मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, What is Margin Trading in Hindi

नमस्कार डियर पाठक आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि (MTF) मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, What is Margin Trading in Hindi, डियर पाठक मार्जिन ट्रेडिंग को यूं समझिए जैसे कि अभी आपको कोई चीज खरीदनी है और आपके पास पैसे नहीं है तो आपके दिमाग में यह ख्याल आता है कि काश थोड़े पैसे होते तो,

मैं इस चीज को खरीद लेता ठीक उसी प्रकार मार्जिन ट्रेडिंग हैं, यहां पर आप अपनी खरीदने की क्षमता से 4 गुना अधिक फायदा उठा सकते हैं। जी हां बिल्कुल मार्जिन ट्रेडिंग (MTF) में यह सुविधा उपलब्ध है। और यह सुविधा एक इन्वेस्टर को कैसे मिलेगी इस आर्टिकल में जानेंगे इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

उदाहरण के लिए–‌ आपका खाता शेष = ₹50,000

एमटीएफ (MTF) आपको 4x तक खरीदने की शक्ति प्रदान करता है = ₹2,00,000 (50,000 x 4)

मार्जिन ट्रेडिंग क्या है? What is Margin Trading?

स्टॉक मार्केट में मार्जिन ट्रेडिंग का मतलब उस प्रोसेस से हैं, जहां व्यक्तिगत (individual) इन्वेस्टर अपने शेयर खरीदने की क्षमता से अधिक शेयर्स खरीदते हैं। इंडिया में मार्जिन ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग को भी परिभाषित करती हैं। मार्जिन ट्रेडिंग की फैसिलिटी लगभग सभी ब्रोकर्स प्रोवाइड करवाते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग के अंदर एक सिंगल सेशन में सिक्योरिटीज की खरीददारी और बिक्री शामिल रहती है। समय के साथ लगभग सभी ब्रोकर ने टाइम ड्यूरेशन के मामले में कुछ ढील दी है।

मार्जिन ट्रेडिंग में इन्वेस्टर एक पर्टिकुलर सेशन में शेयर के चाल का अनुमान लगाते हैं। और आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंजो की बदौलत, अब मार्जिन ट्रेडिंग छोटे ट्रेडर्स के लिए भी अवेलेबल है। डियर पाठक आपको बता दें कि मार्जिन ट्रेडिंग की प्रोसेस काफी सिंपल है।

मार्जिन अकाउंट,‌ इन्वेस्टरो को अपने स्टॉक खरीदने की क्षमता से ज्यादा स्टॉक‌ खरीदने के संसाधन उपलब्ध करवाता है। और इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए ब्रोकर इन्वेस्टर को शेयर खरीदने के लिए पैसे उधार देता है। और शेयरों को अपने पास गिरवी रख लेता है। आपको बता दें कि मार्जिन अकाउंट खुलवाने के लिए पहले अपने डिमैट अकाउंट ब्रोकर को रिक्वेस्ट करनी पड़ती है। और डियर पाठक इसके लिए ब्रोकर को कैश पेमेंट करना होता है, जिससे सिंपल भाषा में मिनिमम मार्जिन कहते हैं।

अकाउंट खुल जाने के बाद क्या करना होता है। What to do after opening an account?

अकाउंट खुल जाने के बाद इन्वेस्टर को इनिशियल मार्जिन का भुगतान करना होता है। और यह टोटल कारोबार वैल्यू का निश्चित प्रतिशत होता है, और इसको ब्रोकर निर्धारित करता है। मार्जिन अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू करने से पहले इन्वेस्टर को तीन महत्वपूर्ण स्टेप्स ध्यान में रखने पड़ते हैं।

