केजरीवाल के वार्ड पर कौन पार्षद?
अरविंद केजरीवाल ने वार्ड नंबर 74 पर मतदान किया था. चांदनी चौक इलाके की इस सीट पर आम आदमी पार्टी से पुनर्दीप सिंह, बीजेपी से रविंद्र सिंह और कांग्रेस से राहुल शर्मा मैदान में हैं. यहां आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है. हालांकि आप उम्मीदवार चुनाव में बढ़त बनाए हुए हैं.

Delhi MCD

गुजरात और दिल्ली एमसीडी में मुद्दे क्या हैं?

दिल्ली एमसीडी चुनावों में कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण कैसे होगा? सड़क, बिजली, पानी की समस्याओं को दूर कैसे किया जाएगा। इस बार जनता के ज़ेहन में क्या मुद्दे हैं। और गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबले की हक़ीक़त क्या है? वहां की जनता विकास को किस तरह से देख रही है। ‘चुनाव चक्र’ इस भाग में विस्तार से चर्चा की गई है।

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Delhi MCD Election 2022: केजरीवाल-मनोज तिवारी और सिसोदिया ने जहां डाला वोट, MCD की उन सीटों का क्या है हाल?

Delhi MCD Election 2022: केजरीवाल-मनोज तिवारी और सिसोदिया ने जहां डाला वोट, MCD की उन सीटों का क्या है हाल?

डीएनए हिंदीः दिल्ली एमसीडी चुनाव एमएसीडी क्या है की मतगणना (MCD Election Result 2022) जारी है. 250 सीटों में 130 से अधिक सीटों पर आम आदमी पार्टी बढ़त बनाए गए हैं. वहीं बीजेपी भी कांटे की टक्कर दे रही है. 100 से अधिक सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है. शुरुआती रुझानों में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही थी लेकिन बाद में बीजेपी थोड़ी पिछड़ती नजर एमएसीडी क्या है आई. कांग्रेस का चुनाव में काफी निराशाजनक प्रदर्शन रहा है. जिस सीटों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत वीवीआईपी ने वोट डाला था उन सीटों की स्थिति क्या है?

एमसीडी का फुल फॉर्म क्या है | MCD full form in hindi

MCD का फुल फॉर्म क्या है | MCD full form in hindi

और सन् 2012 में एमसीडी को तीन और हिस्सों में बांट गया 1. उत्तरी दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन 2. दक्षिणी दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन 3. पूर्वी दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन और दिल्ली में कुल 17 विधानसभा है जिसमें से 68 एमसीडी के अंतर्गत आते हैं

यह सभी 68 विधानसभाएं क्षेत्र चार म्युनिसिपल वार्ड में बांटे हुए हैं मतलब 272 यानी एमसीडी में कुल 272 म्युनिसिपल एमएसीडी क्या है आते हैं वार्ड संख्या 104,104,64 । नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल इकलौता ऐसा निगम है जिसमें कोई चुनाव नहीं होता है

Delhi में अब 3 नगर निगम का एक में होगा विलय

दिल्ली में अब तीन नगर निगम नहीं एमएसीडी क्या है होगा बल्कि तीनों नगरों का विलय कर के 1 नगर निगम के लिए लोकसभा और राज्यसभा कि तरफ बिल पास कर दिया गया है और इसे राष्ट्रपति के तरफ से भी मंजूरी मिल गई है

और राष्ट्रपति कि मंजूरी मिलते ही तीनों नगरों को एक करने वाला फैसला अब कानून बन गया इसको लेकर अधिसूचना भी जारी हो गई है इसके लिए कानून मंत्रालय के सेक्रेटरी डॉ रीता वशिष्ठ कि तरफ से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया जिसके बाद दिल्ली एमसीडी के चुनाव पर ब्रेक लग गया है

विधेयक के कानून बनने के बाद दिल्ली में तीनों नगर निगम के एकीकरण लिमिटेशन की प्रक्रिया की जाएगी जिसकी वजह से दिल्ली में एमसीडी के चुनाव में काफी एमएसीडी क्या है समय लग सकता है तीनों नगर निगमों को एक करने के बाद North, South, और East को दिल्ली नगर निगम के नाम से जाना जाएगा लोकसभा और राज्यसभा में दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधन

Amit shah ने lok sabha ने पेश किया बिल और क्या कहा।

दिल्ली नगर निगम भारत के राजधानी क्षेत्र का 95% प्रतिशत हिस्से का सिविक सेवाओं का जिम्मेदार उठाता है लगभग 1 लाख 20 हजार कर्मचारी तीनों निगमों को इकट्ठा करके इसमें कार्य करते हैं

बंटवारे के पिछे कि मनसा मैंने पूरे फाइलों को खंगाली है बहुत मालुम नहीं है इसलिए मैं अपनी मर्यादा भी सदन के सामने रखता हूं कि मुझे बताना भी चाहिए कि सदन को नगर निगम का बंटवारा क्यों हुआ किस आशय से हुआ यह दस साल का 12 से 22 का अनुभव जो हमारे सामने आया है इसका analytic करके उसका बारीक विष्लेषण करके तत्व जो सामने आये है

इसके कारण सरकार इस निर्णय पर पहुंची है कि फिर से इन तीनों नगर निगमों को एक करके पूर्व स्थिति कि जाएं ये निगमों का बंटवारा किया गया था मानन आनन फानन में किया गया था मैं यह नहीं कहता क्योंकि ऐसा भी मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है हो सकता है

