स्टॉक ब्रोकर दो तरह के होते हैं। एक फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर होते हैं तो अपने क्लाइंट्स को स्टॉक एडवाइजरी, मार्जिन मनी की सुविधा, ट्रेडिंग सुविधा और आईपीओ में इन्वेस्टमेंट की फैसिलिटी देते हैं। इनकी कस्टमर सर्विस काफी अच्छी मानी जाती है। वहीं, दूसरे होते हैं डिस्काउंट ब्रोकर। ये क्लाइंट के साथ बहुत कम ब्रोकरेज पर काम करते हैं। डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइंट को स्टॉक एडवाइजरी और रिसर्च की सुविधा नहीं देते हैं। ये अकाउंट खोलने से लेकर ट्रेडिंग में मदद करते हैं।

म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड

म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –

  • इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
  • इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
  • हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
  • डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं

शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।

एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है

एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है

एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है

एक पेशेवर होने का विचार तब होता है जब एक विशिष्ट गतिविधि आपके व्यवसाय और आजीविका को बनाए रखने का प्राथमिक साधन बन जाती है। उदाहरण के लिए, एक पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी को उनके कौशल एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग के स्तर के कारण पेशेवर नहीं माना जाता है, बल्कि इसलिए कि फुटबॉल खेलना उनकी आय का प्राथमिक स्रोत है। खेल में कुशल होने के नाते इसे नौकरी के रूप में करने की आवश्यकता है। जरूरी नहीं कि स्किल होना ही आपको प्रोफेशनल बनाता है। एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी के रूप में माना जाता है, इसी तर्क का पालन करता है, ट्रेडिंग फॉरेक्स उनकी आय का प्राथमिक स्रोत है।

कई लोग अपने दिन-नौकरी के पक्ष में एक शौक के रूप में विदेशी मुद्रा का व्यापार करते हैं। भले ही वे बहुत सफल हों, यह अकेले उन्हें एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी के रूप में योग्य नहीं बनाता है।

एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी की नई परिभाषा

एक पेशेवर का गठन करने वाले शब्दकोष की परिभाषा के अलावा, यूरोप में दलालों द्वारा पेश की जाने वाली एक उभरती हुई परिभाषा है। यह ईएसएमए के उत्पाद हस्तक्षेप उपायों का अनुसरण करता है जो 2018 में पेश किए गए थे। विवादास्पद उपायों के लिए आवश्यक है कि दलालों को खुदरा ग्राहकों को दिए गए उत्तोलन की मात्रा को सीमित किया जाए, अर्थात गैर-पेशेवर ग्राहक। विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए जो 1:30 (3.33%) से ऊपर अपने उत्तोलन को बढ़ाना चाहते थे, उन्हें खुद को एक पेशेवर विदेशी मुद्रा व्यापारी के रूप में घोषित करने की आवश्यकता थी।

पूरे यूरोप में लागू होने वाले ये उपाय केवल खुदरा ग्राहकों के लिए लागू हैं। इसका मतलब है कि पेशेवर, जैसे कि कंपनियां और विशिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले व्यक्तियों को छूट दी गई है।

ईएसएमए के अनुसार, एक एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग पेशेवर के रूप में माना जाने के लिए, आपको कुछ मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता है। सीधे शब्दों में कहें, ये मानदंड निम्नानुसार हैं;

जानिए कैसे काम करती है सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होती है इनसाइडर ट्रेडिंग!

जानिए कैसे काम करती है सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होती है इनसाइडर ट्रेडिंग!

आप अक्सर सोचते होंगे कि किसान अपनी फसल सड़क पर क्यों फेंक देते हैं? आखिर क्यों उन्हें फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती? अगर आप जान लेंगे कि सब्जी मंडी कैसे काम करती है तो आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे.

कृषि प्रधान देश भारत में किसान की हालत बेहद खराब है. सरकार से तमाम रियायतें मिलने के बावजूद यहां के किसानों को नुकसान होता है. कभी बारिश कम होने के चलते तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो जाती है. अगर सब कुछ अच्छा रहा और खेतों में भरपूर पैदावार हुई, तो मंडी में अच्छा रेट नहीं मिलता. अक्सर एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग ऐसी खबरें आती ही रहती हैं कि कभी किसानों ने टमाटर सड़कों पर फेंक दिया तो कभी किसानों ने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिए. सभी की वजह सिर्फ यही एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग है कि उन्हें सही कीमत नहीं मिल पाती. ऐसे में आपके लिए ये समझना जरूरी है कि सब्जी मंडी कैसे काम करती है.

सब्जी मंडी में भी होते हैं शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे एजेंट

सब्जियों को सड़कों पर फेंकने की खबर सुनकर अगर आप ये सोचते हैं कि पहली मंडी से रेट पता कर के किसान फसल क्यों नहीं बेचते, तो मुमकिन है कि आप सब्जी मंडी गए ही ना हों. गए भी हों तो शायद ही आपने देखा हो कि वहां किस तरह से किसानों की फसल को बेचा जाता है. मंडी में पहुंचते ही सबसे पहले किसानों को मिलते हैं बहुत सारे एजेंट, जो उनकी सब्जी बिकवाने का काम करते हैं. ये एजेंट ठीक शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे होते हैं, जिनकी मदद से शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं. इन एजेंट के बिना सब्जियां नहीं बेची जा सकतीं, इन्हीं की मदद से सब्जी की बोली लगती है.

