Computer Animation Aur Graphics Ka Film Production Par Prabhav - Ek Adhyayan
यह शोध फिल्म प्रोडक्शन को वर्तमान समय में कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स किस प्रकार प्रभावित करता है , पर आधारित है। कंप्यूटर तकनीकी से सुसज्जित और पूरे विश्व में प्रचलित कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स बहुत ही तेजी से मनोरंजंन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। फिल्म मीडिया का विकास और कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स की प्रगति एक दूसरे से अनेकों तरह से मेल खाती है। फिल्म मीडिया न केवल सूचना और मनोरंजन प्रदान करता है ] बल्कि वे दुनिया भर में बेरोजगार लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कई रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। प्रत्येक वर्ष ] अनेकों फिल्में कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स के प्रयोग से बनायी जाती हैं। करोड़ों रूपयों के लागत की कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स की फिल्म परियोजनाएं अब भारत में बन रही हैं। कंप्यूटर ग्राफिक्स और दृश्य प्रभाव अब सभी सिनेमा परियोजनाओं का हिस्सा बन रहे हैं। हालांकि 3 डी एनिमेटेड फिल्म और साधारण फीचर फिल्म अलग-अलग है जिनके दृश्य प्रभाव आम हैं। कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स का लक्ष्य दर्शकों अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार के ज्ञान , दृष्टिकोण और व्यवहार में परिवर्तन करना है। 3 डी , एनिमेशन , ग्राफिक्स रचनात्मक क्षेत्र के संसाधन हैं। टेलीविजन , दैनिक समाचार पत्र और अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आने वाले विज्ञापन वर्तमान में पूरी तरह से कंप्यूटर एनीमेशन और ग्राफिक्स के द्वारा तैयार किये जाते हैं। इस शोध पत्र का मुख्य उद्देश्य फिल्म इंडस्ट्री में कंप्यूटर ग्राफिक्स और एनीमेशन के प्रभाव का अध्ययन और विश्लेषण करना है।
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Article: Download PDF DOI : https://www.doi.org/10.36106/gjra
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Computer Animation Aur Graphics Ka Film Production Par Prabhav‾Ek Adhyayan , Rahul Kushwaha , GLOBAL JOURNAL FOR RESEARCH ANALYSIS : Volume-7 | Issue-11 | November-2018
मातृभाषा में शिक्षा मिलने से छात्रों की वैचारिक, तार्किक और विश्लेषण क्षमता बढ़ेगी : अमित शाह
शाह ने कहा कि कोई व्यक्ति मूल सोच तभी रख पाता है, जब उसे उसका विषय मातृभाषा में पढ़ाया जाता है. नयी शिक्षा नीति से किसी छात्र की कला और संगीत आदि जैसी अंतर्निहित क्षमताओं को एक मंच प्रदान करने में मदद करेगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार शनिवार को यहां कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत किसी छात्र को उसकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से उसकी वैचारिक, तार्किक, विश्लेषण करने और शोध क्षमता बढ़ेगी.
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विजपुर में शेठ जी. सी. हाई स्कूल की 95वीं वर्षगांठ पर सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि तकनीकी, चिकित्सा और उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के विषयों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराने पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि अगले 25 साल में एनईपी भारत को नंबर एक देश बना देगी.
शाह ने कहा कि आजादी से पहले के भारत में ब्रिटिश शिक्षा नीति के तहत रटकर पढ़ाई करना बुद्धिमत्ता की निशानी होती थी. उन्होंने कहा कि छात्रों में सोचने, शोध करने, तर्क करने, विश्लेषण करने, निर्णय लेने और समझने की शक्ति पैदा नहीं होती थी, जिससे समाज में समस्याएं पैदा हो गईं.
गृह और सहकारिता मंत्री शाह ने कहा, “नयी शिक्षा नीति, जिसमें मातृभाषा पर जोर देने सहित मूलभूत परिवर्तन किए गए हैं, भारत को 25 वर्ष में दुनिया में नंबर एक बना देगी.”
