हैं। एक ही दिन में वे मुनाफा और घाटा बुक करते हैं।
निवेशक इन शेयरों में एक दिन में ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? कुछ सेकंड, घंटे के लिए या इसमें दिन भर में कई बार ट्रेड ले सकते हैं। इसलिए इंट्राडे एक अत्यधिक वोलाटाइल ट्रेडिंग रणनीति मानी जाती और इसके लिए तेजी से निर्णय ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? लेना होता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
पोजिशनल ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जहां शेयर्स को महीनों या सालों के लंबे समय तक रखा जाता है। ऐसे शेयरों में समय के साथ भाव में बड़ी बढ़त की अपेक्षा के साथ मुनाफा कमाने की उम्मीद की जाती है। निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कंपनी का टेक्निकल ग्राउंड देखकर इस शैली को अपनाते हैं।
इसलिए इस प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति में आमतौर पर बाजार के रुझान और उतार-चढ़ाव जैसी अल्पकालिक जटिलताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
स्विंग ट्रेडिंग आमतौर पर एक ऐसी रणनीति है जहां निवेशक शेयरों के भाव में और तेजी की उम्मीद में एक दिन से अधिक समय तक शेयरों को अपने पास रखते हैं। स्विंग ट्रेडर्स आने वाले दिनों में बाजार की गतिविधियों और रुझानों की भविष्यवाणी करने के लिए जाने जाते हैं।
इंट्राडे ट्रेडर्स और स्विंग ट्रेडर्स के बीच स्टॉक को अपने पास रखने की समय सीमा में महत्वपूर्ण अंतर होता है। इसलिए कहा जाता है कि ज्यादातर टेक्निकल ट्रेडर्स स्विंग ट्रेडिंग की कैटेगरी में आते हैं।
टेक्निकल ट्रे़डिंग (Technical Trading)
टेक्निकल ट्रेडिंग में ऐसे निवेशक शामिल हैं जो शेयर बाजार में प्राइस चेंज की भविष्यवाणी करने के लिए अपने तकनीकी विश्लेषण ज्ञान का उपयोग करते हैं। इस ट्रेडिंग शैली में कोई विशेष समय-सीमा नहीं होती है क्योंकि यह एक दिन से लेकर महीनों तक के लिए भी हो सकती है।
बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकांश ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल्स का उपयोग करते हैं। हालांकि स्टॉक की कीमतों का निर्धारण करते समय सबसे महत्वपूर्ण टेक्निकल एनालिसिस बाजार की परिस्थिति होती है।
फंडामेंटल ट्रेडिंग (Fundamental Trading)
फंडामेंटल ट्रेडिंग का मतलब स्टॉक में निवेश करना होता है जहां ट्रेडर्स समय के साथ भाव में तेजी की उम्मीद के साथ कंपनी के स्टॉक को खरीदता है। इस तरह की ट्रेडिंग में 'बाय एंड होल्ड' रणनीति में विश्वास किया जाता है।
इस प्रकार की ट्रेडिंग आमतौर पर कंपनी के फोकस्ड इंवेंट्स में किया जाता है। इसके लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, नतीजों, ग्रोध और मैनेजमेंट क्वालिटी का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है।
मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये ट्रेडिंग रणनीतियाँ बहुत काम की होती हैं और निवेशक को उस ट्रेडिंग शैली पर निर्णय लेने में मदद करती हैं जिसे वे अपनाना चाहते हैं। प्रत्येक प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत की गहन समझ के साथ ट्रेडर्स चाहें तो रणनीतियों के संयोजन का उपयोग करके भी शेयरों में खरीद-फरोख्त कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)
Day Trading- डे ट्रेडिंग
डे ट्रेडिंग
डे ट्रेडिंग (Day Trading) आमतौर पर एक ट्रेडिंग दिन के अंदर सिक्योरिटी को खरीदने या बेचने की प्रणाली है। यह किसी भी मार्केटप्लेस में हो सकती है लेकिन यह फॉरने एक्सचेंज और स्टॉक मार्केट्स में ज्यादा आम है। किसी एसेट के लिए मूल्य परिवर्तन से मुनाफा प्राप्त करने की इंट्राडे स्ट्रैटेजी क्रियान्वित करने वाले एक्टिव ट्रेडर्स, डे ट्रेडर्स कहलाते हैं। डे ट्रेडर्स लेवरेज और शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग रणनीतियों के उच्च अमाउंट का इस्तेमाल करते हैं ताकि बेहद ज्यादा लिक्विड स्टॉक्स या करेंसीज ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? में अस्तित्व में आने वाले स्मॉल प्राइस मूवमेंट्स को भुनाया जा सके। डे ट्रेडिंग हर किसी के लिए नहीं है। इसमें कुछ जोखिम रहते हैं। डे ट्रेडिंग के लिए इस बात की गहरी समझ की जरूरत होती है कि बाजार कैसे काम करते हैं। साथ ही शॉर्ट टर्म में मुनाफे के लिए विभिन्न रणनीतियों की समझ होना भी जरूरी है।
डे ट्रेडिंग, कथित बाजार अक्षमताओं को भुनाने के लिए कई तकनीकों और रणनीतियों को लागू करती है। डे ट्रेडिंग अक्सर तकनीकी विश्लेषण द्वारा वर्गीकृत होती है और इसे बेहद ज्यादा स्व अनुशासन और निष्पक्षता की जरूरत होती है। डे ट्रेडर्स उन ईवेंट्स के साथ अनुसंगत होते हैं, जो शॉर्ट टर्म मार्केट मूव्स का कारण बनते हैं। न्यूज पर आधारित ट्रेडिंग एक लोकप्रिय तकनीक है। पहले से तय घोषणाएं जैसे आर्थिक आंकड़े, कॉरपोरेट अर्निंग्स या ब्याज दरें, बाजार अपेक्षाओं और मार्केट साइकोलॉजी के अधीन हैं। जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं या उम्मीद से अधिक पूरी हो जाती हैं तो तो बाजार प्रतिक्रिया करता है।
कई इंट्राडे स्ट्रैटेजीस
डे ट्रेडर्स कई इंट्राडे स्ट्रैटेजीस का इस्तेमाल करते हैं-
स्कैल्पिंग: यह स्ट्रैटेजी पूरे दिन के दौरान कीमत में छोटे बदलावों पर कई छोटे मुनाफे बनाने की कोशिश करती है।
रेंज ट्रेडिंग: यह स्ट्रैटेजी खरीद व बिक्री के फैसले लेने के लिए मुख्य रूप से सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स का इस्तेमाल करती है।
न्यूज बेस्ड ट्रेडिंग: यह स्ट्रैटेजी न्यूज ईवेंट्स से बढ़ी हुई अस्थिरता से ट्रेडिंग अवसरों को सीज करती है।
हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग: ये स्ट्रैटेजीस छोटी व शॉर्ट टर्म बाजार अक्षमताओं को भुनाने के लिए परिष्कृत एल्गोरिद्म का इस्तेमाल करती हैं।
Options Trading: क्या होती है ऑप्शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्या हो आपकी रणनीति
Options Trading: निश्चित ही ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)
ऑप्शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.
क्या है ऑप्शंस ट्रेडिंग?
Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्तेमाल किया जाता है स्ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में जाता हुआ देखते हैं.
जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.
धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.
ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.
जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.
इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.
होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.
ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.
ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
- समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
- अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
- प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.
नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर : प्रकाशित विचार एक्सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार ट्रेडिंग रणनीतियाँ क्या कर रहे हैं ज्यादातर इस्तेमाल किया? की राय अवश्य लें.)
Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 724