दूसरा swing trader जिसमे इन्वेस्टर सबसे जड़ 20 से 50 के ऊपर वाले मूविंग एवरेज का प्रयोग करते हैं एवं अंत में तीसरे इन्वेस्ट्रर जो सबसे ज्यादा 20 से 200 से ऊपर वाले मूविंग एवरेज का इस्तेमाल करते हैं ।
moving average indicator in hindi-moving average hindi
दोस्तों इस लेख में आज हम moving average के बारे में बात करने वाले हैं जो शेयर मार्किट का सबसे पुराना एवं अभी तक सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला इंडिकेटर हैं जिसे हर नए निवेशक को इसके बारे पता होना चाहिए ।
आप जानकर हैरान होंगे की केवल मूविंग एवरेज के तर्ज पर ही कितने सारे इंडिकेटर को खोज निकाला गया हैं जिसमे macd , bolinger band मुख्य इंडिक्टर हैं जिसमे macd में 13 और 26 expontial मूविंग एवरेज का इस्तेमाल होता है और bollinger band में 20 moving average Indicators कितने होते है का उपयोग किया जाता हैं ।
वैसे मैं इसके ज्यादा डीप में जाकर कुछ नहीं बताना चाहता हूँ क्योंकि इसे आज सिंपल तरीका से समझेंगे और अंत में किन्ही दो अलग – अलग दिने के मूविंग एवरेज को चार्ट में लगाकर एक swing trading लेने का प्रयाश करंगे और देखेंगे की क्या इससे कोई ट्रेड लिया जा सकता हैं ।
मूविंग एवरेज-moving average kya hota hai
उम्मीद है आप मूविंग एवरेज के बारे में जान चुके होंगे लेकिन अभी यह जानना जरुरी है की आखिर शेयर मार्किट में मूविंग एवरेज क्यों और कैसे उपयोग किया जाता और कौन इसे सबसे ज्यादा उपयोग करता हैं
1 ) किसी भी शेयर में मुख्य 3 तरिके का ट्रेड सबसे ज्यादा देखने को मिलता हैं जिसमे अपट्रेंड , डाउनट्रेंड एवं साइडवेस मार्किट और तीनो को पता करने के लिए आपको कोई न्यूज़ , कोई एनालिसिस या फिर रोज किसी शेयर का रिकॉर्ड रखने का जरुआत नहीं है । क्योंकि सिर्फ moving average इन तीनो ट्रेंड को एक झलक में बता सकता हैं Indicators कितने होते है ।
2 ) जिस तरह 3 तरह का ट्रेंड सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है ठीक उसी तरह शेयर मार्किट में 3 तरह के लोग सबसे ज्यादा एक्टिव होते है जिसमे पहला intraday वाले इन्वेस्टर जो सबसे ज्यादा 15 के अंदर मूविंग एवरेज इस्तेमाल करते है ।
moving average crossover strategy in hindi
अब हम यह जान लेते है की आखिर किस तरह से मूविंग एवरेज से कोई शेयर ख़रीदा जा सकता हैं तो इसके लिए 50 दिन का मूविंग एवरेज को इस्तेमाल करेंगे जो हमे किसी शेयर का ट्रेंड के बारे में बताएगा ।
लेकिन मार्किट में कब क्या हो जाए कोई बता नहीं सकता हैं लेकिन अध्यन के अनुसार 50 दिन के मूविंग एवरेज के ऊपर किसी शेयर का प्राइस होने पर लोग सबसे Indicators कितने होते है ज्यादा खरीदने की तरफ जाते है और जब कोई स्टॉक इस लीन के निचे होता है तो हमे शेयर खरीदने से बचना चाहिए ।
सिर्फ स्टडी के लिए मैं आपको मूविंग एवरेज के बारे में बता रहा हूँ इसलिए यह लेख कोई शेयर खरीदने के लिए बाध्य नहीं करता हैं इसलिए बेहतर यही होगा की शेयर खरीदने से पहले अपने अडवाइजर से सलाह जरूर ले ।
एक बात और जान लेते है की कोई भी इंडिकेटर आपको सौ प्रतिसत शेयर में प्रॉफिट नहीं दिला सकता हैं और किसी एक इंडिकेटर के बदौलत भी कोई शेयर खरीदा नहीं जा सकता हैं इसके साथ और भी कई सारे इंडिकेटर यह फ़ण्डामेंटल , न्यूज़ एलिमेंट आदि जोड़ने होते हैं इसलिए इन सभी चीजों को भी जरूर एनालिसिस करना चाहिए ।
मूविंग एवरेज से कोई शेयर कैसे खरीदें
सबसे पहले हम इसके लिए दो तरह का मूविंग एवरेज का प्रयोग करेंगे जिसमे पहला 50 दिन का होगा और दूसरा 20 दिन का एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज होगा और चूँकि हम स्विंग ट्रेड लेने जो कुछ दिन का होगा इसलिए टाइम 1 घंटे का होगा ।
निचे इमेज में मैंने लाल रंग के मूविंग एवरेज को 20 दिन का दिखाया हैं और कला वाला मूविंग एवरेज 50 दिन का exponential moving average हैं इस तरह का चार्ट आप भी अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर लगा सकते हैं ।
जब लाल वाली लाइन बालक वाली लाइन को ऊपर की तरफ क्रॉस करेगी तब हमे उस शेयर को खरीदना हैं लेकिन उसके लिए कोई बड़ा कैंडल पर ट्रेड ना ले यदि कोई बड़ा कैंडल बन भी रहा है तो कुछ समय इंतजार करे फिर से प्राइस मूविंग एवरेज के पास आएगा जैसा की इमेज में देख सकते है आपको कम से कम बार शेयर खरीदने का मौका मिला हैं और लाल रेखा को बार – बार छूकर प्राइस ऊपर जा रहा हैं ।
