हालांकि चीन और रुस जैसे बड़े देश भी अपनी करेंसी को वैश्विक करेंसी बनाने की पूर्जोर मेहनत कर रहे है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा होने से उनके देश की आर्थिक स्थिति ओर भी मजबूत हो जाएगी। जिस कारण चीन काफी समय से नई वैश्विक मुद्रा की मांग उठा रहा है। और शायद चीन आने वाले समय में कामयाब भी हो जाए क्योंकि साल 2016 में चीन की करेंसी यूआन दुनिया की डॉलर और यूरो के बाद एक ओर बड़ी करेंसी बनकर उभरी थी ।जिस वजह से चीन लगातार अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगा डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों हुआ हैं।
EUR/USD - यूरो अमरीकी डॉलर
EUR USD (यूरो बनाम अमरीकी डॉलर) के बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।
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EUR/USD - यूरो अमरीकी डॉलर समाचार
पीटर नर्स डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों द्वारा Investing.com - अमेरिकी शेयर शुक्रवार को भारी नुकसान के साथ खुलते हुए दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि फेडरल रिजर्व के तेजतर्रार रुख के परिणामस्वरूप गंभीर आर्थिक मंदी.
पीटर नर्स द्वारा Investing.com - फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के आक्रामक संदेश के बाद पिछले सत्र की कमजोरी को जारी रखते हुए अमेरिकी शेयरों में गुरुवार को काफी कम गिरावट देखी.
जेफ्री स्मिथ द्वारा Investing.com - वैश्विक बाजार फेडरल रिजर्व की इस चेतावनी को स्वीकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि वह अगले वर्ष ब्याज दरों को 5% से अधिक बढ़ा देगा। डॉलर अभी.
EUR/USD - यूरो अमरीकी डॉलर विश्लेषण
बाजार में अधिक कीमत वाले फेडरल रिजर्व पिवट हो सकते हैं चार्ट प्रमुख स्तरों के आसपास USD/JPY पर 'ओवरसोल्ड' स्थितियों की ओर इशारा करते हैं फेड और बीओजे के बीच अभी भी बढ़ते नीति.
यूरोज़ोन कोर सीपीआई रिकॉर्ड पर बना हुआ है प्रमुख यूएस मैक्रो डेटा आने वाला है EUR/USD परीक्षण 200-दिन EUR/USD पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि यह एक प्रमुख तकनीकी क्षेत्र के.
यू.एस. Dollar 28 सितंबर को चरम पर था, 115.00 से कम। एक और 5.5% की वृद्धि विश्व आरक्षित मुद्रा को फरवरी 1986 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर ले गई होगी, सितंबर 1985 के तत्कालीन G5.
तकनीकी सारांश
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वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर पहुंचा
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस भंडार से मदद ले रहा है. एक साल डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों पहले अक्टूबर, 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. The post भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर पहुंचा appeared first on The Wire - Hindi.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस भंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था.
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों अरब डॉलर रह गया. इसका कारण स्वर्ण भंडार में आई भारी गिरावट है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों
दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया. इसकी प्रमुख वजह देश के स्वर्ण भंडार में आई भारी गिरावट है. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 531.08 अरब डॉलर हो गया था, जो वर्ष के दौरान किसी एक सप्ताह में आई सबसे अधिक तेजी थी.
एक साल डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों पहुंच गया था. देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है.
रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार चार नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गयीं. डॉलर में दर्शाए जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों यानि फॉरेन करंसी एसेट्स में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर डॉलर मुद्रा के मूल्य में आई कमी या बढ़त के प्रभावों को दर्शाया जाता है.
आख़िर डॉलर क्यों है ग्लोबल करेंसी?
जैसा की हम सभी जानते है कि इन दिनों भारत की करेंसी रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है इसे पहले आज तक रुपया डॉलर के मुकाबले कभी इतना कमजोर नहीं हुआ। आज एक रुपये की कीमत 75 डॉलर हो गई है। हालांकि सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर की कई करेंसी डॉलर के मुकाबले गिरी है जिसका एक मुख्य कारण तेल की बढ़ती कीमत और विश्व बाजार की स्थिति है।
लेकिन आज हम इस बारे में बात नहीं करने वाले है कि रुपया क्यों कमजोर हो रहा है या विश्व बाजार में ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो रही है बल्कि आज हम इस बारे में जानकारी देने वाले है कि अमेरिका की करेंसी डॉलर को ही वैश्विक मुद्रा का दर्जा प्राप्त क्यों है यानी कि किसी भी देश की करेंसी को डॉलर के साथ ही क्यों मापा जाता है? क्या इसकी वजह ये है कि अमेरिका इस समय दुनिया का सबसे विकसित देश है या फिर कोई ओर वजह है चलिए आपको बताते है।
आख़िर डॉलर क्यों है ग्लोबल करेंसी? – Why the Dollar is the Global Currency
डॉलर आज के समय में एक वैश्विक मुद्रा – Global Currency बन गई है। जिसकी एक बड़ी वजह ये है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंको में अमेरिकी डॉलर स्वीकार्य है। और रिपोर्टस की माने तो दुनियाभर में देशों के बीच दिए जाने वाले 39 फीसदी कर्ज डॉलर में ही दिए जाते है। हालांकि डॉलर को हमेशा से वैश्विक मुद्रा का दर्जा प्राप्त नहीं था।
साल 1944 से पहले गोल्ड को मानक माना जाता था। यानी की दुनियाभर के देश अपने देश की मुद्रा को सोने की मांग मूल्य के आधार पर ही तय करते थे। लेकिन साल 1944 में ब्रिटेन में वुड्स समझौता हुआ। जिसमें ब्रिटेन के वुड्स शहर में दुनियाभर के विकसित देशों की एक बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया कि अमरीकी डॉलर के मुकाबले सभी मुद्राओँ की विनिमय दर तय की जाएगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा सोने के भंडार थे। जिस वजह से बैठक मे शामिल हुए दूसरे देशों ने भी सोने की जगह डॉलर को वैश्विक मुद्रा बनाने और डॉलर के अनुसार उनकी मुद्रा का तय करने की अनुमति दी।
देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर, विदेशी मुद्रा भंडार में हुई बढ़ोतरी
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते तेजी आई है. पिछले हफ्ते देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. आपको बता दें कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था.
देश का सोने का भंडार घटा
वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने की वजह से बाद में इसमें गिरावट आई थी. केंद्रीय बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 9 दिसंबर को खत्म हफ्ते में 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर हो गईं हैं. डॉलर में जाहिर किए जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्राओं में आई घट बढ़ के असर को भी शामिल किया जाता है.
इसके अलावा स्वर्ण भंडार का मूल्य समीक्षाधीन हफ्ते में 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर रह गया है. आंकड़ों के मुताबिक, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर हो गया है. समीक्षाधीन हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर हो गया है.
RBI के कदम से पड़ा असर
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था.
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