शाह ने कहा, “अगर कोई छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ता, बोलता और सोचता है, तो इससे उसकी सोचने की क्षमता, उसकी तर्क शक्ति, विश्लेषण की क्षमता और शोध की क्षमता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी.”
शाह ने कहा, “ नयी शिक्षा नीति का मकसद प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर जहां तक संभव हो छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षित करना है. मुझे विश्वास है कि अगले दो, पांच, सात वर्षों में देश के सभी छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान की जाएगी.”
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही तकनीकी, चिकित्सा और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद किया जा अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार रहा है. उन्होंने कहा कि भोपाल में पहले सेमेस्टर के पाठ्यक्रम के अनुवाद के बाद हिंदी में चिकित्सा शिक्षा दी जा रही है.
उन्होंने कहा, “गुजराती, तेलुगु, उड़िया, पंजाबी और बांग्ला- इन सभी भाषाओं में उच्च और चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू होंगे. वहां से भारत अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना शुरू करेगा.”
शाह ने कहा कि कोई व्यक्ति मूल सोच तभी रख पाता है, जब उसे उसका विषय मातृभाषा में पढ़ाया जाता है. नयी शिक्षा नीति से किसी छात्र की कला और संगीत आदि जैसी अंतर्निहित क्षमताओं को एक मंच प्रदान करने में मदद करेगी.
गृह मंत्री ने कहा, “एनईपी ने व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के लिए एक बड़ी भूमिका बनाई है. 10वीं कक्षा से पहले 50 प्रतिशत से अधिक छात्र व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ जाएंगे और इससे उन्हें स्वरोजगार, सूक्ष्म और कुटीर उद्योग की ओर ले जाने में मदद मिलेगी.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान – एक परिचय
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान की स्थापना, भारत सरकार अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1998 में चेन्नई में, एक स्वायत संस्थान के रूप में की गई थी। यह एक ज्ञान आधारित, उच्च गुणवत्ता युक्त और समर्पण संपन्न संस्थान है तथा सेवाएं प्रददान करते हुए अत्याधुनिक अनुसंधान द्वारा पवन ऊर्जा के संपूर्ण क्षेत्र में सुधार के साथ कठिनाइयों के लिए पूर्ण समाधान प्रदान करता है। संस्थान के पास कायथर में डैनिडा, डेनमार्क सरकार के तकनीकी एवं आंशिक वित्तीय समर्थन युक्त पवन टरबाइन परीक्षण स्टेशन (WTTS) की सुविधा भी उपलब्ध है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, निम्नवर्णित संरचना के आधार पर कार्य कर रहा है
- नवीकरणीय ऊर्जा-ग्रिड समेकीकरण एवं अनुसंधान एवं विकास प्रभाग : अन्य अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/उद्योग के साथ सहयोगात्मक कार्य के माध्यम से पवन टरबाइनों के उप-व्यवस्थाओं के साथ घटकों के विकास में नवीनता लाना ही इस प्रभाग का महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
- प्रमाणीकरण प्रभाग : यह प्रभाग, IS/IEC 61400-22 के आधार पर पवन टरबाइनों का प्रकार प्रमाणीकरण प्रदान करता है तथा जानाकरी के प्रभावशाली प्रचार हेतु आवश्यक सूचना अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार प्रौद्योगिकी के संविचरचन कार्य भी कर रहा है।
- मानक एवं नियमन (S&R) प्रभाग : पवन ऊर्जा क्षेत्र में मानकीकरण कार्य, पवन टरबाइनों के ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन के लिए सुविधा प्रदान करने तथा पवन टरबाइनों के मॉडल एवं उत्पादकों की पुनरीक्षित सूची जारी करने का कार्य करता है।
- कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, अवरसंरचना प्रबंधन (SDT & IM) प्रभाग: संबंधित जानकारी इकत्रित करने, डेटा का परितुलन कार्य एवं विश्लेषण द्वारा पवन ऊर्जा के क्षेत्र में डेटा बैंक स्थापित करने के साथ-साथ उसे अद्यतन करते हुए एक उत्कृष्ट जानकारी केन्द्र के रूप में उभरना ही इस प्रभाग का महत्त लक्ष्य है। प्रभाग, नियमित रूप से पणधारियों के हित में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करता है। इसके अतिरिक्त प्रभाग, उक्त क्षेत्र संबंधी स्थल जानकारी के साथ सामान्य एवं गंभीर दिलचस्पी के लिए जानकारी की आवश्यकताओं से युक्त तिमाही पत्रिका ‘पवन’ भी प्रकाशित करता है।