  1. सेशन के जरिए मिनिमम मार्जिन को मेंटेन करना होता है।
  2. हर ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने पर अपनी पोजीशन पर वापस लौटना होता है। यानी अगर आपने कोई शेयर खरीदे हैं, तो उन्हें बेचना होगा, और अगर आपने शेयर बेचे हैं तो उन्हें सेशन खत्म होने से पहले खरीदना होगा।
  3. ट्रेडिंग के बाद शेयरों को डिलीवरी ऑर्डर में कन्वर्ट करना होता है।

निष्कर्ष, मार्जिन ट्रेडिंग क्या है

डियर पाठक आज के इस लेख, मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, What is Margin Trading in Hindi के माध्यम से हमने जाना कि मार्जिन ट्रेडिंग क्या होती है और मार्जिन ट्रेडिंग का लाभ कैसे उठा सकते हैं। और आपके कुछ सामान्य प्रसन है जिनके उत्तर आपको क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है नीचे मिलेंगे आप इसके लिए‌ FAQS सेक्शन को देखें।

डियर पाठक मार्जिन ट्रेडिंग के साथ आप अपनी क्रय शक्ति को 4x तक बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके खाते में 100,000 रुपये हैं तो आप अपनी क्रय क्षमता को 500,000 रुपये तक बढ़ाने के लिए MTF के तहत 400,000 रुपये तक प्राप्त कर सकते हैं।

जब तक कि उधार ली गई राशि का पुनर्भुगतान या व्यापारी स्थिति से बाहर न हो जाए तब तक 0.049% प्रति दिन (18% प्रति वर्ष) का ब्याज तब तक लिया जा सकता है ।

मार्जिन ट्रेडिंग को पूरा करने की समय सीमा क्या है?
आपको उसी दिन रात 9 बजे तक अपने संबंधित शेयरों को गिरवी रखना होगा। अन्यथा, शेयरों को T+7 दिन पर चुकता कर दिया जाएगा।

Stock Market में Margin Trading क्या है?

इसकी हेल्प से हम कम पैसों में ज्यादा शेयर्स बाय कर सकते हैं। एग्जाम्पल के लिए, अगर एक ब्रोकर किसी शेयर पर 10 टाइम्स का मार्जिन देता है। तो हम उस ब्रोकर के पास एक शेयर की प्राइस पर 10 शेयर्स बाय कर सकते हैं।

तो दोस्तों अगर एक ब्रोकर SBI के स्टॉक पर 10 टाइम्स का मार्जिन या लेवरेज क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है दे रहा है। और अगर SBI की एक शेयर की प्राइस 100 रुपये है। तो हम 100 रुपये में एक शेयर के बजाय SBI के 10 शेयर बाय कर सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि हम 100 रुपये में 1000 रुपये के SBI शेयर्स बाय कर सकते हैं। दोस्तों, ध्यान देने वाली बात ये है कि ज्यादातर ब्रोकर्स मार्जिन या लेवरेज बस इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ही देते हैं। और बहुत कम ऐसे ब्रोकर्स है जो हमे पोजीशन या स्विंग ट्रेडिंग के लिए लेवरेज देते हैं। और दोस्तों, लॉन्ग टर्म इंवेस्टिंग के लिए कोई भी ब्रोकर लेवरेज नही देता। साथ ही साथ दोस्तों, हर स्टॉक पर मार्जिन अलग-अलग होता है। जेनरली अच्छी और बड़ी कंपनियों के शेयर पर मार्जिन ज्यादा होता है। वहीं छोटी कंपनियों के शेयर पर मार्जिन कम होता है। और किसी स्टॉक पर मार्जिन देना या ना देना या कितने टाइम्स का देना ये हर ब्रोकर अपने हिसाब से डिसाइड करता है। तो दोस्तों आप मार्जिन ट्रेडिंग करने से पहले अपने ब्रोकर से सारे मार्जिन ज़रूर कन्फर्म कर लें। दोस्तों, अब सवाल है कि ब्रोकर्स ऐसा क्यों करते हैं? क्यों ब्रोकर्स हमे 100 रुपये में 1000 रुपये के शेयर्स बाय करने देते हैं?

