Balanced investment strategy क्या है?

संतुलित निवेश रणनीति क्या है? [What is a balanced investment strategy?]

Balanced investment strategy Risk और Return को संतुलित करने के प्रयास में एक पोर्टफोलियो में परिसंपत्ति वर्गों को जोड़ती है। आमतौर पर, संतुलित पोर्टफोलियो को स्टॉक और बॉन्ड के बीच विभाजित किया जाता है, या तो समान रूप से या मामूली झुकाव के साथ, जैसे स्टॉक में 60% और बॉन्ड में 40%। संतुलित पोर्टफोलियो तरलता उद्देश्यों के लिए एक छोटा नकद या मनी मार्केट घटक भी बनाए रख सकते हैं।

संतुलित निवेश रणनीति कैसे काम करती है? [How does a balanced investment strategy work?]

Balanced investment strategy निवेशकों को कई लाभ प्रदान करती है। मुख्य रूप से, यह उन्हें मंदी की स्थिति में सब कुछ गंवाए बिना, बाजार की ऊपर की ओर गति का लाभ उठाने की अनुमति देता है। निवेशक उच्च जोखिम और कम जोखिम वाली प्रतिभूतियों में समान रूप से निवेश करके इसे प्राप्त करते हैं। उच्च जोखिम वाली प्रतिभूतियाँ उच्च प्रतिफल प्रदान करती हैं जबकि कम जोखिम वाली प्रतिभूतियाँ कम प्रतिफल प्रदान करती हैं, जिससे जोखिम में संतुलन बनता है और एक निवेशक को एक पोर्टफोलियो से प्रतिफल मिलता है। जबकि एक संतुलित निवेश रणनीति को अक्सर आक्रामक रणनीति के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह निवेशकों के लिए पूंजी प्रतिधारण की गारंटी देता है।

निवेश की रणनीति बनाते समय, निवेशकों को पिछले डेटा के आधार पर अपनी जोखिम लेने की क्षमता और जोखिम गणना को ध्यान में रखना चाहिए। जोखिम मूल्यांकन के लिए अन्य कारकों में अन्य बातों के साथ-साथ प्रबंधन विशेषताएँ, उत्पाद मिश्रण, विनियामक मुद्दे शामिल हैं। साथ ही, रणनीति में निवेश करने के लिए समय का अनुमान शामिल होना चाहिए।

संतुलित निवेश रणनीति क्या है? [What is a balanced investment strategy?]संतुलित निवेश रणनीति क्या है? [What is a balanced investment strategy?]

मध्यम जोखिम सहन करने वाले निवेशकों में आम तौर पर इक्विटी और बॉन्ड का उचित मिश्रण होता है। एक संतुलित निवेश रणनीति निवेश से जोखिम और प्रतिफल का औसत निकालती है। रूढ़िवादी निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए ब्लू-चिप इक्विटी या बॉन्ड में अधिक निवेश चुनते हैं, जबकि आक्रामक निवेशक उच्च जोखिम वाले उच्च रिटर्न के लिए छोटे कैप चुन सकते हैं। Bait and Switch क्या है?

एक संतुलित निवेश रणनीति में सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश शामिल हो सकता है, जैसे कि डिपॉजिट सर्टिफिकेट, लॉन्ग-टर्म बॉन्ड और ब्लू-चिप इक्विटी। ये निवेश कम आय देते हैं लेकिन पूंजी को बरकरार रखने की संभावना है।

निवेश का एक अन्य हिस्सा मिड-कैप इक्विटी शेयरों में हो सकता है जो व्यापार विस्तार मोड में हैं और छोटे कैप जो लंबी अवधि में अधिक पूंजी की सराहना करते हैं।

EMA की विशेषताएँ

आदिकाल को वीरगाथाकाल के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास का यह काल सन् 993 ई. से 1318 ई. (संवत् 1050 से 1375) तक जारी रहा।

