Trading Indicator क्या हैं | 5 Best Trading Indicator in 2022

Best Trading Indicator 2022Trading Indicator का मतलब शेयर मार्केट में शेयर का प्राइस ज्यादा है या कम प्राइस है यह एकदम सही बताने के लिए किया जाता है शेयर मार्केट में ऐसे 5 बेस्ट ट्रेंडिंग इंडिकेटर है जिससे हमें ट्रेंड करने में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं
ज्यादातर व्यापार इसका दावा करते नजर आते हैं।

Table of Contents

Trading Indicator क्या हैं ?

Trading Indicator का मतलब किसी भी वस्तु को कम दाम में खरीदने और ज्यादा दाम में बेचना। यह एक ऐसा जरिया है जिससे हमें यह पता चलता है कि बाजार में शेयर भाव कब कितने ऊपर जाएगा और कब कितने नीचे आएगा? यह सूचना एकदम सही हो सकती है और नहीं भी बाजार में ऐसे बहुत से ट्रेंडिंग इंडिकेटर उपलब्ध है जो एकदम सही होने का दावा करते हैं

हर व्यापारी आपको यह सलाह देगा कि शेयर बाजार में ट्रेनिंग करते समय शेयर मार्केट इंडिकेटर चुनना महत्वपूर्ण लेकिन सही Trading Indicator कौन सा है इस बारे मैं अलग-अलग व्यापारी की अलग-अलग राय ट्रेंडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वस्तु को खरीद कर कम समय में लाभ कमाना।
अलग-अलग ट्रेंडिंग। इंडिकेटर।
अपने अलग-अलग प्रकार से शेयर भाव दर्शाते हैं

कम से कम दो टेक्निकल एनालिसिस इंडीकेटर्स का उपयोग करें

कम से कम दो टेक्निकल एनालिसिस। इंडिकेटर का प्रयोग करें। ट्रेंडिंग इंडिकेटर टेक्निकल इंग्लिश इसका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भाग है। टेक्निकल इंडिकेटर का प्रयोग चार्ट पेटर्न। और कैंडलेस्टिक पेटर्न के साथ किया जाता है। इन तीनों के प्रयोग से यह पता लगाया जा सकता है कि स्टॉप किस दिशा में जा सकता है। यह अंदाजा लगाया जा सकता है।

Trading Indicator का प्रयोग कैसे किया जाता है –

बहुत ही महत्वपूर्ण है कि इसका प्रयोग कैसे किया जाता है। क्योंकि ज्यादातर लोग यही बताते हैं कि किसी एक या अधिक इंडिकेटर को अपने चार्ट पर लगा लो और ट्रेडिंग से पैसे कमाना शुरू कर दो।

कुछ लोग तो एक साथ 12 से 15 इंडिकेटर लगा लेते हैं। लेकिन जब ट्रेडिंग करते हैं तो काफी दुविधा में पड़ जाते हैं क्योंकि कुछ इंडिकेटर संकेत देते हैं कि भाव बढ़ने वाला है, और कुछ इंडिकेटर कहते हैं कि भाव गिरने वाला है।
ट्रेडर जब तक किसी नतीजे पर पहुँचता है तब तक स्टॉक का भाव या तो बढ़ चुका होता है या घट चुका होता है।

और इस हालात में ट्रेड लेने से नुकसान की संभावना ही अधिक होती है

अपनी ट्रेडिंग योजना को कभी रिवर्स न करें

जब भी आप ट्रैडिंग करते है उसके लिए हमेशा अपनी खुद की ट्रैडिंग योजना जरूर बनानी चाहिए जिससे आपको ट्रैडिंग करने मे परेशानी नहीं होगी ओर आप सही अपना ट्रेड कर सकते है जिससे आप बढ़िया मुनाफा काम सकते है

वर्ष 2022 में 5 बेस्ट उपयोगी ट्रेडिंग इंडिकेटर –टेक्निकल एनालिसिस इंडीकेटर्स

1 – सिम्पल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average ) –

सिंपल मूविंग एवरेज 5 बेस्ट इंडिकेटर जो उपयोग इस प्रकार के जा सकते हैं। सिंपल मूविंग एवरेज।सबसे ज्यादा। इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रेंडिंग। Indicator में से एक है मूविंग एवरेज एक ऐसी सामान्य साधन है जो किसी सिक्योरिटी के कर लो रिंग प्र�.