इसका सीधा जवाब है ब्रोकरेज। दोस्तों, ब्रोकर्स हर बाय और सेल ऑर्डर पर ब्रोकरेज लेते हैं। और ब्रोकरेज बाय या सेल किये गए स्टॉक की टोटल वैल्यू पर लगती है। अगर किसी ब्रोकर का कमीशन 1% है और हम टोटल 100 रुपये के स्टॉक बाय करते हैं। तो वो ब्रोकर हमसे 100 रुपये का 1% यानी 1 रुपया ब्रोकरेज चार्ज करेगा। पर जब हम 10 टाइम्स का मार्जिन लेकर 100 रुपये में 1000 रुपये के शेयर्स बाय करते हैं। तो अब ब्रोकरेज शेयर्स की टोटल बाय वैल्यू यानी 1000 रुपये का 1%, मतलब 10 रुपये हो जाएगा। बस इसी वजह से दोस्तों, ब्रोकर्स मार्जिन या लेवरेज प्रोवाइड करते हैं। ताकि हम ज्यादा वैल्यू के स्टॉक्स बाय और सेल करें और ब्रोकर्स हमसे ज्यादा ब्रोकरेज ले सके। आईये अब हम चलते हैं दूसरे सवाल पर। हम मार्जिन ट्रेडिंग कैसे कर सकते हैं? दोस्तों, मार्जिन ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले हमें चाहिए ट्रेडिंग एकाउंट। अगर आप ट्रेडिंग एकाउंट के बारे में नही जानते हैं तो हमने ट्रेडिंग और डिमैट एकाउंट दोनों पर वीडियो बनाया हुआ है। आप उन्हें ज़रूर देखें। ट्रेडिंग एकाउंट बनाने के बाद हमे उस एकाउंट में पैसे ऐड करने होंगे। और फिर हम जिस भी स्टॉक या डेरिवेटिव्स में मार्जिन ट्रेडिंग करना चाहते हैं हमे उसका मार्जिन चेक करना होगा। और फिर हम उस स्टॉक के मार्जिन के अकॉर्डिंग इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं।

ध्यान रखें दोस्तों, मार्जिन ट्रेडिंग करने से पहले अपने ब्रोकर्स से मार्जिन अच्छी तरह पता कर लें।

अब हम आ गए हैं अपने आखिरी सवाल पर। क्या मार्जिन ट्रेडिंग करना सही है? दोस्तों, मार्जिन लेकर ट्रेडिंग करना एक दोधारी तलवार की तरह है। हम मार्जिन ट्रेडिंग से बहुत कम समय मे बहुत कम पैसे लगाकर बहुत ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं। पर अगर हमारा ट्रेड गलत हुआ तो हमे बड़ा नुकसान भी हो सकता है। आईये इसे एक एग्जाम्पल से समझते हैं। मान लेते हैं हमारे पास 1 लाख रुपये हैं। और हम इंट्राडे में मार्जिन ट्रेडिंग करना चाहते हैं। हमने एक स्टॉक XY चूज़ किया जिसकी शेयर प्राइस है 1000 रुपये। और इस स्टॉक पर हमें अपने ब्रोकर से 10 टाइम्स का मार्जिन मिल रहा है।

तो दोस्तों, अगर हमे मार्जिन ना मिलता तो हम 1 लाख में XY कंपनी के 100 शेयर ही बाय कर पाते। पर क्योंकि हमें XY कंपनी के शेयर पर 10 क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है टाइम्स का मार्जिन मिल रहा है। तो अब हम उसी 1 लाख रुपये से XY कंपनी के 1000 शेयर्स इंट्राडे में बाय कर लेते हैं। अब दोस्तों, अगर XY की शेयर प्राइस कुछ घंटो में 10% से बढ़कर 1000 से 1100 रुपये हो जाये तो क्या होगा? तो दोस्तों, क्योंकि हमने 10 लाख के शेयर्स बाय करके रखे हैं। इसलिए हमारे शेयर्स की वैल्यू भी 10 लाख से 10% बढ़कर 11 लाख हो जाएगी। और अगर हम अपने सारे शेयर्स 1100 की प्राइस पर सेल कर दे तो हमे 1 लाख का प्रॉफिट हो जाएगा।