शेयर बाजार में अगर किसी शेयर की मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो उसके दाम भी तेजी से ऊपर भागने लगते हैं. ठीक उसी तरह सब्जी मंडी में भी मांग बढ़ने पर दाम बढ़ते हैं और घटने पर गिरते हैं. सब्जी मंडी में एजेंट एक दाम तय करता है और उस पर बोली लगाना शुरू करता एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग है. अगर मांग अधिक होती है तो बोली लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन अगर मांग कम होती है तो बोली तेजी से गिरती जाती है. जिस दाम पर ग्राहक मिल एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग जाता है, उसी दाम पर सामान बेच दिया जाता है. यही वजह है कि मंडी में किसी सब्जी या फल का क्या रेट है, इसका पता पहले से नहीं लगाया जा सकता.

शेयर बाजार की तरह ऐसे होती है इनसाइडर ट्रेडिंग

सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होती है. जब कुछ लोग आपस में साठ-गांठ करके शेयरों को खरीदते-बेचते हैं और गलत तरीके से उसके दाम चढ़ाते या गिराते हैं तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है. सब्जी मंडी में भी ऐसा होता है, जिसमें एजेंट और व्यापारी मिलकर या कई बार व्यापारी आपस में मिलकर इनसाइडर ट्रेडिंग करते हैं. सब मिलकर कम बोली पर किसान का माल बिकवाने की कोशिश करते हैं और बाद में उस पर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं. कई व्यापारी तो बोली लगने से पहले ही किसान को उसकी फसल की कुछ कीमत ऑफर कर देते हैं.

मान लेते हैं कि एक किसान 1 टन टमाटर लेकर सब्जी मंडी में उसे बेचने जाता है. वहां एजेंट उसके सामान की बोली लगवाते हैं और बेचने में मदद करते हैं. मान लीजिए 10 रुपये किलो यानी 10 हजार रुपये टन से बोली की शुरुआत होती है. अगर टमाटर की मांग ज्यादा होगी तो बोली बढ़ती जाएगी, वरना बोली गिरने लगेगी. हम मान लेते हैं कि 10 हजार रुपये टन के हिसाब से ही टमाटर बिक जाता है. अब जिस व्यापारी ने इसे खरीदा है वह इसे दिल्ली-गाजियाबाद की बड़ी एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग मंडियों में ले जाकर बेचेगा और मुनाफा कमाएगा. वहीं किसान की फसल 10 हजार की बिकी जरूर थी, लेकिन उसे 10 हजार रुपये मिलेंगे नहीं. किसान को सबसे पहले तो मंडी टैक्स चुकाना होगा, उसके बाद एजेंट का कमीशन, अगर सामान उतारने-चढ़ाने की जरूरत पड़ती है तो पल्लेदारी, ये सब काटने के बाद जो पैसे बचेगा, वो किसान को मिलेगा. इसी तरह शेयर बाजार में ट्रांजेक्शन टैक्स, ब्रोकरेज चार्ज आदि लगता है, सब्जी मंडी में भी वैसे की कई चार्ज लगते हैं.

Career in Share Market: बेस्ट करियर ऑप्शन है स्टॉक मार्केट, ब्रोकर बनकर करें मोटी कमाई, जॉब के हैं ढेरों विकल्प

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Career In Share Market

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में युवा ऐसे बनाएं शानदार करियर   |  तस्वीर साभार: Representative Image

  • स्‍टॉक ब्रोकर के बिना स्टॉक मार्केट को समझ पाना मुश्किल
  • स्‍टॉक ब्रोकर को इकोनॉमिक्स, स्टेटिस्टिक्स जानकारी जरूरी
  • स्‍टॉक ब्रोकर अनुभव के बाद कर सकता है करोड़ों में कमाई

Career in Share Market: शेयर मार्केट लगातार और तेजी से बढ़ता जा रहा है। ट्रेडिंग इंडस्ट्री में हो रहे इस विस्तार के साथ यहां पर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। अगर आप भी स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक ब्रोकर, निफ्टी और सेंसेक्स में दिलचस्पी रखते हैं तो आप भी यहां पर शानदार करियर बना सकते हैं। आज के समय में हर कोई शेयर बाजार में पैसा लगाकर जल्‍द से जल्‍द अमीर बनना चाहता है, लेकिन शेयर बाजार कोई बच्चों एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग का खेल नहीं है। यहां पर पैसा लगाने के लिए मार्केट की अच्‍छी जानकारी होनी चाहिए, नहीं तो भारी नुकसान हो सकता है। शेयर मार्केट के इस खेल को एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग समझने में मदद करते हैं स्‍टॉक ब्रोकर। ये इन्वेस्टर और शेयर मार्केट के बीच की कड़ी होते हैं। ब्रोकर के बिना इन्वेस्टर के लिए स्टॉक मार्केट को समझ पाना मुश्किल है।

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