टॉप-अप सिप के जरिये बढ़ा सकते हैं म्यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न, जानें इसके दूसरे फायदे
Mutual Fund SIP: सामान्य एसआईपी के तहत निवेशक अपने एसआईपी टेन्योर के दौरान अपना योगदान नहीं बढ़ा सकते हैं, लेकिन टॉप अप एसआईपी के तहत योगदान बढ़ाया जा सकता है.
By: ABP Live | Updated at : 02 Dec 2022 03:35 PM (IST)
म्युचुअल फंड (फाइल फोटो)
Mutual Fund SIP: म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) एक ऐसा तरीका है, जिससे लांग टर्म में निवेश कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. SIP निश्चित समय में फिक्स्ड अमाउंट निवेश (Fixed Amount Invest) का एक आसान सिस्टम है. इसकी मदद से निवेशक मार्केट के रिस्क और मुनाफे को समझकर निवेश का प्लान बना सकते हैं.
एक्सपर्ट अक्सर सलाह देते हैं कि अगर आपके पास अतिरिक्त पैसा है, तो उसे पहले से ही SIP में जमा करके रखें. ताकि इमरजेंसी के समय इसका उपयोग किया जा सके. वहीं, म्यूचुअल फंड के तहत एक टॉप-अप SIP भी होता है, जो निवेशकों को SIP राशि बढ़ाने की अनुमति देता है. इसमें सालाना निवेश किया जा सकता है. यह सुविधा उन लोगों के लिए है, जो अपने निवेश को बढ़ाना चाहते हैं. इसे SIP बूस्टर के नाम से भी जानते हैं.
क्या है सामान्य SIP और टॉप-अप SIP में अंतर
एक सामान्य एसआईपी के तहत निवेशक अपने एसआईपी टेन्योर के दौरान अपना योगदान नहीं बढ़ा सकते हैं. ज्यादा निवेश के लिए उन्हें नई स्कीम का विकल्प चुनना होगा, जबकि टॉप-अप एसआईपी या एसआईपी बूस्टर निवेशकों को अपने एसआईपी योगदान को ऑटोमेटिक करने की सुविधा देता है और आय में बढ़ोतरी के साथ ही कंट्रीब्यूशन को बढ़ाने की अनुमति देता है.
टॉप-अप SIP कैसे करेगा काम
म्यूचुअल फंड में टॉप अप फैसिलिटी विकल्प से निवेशक अपना मंथली कंट्रीब्यूशन अभी चल रहे SIP में बढ़ा सकते हैं. उदाहरण से समझें, अगर किसी निवेशक ने म्युचुअल फंड के तहत 10 हजार रुपये हर महीने कंट्रीब्यूट कर रहा है और इससे अधिक निवेश करना चाहता है, तो उसके टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं पास एसआईपी टॉपअप का विकल्प होता है और हर कैलेंडर वर्ष या वित्तीय वर्ष या फिर प्रत्येक छह महीने के अंत में राशि जोड़ सकता है.
News Reels
टॉप अप SIP के फायदे
टॉप अप एसआईपी की मदद से आप अपने फाइनेंशियल टारगेट को जल्द पूरा कर सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा समय तक इनवेस्ट नहीं करना पड़ेगा. एसआईपी प्लान के बीच में ही निवेश को बढ़ाकर यह टारगेट हासिल किया जा सकता है.
बढ़ती महंगाई के साथ पैसे का मूल्य नीचे जाता रहता है. इस स्थिति से अधिकतम लाभ उठाने का एक स्मार्ट तरीका यह है कि एसआईपी योगदान को मुद्रास्फीति दर या उससे अधिक के बराबर बढ़ाया जाए. इससे महंगाई से लड़ने में मदद मिलती है. टॉप-अप एसआईपी एक ऑटो पायलट मोड में काम करता है, जिसका अर्थ है कि यह निवेशकों को हर बार नए एसआईपी खाते खोलने की परेशानी से बचाता है.
Published at : 02 Dec 2022 03:12 PM (IST) Tags: SIP Mutual fund investment Plan हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Utility-news News in Hindi
ICICI प्रूडेंशियल MF ने लॉन्च किए दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड, 11 अक्टूबर तक निवेश का मौका, चेक डिटेल
ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड की मैच्योरिटी डेट 29 दिसंबर, 2028 है जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड 31 दिसंबर, टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं 2030 को परिपक्व होगा.
ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं.
ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं. इसमें ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड और ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड पैसिवली मैनेज्ड फंड हैं, जो कि एक स्पेसिफिक डेट पर मैच्योर होंगे. दोनों स्कीम के लिए न्यू फंड ऑफर 4 टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं अक्टूबर, 2022 से 11 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध होगा. ICICI प्रूडेंशियल AMC के प्रोडक्ट डेवलपमेंट और स्ट्रैटेजी हेड चिंतन हरिया ने कहा, “बढ़ती ब्याज दरों के दौर में, एक स्पेसिफिक मैच्योरिटी बकेट के भीतर निश्चित अवधि में रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशक टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “टारगेट मैच्योरिटी फंड्स की मुख्य खासियत यह है कि यह बड़े पैमाने पर होल्ड-टू-मैच्योरिटी दृष्टिकोण अपनाता है. यह भारत के अलग-अलग राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के स्टेट डेवलपमेंट लोन या सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर बनता है. अगर तीन साल से अधिक समय तक निवेश रखा जाता है, तो निवेशकों को इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है जो हायर टैक्स ब्रैकेट में पोस्ट-टैक्स रिटर्न में काफी वृद्धि करता है.”
Post Office TD: ये सरकारी स्कीम 10 लाख पर देगी 3.8 लाख ब्याज, 1 साल से 5 साल तक निवेश के हैं विकल्प
मैच्योरिटी डेट्स
ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड की मैच्योरिटी डेट 29 दिसंबर, 2028 है जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड 31 दिसंबर, 2030 को परिपक्व होगा. ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स में निवेश किया जाएगा. जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स के घटकों में निवेश किया जाएगा.
क्या आपको करना चाहिए निवेश?
टारगेट मैच्योरिटी फंड (TMF) कम क्रेडिट रिस्क के साथ आते हैं क्योंकि ये स्कीम्स SDL और G-Secs (संबंधित योजनाओं के आधार पर) जैसे सॉवरेन इंस्ट्रूमेंट्स से युक्त इंडेक्स में निवेश करती हैं. यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट या गोल्ड जैसे ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट से बेहतर रिटर्न की तलाश में हैं तो आप TMF में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट में गारंटीड रिटर्न मिलता है जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है.
(डिस्क्लेमर: म्युचुअल फंड बाजार जोखिम के अधीन हैं. कृपया निवेश का निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)
जानिए क्या है टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड? निवेशक क्यों इसे दे रहे प्राथमिकता
एम्फी टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं के आंकड़ों से पता चलता है कि एफएमपी के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) मार्च 2020 में 1.4 ट्रिलियन रुपये से अगस्त 2021 में 53,286 करोड़ रुपये हो गए है
- Money9 Hindi
- Updated On - October 8, 2021 / 10:26 AM IST
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एमएफ और एडलवाइस एमएफ सहित फंड हाउस ने इस तरह के टारगेट मैच्योरिटी फंड लॉन्च किए हैं
Investments: फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs), क्लोज-एंडेड डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के विकल्प के रूप में टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड उभरे हैं. कुछ साल पहले तक FMPs और क्लोज-एंडेड डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स बेहद लोकप्रिय थीं. हाल के हफ्तों में, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एमएफ और एडलवाइस एमएफ सहित फंड हाउस ने इस तरह के टारगेट मैच्योरिटी फंड लॉन्च किए हैं.
क्या है टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड?
अन्य पैसिव फंडों की तरह, टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड डेट फंड होते हैं जिनकी एक स्पेसिफिक मैच्योरिटी डेट होती है, जो कि उनके पोर्टफोलियो में मौजूद बॉन्ड की एक्सपायरी डेट के साथ अलाइन होती है (target maturity index funds replicate the composition of the underlying index and have specific maturity dates aligned to the expiry date of underlying bonds). ये फंड तुलनात्मक रूप से लोअर इंटरेस्ट रेट रिस्क और अधिक प्रिडिक्टिव और स्टेबल रिटर्न प्रदान करते हैं, जो उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो बैंक जमा की तरह रिटर्न की प्रिडिक्टिबिलिटी पसंद करते हैं.
उदाहरण के लिए, एडलवाइस निफ्टी पीएसयू बॉन्ड प्लस एसडीएल इंडेक्स फंड 30 अप्रैल 2027 को मैच्योर होगा और मैच्योरिटी डेट के बाद निवेशकों को मैच्योरिटी प्रोसीड डिस्ट्रीब्यूट करेगा. मैच्योरिटी प्रोसीड वह राशि है जो आपको चयनित अवधि के कार्यकाल के पूरा होने पर एक फिक्स्ड / टर्म / रेकरिंग डिपॉजिट के निवेशक के रूप में भुगतान की जाएगी.