इस इंडिकेटर की वजह से बढ़ता है बिजली का बिल, इसकी जगह लगाएं ये चीज
आज के समय में लोग बिजली के बिल को लेके काफी परेशान रहते हैं, सभी यह सोचते हैं कि बिजली का बिल कैसे कम किया जाए। आज हम आपको बिजली का बिल करने का एक काफी आसान तरीका बताने वाले हैं। दोस्तों आपने देखा होगा कि हमारे घर में स्विच बोर्ड्स होते हैं और उनपे इंडीकेटर्स लगे होते हैं।
ये इंडिकेटर हमे लाइट के होने या न होने के बारे में बताते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आपके बिल को बढ़ाने का एक कारण हैं। जी हाँ, हम अक्सर इसके बारे में नहीं सोचते और ये इंडिकेटस 24 घंटे चलते रहते हैं जिसके कारण बिजली की खपत होती है। लेकिन आपको बता दें कि आप इन इंडीकेटर्स को बिना हटाए इनका एक हल कर सकते हैं।
ये हल करने के बाद ये इंडीकेटर्स भी चलते रहेंगे और आपकी बिजली की खपत भी कम होगी। आपको सिर्फ एक या रुपए का खर्चा करके इस इंडिकेटर को बदल देना है। ऐसे करीब 8 से 10 इंडिकेटर हमारे घर में लगाए गए होते हैं। यानि कि जितने स्विच बोर्ड होंगे उतने ही इंडीकेटर्स होंगे। इस इंडिकेटर को बदलने के लिए सबसे पहले आपको अपने घर की बिजली बंद कर देनी है यानि कि MCB डाउन कर दें। इन्वर्ट वगेरा भी बंद कर दें।
PIB (प्लास्टिक इन्डीकेटर बोर्ड) ________ से संबंधित है।
Additional Information
- शॉट-पुट में, हम फ़ाउल को इंगित करने के लिए टो-बोर्ड का उपयोग करते हैं।
Share on Whatsapp
Last updated on Sep 22, 2022
UP TGT (Trained Graduate Teacher) application window closed on 16th July 2022. In this year's recruitment cycle a total of 3539 vacancies were released. Willing candidates having the required Indicators कितने होते है UP TGT Eligibility Criteria can apply for the exam. This is a golden opportunity for candidates who want to get into the teaching profession in the state of Uttar Pradesh.
इकनॉमिक इंडिकेटर्स देखकर अजस्ट करें पोर्टफोलियो
मैक्रो इकनॉमिक इंडिकेटर्स इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट में अहम रोल अदा करते हैं। इससे ऐसेट ऐलोकेशन में मदद मिलती है। इससे इनवेस्टमेंट का लॉन्ग टर्म नजरिया बनता है। अगर फंड या पोर्टफोलियो मैनेजर मैक्रो इंडिकेटर्स पर स्टॉक सिलेक्ट करते हैं तो फाइनैंशियल अडवाइजर्स को मैक्रो इंडिकेटर्स पर ऐसेट ऐलोकेशन कराना चाहिए। कामयाब स्ट्रैटिजी के लिए दोनों जरूरी हैं।
स्ट्रैटिजिक डायवर्सिफिकेशन इनवेस्टर की जरूरत पर निर्भर करता है, लेकिन मैक्रो इंडिकेटर्स के हिसाब से ऐसेट ऐलोकेशन में अडजस्टमेंट पोर्टफोलियो में वैल्यू अडीशन हो सकता है। अब हम बड़े ऐसेट क्लास पर गौर करते हैं। बॉन्ड्स में इनवेस्टमेंट महंगाई और अनुमानित इंट्रेस्ट रेट पर डिपेंड करता है। इक्विटी ऐलोकेशन प्रॉफिट ग्रोथ और उसके टिकाऊ होने पर डिपेंड करता है। गोल्ड में इनवेस्टमेंट उसके फ्यूचर स्टोर वैल्यू के हिसाब से करना चाहिए। रियल एस्टेट और कमॉडिटी में इनवेस्टमेंट के लिए इकनॉमिक साइकल पर फोकस करना चाहिए।
10th Science- लिटमस पेपर क्या है, किस काम आता है, कैसे बनता है
लिटमस पेपर का नाम तो आपने सुना ही होगा। कुछ लोगों ने इसे साइंस लैब में देखा भी होगा, Litamus paper का उपयोग मुख्य रूप से अम्ल और क्षार के परीक्षण में किया जाता है। अनीला और क्षालानी को तो अब आप जानते ही हैं। आइए जानते हैं लिटमस पेपर क्या होता है और कैसे बनता है।
जिस प्रकार साधारण कागज का निर्माण पेड़ों की लुगदी से किया जाता है उसी प्रकार लिटमस पेपर भी पेड़-पौधों से ही बनता है परंतु यह कोई साधारण पौधे नहीं होते बल्कि यह विशेष प्रकार के पौधे होते हैं जिन्हें लाईकेन या लिचेन (Lichen) कहा जाता है।
Lichen या लिचेन, शैवाल और कवक के बीच एक सहजीवी संबंध (Symbiotic Relationship) का एक उदाहरण है। इसमें शैवाल वाला फाइकोबायोट (Phycobiont) कहलाता है जबकि का कवक वाला हिस्सा माइकोबायोंट (Mycobiont) कहलाता है। लाइकेन के एक्सट्रैक्ट से ही लिटमस पेपर तैयार होता है, जो कि मुख्य रूप से दो रंगो- नीले और लाल में पाया जाता है, जो की अम्ल और क्षार का पता लगाने के काम आते हैं।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 556