2 – बोललिंगर बैंड्स ( Bollinger Bands ) –

बॉलिंगर बैंड। सबसे ज्यादा प्रयोग ट्रेंडिंग इंडिकेटर में से एक है। यह खरीदे गए और अधिक बेचे गए ट्रेड के सतर को निर्धारित करने में मदद करता है। ज्यादातर यह ज्यादा ट्रेडर की कीमत पर निर्धारित रहती है। यह अप्पर बैंड या लोअर बैंड के आधार पर ही बढ़ती है। जब शेयर मार्केट में इसकी मांग ज्यादा होती है तो यह बढ़ जाती है और और अगर इसकी मांग कम होती है तो यह कम हो जाती है इंट्रेड टेक्निकल एनालिसिस के अनुसार बॉलिंगर बैंड का प्रयोग करके हम 90 परसेंट तक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब ट्रेड की कीमत अपर बैंड के करीब हो जिससे ट्रेड महंगी हो जाती है। इस के सहयोग से हम उसे एवरेज पर वापस लेने का प्रयास करते हैं जब ट्रेड की कीमत लोअर बैंड के नजदीक होती है तो ट्रेड कम दाम में जाती है और फिर इसका इस्तेमाल करके उसे उसी जगह पर पहुंचाने की कोशिश की जाती है जिससे उसे मीडियम बैंड के मूल्यों के लक्ष्य के साथ लोअर बैंड के मूल्य पर खरीदी जा अपनी ट्रेडिंग योजना को कभी रिवर्स न करें सके।

3 – आर एस आई (RSI) –

आर एस आई ट्रैडिंग का एक ऐसा Indicator है जो कम दाम व अधिक दाम बेचने या खरीदने के नियमों का पालन करता है यह ट्रेंडिंग का यह एक सबसे अच्छा और आसान साधन है जो यह दर्शाता है कि कब ट्रेड ज्यादा खरीदे गए और कब कम और कब इसका रिटर्न हुआ
आर एस आई यह हर अलग-अलग समय के अनुसार तय किया जा सकता है कि इसकी वैल्यू जीरो से 100 के बीच हो �

4 – एम ए डी सी (MACD)–

एम ए डी सी ओसीलेटिन है। जो शून्य। के ऊपर और नीचे कैलकुलेट होता है यह एक मोमेंटम इंडिकेटर भी है। यह ट्रेड।पर किरिया ध्यान देने के लिए है कि एम ए डी सी लाइने शुन्य के किस तरफ है। अगर शून्य ऊपर है तो ट्रेड ऊपर है। अगर शुन्य। नीचे है तो ट्रेड नीचे है। खरीदने के सिग्नल तब आते हैं जब एम ए डी सी शुन्य के ऊपर चला जाता है। और बेचने के सिग्नल तब आते हैं जब एम ए डी सी शुन्य के नीचे चला जाता है।

5- ए डी क्स् ADX –

यह एक बहुत ही उपयोगी ओर बेहतरीन Indicator है जो लोग इंट्राडे ट्रेडिंग करते है उन के लिए तो यह बहुत उपयोगी माना जाता है।

यह Indicator हमे किसी भी स्टॉक के ट्रेंड की जानकारी देता ही है की uptrend है या downtrend या फिर sideways है इसके साथ–साथ यह indicator हमे यह भी बताता है कि ट्रेन्ड कितना मजबूत है और कितनी देर तक स्टॉक में यह ट्रेन्ड बना रह सकता है ।