आदिकाल की विशेषताएँ

आदिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. वीर रस की प्रधानता।
2. युद्धों का सजीव चित्रण।
3. ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण।
4. श्रृंगार एवं अन्य रसों का समावेश।
5. प्राकृत, अपभ्रंश, डिंगल एवं पिंगल भाषा का प्रयोग।
6. आश्रयदाताओं की प्रशंसा एवं उनका गान।

आदिकाल के कवि एवं उनकी रचनाएँ

आदिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. चंदवरदायी– पृथ्वीराज रासो
2. नरपति नाल्ह– वीसलदेव रासो
3. जगनिक– परमाल रासो 'आल्हाखण्ड'
4. शारंगधर– हम्मीर रासो
5. दलपतिविजय– खुमान रासो।

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF Hindi

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए EMA की विशेषताएँ EMA की विशेषताएँ EMA की विशेषताएँ गए लिंक से। अगर आप देवनागरी लिपि की विशेषताएँ हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको रहे हैं देवनागरी लिपि की विशेषताएँ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जय भट्ट के एक शिलालेख में हुआ है। यह लिपि हिंदी प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र व नेपाल में प्रचलित है गुजरात में सर्वप्रथम प्रचलित होने से वहां के पंडित वर्ग अर्थात नगर ब्रह्मांणों के नाम से इसे नागरे कहां गया। देव भाषा संस्कृत में इसका प्रयोग होने से इसके साथ जो शब्द जुड़ गया। देवताओं की उपासना के लिए जो संकेत बनाए जाते थे उन्हें देवनगर कहते थे। वे संकेत लिपि के समान थे वहीं से इसे देवनागरी कहा जाने लगा।

देवनागरी के व्यंजनों की विशेषता इस लिपि को और वैज्ञानिक बनाती है, जिसके फलस्वरूप क,च,ट,त,प, वर्ग के स्थान पर आधारित है और हर वर्ग के व्यंजन में घोषत्व का आधार भी सुस्पष्ट है, जैसे- पहले दो व्यंजन (च,छ) अघोष और शेष तीन व्यंजन (ज,झ,ञ) घोष होते हैं। देवनागरी व्यंजनों को हम प्राणत्व के आधार पर भी समझ सकते हैं, जैसे- प्रथम, तृतीय और पंचम व्यंजन अल्पप्राण और द्वितीय और चतुर्थ व्यंजन महाप्राण होता है। देवनागरी व्यंजनों को हम प्राणत्व के आधार पर भी समझ सकते हैं, जैसे- प्रथम, तृतीय और पंचम व्यंजन अल्पप्राण और द्वितीय और चतुर्थ व्यंजन महाप्राण होता है। इस तरह का वर्गीकरण और किसी और लिपि व्यवस्था में नहीं है।

