Mutual Fund: क्या आपके पास भी हैं ये डेट फंड जिन्होंने फिक्सड डिपॉजिट से भी ज्यादा रिटर्न दिया है

Mutual Fund: वैसे तो हर म्युचुअल फंड दावा करता है कि उससे अच्छा, सबसे कम रिस्क वाला रिटर्न कोई नहीं दे सकता है लेकिन यकीन मनिए सिर्फ डेट फंड ही वो फंड होते हैं जिनमें सच में कम रिस्क रहता है.

By: abp news | Updated at : 10 Nov 2021 08:13 PM (IST)

Mutual Fund: म्युचुअल फंड बाजार में सिर्फ डेट फंड ही वो अहम फंड होते हैं जो हमारे निवेश पोर्टफोलियो को स्थिरता देने में बड़ा योगदान देने का माद्दा रखते हैं. यह वो फंड होते हैं जो हमारी होल्डिंग पर जोखिम को घटाते हैं. लंबी अवधि में कई बॉन्ड स्कीम ने भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. यही नहीं इक्विटी डेट फंड ने सेवानिवृत्त लोगों को महंगाई से म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं निपटने में मदद भी की है.

इसके अलावा जो लोग रिटायरमेंट के नजदीक आ रहे हैं, वो वॉलेटाइल एसेट से अपने निवेश को निकालकर तुलनात्मक रुप से कम जोखिम वाले डेट म्युचुअल फंडों में डाल सकते हैं. हम आपको कुछ ऐसे डेट फंडों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पिछले 15 वर्षों में बैंकों की फिक्सड डिपॉजिट की तुलना में ज्यादा रिटर्न दिया है. अपने इस विश्लेषण में हमने सिर्फ उन डेट फंडों को शामिल किया है जिनका मिनिमम ट्रैक रिकॉर्ड 15 सालों का है.

Aditya Birla SL Short Term (ABST) यह फंड इस सूची में टॉप पर है. इस फंड का 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.9 फीसदी रहा है. यह फंड शॉर्ट टर्म पेपर में निवेश करता है जिसमें कॉर्पोरेट डेट, कर्मशियल पेपर और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट शामिल हैं.

ICICI Prudential Short Term Fund यह फंड भी छोटी अवधि कैटगरी से संबंधित है. इसका 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.6 फीसदी रहा है. इसका 80 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर हाईएस्ट रेटेड डेट इस्ट्रीमेंट में है.

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HDFC Medium Term Debt Fund यह मध्यम अवधि कैटेगरी के ड्यूरेशन वाले फंड में आता है. इस फंड का 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.5 फीसदी रहा है. इसके पोर्टफोलियों का एक चौथाई हिस्सा AA/AA बॉन्डों मे निवेशित है.

DFC Bond Fund – मध्यम अवधि के फंड वाली कैटेगरी में इसने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. इस फंड म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं का 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.4 फीसदी रहा है.

Nippon India Short Term Fund- इस फंड को पहले रिलायंस शॉर्ट टर्म फंड के नाम से जाना जाता था. यह अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 90 फीसदी हिस्सा हाईएस्ट रेटट डेट पेपर में निवेशित करती है. इस फंड का 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.4 फीसदी रहा है.

Kotak Bond Short Term Fund यह सिर्फ हाईएस्ट रेटेड पेपर मे निवेश करती है. पिछले 10 साल में इसके पोर्टफोलियो को एवरेज मेच्योरिटी रेट 1.1-4 साल रहा है. इस फंड का 5 साल का औसत रोलिंग रिटर्न 8.2 फीसदी रहा है.

डिस्क्लेमर

(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्हीं भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)

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Published at : 10 Nov 2021 08:13 PM (IST) Tags: India Business Money Investment SIP Return Mutual fund हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Market Risk- मार्केट रिस्क

मार्केट रिस्क क्या होता है?
मार्केट रिस्क (Market Risk) या बाजार जोखिम यह संभावना है कि कोई व्यक्ति या अन्य संस्था वित्तीय बाजारों में निवेश के समग्र प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारकों के कारण नुकसान का म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं अनुभव करेगा।बाजार जोखिम या संस्थागत जोखिम एक ही साथ समस्त बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। बाजार जोखिम को विविधीकरण के कारण खत्म नहीं किया जा सकता।