इसमें भी चार्ट पर 0 से 100 तक का भाव होता है और किसी भी स्टॉक का भाव इसी के बीच चलता है और समय–समय पर हमें ट्रेन्ड के संकेत मिलते रहते हैं।

और इन्हीं संकेतों के आधार पर हम अपनी ट्रेडिंग कर सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर -बेस्ट 10 इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर इन हिन्दी

निष्कर्ष (Conclusion) –

आज हमने इस लेख के जरिए Trading Indicator क्या है 5 Best Trading Indicator 2022 के बारे मे जाना ओर समझा आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताए ओर इससे जुड़ा आपका कोई भी सवाल हो तो आप हमे कमेन्ट करके पूछ सकते है ओर इसके साथ ही इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले धन्यवाद ।

Digital Rupee: क्या है E-Rupee आम रुपए से कैसे होगा अलग, आपके लिए क्या है खास

RBI ने डिजिटल रुपया जिसे ई-रूपी भी कहा जाता है उसका concept नोट जारी किया. साथ ही साथ ये भी साझा किया कि CBDC 2022 यूनियन बजट में लॉन्च किया जाएगा. आइये समझने की कोशिश करते हैं कि RBI का नया डिजिटल रुपया आम जनता पर कैसे असर डालेगा इसमें क्या खास होगा. ये प्रोसेस अभी डेवलपिंग स्टेज में ही है तो आगे कई बदलाव होने की संभावना है.

भारत अब ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर बनाएगा 15.6 किमी. दोहरी सुरंग, दिसम्बर से शुरू होगा काम

नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में चीन से गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत (India) पूर्वोत्तर की सीमा तक अपने सड़क बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है। इसके साथ ही अब मोदी सरकार इसी साल के अंत में दिसम्बर से ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) में पानी के भीतर रणनीतिक महत्व की 15.6 किलोमीटर लंबी जुड़वां सड़क सुरंग (tunnel) बनाने जा रही है। केंद्र सरकार (central government) और सैन्य संचालन निदेशालय (military operations directorate) ने भी इस परियोजना पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। लगभग 12,807 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट से न केवल असम राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा होगी बल्कि इस सुरंग के जरिए अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की कनेक्टिविटी देश के अन्य हिस्सों से और मजबूत हो सकेगी।

बीते वर्षों में कई बार ऐसी खबरें आईं हैं कि तिब्बत स्वायत्त इलाके से निकलने वाली यारलंग जांग्बो नदी का जल प्रवाह रोकने के उद्देश्य से चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास स्थित तिब्बत के मेडोग काउंटी में बांध का निर्माण कर रहा है। यह यारलंग जांग्बो नदी भारत के असम में आने पर ब्रह्मपुत्र नदी बनती है और असम से होकर बांग्लादेश में जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध बन जाने के बाद भारत, बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देशों को सूखे और बाढ़ दोनों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि चीन अपनी मनमर्जी से कभी भी बांध का पानी रोक सकता है या बांध के दरवाजे खोल सकता है। ऐसी स्थिति में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जल की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है। ब्रह्मपुत्र को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के लिए जीवन का आधार माना जाता है और लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर अपनी ट्रेडिंग योजना को कभी रिवर्स न करें निर्भर हैं।

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चीन की तरफ से पैदा की जा रही इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर 15.6 किलोमीटर लम्बी जुड़वां सुरंग बनाने की तैयारी कर रहा है। सबसे पहले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने ब्रह्मपुत्र नदी पर सुरंग निर्माण की योजना बनाई थी, लेकिन बीआरओ ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नहीं तैयार की थी। इस बीच सड़क मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से परियोजना पर सहमति ले ली और राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को हरी झंडी दे दी क्योंकि इसकी डीपीआर उन्नत चरण में है। एक सितम्बर को सड़क सचिव गिरिधर अरमाने की अध्यक्षता में हुई बैठक में एनएचआईडीसीएल को सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के लिए एक मसौदा नोट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद एनएचआईडीसीएल ने जुड़वां सुरंग की भूभौतिकीय अध्ययन का मसौदा सड़क मंत्रालय को सौंप दिया है।