वोट डालने से पहले ये जरूर पढ़ें

वोट डालने से पहले जान लें कि चुनाव आयोग ने साफ किया है कि एमसीडी चुनाव में जनवरी में जारी वोटरों की संख्या को सिर्फ आधार माना गया है। इसमें पब्लिश फाइनल वोटर लिस्ट के बाद भी जिनका नाम लिस्ट में शामिल किया गया है, वह भी एमसीडी चुनाव में वोट दे सकते हैं। यहां तक कि नॉमिनेशन से पहले तक जिनका पहचान पत्र बन जाएगा, वे भी वोट दे सकेंगे।

देश के बाकी नगर निगमों की तरह ही MCD काम करता है। वाटर सप्‍लाई, ड्रेनेज सिस्‍टम, बाजारों की मेंटेनेंस, पार्क, पार्किंग लॉट्स, एमएसीडी क्या है सड़कें और ओवरब्रिज, सॉलिड वेस्‍ट मैनेजमेंट, स्‍ट्रीट लाइटिंग की व्‍यवस्‍था इसके जिम्मे है।

जन्‍म-मृत्‍यु एमएसीडी क्या है का रिकॉर्ड हो या प्रॉपर्टी और प्रफेशनल टैक्‍स का जमा करना। टोल टैक्‍स कलेक्‍शन सिस्‍टम हो या शवदाह गृहों का प्रबंधन रखना। इन सभी चीजों का ध्यान रखना एमसीडी की जिम्मेदारी है। इसके अलावा एमसीडी द्वारा प्राइमरी स्‍कूल, अस्‍पताल और डिस्‍पेंसरी भी चलाए जाते हैं।

इस तरह होते हैं एमसीडी चुनाव

बता दें कि दिल्‍ली नगर निगम के चुनाव इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के जरिए कराए जाएंगे। राज्‍य चुनाव आयुक्‍त विजय देव के अनुसार 55 हजार से ज्‍यादा EVMs का इंतजाम किया गया है। इस बार भी NOTA का विकल्‍प एमएसीडी क्या है मिलेगा। एक लाख से ज्‍यादा स्‍टाफ एमसीडी चुनाव कराएगा। इसमें NOTA का भी विकल्प मिलेगा। चुनाव का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू कर दी गई है।

MCD को दिल्‍ली की ‘छोटी सरकार’ कहा जाता है। लेकिन हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं। दरअसल, दिल्‍ली की सरकार और नगर निगम के अधिकार ओवरलैप करते हैं। मसलन, एमसीडी और दिल्‍ली सरकार दोनों ही सड़कें और नाले मेंटेन करते हैं।

क्या है दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच फर्क

आपको बता दें कि अंतर कि 60 फीट से कम चौड़ी ज्‍यादातर सड़कें MCD संभालता है और दिल्ली सरकार उससे चौड़ी वाली सड़कों को जिम्मा उठाती है।

वहीं बड़े मोटराइज्‍ड वीइकल्‍स को दिल्‍ली सरकार लाइसेंस देती है तो एमसीडी साइकिल-रिक्‍शा, हाथगाड़ी को डील करता है। प्राइमरी स्‍कूल को MCD चलाती है तो एमएसीडी क्या है एमएसीडी क्या है वहीं हायर स्‍कूलिंग, कॉलेज और प्रफेशनल एजुकेशन को दिल्ली सरकार द्वारा देखा जाता है। एमसीडी कई डिस्‍पेंसरी और कुछ अस्‍पताल चलाता है। दिल्‍ली सरकार बड़े और एमएसीडी क्या है स्‍पेशलाइज्‍ड अस्‍पताल को मैनेज करती है।

दिल्‍ली की सीमाओं पर टोल टैक्‍स, विज्ञापन राजस्‍व और भू-कर MCD के लिए कमाई का जरिया है। इसके साथ ही दिल्‍ली सरकार और केंद्र से भी MCD को मदद मिलती है। वहीं एक्‍साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्‍स और वैल्‍यू एडेड टैक्‍स से दिल्ली सरकार की कमाई होती है।

‘आप’ के कदम में राजनीतिक संदेश

हालांकि AAP ने चांद महल, जामा मस्जिद और बल्लीमारान समेत कई वार्डों में पर्याप्त मुस्लिम वोट आधार के साथ जीत हासिल की. लेकिन दंगा प्रभावित क्षेत्रों और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में अल्पसंख्यक समुदाय ने कांग्रेस को प्राथमिकता दी. आप को इस बार छह मुस्लिम पार्षद मिले हैं. इनमें से इकबाल सहित दो पार्षद कांग्रेस से पाला बदलकर ‘आप’ में शामिल हुए थे.

राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई ने कहा कि ‘आप’ तेजी से अल्पसंख्यकों के लिए उसी तरह की राजनीति कर रही है, जैसी कभी कांग्रेस किया करती थी.

उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों के साथ गहराई से जुड़ने की बजाय, कांग्रेस भी प्रतीकात्मकता या फिर दिखावा करने में जुटी रहती थी. मसलन, किसी मुस्लिम उम्मीदवार को राज्यपाल बनाना या उन्हें कोई और पद देना, लेकिन जब असली हितधारक आए तो कांग्रेस हार गई. ‘आप’ को उस वक्त करारा झटका लगा जब उसके कुछ वोटर कांग्रेस में चले गए.

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