Photo:INDIA TV भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट

रुपये ने बनाया गिरने का नया रिकॉर्ड, पहली बार 82 के पार, आपके ऊपर होगा ये असर

Dollar Vs Rupee: एक्सपर्ट्स की मानें तो अनिश्चितता के समय में लोग सुरक्षित ठिकाना तलाशते हैं और डॉलर उन्हें सबसे बैहतर विकल्प लगता है. ऐसे में विदेशी निवेशक जब बिकवाली करते हैं, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.

रिकॉर्ड निचले स्तर तक लुढ़का रुपया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2022, 2:21 PM IST)

भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. बीते दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 81 के स्तर तक फिसल गया था, तो अब नए निचले स्तर (Rupee Record Low) को छूते हुए 82 के पार निकल गया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार गिरावट की मुद्रा में यह कमजोर होकर 82.33 के स्तर पर आ गया. यहां बता दें रुपये में ये गिरावट कई तरह से आप पर असर (impact) डालने वाली है.

16 पैसे टूटकर छुआ रिकॉर्ड लो स्तर
पहले बात कर लेते हैं Rupee में लगातार जारी गिरावट के बारे में, तो बीते कारोबारी दिन मुद्रा बाजार (Currency Market) में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.88 के स्तर पर बंद हुआ था. बीते कुछ दिनों में इसमें कभी मामूली बढ़त और कभी गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके 82 तक गिरने की आशंका जताई जा रही थी.

शुक्रवार को जैसे ही कारोबार शुरू हुआ भारतीय करेंसी (Indian Currency) में 16 पैसे की जोरदार गिरावट आई और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee Vs Dollar) रिकॉर्ड निचले स्तर 82.33 तक फिसल गया. पहली बार 23 सितंबर 2022 को इसने 81 रुपये के निचले स्तर को छुआ था. जबकि उससे पहले 20 जुलाई को यह 80 रुपये का लेवल पार कर गया था. यहां बता दें रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.

सम्बंधित ख़बरें

World Bank ने घटाया भारत की वृद्धि दर का अनुमान, बताए ये कारण
IMF चीफ की चेतावनी- दुनिया पर बढ़ रहा मंदी का खतरा, तुरंत उठाने होंगे कदम
दिवाली से पहले शुरू करें ये बिजनेस, कम लागत में कमाएं मोटा मुनाफा
DA Hike की सौगात, अब 18 महीने का पेंडिग एरियर कब? आया ये बड़ा अपडेट
इस सरकारी बैंक ने दिया बड़ा झटका, आज से ग्राहकों का बढ़ेगा खर्च

सम्बंधित ख़बरें

रुपये में गिरावट के बड़े कारण
भारतीय मुद्रा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के एक नहीं बल्कि कई कारण है. हालांकि, इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में गिरावट की मुद्रा बढ़ोतरी को माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में महंगाई (US Inflation) चार दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई है और इसके चलते वगां ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. बीते दिनों एक बार फिर से फेड रिजर्व ने इनमें 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की.

दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के कारण दुनिया भर गिरावट की मुद्रा की करेंसी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. क्योंकि डॉलर के मजबूत होने पर इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इन्वेस्टर्स की इस बिकवाली का गिरावट की मुद्रा असर रुपया समेत दुनिया भर की करेंसियों पर हो रहा है. इसके अलावा जबकि, रूस और यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपया पर दबाव बढ़ाने का काम किया है.

डॉलर बन रहा सुरक्षित ठिकाना!
विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जब उथल-पुथल मचती है, तो निवेशक डॉलर की ओर अपना रुख करते हैं. डॉलर की मांग बढ़ती है तो फिर अन्य करेंसियों पर दबाव बढ़ता चला जाता है. दुनिया भर में अनिश्चितता की बात करें तो कोरोना महामारी या फिर रूस-यूक्रेन में युद्ध, इनकी वजह से आपूर्ति में रुकावट आई है, जो दुनियाभर में अव्यवस्था पैदा करने वाली साबित हुई है.

उन्होंने कहा, जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. विदेशी निवेशकों जब जोरदार बिकवाली करते हैं, तो फिर विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ जाती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.

भारत के लिए इसलिए बड़ी मुसीबत
रुपये के टूटने से कई क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिलता है. इसमें तेल की कीमतों से लेकर रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में इजाफा दिखाई देने लगता है. भारत के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट इसलिए भी बड़ी मुसीबत का सबब है, क्योंकि भारत जरूरी तेल, इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है. अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो आयात और महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा खर्च करना होगा.

गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक गिरावट की मुद्रा सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है. अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और ज्यादातर कारोबार डॉलर में ही होता है. विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ जाएगी. बता दें भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है और इसका भी भुगतान डॉलर में ही होता है. अब डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च करना होगा, जिससे माल ढुलाई महंगी होगी और इसका असर हर जरूरत की चीज पर महंगाई के रूप में दिखाई देगा.