फंडों की सबसे अच्छी श्रेणी
कॉरपोरेट ट्रेनर-डेट जॉयदीप सेन के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड ने लिखा, ‘बाजार से संबंधित अस्थिरता से बचने के लिए यह फंडों की सबसे अच्छी श्रेणी है. इस तरह के फंडों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर निवेशक मैच्योरिटी तक होल्ड करते हैं तो मार्क टू-मार्केट वोलैटिलिटी नहीं होती. ये फंड स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसडीएल), सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और सरकारी प्रतिभूतियों की ओर से जारी किए गए विभिन्न डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. टारगेट मैच्योरिटी फंड या तो इंडेक्स फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) हो सकते हैं.
इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड FMPs के समान हैं, लेकिन वे क्लोज-एंडेड नेचर के नहीं हैं और निवेशक किसी भी समय अपनी यूनिट खरीद और बेच सकते हैं. भले ही एफएमपी एक्सचेंजों में लिस्टेड हैं, लेकिन लिक्विडिटी कम होने की वजह से इससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है.
लिक्विडिटी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं
जॉयदीप सेन ने कहा, ‘अब, इंडेक्स फंड में, निवेशकों को लिक्विडिटी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वे इसे फंड हाउस से खरीदते और बेचते हैं. ईटीएफ में भी लिक्विडिटी होती है, जिससे निवेशकों को किसी तरह की दिक्कत न हो. अधिक से अधिक लोग एफएमपी से टारगेट मैच्योरिटी फंड्स की ओर बढ़ रहे हैं और एफएमपी के एसेट घट रहे हैं.’ एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि एफएमपी के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) मार्च 2020 में 1.4 ट्रिलियन रुपये से अगस्त 2021 में 53,286 करोड़ रुपये हो गए हैं.
टॉप रेटेड सिक्योरिटीज में निवेश
टारगेट मैच्योरिटी डेट फंड का एक और बड़ा फायदा यह है कि वे टॉप रेटेड सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं और ऐसी स्कीम्स में लगभग कोई क्रेडिट रिस्क नहीं होता है. आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के एमडी और सीईओ ए बालासुब्रमण्यम के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड ने लिखा, पैसिव डेट प्रोडक्ट ट्रेडिशनल सेविंग इंस्ट्रूमेंट की सिम्प्लिसिटी के साथ रिटर्न की प्रिडिक्टिबिलिटी को कंबाइन करते हैं.
SBI की ये तीन खास स्कीम भरेंगी निवेशकों की जेब, 3 अक्टूबर तक ही है निवेश का मौका
तीनों स्कीम में से एक 22 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक खुली है. वहीं दो स्कीम 26 सितंबर को खुलेंगी और 28 सितंबर तक इनमें निवेश किया जा सकता है
एसबीआई ने 2 करोड़ से कम की एफडी दरों को बढ़ा दिया है. 211 दिन से 10 साल की अलग अलग अवधि में दरें 25 से 65 बेस अंक बढ़ी हैं. एक से लेकर 3 साल के लिए दरें बढ़कर 6.75 हो गई है.
देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई म्यूचुअल फंड कैटेगरी में अपना दखल तेजी से बढ़ा रहा है. इस हफ्ते दो इक्विटी इंडेक्स फंड की घोषणा के बाद एसबीआई म्युचुअल फंड ने पैसिव सेगमेंट में पैठ बढ़ाते हुए तीन टारगेट मैच्योरिटी फंड यानी टीएमएफ लॉन्च करने का ऐलान किया. ये फंड हैं एसबीआई क्रसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स – जून 2036 फंड, एसबीआई क्रसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स – अप्रैल 2029 फंड और एसबीआई क्रिसिल आईबीएक्स एसडीएल इंडेक्स – सितंबर 2027 फंड. इन स्कीम्स का फंड मैनेजर दिनेश आहूजा को बनाया गया है.
आगे बढ़ने से पहले टारगेट मैच्योरिटी फंड की खासियत जान लेते हैं. टारगेट मैच्योरिटी फंड डेट म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है, जिसकी एक निश्चित मैच्योरिटी डेट होती है. इसके जरिए अंडरलाइन इंडेक्स में शामिल बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है और मैच्योरिटी तक इसे होल्ड करके रखा जाता है, ताकि बाद में इनवेस्टर्स को रकम बांटी जा सके. ये फंड मुख्य रूप से हाई रेटेड इंस्ट्रूमेंट्स जैसे Government Securities, AAA rated securities and PSU Bonds में निवेश करते हैं.