रणनीतिक महत्व के कारण इस परियोजना पर केंद्र सरकार और सैन्य संचालन निदेशालय ने भी अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इस परियोजना की लागत 12,807 करोड़ रुपये होगी और ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन की सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीनों से किया जाएगा। काम शुरू होने के बाद दो साल में इसके पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना को पूरी तरह से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एनएच 54 से एनएच-37 को जोड़ने वाली इस फोर लेन टनल से अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी और मजबूत हो सकेगी। इस खास सुरंग को ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे गोहपुर से नुमालीगढ़ तक बनाया जाएगा। टनल का निर्माण कार्य इस साल के दिसंबर महीने में शुरू हो जाएगा।

एनएचआईडीसीएल के मुताबिक दुर्घटना या किसी अन्य आपात स्थिति के मामले में निकासी में मदद के लिए दोनों सुरंगों को आपस में जोड़ा जाएगा। वाहनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सुरंगों में एक विद्युत सबस्टेशन, सेंसर और सीसीटीवी होंगे। नदी तल से 22 मीटर नीचे बनाई जाने वाली दो सुरंगों में से प्रत्येक में यातायात के लिए दो लेन होंगी। परियोजना की कुल लंबाई लगभग 33 किमी. होगी, जिसमें 15.6 किमी सुरंग और राजमार्ग से जुड़ने के लिए 18 किमी. की पहुंच वाली सड़कें शामिल हैं। चार लेन की सुरंग में दो ट्यूब्स के अंदर 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। इस सुरंग से अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा तक सैन्य वाहन, रसद और सामरिक वस्तुओं की आपूर्ति कराई जा सकेगी।

दरअसल एनएचआईडीसीएल ने गोहपुर और नुमालीगढ़ को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र पर चार लेन का पुल बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन युद्ध या किसी अन्य बाहरी परिस्थितियों के मामले में रणनीतिक रूप से अधिक उपयोगी मानते हुए 2019 में एक जुड़वां ट्यूब सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया। अब तक नुमालीगढ़ से गोहपुर तक लगभग 223 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग छह घंटे लगते हैं। काजीरंगा वन्यजीव अभ्यारण्य से सटी दो लेन की सड़क ज्यादा घुमावदार होने से यात्रा में अधिक समय लगता है। नदी के नीचे सुरंग बनने के बाद नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच की दूरी 35 किमी. तक कम हो जाएगी और एक घंटे से भी कम समय लगेगा। यह परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण की ओर के बीच संपर्क में सुधार करेगी और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अधिक आर्थिक विकास होगा।

21 कमाल की वेबसाइट जिनके बारे में आपको जानना चाहिए

इंटरनेट पर ऐसी बहुत सारी वेबसाइट है जो बहुत कमाल की है और बहुत फायदेमंद भी है ऐसी ही 21 वेबसाइट आप इस आर्टिकल में देखेंगे

21 कमाल की वेबसाइट जिनके बारे में आपको जानना चाहिए

1. Remove.bg : यह AI पावर्ड वेबसाइट आपको इमेज से बैकग्राउंड हटाने में मदद करती है। आप इसकी सटीकता पर विश्वास नहीं करेंगे। यह वेबसाइट आपके कई घंटे बचा सकती है (यह एक मेरी व्यक्तिगत पसंदीदा साइट है)।

2. Fast.com : आप अपने फोन के नेटवर्क की इंटरनेट स्पीड मापने के लिए इस वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं। कोई एप्लिकेशन इंस्टॉल करने की आवश्यकता नहीं है :)

3. Websiteoutlook.com : आप इस वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं, एलेक्सा रैंक, प्रतिदिन किस वेबसाइट पर कितने लोग आते है सारी जानकारी यहाँ है।