देवनागरी की लिपि की विशेषता

  • लिपि चिह्नों के नाम ध्वनि के अनुसार– इस लिपि में चिह्नों के द्योतक उसके ध्वनि के अनुसार ही होते हैं और इनका नाम भी उसी के अनुसार होता है जैसे- अ, आ, ओ, औ, क, ख आदि। किंतु रोमन लिपि चिह्न नाम में आई किसी भी ध्वनि का कार्य करती है, जैसे- भ्(अ) ब्(क) ल्(य) आदि। इसका एक कारण यह हो सकता है कि रोमन लिपि वर्णात्मक है और देवनागरी ध्वन्यात्मक।
  • लिपि चिह्नों की अधिकता – विश्व के किसी भी लिपि में इतने लिपि प्रतीक नहीं हैं। अंग्रेजी में ध्वनियाँ 40 के ऊपर है किंतु केवल 26 लिपि-चिह्नों से काम होता है। ‘उर्दू में भी ख, घ, छ, ठ, ढ, ढ़, थ, ध, फ, भ आदि के लिए लिपि चिह्न नहीं है। इनको व्यक्त करने के लिए उर्दू में ‘हे’ से काम चलाते हैं’ इस दृष्टि से ब्राह्मी से उत्पन्न होने वाली अन्य कई भारतीय भाषाओं में लिपियों की संख्याओं की कमी नहीं है। निष्कर्षत: लिपि चिह्नों की पर्याप्तता की दृष्टि से देवनागरी, रोमन और उर्दू से अधिक सम्पन्न हैं।
  • स्वरों के लिए स्वतंत्र चिह्न – देवनागरी में ह्स्व और दीर्घ स्वरों के लिए अलग-अलग चिह्न उपलब्ध हैं और रोमन में एक ही (।) अक्षर से ‘अ’ और ‘आ’ दो स्वरों को दिखाया जाता है। देवनागरी के स्वरों में अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
  • व्यंजनों की आक्षरिकता – इस लिपि के हर व्यंजन के साथ-साथ एक स्वर ‘अ’ का योग रहता है, जैसे- च्+अ= च, इस तरह किसी भी लिपि के अक्षर को तोड़ना आक्षरिकता कहलाता है। इस लिपि का यह एक अवगुण भी है किंतु स्थान कम घेरने की दृष्टि से यह विशेषता भी है, जैसे- देवनागरी लिपि में ‘कमल’ तीन वर्णों के संयोग से लिखा जाता है, जबकि रोमन में छ: वर्णों का प्रयोग किया जाता है!
  • सुपाठन एवं लेखन की दृष्टि– किसी भी लिपि के लिए अत्यन्त आवश्यक गुण होता है कि उसे आसानी से पढ़ा और लिखा जा सके इस दृष्टि से देवनागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक है। उर्दू की तरह नहीं, जिसमें जूता को जोता, जौता आदि कई रूपों में पढ़ने की गलती अक्सर लोग करते हैं।
  • यह लिपि भाषा के अंतर्गत आने वाले अधिक से अधिक चिन्हों से संपन्न है। जिसमें परंपरागत रूप से 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं। इसके अतिरिक्त ड़, ढ़, क़, ख़, ग़, ज़, फ़ इन ध्वनियों के लिए भी चिन्ह बने हैं। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र संयुक्त व्यंजनों के लिए अलग चिन्ह है।
  • यह लिपि समस्त प्राचीन भारतीय भाषाओं जैसे- संस्कृत, प्राकृत, पाली एवं अपभ्रंश की भी लिपि रही है।
  • जो लिपि चिन्ह जिस ध्वनि का घोतक है उसका नाम भी वही है जैसे- आ, इ, क, ख आदि। इस दृष्टि से रोमन लिपि में पर्याप्त भ्रम की स्थिति विद्यमान है। जैसे – C, H, G, W आदि।
  • हिंदी में ऋ – रि, श – ष, को छोड़कर शेष सभी ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिन्ह है।

देवनागरी के दोष

देवनागरी के चारों ओर से मात्राएं लगना EMA की विशेषताएँ और फिर शिरोरेखा खींचना लेखन में अधिक समय लेता है, रोमन और उर्दू में नहीं होता। ‘र’ के एक से अधिक प्रकार का होना, जैसे- रात, प्रकार, कर्म, राष्ट्र।

अत: यह कहा जा सकता है कि देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की अपेक्षा अच्छी मानी जा सकती है, जिसमें कुछ सुधार की आवश्यकता महसूस होती है जैसे- वर्णों के लिखावट में सुधार की आवश्कता है क्योंकि ‘रवाना’ लिखने की परम्परा में सुधार हो कर अब ‘खाना’ इस तरह से लिखा जाने लगा है। इसी तरह से लिखने के पश्चात हमें शिरोरेखा पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जैसे- ‘भर’ लिखते समय हमें शिरोरेखा थोड़ा जल्द बाजी कर दे तो ‘मर’ पढ़ा जाएगा। इन छोटी-छोटी बातों पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF - PAGE 2

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF Download Link

REPORT THIS If the purchase / download link of देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If देवनागरी लिपि की विशेषताएँ is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की तीसी की नई उन्नत किस्म, अन्य किस्मों से इस तरह है बेहतर

birsa tisi 2 kism

तीसी की नई उन्नत किस्म बिरसा तीसी-2

देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की उन्नत क़िस्में विकसित की जा रही है, ताकि किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इस कड़ी में केन्द्रीय उप आयुक्त कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने 30 नवंबर को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2 (बीएयू -14-09)” गजट जारी किया है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित की गई तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2” को भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केन्द्रीय उप समिति द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है।