जी हाँ दोस्तों, 1 लाख रुपये से मार्जिन ट्रेडिंग कर के हम इसी तरह कुछ घंटो में अपने इन्वेस्टमेंट पर 100% प्रॉफिट कमा कर अपने पैसो कोशिश डबल कर सकते हैं। पर दोस्तों, अगर XY कंपनी की शेयर प्राइस 10% से बढ़ने के बजाय 10% से घट जाए तो फिर हमें 1 लाख के प्रॉफिट के बजाय 1 लाख का लॉस होगा। और हमे अपने इन्वेस्टमेंट पर 100% प्रॉफिट के बजाय 100% का लॉस हो जाएगा।

तो दोस्तों, मार्जिन ट्रेडिंग अपने आप मे ना अच्छी है ना बुरी। ये हमारे ऊपर डिपेंड करता है कि हम मार्जिन का यूज़ क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है करके कैसी ट्रेडिंग करते हैं। अगर हम अच्छे से देखकर और समझकर बिना लालच में आये मार्जिन का यूज़ करेंगे तो हमारे लिए मार्जिन ट्रेडिंग बहुत अच्छा हो सकता है। पर अगर हम मार्जिन लेकर लालच में बिना टेक्निकल एनालिसिस किये ट्रेडिंग करेंगे, तो मार्जिन ट्रेडिंग हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है। तो दोस्तों ये था हमारा आज का Post मार्जिन ट्रेडिंग के ऊपर। इसमे हमने जाना कि लेवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग क्या होती हैं? हम मार्जिन ट्रेडिंग कैसे कर सकते हैं? और क्या मार्जिन ट्रेडिंग करना सही है?

और अगर आपके मन मे इस Post से रिलेटेड कोई भी सवाल है तो उसे नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें। हम आपके सवालों का जवाब देंगे हमारे आगे आने वाले Post Or Video मिस ना हों इसके लिए हमारे चैनल को अभी सब्सक्राइब करें। और Web Notification And बेल आइकॉन को प्रेस करना ना भूलें।थैंक यू दोस्तों। मिलते हैं अब नेक्स्ट Post में।

What is Delivery Margin in Zerodha in Hindi? | ज़ेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है?

अगर आपके फंड्स आपको डिलीवरी ट्रेडिंग के तहत आप की पसंद के स्टॉक में निवेश करने के लिए परेशान हैं तो अब आप को इस समस्या से परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसलिए आप अब आप डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए मार्जिन को कम करके ज्यादा से ज्यादा ट्रेड सकते हैं।

लेकिन ट्रेड करने से पहले हमें डिलीवरी मार्जिन (delivery margin kya hai) के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। डिलीवरी मार्जिन (Delivery margin kaise kaam karta hai) काम कैसे करता है?

मार्जिन (What is delivery margin in Hindi) का मतलब लीवरेज या फिर फंड होता है जो किसी भी ब्रोकर द्वारा ट्रेडर को ज्यादा से ज्यादा ट्रेडिंग करने के लिए प्रदान किया जाता है। वैसे तो आमतौर पर यहीं होता है कि मार्जिन की सुविधाएं ब्रोकर इंट्राडे के लिए ही प्रदान की जाती है, लेकिन कुछ परिस्थिति में यह अपवाद भी होता है क्योंकि कुछ ब्रोकर ऐसे भी होते हैं जो डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए भी लीवरेज प्रदान करते हैं।

