क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप क्या है अर्थ और उदाहरण
क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप का क्या अर्थ है?: एक क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) एक प्रकार का क्रेडिट डेरिवेटिव है, जो उस स्थिति में एक ऋणदाता की रक्षा करना चाहता है जो उधारकर्ता डिफ़ॉल्ट के जोखिम को स्वैप करके चूक करता है। दूसरे शब्दों में, यह एक प्रकार का बीमा है जो स्वैप के खरीदार को बीमा कंपनी पर डिफ़ॉल्ट के जोखिम को स्थानांतरित करके अपने निवेश (उधारकर्ता को पैसा उधार देना) के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप का क्या अर्थ है?
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप की परिभाषा क्या है? एक सीडीएस में, दो प्रतिपक्ष सुरक्षा की परिपक्वता तक आवधिक आय भुगतान के लिए एक निश्चित आय सुरक्षा द्वारा किए गए डिफ़ॉल्ट के जोखिम का व्यापार करते हैं। सुरक्षा धारक उस जोखिम से सुरक्षा चाहता है जो जारीकर्ता डिफ़ॉल्ट कर सकता है।
प्रतिपक्ष मानता है कि जारीकर्ता डिफ़ॉल्ट नहीं होगा और उसे आय भुगतान से लाभ का एहसास होगा। यदि बांड जारीकर्ता चूक करता है, तो प्रतिपक्ष सुरक्षा धारक को सममूल्य और शेष ब्याज का भुगतान करेगा। एक सीडीएस में नगरपालिका बांड, बंधक-समर्थित-प्रतिभूतियां (एमबीएस), कॉर्पोरेट बांड और उभरते बाजार बांड शामिल हो सकते हैं। निवेशक डिफ़ॉल्ट के जोखिम से बचाव के लिए, सट्टा उद्देश्यों के लिए और आर्बिट्रेज लाभ के लिए क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप खरीदते हैं।
आइए एक उदाहरण देखें।
उदाहरण
मार्क के पास कंपनी ए द्वारा जारी 20 साल का बॉन्ड है। बॉन्ड का बराबर मूल्य $1,000 है और यह 8.5% के वार्षिक कूपन ब्याज का भुगतान करता है। मार्क एक निवेशक के रूप में ज्यादा नहीं है, और वह नहीं जानता कि बाजार की चाल का मूल्यांकन कैसे किया जाए। जोखिम से बचने के कारण, उसे डर है कि बांड जारीकर्ता चूक सकता है और मार्क अपना पैसा खो देगा।
मार्क अपने सबसे अच्छे दोस्त, एलेक्स के साथ एक क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप में प्रवेश करता है, और उसे सालाना $ 80 का भुगतान करने के लिए सहमत होता है, जो कि उसके बांड पर वार्षिक ब्याज भुगतान है। एलेक्स मार्क को बांड के बराबर मूल्य का भुगतान करेगा। यदि बांड जारीकर्ता परिपक्वता तक चूक नहीं करता है, तो एलेक्स को 20 वर्षों के लिए $80 वार्षिक भुगतानों से लाभ का एहसास होगा, अर्थात $1,600। यदि बांड जारीकर्ता चूक करता है, तो एलेक्स बांड पर शेष ब्याज को मार्क का भुगतान करेगा।
बांड धारक मार्क को बांड जारीकर्ता के संभावित डिफ़ॉल्ट के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी। प्रतिपक्ष एलेक्स, डिफ़ॉल्ट के क्रेडिट जोखिम को संभालने के लिए ब्याज भुगतान प्राप्त करेगा।
सारांश परिभाषा
क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप को परिभाषित करें: सीडीएस का मतलब एक वित्तीय साधन है जो ऋणदाता को अपने कर्ज का भुगतान नहीं करने की स्थिति में बीमा प्रदान करता है।
क्या है विलय या अधिग्रहण में इस्तेमाल होने वाली शेयर स्वैप डील?
उचित स्वैप रेशियो तय करने के लिए दोनों कंपनियों के शेयरों का सटीक मूल्य निकाला जाता है.
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3. उचित स्वैप रेशियो तय करने के लिए दोनों कंपनियों के शेयरों का सटीक मूल्य निकाला जाता है. उसके बाद उनकी अदला-बदली का अनुपात तय किया जाता है. उदाहरण के लिए 3 के बदले एक (3-फॉर-1 एक्सचेंज) अनुपात का मतलब यह है कि पहली कंपनी के 150 शेयरों के साथ दूसरी कंपनी के 50 शेयरों की अदला-बदली होगी.
4. विलय-अधिग्रहण का कोर्इ सौदा पूरी तरह से शेयर बदला-बदली के जरिये हो सकता है. या फिर इसका इस्तेमाल कुछ नकद भुगतान के साथ किया जा सकता है.