क्या है बिरसा तीसी-2 किस्म की विशेषताएँ

इस किस्म को देश के 25 वर्षा आश्रित क्षेत्रों में तीन वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर जारी किया गया है। इस किस्म की उपज क्षमता 13.83 क्विंटल/ हेक्टेयर है, जो नेशनल चेक (टी–397) एवं जोनल चेक (प्रियम) की अपेक्षा करीब 11 प्रतिशत सुपीरियर है। इन दोनों की अपेक्षा इसकी (परिपक्वता अवधि 128-130 दिन) भी कम है। इसमें करीब 44.54 % तेल की मात्रा पाई गयी है, जो नेशनल एवं जोनल किस्मों से अधिक है। यह किस्म रस्ट रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधी तथा विल्ट, अल्टरनरिया ब्लाइट, पाउडरी माइल्डयू एवं बडफ्लाई रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

यह भी पढ़ें खेती-किसानी का काम करते हुए दुर्घटना या मृत्यु होने पर सरकार किसानों को दे रही है 2 लाख रुपए की सहायता

इससे पूर्व रांची केंद्र द्वारा परियोजना के अधीन तीसी फसल की विकसित तीन प्रभेदों (प्रीयम, दिव्या एवं बिरसा तीसी–1) को सेंट्रल वेरायटल रिलीज़ कमिटी से अनुमोदन मिल चुका है।

तीसी-2 किस्म विकसित करने में इन इन वैज्ञानिकों ने दिया है योगदान

झारखण्ड राज्य के लिए उपयुक्त इस नये किस्म को आईसीएआर–अखिल भारतीय समन्वित तीसी व कुसुम फसल परियोजना, रांची केंद्र के परियोजना अन्वेंषक एवं मुख्य प्लांट ब्रीडर (तेलहनी फसल) के नेतृत्व में विकसित किया गया है। इस किस्म को वर्षो शोध उपरांत विकसित करने में शोध से जुड़े बीएयू वैज्ञानिक डॉ. परवेज आलम, डॉ. सविता एक्का, डॉ. एमके वर्नवाल, डॉ. रबिन्द्र प्रसाद, डॉ. एकलाख अहमद, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. एनपी यादव, डॉ. नरगिस कुमारी एवं डॉ. वर्षा रानी तथा सहयोगी फील्ड स्टाफ जयंत कुमार राम, देवेन्द्र कुमार सिंह, विशु EMA की विशेषताएँ उरांव एवं राम लाल उरांव का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

फेसबुक क्या है और इसकी विशेषताएं क्या है?

Facebook फेसबुक से पैसे कैसे कमाए

Facebook विश्व का सबसे बड़ा सोशल प्लेटफार्म में से एक है। इस प्लेटफार्म पर 1 अरब से ज्यादा यूजर्स हैं।Facebook पर आप अकाउंट बनाकर ढेर सारे फ्रेंड्स फॉलोअर बना सकते हैं। आप घर में अकेले रह रहे है या ऐसे जगह रह रहे हैं जहा आपका कोई फ्रेंड नहीं है आप संसार के हर कोने से फ्रेंड बना सकते हैं उससे बाते कर सकते हैं। उससे आप वीडियो कॉल ऑडियो कॉल जैसे चाहे वैसे बात कर सकते हैं।भारत में कुछ लोग तो दूसरे देशों EMA की विशेषताएँ के लड़कियों को फ्रेंड बनाकर उसे सादी भी कर ले रहे हैं। फेसबुक आपको ऑनलाइन आपके विचारो को अभिव्यक्त करने में मदद करता है। आप फेसबुक के मदद से अपना बिजनेस बना सकते हैं।कुछ लोग फेसबुक से लाखो कमा रहे हैं। कुछ लोग फेसबुक से पढ़ाई भी कर रहे हैं। यहां आप ढेर सारे पढ़ाई ,गेमिंग, एंटरटेनमेंट ग्रुप से जुड़ सकते हैं।