SBI MF के डिप्टी एमडी और चीफ बिजनेस ऑफिसर डीपी सिंह ने कहा कि मौजूदा बढ़ती ब्याज दरों के बीच टीएमएफ निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं. क्योंकि ये फंड निवेशकों को निवेश करने का अवसर दे रहे हैं. इसके अलावा,अगर निवेशक फंड की मैच्योरिटी तक निवेश करता है तो यह interest rates की साइकिल में बदलाव से जुड़े रिस्क के मैनेजमेंट में भी मदद कर सकता है. traditional investment की तुलना में इन फंडों में अधिक तरलता होती टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं है क्योंकि निवेशकों के पास किसी भी समय स्कीम में enter और exit करने की सुविधा होती है. इंडेक्सेशन बेनिफिट के कारण ये फंड टैक्स टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं अच्छा रिटर्न देते हैं. SBI MF ने कहा कि इन स्कीम्स के जरिए मिनिमम 95% और मैक्सिमम 100% का निवेश किया जाएगा.
जानिए क्या होता है बॉन्ड ईटीएफ
भारत बॉन्ड ईटीएफ 12 दिसंबर को बाजार में दस्तक देने वाला है. म्यूचुअल फंड सहित कई निवेशक ईटीएफ के बारे में बहुत नहीं समझते हैं. यही वजह है कि हम यहां इनके बारे में बुनियादी चीजें बता रहे हैं.
ईटीएफ क्या है?
ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. ये अमूमन एक खास इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. ईटीएफ म्यूचुअल फंड जैसे होते हैं. लेकिन, दोनों में बड़ा अंतर यह है कि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है. जिस तरह आप शेयरों को खरीदते हैं. ठीक वैसे ही आप एक्सचेंज के कारोबारी घंटों के दौरान ईटीएफ को भी खरीद सकते हैं.
बॉन्ड ईटीएफ क्या है?
बॉन्ड ईटीएफ बॉन्ड के एक बास्केट या सेट में निवेश करते हैं. ये बॉन्ड अलग-अलग इंडेक्स को फॉलो करते हैं. बॉन्ड ईटीएफ गर्वनमेंट, कॉरपोरेट या टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं पब्लिक सेक्टर यूनिट बॉन्डों में निवेश कर सकता है.
क्या है लागत?
बॉन्ड ईटीएफ एक्टिवली मैनेज्ड डेट फंड के मुकाबले सस्ते होते हैं. उदाहरण के लिए भारत बॉन्ड ईटीएफ 0.0005 फीसदी चार्ज करेगा. एडलवाइज म्यूचुअल फंड का दावा है कि यह देश में सबसे सस्ता म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट है. दुनिया में यह सबसे सस्ते डेट प्रोडक्टों में से एक है. इस फंड हाउस को भारत बॉन्ड ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा मिला है.
कितनी होती है अवधि?
बॉन्ड ईटीएफ शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म जैसे स्पेसिफिक मैच्योरिटी बकेट को ट्रैक करने की कोशिश करते हैं. कुछ बॉन्ड ईटीएफ में तय मैच्योरिटी की अवधि हो सकती है. मसलन भारत बॉन्ड ईटीएफ में दो मैच्योरिटी अवधि - तीन साल और 10 साल हैं. ऐसे बॉन्ड ईटीएफ को टारगेट मैच्योरिटी बॉन्ड ईटीएफ कहा जाता है. ये फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान की तरह होते हैं. इनमें कभी भी निवेश को भुना लेने का अतिरिक्त फायदा होता है.
क्या हैं टैक्स के नियम?
बॉन्ड ईटीएफ पर किसी अन्य रेगुलर डेट म्यूचुअल फंडों की तरह टैक्स लगता है. निवेश पर कैपिटल गेंस को 36 महीने से ज्यादा रखने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है. निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस को 36 महीने से कम रखा जाता है तो आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है.
बॉन्ड टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं ईटीएफ में कैसे निवेश करें?
बॉन्ड ईटीएफ सहित ईटीएफ में निवेश के लिए आपको डीमैट खाते की जरूरत होती है. म्यूचुअल फंड निवेशकों के पास भी फंड ऑफ फंड के जरिये निवेश का विकल्प है. भारत बॉन्ड ईटीएफ के लिए एडलवाइज एएमसी फंड ऑफ फंड लॉन्च कर रहा है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 734