- मापन एवं परीक्षण (M&T) प्रभाग : अंतर्राष्ट्रीय मानकों (IEC) के अनुसरण में पूर्ण पवन टरबाइन जनरेटर सिस्टमों (WTGS) के परीक्षण के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं स्थापित करना। साथ ही, प्रभाग पवर निष्पादन मापन, सुरक्षा तथा प्रकार्य परीक्षण, लोड परीक्षण आदि सेवाएं भी प्रदान करता है।
- अपतट पवन विकास, डेटा विश्लेषक एवं पूर्वानुमान, सुचना प्रौद्योगिकी (OWD, DAF & IT) प्रभाग: प्रभाग, देश के कई स्थलों में पवन संसाधन माइक्रो सर्वेक्षण करते हुए संसाधन संपन्न क्षेत्रों की पहचान करता है तथा पवन खेत स्थापित करनेवालों को अपनी सेवाएं प्रदान करता है। पवन संसाधनों के मूल्यांकन एवं विश्लेषण के माध्यम से राष्ट्र के लिए पवन मानचित्र तैयार कर रहा है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, संपूर्ण ऐशिया एवं दक्षिणी देशों के लिए केवल ‘’पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी’’ के लिए एकमात्र अनुसंधान संगठन है। यह अत्यंत युवा संगठन है जिसमें उच्च अनुभव युक्त व्यावसायिक विशेषज्ञ कार्य करते हैं जिन्हें पवन टरबाइन प्रौद्योगिकी में काफी विशेषज्ञता है। यह एक अनोखा संयोग है जिसकी सहायता से संस्थान अग्रगामी बनकर अत्यंत व्यावहारिकता के साथ पवन ऊर्जा अनुप्रयोग क्षेत्र में अगले विवेकपूर्ण कदम उठा रहा है। पवन ऊर्जा संबंधी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति खुला दृष्टिकोण के साथ आप यह आश्वस्त हो सकते हैं कि आपको पवन संसाधन मूल्यांकन से लेकर परियोजना कार्यान्वयन तक संपूर्ण सहायता मिल जाएगी। यह सही है कि नीवे, पवन ऊर्जा क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट अवरसंरचना एवं संसाधन,समर्थन प्रदान करने के उत्साह के साथ दीर्घकालिक एवं उच्च गुणवत्ता प्राप्त करेगा। साथ ही, नीवे विशेषज्ञता युक्त उत्पादों को प्रोत्साहन देते हुए अन्य देशों को सेवाएं भी प्रदान करेगा।
'अगले 25 साल में NEP देश को नंबर 1 बना देगी, मातृभाषा में एजुकेशन मिलने से छात्रों की बढ़ेंगी ये क्षमताएं'
केंद्रिय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी से पहले के भारत में ब्रिटिश शिक्षा पॉलिसी के तहत रटकर पढ़ाई करना बुद्धिमत्ता की निशानी होती थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति किसी छात्र की कला और संगीत आदि जैसी अंतर्निहित क्षमताओं को एक मंच प्रदान करने में मदद करेगी।
Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: December 24, 2022 19:39 IST
Image Source : PTI केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(फाइल फोटो)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत किसी छात्र को उसकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से उसकी वैचारिक, तार्किक, विश्लेषण करने और शोध क्षमता बढ़ेगी। विजपुर में शेठ जी.सी.हाई स्कूल की 95वीं वर्षगांठ पर सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि तकनीकी, चिकित्सा और उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के विषयों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराने पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति अगले 25 साल में भारत को नंबर वन देश बना देगी।
'पहले रटकर पढ़ाई करना बुद्धिमत्ता की निशानी होती थी'
केंद्रिय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी से पहले के भारत में ब्रिटिश शिक्षा पॉलिसी के तहत रटकर पढ़ाई करना बुद्धिमत्ता की निशानी होती थी। उन्होंने कहा कि छात्रों में सोचने, शोध करने, तर्क करने, विश्लेषण करने, निर्णय लेने और समझने की शक्ति पैदा नहीं होती थी, जिससे समाज में काफी प्रॉबलम्स पैदा हो गईं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी में मातृभाषा पर जोर देने सहित मूलभूत परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा पॉलिस भारत को 25 साल में दुनिया में नंबर वन बना देगी।
'उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद किया जा रहा'
बीजेपी नेता अमित शाह ने कहा कि अगर कोई छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ता, बोलता और सोचता है, तो इससे उसकी सोचने की क्षमता, उसकी तर्क शक्ति, विश्लेषण की क्षमता और शोध की क्षमता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा पॉलिसी का मकसद प्राइमरी व माध्यमिक स्तर पर जहां तक संभव हो छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि अगले दो, पांच, सात सालों में देश के सभी छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही तकनीकी, चिकित्सा और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद किया जा रहा है।
'भोपाल में अनुवाद के बाद हिंदी में मेडिकल शिक्षा दी जा रही'
केंद्रीय अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार गृह मंत्री ने कहा कि भोपाल में पहले सेमेस्टर के पाठ्यक्रम के अनुवाद के बाद हिंदी में मेडिकल शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि गुजराती, तेलुगु, उड़िया, पंजाबी और बांग्ला- इन सभी भाषाओं में उच्च और चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू होंगे। उन्होंने कहा कि वहां से भारत अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना शुरू करेगा। अमिस शाह ने कहा कि कोई व्यक्ति मूल सोच तभी रख पाता है, जब उसे उसका विषय मातृभाषा में पढ़ाया जाता है।
'अंतर्निहित क्षमताओं को एक मंच देने में मदद करेगी NEP'
कंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति किसी छात्र की कला और संगीत आदि जैसी अंतर्निहित क्षमताओं को एक मंच प्रदान करने में मदद करेगी। गृह मंत्री ने कहा, “NEP ने व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के लिए एक बड़ी भूमिका बनाई है। 10वीं कक्षा से पहले 50 प्रतिशत से अधिक छात्र व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ जाएंगे और इससे उन्हें स्वरोजगार, सूक्ष्म और कुटीर उद्योग की ओर ले जाने में मदद मिलेगी।”अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार
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अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार
- मुख्यमंत्री ने किया मध्यप्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति का विमोचन
भोपाल, 26 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अभी तक मध्यप्रदेश को कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में जाना जाता था। विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति लागू होने के बाद अब मध्यप्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी। प्रदेश में इस नीति को तत्परता के साथ लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार ने सोमवार शाम को प्रशासन अकादमी में मध्यप्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति-2022 का विमोचन किया। उन्होंने नीति के उद्देश्यों एवं प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश भी डाला। उन्होंने नीति को तैयार करने में वैज्ञानिकों के अमूल्य योगदान की सराहना की।
उन्होंने कहा कि इस नीति के प्रमुख तीन उद्देश्य हैं। वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाना, सरकार और समाज में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना और नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने वाली पीढ़ी का निर्माण करना।
प्रदेश में किया जायेगा विज्ञान का लोक व्यापीकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान का लोक व्यापीकरण किया जायेगा। इसके लिये सब मिलकर प्रयास करेंगे। जिज्ञासा बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमारी जिंदगी बदल देता है। उन्होंने कहा कि यदि इच्छा शक्ति हो, तो व्यक्ति बड़े से बड़ा काम कर सकता है। विज्ञान और आध्यात्म एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
राज्य नवाचार कोष की होगी स्थापना