देखा जाए तो फेसबुक खराब भी है और फेसबुक अच्छा भी है। आप दिनभर फेसबुक चलकर अपना टाइम बर्बाद कर सकते है आप चाहे तो इससे फायदा भी उठा सकते हैं यह सबकुछ आपके उपर निर्भर करता हैं।फेसबुक पर बर्बाद होने के लिए बहुत कुछ कंटेंट हैं।आप ज्यादा से ज्यादा इससे सही इस्तेमाल करे।

Table of Contents

फेसबुक कैसे इस्तेमाल करे?

  1. सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाइए वहा से फेसबुक एप इंस्टॉल करे
  2. इसके बाद create new account पर क्लिक करे।
  3. Get started बटन पर क्लिक करे
  4. अपना पहला और आखिरी नाम डालकर next पर क्लिक करे
  5. अपना डेट ऑफ बर्थ डाले
  6. अपना जेंडर डाले और next पर क्लिक करे
  7. यदि आप मोबाइल नंबर से अकाउंट बनाना चाहते हैं तो आप अपना मोबाइल नंबर डाले या फिर जीमेल आईडी से बनाने के लिए Sign Up with Email Address पर क्लिक करे
  8. अपना जीमेल आईडी डाले और next per क्लिक करे
  9. अपना पासवर्ड बनाए जो आप फेसबुक लॉगिन करने के लिए करना चाहते हैं
  10. आप अभी जो जीमेल आईडी और पासवर्ड डाले हैं यदि उसको save करना चाहते हैं save पर क्लिक करे या फिर not now पर क्लिक करे
  11. फेसबुक के terms and condition को agree करे और I agree पर क्लिक करे
  12. आपके जीमेल आईडी पर 5 अंक का कोड गया होगा उसे डाले और next पर क्लिक करे
  13. EMA की विशेषताएँ
  14. आप अपना प्रोफाइल फोटो डाले इसे आप बाद में भी डाल सकते हैं
  15. आपका अकाउंट बन कर तैयार हो चुका है अब आप फेसबुक पर ढेर सारे कंटेंट देख सकते हैं और फ्रेंड बनाकर उससे चैट कर सकते है

फेसबुक से क्या लाभ है?

  • फेसबुक से आप संसार के किसी भी कोने से फ्रेंड बना सकते है और उससे बाते कर सकते हैं
  • फेसबुक से आप अपने स्कूल के पुराने दोस्तो को ढूंढ सकते हैं
  • इससे आप एंटरटेनमेंट कर सकते हैं
  • इससे आप अपने शहर के लेटेस्ट न्यूज जन सकते हैं
  • इससे आप पढ़ाई वाले ग्रुप ज्वाइन करके उससे पढ़ और अपना डाउट सॉल्व कर सकते हैं
  • इससे आप अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं
  • इससे आप खुद को फेमस कर सकते हैं
  • इससे आप facebook पेज बनाकर पैसे कमा सकते हैं
  • इससे आप आप अपने दोस्तों से वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं
  • इससे आप अपना विचार प्रकट कर सकते हैं और लोगो को अपना विचार बता सकते हैं

Facebook से क्या नुकसान है?

  • इससे समय की बरबादी हो सकती है
  • इससे फ्रॉड का खतरा हो सकता है।
  • आपको पढ़ाई में मन नहीं लग सकता है
  • इससे आप उल्टा सीधा पोस्ट करके जेल भी जा सकते हैं

फेसबुक से पैसे कैसे मिलते हैं?

फेसबुक पर बहुत लोग दिन रात एक्टिव रहते हैं। इसका फायदा आप उठा सकते हैं ।आप फेसबुक से अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं। फेसबुक से कुछ लोग तो लाखो में पैसा कमा रहे हैं। आप भी घर बैठे पैसे कमा सकते हैं । इन तरीको से आप भी पैसे कमा सकते हैं।

रेटिंग: 4.21
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 214