विदेश में बच्चों को पढ़ाना-घूमना महंगा
दरअसल, कच्चे तेल, सोना और अन्य धातुओं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं. ऐसे में दिनों-दिन रुपये की बिगड़ रही हालत से इनकी खरीद के लिए हमें ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ेगा. घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी. इसके अलावा रुपये में गिरावट से भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ाई करना और घूमना महंगा हो जाएगा. घरेलू मुद्रा में इस बड़ी गिरावट से विदेश में अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना करीब 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी

विदेशी मुद्रा आस्तियों में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट दर्ज की गई। पूर्व सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.433 अरब डॉलर घटकर 351.920 अरब डॉलर रहा था। बीते दो सप्ताह में मुद्रा भंडार में 6.322 अरब डॉलर की गिरावट गिरावट की मुद्रा आई है। यह 19 जून को समाप्त सप्ताह में अपने उच्चतम स्तर 355.46 अरब डॉलर पर था।

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार आलोच्य सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां 2.650 अरब डॉलर घटकर 325.656 अरब डॉलर रहीं। वहीं स्वर्ण भंडार 21.48 करोड़ डॉलर घटकर 18.035 अरब डॉलर रहा।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Friday special: अद्भुत टोटके अपनाने से मां लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ेगी आपका बसेरा

Friday special: अद्भुत टोटके अपनाने से मां लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ेगी आपका बसेरा

बड़े काम की हैं ये छोटी बातें, जीवन से निर्धनता और सभी तरह के संकट करेंगी दूर

बड़े काम की हैं ये छोटी बातें, जीवन से निर्धनता और सभी तरह के संकट करेंगी दूर

शाहपुर में होमगार्ड जवान की मौत, इंदौरा में महिला ने जहर खाकर दी जान

शाहपुर में होमगार्ड जवान की मौत, इंदौरा में महिला ने जहर खाकर दी जान

व्हाइट हाउस से बाइडन के भाषणों का हिंदी, एशियाई भाषाओं में अनुवाद का अनुरोध

व्हाइट हाउस से बाइडन के भाषणों का हिंदी, एशियाई भाषाओं में अनुवाद का अनुरोध

खेत में युवती का शव मिलने से फैली सनसनी, हत्या के बाद पत्थर मारकर कुचला चेहरा

भारत गिरावट की मुद्रा के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट, जानिए कितना बचा है देश के पास रिजर्व

एक बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) में कमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2.7 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया है।

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Published on: August 20, 2022 16:32 IST

भारत के विदेशी मुद्रा. - India TV Hindi

Photo:INDIA TV भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट

Indian Foreign Reserves: एक बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) में कमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2.7 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया है। इससे पहले 29 जुलाई को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था।

क्या कहता है आरबीआई?

विदेशी मुद्रा भंडार घटने के पीछे विश्व में आर्थिक मंदी आने के संकेत भी है। भारतीय रिजर्व बैंक इसे कंट्रोल करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। उसके हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। गिरावट की मुद्रा हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।

यूक्रेन-रूस युद्ध है इसका कारण

आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय गिरावट की मुद्रा बैंक की सोच से मेल खाए।

रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है। अध्ययन के अनुसार, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई। जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है।

अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आई गिरावट, अब इतना अरब डॉलर हो गया कम

देश का विदेशी मुद्रा भंडार तीन दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 1.783 अरब डॉलर घटकर 635.905 अरब डॉलर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 271.3 करोड़ डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया था। आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार तीन दिसंबर को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशीमुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों ( एफसीए ) में गिरावट आना था जो कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है।

एफसीए 1.4 अरब डॉलर घटा

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान एफसीए 1.483 अरब डॉलर घटकर 573.181 अरब डॉलर रह गया। डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट बढ़ को भी शामिल किया जाता है।

स्‍वर्णभंडार का मूल्‍य 40 करोड़ डॉलर घटा

इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 40.7 करोड़ डॉलर घटकर 38.418 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ( आईएमएफ ) के पास विशेष आहरण अधिकार नौ करोड़ डॉलर बढ़कर 19.126 अरब डॉलर हो गया। अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार 1.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.18 अरब डॉलर हो गया।

नवंबर में भी घट गया था विदेशी मुद्रा भंडार

26 नवंबर को समाप्त हुए हफ्ते में यह 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया था। आरबीआई के अनुसार इससे पहले 19 नवंबर को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 28.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 640.401 अरब डॉलर हो गया था। वहीं, 3 सितंबर को समाप्त हफ्ते में मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 26 नवंबर को समाप्त समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों में गिरावट था। यह कुल मुद्रा भंडार अहम हिस्सा होता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 5वें सप्ताह गिरावट, जानिए कितने डॉलर घटे

नईदिल्ली। रूस-यूक्रेन संकट के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट आई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 08 अप्रैल, 2022 को समाप्त हफ्ते में 2.471 अरब डॉलर घटकर 604.004 अरब डॉलर रह गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार देररात जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।

आरबीआई के जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक बीते पांच हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28.5 अरब डॉलर घट चुका है। इससे पहले 01 अप्रैल को यह रिकॉर्ड 11.173 अरब डॉलर घटकर 606.475 अरब डॉलर पर आ गया था। आंकड़ों के मुताबिक 25 मार्च, 2022 को यह 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर गिरावट की मुद्रा रहा था। वहीं, 18 मार्च को 2.597 अरब डॉलर घटकर 619.678 अरब डॉलर पर आ गया था, जबकि 11 मार्च को यह 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर रह गया था।

रिजर्व बैंक के मुताबिक 8 अप्रैल को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में आई कमी की वजह से आई है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान एफसीए 10.7 अरब डॉलर घटकर 539.727 अरब डॉलर रह गया।

रेटिंग: 4.73
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 106