चलिए अब हम आगे आपको delivery margin in zerodha (What is delivery margin in zerodha in Hindi) क्या है और यह कैसे काम करता क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है है तथा ऑप्शन और फ्यूचर ट्रेडिंग की जानकारी भी दे रहे हैं।

इन्वेस्टर्स की दुनिया में मार्जिन की खरीदारी करने का अर्थ होता है कि किसी भी ब्रोकर से शेयरों की खरीदारी करना। इन्वेस्टर्स सिर्फ मूल्य या एक निश्चित मार्जिन का पेमेंट ही करते हैं लेकिन बाकी के पैसे ब्रोकर ही प्रदान करता है।

इस सुविधा के कारण आप अपने पास मौजूदा पैसे से भी ज्यादा से ज्यादा ट्रेड करके शेयरों की खरीदारी कर सकते हैं। किंतु, यहां आपको एक बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि ब्रोकर ने एक निश्चित फ़ीसदी इंटरेस्ट चार्ज करके डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए मार्जिन (delivery margin kya hai) प्रदान किया है। इन्वेस्ट करने से पहले ब्रोकर के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करने के बाद ही निवेश शुरू करना बेहतर रहता है।

What is Delivery Margin in Zerodha in Hindi?

अब आगे हम जानते हैं कि जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है?

आगे बढ़ने से पहले हम यहां जेरोधा के बारे में भी आपको शॉर्ट में इंफॉर्मेशन दे रहे हैं।

जीरोधा (Zerodha Meaning in Hindi) की स्थापना साल 2010 में निखिल कामत और नितिन कामत ने मिलकर की थी। अब नितिन कामत जेरोधा के फाउंडर और सीईओ है।

सब-ब्रोकर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले नितिन कामत ने साल 2006 में रिलायंस के साथ मनी मैनेजर के तौर पर काम किया और साल 2010 के अंत तक अपने छोटे भाई के साथ मिलकर जेरोधा की स्थापना कर दी।

यह सब तो जीरोधा (Zerodha Meaning in Hindi) दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है जीरो + रोढा (Zero+ Rodha)। इसका मतलब है कि क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है इस कंपनी में किसी भी ट्रेडर इन्वेस्टर्स को किसी भी प्रकार की बाधाएं नहीं आती है।

Zerodha हमारे देश की पहली ऐसी डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म है जिसने देश की ब्रोकिंग इंडस्ट्री का परिदृश्य बदल दिया है। वही Zerodha हमारे देश का ऐसा पहला ट्रेडिंग फर्म है जो मौजूदा ब्रोकरेज की रेट्स कम करके हर खरीद और बिक्री बिक्री पर फ्लैट दर से फीस की फैसिलिटी भी प्रदान करता है। साथ ही यह बीएसई , सेबी, एमसीएक्स , में एनसीडीईएक्स और एनएसई जैसे एक्सचेंज के साथ भी पंजीकृत है।

रिटेल और इनसीटूशनल ब्रोकिंग, कोमोडिटी, म्यूच्यूअल फंड , करेंसी और बॉन्ड की पेशकश करने के साथ ही Zerodha इक्विटी डिलीवरी निवेश के लिए भी निशुल्क है। हम आपको बता दें कि इस प्लेटफार्म में सिर्फ इक्विटी इंट्राडे , ऑप्शन और ट्रेड ट्रेक के लिए ही सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स की वसूली की जाती है।मौजूदा हालातों पर नजर करे तो वर्तमान में करीब 23 लाख से भी अधिक एक्टिव क्लाइंट जेरोधा के साथ जुड़े हुए हैं। अब यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जीरोधा नए इन्वेस्टर के लिए सबसे बेस्ट प्लेटफॉर्म है।

अब हम आगे बढ़ कर आपको बताते हैं कि जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन (delivery margin kya hai) क्या है?