5. कैश ट्रांजैक्शन के उलट शेयर स्वैप डील में खरीदने वाली कंपनी और बिकने वाली कंपनी दोनों के शेयरधारक तालमेल का बराबर जोखिम उठाते हैं.
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फर्जी सिम के जरिए अपराधी खाली कर सकते हैं आपका बैंक अकाउंट, बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
पिछले कुछ समय में बैंक धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं. अपराधी लोगों के साथ फ्रॉड करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से एक तरीका सिम स्वैप (SIM Swap) भी है.
अपराधी लोगों के साथ फ्रॉड करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से एक तरीका सिम स्वैप (SIM Swap) भी है.
कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौर में लोग अपना ज्यादातर समय स्मार्टफोन (Smartphone) या लैपटॉप पर बिताते हैं. ऐसे में लोग अपना बैंक (Bank) से जुड़ा कामकाज भी ऑनलाइन करते हैं. साइबर अपराधी भी अब इसका फायदा उठा रहे हैं. वे लोगों को झांसे में फंसाकर कुछ मिनटों में उनका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं. पिछले कुछ समय में बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) के मामले तेजी से बढ़े हैं. अपराधी लोगों के साथ फ्रॉड करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से एक तरीका सिम स्वैप (SIM Swap) भी है. आइए जानते हैं कि स्वैप क्या है? सिम स्वैप क्या है और इससे कैसे बचा सकता है.
सिम स्वैप क्या है?
मोबाइल फोन बैकिंग के लिए एक आसान माध्यम है. व्यक्ति को मोबाइल के जरिए अकाउंट से संबंधित अलर्ट, वित्तीय ट्रांजैक्शन करने के लिए वन टाइम पासवर्ड (स्वैप क्या है? OTP), यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर (URN), 3 डी सिक्योर कोड आदि मिलते हैं.
सिम स्वैप या एक्सचेंज के तहत, अपराधी आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के लिए मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के जरिए नया सिम कार्ड जारी करा लेता है. नए सिम कार्ड की मदद से, अपराधी को आपके बैंक अकाउंट के जरिए वित्तीय ट्रांजैक्शन करने के लिए जरूरी URN/OTP और स्वैप क्या है? अलर्ट मिल जाते हैं.
ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है | What is Swapping in OS in Hindi
क्या आप जानना चाहते है, ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi), स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाएॅ इस्तेमाल किया जाता है और ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ हैं।
तो चलिए स्वैपिंग के बारे में बिस्तार से जानते है ।
Table of Contents
ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi ) ?
स्वैपिंग का हिन्दी अर्थ अदला-बदली है ।
स्वैपिंग एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है और इसका उपयोग स्वैप क्या है? कंप्पूटर सिस्टम की मुख्य मेमोरी से निष्क्रिय प्रोग्राम को अस्थायी रूप से हटाने के लिए किया जाता है ।
किसी भी प्रक्रिया को इसके निश्पादन के लिए मेमोरी में होना चाहिए, लेकिन अस्थायी रूप से मेमोरी से बैकिंग स्टोर में स्वैप किया जा सकता है और फिर इसके निष्पादन को पूरा करने के लिए मेमोरी में वापस लाया जा सकता है ।
स्वैपिंग इसलिए की जाती है ताकि अन्य प्रक्रियाओं को उनके निष्पादन के लिए मेमोरी मिल जाए ।
स्वैपिंग प्रक्रिया स्वैप क्या है? को मेमारी संघनन की तकनीक के रूप में भी जाना जाता है । मूल रूप से, कम प्राथमिकता वाली प्रक्रियाओं की स्वैपिंग की जा सकती है ताकि उच्च प्राथमिकता वाली प्रक्रियाओं को लोड और निष्पादित किया जा सके ।
स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाए इस्तेमाल किया जाता है ?
स्वैपिंग तकनीक में मुख्य रूप में दो अवधारणाएॅ स्वैप इन (Swap In) और स्वैप आउट (Swap Out) का इस्तेमाल किया जाता है ।
Swap In : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी भी प्रक्रिया को हार्ड डिस्क से हटा दिया जाता है और मुख्य मेमोरी या रैम में रखा जाता है उसे आमतौर पर स्वैप इन के रूप में जाना जाता है ।
Swap Out : स्वैप आउट मुख्य मेमोरी या रैम से एक प्रक्रिया को हटाने और फिर इसे हार्ड डिस्क में जोड़ने की विधि है ।
स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ है (Benefits of Swapping Technique ) ?