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में राज्य नवाचार कोष की स्थापना की जायेगी। भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने में विज्ञान और तकनीकी का पूरा उपयोग किया जायेगा। मध्यप्रदेश आध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। भारतीय कैलेण्डर अधिक सटीक और वैज्ञानिक है। मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर प्राचीन काल-गणना का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है।
उन्होंने कहा कि हम आज के युग में डाटा की महत्वता समझते हैं। कोडिंग लेब, क्यूरोसिटी लेब के लिए प्रयास करेंगे। भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रभावी उपयोग करेंगे। हम आध्यात्म और विज्ञान में अग्रणी रहे हैं। वैद्य नाड़ी देख कर ही बीमारी का पता कर लेते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की 5 ट्रिलियन की इकॉनोमी में मध्यप्रदेश 550 बिलियन का योगदान करेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि नये प्रयोगों से जन-सामान्य को सुविधाएँ पहुँचाई जा रही है। गाँव-गाँव तक विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के हर व्यक्ति का जीवन आनंदमय हो, इसके लिये मुख्यमंत्री चौहान लगातार प्रयासरत हैं। आने वाली पीढ़ी को टेक्नालॉजी के माध्यम से अच्छा वातावरण दे अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार सकते हैं। प्रधानमंत्री जी ने जय विज्ञान-जय अनुसंधान'' का नारा दिया है। इस दिशा में प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान के प्रति जागरूकता को पूरे भारत में नंबर-1 पर लाने की कोशिश होगी।
प्रमुख सचिव निकुंज रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में टेक्नालॉजी और नवाचार से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है। यह नीति मुख्यमंत्री चौहान के विजन को प्रस्तुत करती है। अधिकाधिक छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढ़ाई को चुनेंगे। निवेश, रोजगार बढ़ेगा और अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
प्रो. रजत मोना ने कहा कि आज हम मध्यप्रदेश शासन के साथ एमओयू साइन कर रहे हैं, जिससे सेन्टर फॉर केपेसिटी बिलिंग की स्थापना होगी। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि यह पालिसी यूनिक है, जो बहुत कम स्टेट में है। इससे बहुत प्रभाव पड़ेगा। मध्यप्रदेश की साइंस इकोसिस्टम को सुदृढ़ करेगी। पॉलिसी महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है, जो सराहनीय है।
अटल बिहारी वाजपेयी नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश के लिए अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार यह पॉलिसी महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान की भूमिका में साइंस एवं टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। इंडियन इन्स्टीटयूट ऑफ साइंस में प्रो. सूद अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण और समाचार का महत्वपूर्ण सराहनीय योगदान है। केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन में बेहतर कार्य हो रहा है। टेक्नालॉजी कई क्षेत्रों में कार्य कर सकती है। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचे। मध्यप्रदेश में डिजिटल टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश तीसरा राज्य बन गया है।
पद्मविभूषण विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि साइंस टेक्नोलॉजी को हम महसूस कर रहे हैं। हमारे जीवन में साइंस-टेक्नालॉजी से सुधार हुआ है। साइंस को समाज के साथ जोड़ कर पूरा उपयोग किया जा सकता है। समाज की प्रगति के लिए साइंस का समाज के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि इनोवेशन को आगे बढ़ायें। आज हमारी साइंस-टेक्नालॉजी को गति मिली है।
आईआईटी गांधीनगर और मध्यप्रदेश शासन के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। आईआईटी इंदौर से भी एमओयू हुआ। अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेंट किए गए।
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