डिलीवरी शेयरों की बिक्री होने के बाद ब्रोकर मार्जिन ( what is delivery margin in zerodha in Hindi) को काटकर ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे क्रेडिट करता है। इसी घटे हुए अमाउंट को डिलीवरी मार्जिन क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है कहते हैं। आगे हम आपको इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हैं कि जेरोधा डिलीवरी मार्जिन (Delivery margin kaise kaam karta hai) कांसेप्ट कैसे काम करता है और आप किस प्रकार इसका इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा ट्रैक कर सकते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो जब भी आप अपने डिमैट अकाउंट से किसी भी शेर को बेचते हैं तो उस बेचे गए शेयर की कीमत का 80% आपके ट्रेडिंग अकाउंट में जमा होता है और बाकी का अमाउंट आपके डिलीवरी मार्जिन के तौर पर क्रेडिट होता है। इस मार्जिन को अगले ट्रेड के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

सेबी के पिक मार्जिन (delivery margin kya hai) के नियमों के अनुसार हम उसे कुछ हिस्सा कह सकते हैं।

Delivery Margin in Zerodha in Hindi

जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है इसे हम एक बहुत ही आसान तौर पर आप को समझा रहे हैं।

चलिए मान लीजिए कि आपके पास किसी भी कंपनी का एक शेयर है जिसे आप 550.50 रुपए में बेचना चाहते हैं।

अब इन संजोग में आपके ट्रेडिंग अकाउंट में T+1 डे में इसका 80% यानी 440.4 का अमाउंट क्रेडिट हो जाएगा और बाकी का 20% यानी कि 110.1 अमाउंट आपके अकाउंट में मार्जिन के तौर पर अवेलेबल होगा जिसे आप अपनी नेक्स्ट ट्रेड के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

वहीं आप ऑप्शन और फ्यूचर में ट्रेड कर रहे हैं और फिजिकल डिलीवरी की स्थिति भी ओपन है तो ऐसी परिस्थिति में आप का अतिरिक्त मार्जिन ब्लॉक हो जाएगा और इस अतिरिक्त मार्जिन को भी हम डिलीवरी मार्जिन की जैसे ही टैग करते हैं।

यहां पर कुछ ऐसी परिस्थितियां भी है जिनके बारे में आपको जानकारी होना बेहद ही जरूरी है।

लॉन्ग ITM ऑप्शंस में कोई भी अतिरिक्त मार्जिन ब्लॉक नहीं किया जाएगा।

लॉन्ग OTM ऑप्शंस में कॉन्ट्रैक्ट मूल्य का 50 % ब्लॉक हो जाएगा।

एक्सपायरी वाले दिन, ब्लॉक मार्जिन कॉन्ट्रैक्ट मूल्य या फिर स्पेन और एक्स्पोज़र मार्जिन का 40 फ़ीसदी होगा (जो भी इनमें से सबसे ज्यादा हो)।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है इस ट्रेडिंग सेगमेंट के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। इसके बावजूद भी आपके मन में अभी भी कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट सेशन में पूछ सकते हैं। हम जल्द ही आपको जवाब देने का प्रयास करेंगे।

Career in Share Market: बेस्ट करियर ऑप्शन है स्टॉक मार्केट, ब्रोकर बनकर करें मोटी कमाई, जॉब के हैं ढेरों विकल्प

टाइम्स नाउ डिजिटल

Career In Share Market: लगातार ग्रोथ कर रहे शेयर मार्केट में युवाओं के लिए करियर की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर युवा स्टॉक ब्रोकर बनकर लाखों से करोड़ों रुपये तक की कमाई कर क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है सकते हैं। अगर आप भी अपना करियर इस क्षेत्र में बनाना चाहते हैं तो आपको यहां पर पूरी जानकारी मिलेगी।

Career In Share Market

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में युवा ऐसे बनाएं शानदार करियर   |  तस्वीर साभार: Representative Image