स्वैपिंग तकनीक के उपयोग का कोई लाभ है, जिसका मुख्य लाभ इस प्रकार है :-
- स्वैपिंग तकनीक मुख्य रूप से सीपीयू को एक ही मुख्य मेमोरी के भीतर कई प्रक्रियाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है ।
- स्वैपिंग तकनीक वर्चुअल मेमोरी बनाने और उपयोग करने में मदद करती है ।
- इस तकनीक को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्राथमिकता आधारित शेडयूलिंग पर आसानी से लागू किया जा सकता है ।
- इस तकनीक की मदद से सीपीयू एक साथ कई काम कर सकता है । इस प्रकार, प्रक्रियाओं को उनके निष्पादन से पहले बहुत अधिक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है ।
निर्ष्कष – Conclusion
मुझे आशा है, इस पोष्ट से आपने ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi), स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाएॅ इस्तेमाल किया जाता है और स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ है, इसके बारे में अच्छे से सीख लिया हैं ।
अगर फिर Swapping के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट करके पुछ सकते है ।
क्या है बैटरी स्वैपिंग? इलेक्ट्रिक वाहन यूज करने वालों को होंगे ये फायदे
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के पीछे सरकार का ये उद्देश्य है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेजी से किया जा सके. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को लगाने में चार्जिंग स्टेशन की तुलना में जगह भी कम लगती है.
Published: August 29, स्वैप क्या है? 2022 11:13 AM IST
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड बढ़ रही है. बेशक इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत अभी काफी स्वैप क्या है? ज्यादा है लेकिन इसके अलावा जो बड़ी मुश्किल है वो इनकी रेंज और चार्जिंग में लगने वाले टाइम को लेकर है. हालांकि लोग चार्जिंग को लेकर टेंशन फ्री हो सकें इसके लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार और कंपनियां भी काम कर रही हैं. इसके लिए सरकार बैटरी-स्वैपिंग पॉलिसी पर काम कर रही है.
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बैटरी स्वैपिंग का ड्राफ्ट तैयार है और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. इसके बाद बहुत सी चीजें और क्लियर हो जाएंगी और लोगों को कई नई सुविधाएं मिलने लगेंगी. यही वजह है कि बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. तो चलिए समझते हैं कि कैसे काम करेगी बैटरी स्वैपिंग और इससे लोगों को क्या फायदा होगा…
बैटरी स्वैपिंग?
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के तहत वाहन मालिक अपने टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर की डिस्चार्ज हो चुकी बैटरी को चार्जिंग स्टेशन जाकर बदले में फुल चार्ज बैटरी पा सकेंगे.
हालांकि बैटरी स्वैपिंग का उपयोग छोटे वाहनों जैसे कि इलेक्ट्रिक स्कूटर और इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. दरअसल कार में बैटरी का फॉर्मेट, टेक्नॉलॉजी आदि अलग तरह से डिजाइन वाला इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में उनकी बैटरी में समानता लाने में कई तरह की मुश्किलें मालूम पड़ती हैं. इसलिए बैटरी स्वैपिंग का फायदा इलेक्ट्रिक कार इस्तेमाल करने वालों को नहीं मिल पाएगा.
एक बात ध्यान देने वाली ये है कि बैटरी स्वैपिंग में जरूरी नहीं कि सभी टू-व्हीलर्स या थ्री-व्हीलर्स की बैटरी को आप बदल पाएं. क्योंकि कुछ कंपनियां अभी की तरह फिक्स डिजाइन वाली बैटरी भी दे सकती हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकेगा. उन लोगों के पास सिर्फ चार्ज करने का ही विकल्प होगा.
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का उद्देश्य
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के पीछे सरकार का ये उद्देश्य है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेजी से किया जा सके. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को लगाने में चार्जिंग स्टेशन की तुलना में जगह भी स्वैप क्या है? कम लगती है.
सेफ्टी
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के बाद वाहनों की बैटरी मौजूदा बैटरी की तुलना में अधिक सुरक्षित हो जाएंगी. ड्राफ्ट पॉलिसी में कहा गया है कि बैटरियों को AIS 156 (2020) और AIS 038 रेव 2 (2020) मानकों के अनुसार टेस्ट और प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा.
बैटरी की चोरी आदि रोकने के लिए स्वाइपेबल बैटरी को बैटरी मॉनिटरिंग सिस्टम, रिमोट मॉनिटरिंग और इमोबिलाइजेशन जैसे एडवांस फीचर्स से लैस किया जाएगा.
एक जैसी होंगी बैटरी
बैटरी स्वैपिंग नीति के अनुसार एक अनिवार् नियम होगा कि बैटरियों का वजन 1 kWh की क्षमता के साथ 10 किलोग्राम से अधिक न हो. इससे बैटरी को उठाना, रखना, बदलना आसान होगा. अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक बैटरियों का लुक और डिजाइन बेलनाकार हो सकता है.
बैटरी स्वैपिंग से लोगों को तुरंत ही फुल चार्ज बैटरी मिल सकेगी. इससे लोग टेंशन फ्री होकर इलेक्ट्रिक वाहन को इस्तेमाल कर सकेंगे.
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