4. Tineye.com : आप इस वेबसाइट का उपयोग रिवर्स इमेज सर्च के लिए कर सकते हैं या आप रिवर्स इमेज सर्च का उपयोग कर सकते हैं Reverse Image Search . दोनों अच्छे हैं। (आप डेस्कटॉप साइट पर स्विच करने के बाद अपने फोन में Google रिवर्स इमेज सर्च का उपयोग कर सकते हैं)

5. http://Screenshot.guru : मोबाइल और डेस्कटॉप पर वेबपृष्ठों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्क्रीनशॉट लेंने के लिए इस साइट का उपयोग कर सकते हैं।

6. privnote.com : यह वेबसाइट आपको ऐसे नोट्स भेजने में मदद करती है जो पढ़ने के बाद खुद नष्ट हो जाते हैं।

7. pdfescape.com : यह वेबसाइट आपको पीडीएफ फाइलों को संपादित करने, पीडीएफ फॉर्म बनाने और संपादित करने में मदद करती है, पीडीएफ फाइलों को पासवर्ड से सुरक्षित भी कर सकते है।

8. pixabay.com : इस वेबसाइट में 1.6 मिलियन रॉयल्टी तस्वीरें हैं, जिन्हे आप फ्री में डाउनलोड कर सकते है।

9. Mailinator.com : आपके द्वारा देखी जाने वाली लगभग हर वेबसाइट आपको ईमेल पते का उपयोग करके साइन-अप करने के लिए कहती है। मेलिनेटर एक मुफ्त सेवा है जो आपको एक ईमेल पता देती है जो कुछ घंटों के बाद स्वचालित रूप से नष्ट हो जाता है। आप किसी भी वेबसाइट पर अपने खाते को सक्रिय करने के लिए इस ईमेल आईडी का उपयोग कर सकते हैं और आपको अपने जीवन में कभी भी स्पैम आने की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

10. Accountkiller.com : ये वेबसाइट आपको आपके सोशल मीडिया पे बने एकाउंट्स को मिटने में मदद करती है।

11. virusscan.jotti.org : यह वेबसाइट आपके कई एंटी-वायरस प्रोग्राम के साथ संदिग्ध फाइलों को आसानी से स्कैन करती है।

12. unfurlr.com : यह वेबसाइट एक छोटी लिंक के पीछे छिपे मूल URL को दिखा देती है।

13. Getemoji.com : इस वेबसाइट पर लाखो की तादाद में अलग अलग इमोजी है जो आपके कीबोर्ड में भी नहीं है। आप किसी भी इमोजी को आसानी से कॉपी करके कही भी पेस्ट कर सकते है।

14. cvmkr.com : यदि आप डिजाइनिंग में अच्छे नहीं हैं और अपने लिए एक अच्छी सीवी बनाना चाहते हैं, तो आपको इसे एक बार आज़माना चाहिए। अपनी जानकारी प्रदान करें और वे स्वचालित रूप से सुंदर सीवी बना देगी।

15. Airhorner.com : कहीं भी बजाने और मज़े करने के लिए अपने ब्राउज़र में बस एक साधारण एयर हॉर्न: -)

16. Unsplash.com : कहीं भी उपयोग करने के अपनी ट्रेडिंग योजना को कभी रिवर्स न करें लिए रॉयल्टी मुक्त छवियों की असीमित और विशाल रेंज। इनके पास वास्तव में कुछ बहुत ही बेहतरीन वॉलपेपर हैं और आपको कहीं भी उनका उपयोग करने के लिए कॉपीराइट के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

17. smaller-pictures.appspot.com : आप अपनी तस्वीरो को सीधे अपने ब्राउज़र में, कहीं भी, कभी भी, छोटा कर सकते है जिसके लिए ऐप डाउनलोड करने की आवश्यकता भी नहीं है।

18. About.me : आप इस वेबसाइट की मदद से अपने बारे में एक होमपेज आसानी से बना सकता है और उसके यूआरएल को कही भी साँझा कर सकते है।