  • स्‍टॉक ब्रोकर के बिना स्टॉक मार्केट को समझ पाना मुश्किल
  • स्‍टॉक ब्रोकर को इकोनॉमिक्स, स्टेटिस्टिक्स जानकारी जरूरी
  • स्‍टॉक ब्रोकर अनुभव के बाद कर सकता है करोड़ों में कमाई

Career in Share Market: शेयर मार्केट लगातार और तेजी से बढ़ता जा रहा है। ट्रेडिंग इंडस्ट्री में हो रहे इस विस्तार के साथ यहां पर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। अगर आप भी स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक ब्रोकर, निफ्टी और सेंसेक्स में दिलचस्पी रखते हैं तो आप भी यहां पर शानदार करियर बना सकते हैं। आज के समय में हर कोई शेयर बाजार में पैसा लगाकर जल्‍द से जल्‍द अमीर बनना चाहता है, लेकिन शेयर बाजार कोई बच्चों का खेल नहीं है। यहां पर पैसा लगाने के लिए मार्केट की अच्‍छी जानकारी होनी चाहिए, नहीं तो भारी नुकसान हो सकता है। शेयर मार्केट के इस खेल को समझने में मदद करते हैं स्‍टॉक ब्रोकर। ये इन्वेस्टर और शेयर मार्केट के बीच की कड़ी होते हैं। ब्रोकर के बिना इन्वेस्टर के लिए स्टॉक मार्केट को समझ पाना मुश्किल है।

जानें, स्टॉक ब्रोकर को

स्टॉक ब्रोकर दो तरह के होते हैं। एक फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर होते हैं तो अपने क्लाइंट्स को स्टॉक एडवाइजरी, मार्जिन मनी क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है की सुविधा, ट्रेडिंग सुविधा और आईपीओ में इन्वेस्टमेंट की फैसिलिटी देते हैं। इनकी कस्टमर सर्विस काफी अच्छी मानी जाती है। वहीं, दूसरे होते हैं डिस्काउंट ब्रोकर। ये क्लाइंट के साथ बहुत कम ब्रोकरेज पर काम करते हैं। डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइंट को स्टॉक एडवाइजरी और रिसर्च की सुविधा नहीं देते हैं। ये अकाउंट खोलने से लेकर ट्रेडिंग में मदद करते हैं।

स्टॉक ब्रोकर के लिए जरूरी योग्यता

स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, एकाउंटेंसी, स्टेटिस्टिक्स या बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की नॉलेज होना जरूरी है। इसलिए इन विषयों में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। स्‍टॉक मार्केट की बेहतर नॉलेज के लिए शनल स्टॉक एक्सचेंज का ‘एनसीएफएम कोर्स’ ऑनलाइन सर्टिफिकेशन प्रोग्राम भी उपलब्‍ध है।

स्टॉक ब्रोकर करियर ऑप्‍शन व सैलरी

युवा कोर्स पूरा करने के बाद इस फील्ड में कई तरह से करियर बना सकते हैं। युवाओं के लिए स्टॉक एक्सचेंज के अलावा रेगुलेशन अथॉरिटी, इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंसी, म्यूचुअल फंड कंपनी, फॉरेन इन्वेस्टमेंट फर्म्स, ब्रोकर फर्म्स और बैंक व इंश्योरेंस एजेंसी में जॉब की अच्‍छी संभावना होती है। उम्‍मीदवार अपने एक्सपीरियंस के आधार पर इक्विटी ट्रेडर, इक्विटी एडवाइजर, इक्विटी डीलर, स्टॉक एडवाइजर, वेल्थ मैनेजर, फाइनेंशियल एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर, सिक्योरिटी एनालिस्ट और रिस्क मैनेजर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं। एक स्टॉक ब्रोकर की शुरुआती सालाना सैलरी 4 से 8 लाख रुपये तक हो सकती है। वहीं, एक्‍सपीरियंस के बाद स्टॉक ब्रोकर करोड़ों तक में कमाई कर सकते हैं।

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