विशिष्ट जोखिम या अप्रणालीगत जोखिम में किसी विशिष्ट सिक्योरिटी का प्रदर्शन शामिल रहता है और इसे डायवर्सिफिकेशन के जरिये कम म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं किया जा सकता है। मार्केट रिस्क ब्याज दरों, एक्सचेंज दरों, भूराजनैतिक घटनाओं या मंदी के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।

मार्केट रिस्क को समझना
मार्केट रिस्क और स्पेसफिक रिस्क (अप्रणालीगत) निवेश जोखिम के दो प्रमुख वर्ग हैं। मार्केट रिस्क जिसे प्रणालीगत जोखिम भी कहा जाता है, को डायवर्सिफिकेशन के जरिये खत्म नहीं किया जा सकता। हालांकि अन्य तरीकों से इसे हेज किया जा सकता है। मार्केट रिस्क के स्रोतों में मंदी, राजनीतिक भूचाल, ब्याज दरों में परिवर्तन, प्राकृतिक आपदायें और आतंकी हमले शामिल हैं। प्रणालीगत या मार्केट रिस्क एक ही समय पूरे बाजार को प्रभावित कर सकता है। इसका विपरीत अप्रणालीगत जोखिम होता है जो किसी विशिष्ट कंपनी या उद्योग के लिए अनूठा होता है। इसे निवेश पोर्टफोलियो के म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं संदर्भ में स्पेसफिक रिस्क, डायवर्सिफाइएबल रिस्क या रेजीडुअल रिस्क भी कहा जाता है।

अप्रणालीगत जोखिम को डायवर्सिफिकेशन के जरिये कम किया जा सकता है। बाजार जोखिम कीमत परिवर्तनों के कारण होता है। स्टॉक्स, करेंसियों या कमोडिटी के मूल्यों में परिवर्तनों के मानक परिवर्तन को मूल्य अस्थिरता के रूप में संदर्भित किया जाता है। अस्थिरता को वार्षिक लिहाज से रेट किया जाता है और इसे पूर्ण तरीके से जैसेकि 10 डॉलर या आरंभिक मूल्य की प्रतिशतता जैसेकि 10 प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। अमेरिका में सार्वजनिक रूप से ट्रेड करने वाली कंपनियों को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के सामने इसका खुलासा करने की आवश्यकता होती है कि किस प्रकार उनकी उत्पादकता और परिणाम वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन से लिंक किया जा सकता है। इस आवश्यकता का अर्थ है वित्तीय जोखिम के प्रति कंपनी के एक्सपोजर के बारे में विस्तृत जानकारी देना।

बीओआई म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड निवेश दीर्घकालिक पूंजी प्रशंसा प्राप्त करने के लिए परिसंपत्तियों को विवेकपूर्ण ढंग से आवंटित करने में मदद करता है। म्यूचुअल फंड उत्पादों की बैंक की बिक्री को विभिन्न शाखाओं में और समर्पित रिलेशनशिप मैनेजरों के माध्यम से रणनीतिक रूप से रखे गए एएमएफआई / एनआईएसएम योग्य कर्मियों की पर्याप्त संख्या द्वारा म्यूचुअल फंड उत्पादों की बैंक की बिक्री को समर्थित किया जाता है।

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डेट फंड किसे कहते हैं? फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले क्या लिक्विड फंड बेहतर?

aajtak.in


अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है. लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.

Fixed Deposit के मुकाबले ज्यादा रिटर्न

दरअसल, डेट फंड कम जोख‍िम के साथ बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. अक्सर देखा गया है कि Fixed Deposit के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में ज्यादा रिटर्न मिल जाता है.

छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प

वैसे अगर निवेश का लंबे समय तक का प्लान है तो फिर निवेशक को इक्विटी फंड में निवेश की सलाह दी जाती है, क्योंकि वो बाजार में अस्थिरता से हुए नुकसान को पूरा कर सकते हैं. लेकिन छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं. निवेशक को डेट फंड में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

निवेश अधिक सुरक्षित

इसके अलावा जिन निवेशकों की आय स्थिर नहीं है, उन्हें एक बड़ा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. ताकि उनका निवेश अधिक सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपना पैसा निकाल सकें. डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है.

डेट फंड क्या है?

डेट फंड क्या है?
डेट फंड म्‍यूचुअल फंड में निवेश का एक कैटेगरी है. डेट म्‍यूचुअल फंड फिक्‍स्‍ड इनकम सिक्‍योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्‍ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर वगैरह शामिल हैं. यानी सुरक्षित जगह पर निवेश किया जाता है. आमतौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. यहां पैसा इक्विटी फंड के मुकाबले सुरक्षित होता है.

निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी

डेट म्‍यूचुअल फंड की विभिन्‍न कैटेगरी हैं. कुछ स्‍कीम्स शॉर्ट-टर्म सिक्‍योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्‍ड में पैसा लगाती हैं. इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. इसलिए निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी है.

डेट फंड के फायदे

डेट फंड के फायदे
डेट फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देना होता है. डेट फंड को ही लिक्विड (Liquid Fund) भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. यानी जब चाहें आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में समय से पहले पैसे निकालने पर भारी नुकसान होता है. (Photo: Getty Images)

Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान

Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी. (Photo: Getty Images)

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए रिस्क-ओ-मीटर बहुत ही मददगार

अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं या निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं तो सेबी का नया रिस्क-ओ-मीटर (जोखिम मापने का पैमाना ) बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। सेबी का नया जोखिम मापने का पैमाना हर फंड के.

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए रिस्क-ओ-मीटर बहुत ही मददगार

अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं या निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं तो सेबी का नया रिस्क-ओ-मीटर (जोखिम मापने का पैमाना ) बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। सेबी का नया जोखिम मापने का पैमाना हर फंड म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं के वास्तविक पोर्टफोलियो पर आधारित है। इसके दो फायदे हैं। पहला, रिक्स मीटर पर रीडिंग देखकर आप यता पता लगा सकते हैं कि आपको उस फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं। वहीं, दूसरा, जैसे पोर्टफोलियो और मार्केट की स्थितियां बदलेंगी रिस्क लेवल बदल जाएगा। यह फैसला लेने में मदद करेगा कि आपको फंड भुनाना चाहिए या नहीं।

पोर्टफोलियो पर नजर रखना जरूरी

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों में मन में यह भी सवाल उठ सकता है कि उसने फंड हाउस में फाइव स्टर रेंटिंग देखकर निवेश किया। हालांकि, बाद में उसकी रेटिंग को नीचे कर दिया गया। निवेशकों के लिए यही समझना सबसे जरूरी है। अगर, रेटिंग में कुछ बदलाव ही नहीं होगा तो उसके फायदे कैसे समझ में आएंगे। इसलिए निवेशकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह समय-समय पर अपने म्यूचुअल फंड की बदलती स्थितियों पर नजर म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं रखें। अगर, जोखिम अधिक लगे तो वह अपना निवेश निकाल लें।

जोखिम मापने की पांच श्रेणियां

सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को जोखिम से बचाने के लिए पांच श्रेणियां बनाई है। इसमें लो, मॉडरेट लो, मॉडरेट, मॉडरेट हाई, हाई और वेरी हाई है। सेबी के निर्देश के अनुसार, सभी म्यूचुअल फंड्स के लिए हर महीने इस रिस्क-ओ-मीटर की समीक्षा करनी होगी। बदलाव की जानकारी ई-मेल या एसएमएस के जरिये सभी यूनिटहोल्डर्स को देनी है। पोर्टफोलियो का ब्योरा भी महीना पूरा होने के 10 दिन के भीतर अपनी और एंफी की वेबसाइट पर बताना जरूरी है।

साफ-साफ ब्योरा दिखाना जरूरी

म्यूचुअल फंड्स को नए इश्यू लाते समय एप्लीकेशन फॉर्म और स्कीम से जुड़े सभी अहम दस्तावेजों में इसका ब्योरा देना जरूरी है। रिस्क-ओ-मीटर के संकेत को भी स्कीम के नाम के पास ही साफ साफ बताना होगा। साथ ही विज्ञापनों में भी इसकी जानकारी स्पष्ट तरीके से देनी होगी।ताकि निवेशक आसानी से समझ पाएं और उन्हें किसी तरह की दुविधा न हो।

म्यूचुअल फंड में तेजी से बढ़ा निवेश


छोटे निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंड में तेजी से निवेश बढ़ा है। इसलिए सेबी ने अब जोखिम मापने का पैमान को ज्यादा बढ़ा दिया है। यानी म्यूचुअल फंड हाउसों को रिस्क के बारे में ज्यादा जानकारी निवेशकों को देनी होगी। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि अगर कोई निवेशक पैसा लगाता है तो उसे पैसा लगाने से पहले इस तरह के जोखिम का पता रहे ताकि वह निवेश करते समय सावधानी बरते।

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