19. y2mate.com : यूट्यूब वीडियो को डाउनलोड करे और उन्हें MP3 में भी बदल सकते है।

20. File.pizza : यह किसी को फ़ाइल भेजने का एक अलग तरीका है। आपकी फ़ाइलों को कभी भी संग्रहीत नहीं किया जाता है, जिस व्यक्ति को आप किसी भी विशिष्ट फाइल को भेजना चाहते हैं वह सीधे आपकी तरफ से सहकर्मी से सहकर्मी फ़ाइल स्थानांतरण के रूप में डाउनलोड करेगा।

COP26: ग्लास्गो से पहले G20 समिट, धरती को बचाने के लिए क्यों है अहम

Climate change : पेरिस समझौतों के लक्ष्य को पाने लिए देश आगे दौड़ने की बजाय पीछे की ओर जा रहे हैं.

COP26: ग्लास्गो से पहले G20 समिट, धरती को बचाने के लिए क्यों है अहम

ग्लास्गो (Glasgow) क्लाइड नदी (Clyde River) के किनारे बसा है, ये कभी स्कॉटलैंड के औद्योगिक गौरव के लिए जाना जाता था वहीं अब ये ग्रीन एनर्जी (Green Energy) ट्रांजिशन के लिए एक लॉन्चपैड के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है. यही खासियत इस शहर को संयुक्त राष्ट्र (UN) के जलवायु सम्मेलन (Climate Conference) COP26 के लिए उपयुक्त शहर बनाती है. ग्लास्गो में ही क्लाइमेट समिट के दौरान दुनिया के नेता एकजुट होंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि वे अपने देश में जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को किस तरह से कम करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी के रूप में मैं (रेचेल काइट) कई वर्षों से जलवायु वार्ता में शामिल रहा हूं और 31 अक्टूबर 2021 से शुरू होने वाली वार्ता के लिए मैं ग्लासगो में भी रहूंगा. जैसे-जैसे अभी तक बातचीत हुई है उसे देखते हुए यहां जानिए कि इस बैठक में क्या अहम होगा.

एम्बिशन

2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन में शामिल हुए देशों ने ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री (3.6 फैरेनहाइट) से कम रखने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें 1.5 डिग्री (2.7 फैरेनहाइट) का लक्ष्य तय किया गया था. ऐसे में यदि COP21 लक्ष्य के लिए गया समझौता था तो COP26 उस लक्ष्य को हमने किया पाया,इसकी समीक्षा और उसके अनुसार आगे की योजना बनाने का मौका है.

लेकिन इन सबके बीच बुरी अपनी ट्रेडिंग योजना को कभी रिवर्स न करें खबर यह है कि समिट में शामिल होने वाले देश सही दिशा में नहीं हैं. वे पटरी से उतर रहे हैं. उन्हें इस वर्ष नये एक्शन प्लान सब्मिट करने की जरूरत थी. एक्शन प्लान को नेशनल डिटरमाइन्ड कंट्रीब्यूशन्स या NDCs के नाम से भी जाता है.

ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से कुछ ही दिनों पहले जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया इस सदी में, वैश्विक तापमान में कम से कम 2.7 डिग्री सेल्सियस (4.86 फैरेनहाइट) की वृद्धि की ओर बढ़ रही है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्ट

ऐसे में सभी की नजरें G-20 पर टिकी हुई हैं. जी-20 दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है. वैश्विक उत्सर्जन में इसकी 80 फीसदी हिस्सेदारी है. इस समूह की वार्षिक बैठक COP 26 से ठीक पहले 30-31 अक्टूबर को रोम में आयोजित हो रही है.

भारत सहित कुछ जी 20 देशों ने अभी तक अपने अपडेटेड प्लान सब्मिट नहीं किए हैं. वहीं ब्राजील, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और रूस ने ऐसे प्लान सब्मिट किए हैं जो पेरिस समझौते के अनुसार ठीक नहीं हैं. इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ये सही ट्रैक में नहीं हैं.

अब जाकर ये डिटेल्स सामने आ रही हैं कि चीन अपने जलवायु लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेगा. जैसे चीन अपने 2030 उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को कैसे मजबूत करेगा, वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की प्रति यूनिट 65 प्रतिशत उत्सर्जन में कटौती भी शामिल है और चीन ने उस तारीख को भी आगे बढ़ा दिया है जिसमें उसने कहा कि देश में कब उत्सर्जन चरम पर होगा. वहीं अन्य ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कि मीथेन के लिए औद्योगिक उत्पादन लक्ष्य निर्धारित करना भी इसमें शामिल है.

भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 30 प्रतिशत तक घटाएगा : जावड़ेकर

भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 30 प्रतिशत तक घटाएगा : जावड़ेकर

पिछले 200 वर्षों में सालाना कार्बन उत्सर्जन कैसे बढ़ा?

संयुक्त राज्य अमेरिका US और चीन की नाजुक रणनीति व फ्रांस की चतुर कूटनीति ने 2015 में पेरिस जलवायु समझौते तक पहुंचने में अहम थी. लेकिन 6 साल बाद इनके बीच बढ़ते तनाव की वजह से अब चीजें आगे बढ़ने की बजाय पीछे की ओर जा रही हैं.

इन सबके बीच दुनिया निगाहें अमेरिका की तरफ भी होंगी. जहां दो डेमोक्रेटिक सीनेटर, वेस्ट वर्जीनिया के जो मैनचिन और एरिजोना के किर्स्टन सिनेमा ने बाइडेन प्रशासन की योजना का विरोध किया है ताकि इनसेन्टिवाइज्ड यूटिलिटीज को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में और अधिक तेजी से स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

यदि उनकी पर्यावरणीय कमजोरी राष्ट्रपति जो बिडेन की योजना ए के उस महत्वपूर्ण हिस्से को नष्ट कर देती है तो दुनिया ग्लासगो में प्लान बी, सी, या डी की बारीकियों को देखना चाहेगी जिससे कि यह पता चलेगा कि आखिर अमेरिका अपने 2030 कार्बन टारगेट को कैसे पूरा करेगा.

कार्बन मार्केट्स

पेरिस सम्मेलन से एक बचा हुआ कार्य कार्बन बाजारों के लिए नियम निर्धारित करना है, विशेष रूप से कैसे देश एक दूसरे के साथ या एक देश और एक प्राइवेट कंपनी के बीच कार्बन क्रेडिट का व्यापार (ट्रेड) कर सकते हैं.

यूरोपीय संघ से लेकर चीन तक, कार्बन बाजारों को रेगुलेट किया जाता है. स्वैच्छिक बाजार आशावाद और चिंता दोनों को बढ़ावा दे रहे हैं. कार्बन बाजारों को यह गारंटी देने के लिए नियंत्रित किया जाना चाहिए कि वे विकासशील देशों को अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए नकद प्रदान करते हुए उत्सर्जन को कम करें. कार्बन बाजार, अगर सही तरीके से किया जाए, तो शुद्ध शून्य उत्सर्जन में ट्रांजिशन को तेज कर सकता है. ग्रीनवाशिंग, यदि गलत तरीके से किया जाता है, तो सरकार और कॉर्पोरेट प्रतिबद्धताओं में जनता का विश्वास कम हो जाएगा.

एक अन्य कार्य यह निर्धारित करना है कि देश अपने उत्सर्जन में कमी को कैसे मापते हैं और रिपोर्ट करते हैं और वे एक दूसरे के साथ कितने पारदर्शी हैं. ग्रीनवाशिंग को पीछे छोड़ने के लिए यह भी मूलभूत है.

इसके अलावा, उत्सर्जन को कम करने और ठोस प्रगति की रिपोर्ट के लिए बेहतर योजनाओं के साथ एक या दो साल में देशों पर दबाव देखने की उम्मीद है.

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