शेयर और डिबेंचर में अंतर क्या है | Difference between share and debenture in hindi

तात्कालिक समय में शेयर और डिबेंचर में निवेश करना व्यापार का एक अच्छा माध्यम बन गया है. समाज के किसी भी तबके, जाति धर्म के लोग इसके अंतर्गत अपने मेहनत से कमाए गये पैसे इस उद्देश्य और उम्मीद से निवेश करते हैं कि उसके एवज में उन्हें अच्छा ख़ासा ब्याज रिटर्न के तौर पर प्राप्त हो सकेगा. एक तरफ जहाँ शेयर किसी कंपनी के कैपिटल का शेयर होता है, वहीँ पर डिबेंचर एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर सामने आता है. इसमें कंपनी एक तय दर से निवेशकों को लाभ पहुंचाती है. यहाँ पर इन दोनों का वर्णन किया जा रहा है.

शेयर क्या है (What is Share)

किसी कंपनी के सबसे छोटे हिस्से को शेयर कहा जाता है. यह शेयर ओपन मार्केट में सेल के लिए लाया जाता है. इसकी सहायता से किसी कंपनी के कैपिटल में निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं वृद्धि की जाती है. जिस क़ीमत पर यह शेयर लोगों को प्राप्त होता है, उसे शेयर प्राइस कहा जाता है. यह शेयर कंपनी के मालिकाना हक़ में शेयरहोल्डर का हिस्सा दर्शाता है. शेयर आमतौर पर स्थानांतरित किये जा सकते हैं और किसी कंपनी के लिए ये विभिन्न संख्या में मौजूद रहते हैं. शेयर मार्केट की जानकारी यहाँ पढ़ें.

share and debenture

शेयर के प्रकार (Type of Share)

शेयर को आमतौर पर दो मुख्य भागों में बांटा जाता है. दोनों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है,

  • इक्विटी शेयर: जिस तरह के शेयर में डिविडेंड के दर तय नहीं होते और जिसके अंतर्गत कंपनी के AGM में वोटिंग के अधिकार हों, ऐसे शेयर को इक्विटी शेयर कहा जाता है. इस तरह के शेयर अपूरणीय (irredeemable) होते हैं. सभी तरह की देनदारियां समाप्त हो जाने पर कंपनी के वाइंड अप के दौरान शेयर रि-पे कर दिए जाते हैं. इक्विटी शेयर अपने शेयर होल्डर को यह सुविधा देती है कि शेयरहोल्डर अपना लाभ कंपनी में शेयर कर सकेगा.
  • प्रेफ़रेंस शेयर: इस तरह के शेयर में किसी तरह का वोटिंग अधिकार नहीं होता है. इसके अंतर्गत डिविडेंड पूरी तरह से फिक्स रहता है. जब पहली बार कोई कंपनी सीधे तौर पर अपने शेयर बेचने की योजना बनाती है तो सबसे पहले ये शेयर प्राइमरी मार्केट में आता है. यहाँ से शेयर ट्रेडिंग सेकेंडरी मार्केट में शुरू हो जाता है. ये पूरणीय (redeemable) होते हैं.

डिबेंचर क्या है (What is Debenture)

डिबेंचर मोटे तौर पर एक लम्बी अवधि का डेब्ट इंस्ट्रूमेंट है. यदि किसी कंपनी को अपना प्रसार करने के लिए अधिक फण्ड की आवश्यकता होती है, और वह कंपनी अपने शेयर होल्डर भी नहीं बढ़ाना चाहती तो वह डिबेंचर जारी करती है. जिसके अंतर्गत कोई भी आम व्यक्ति एक तय समय के लिए कंपनी में पैसे लगा कर एक तय ब्याज दर का लाभ उठा सकता है. डिबेंचर लोगों के लिए उसी प्रक्रिया द्वारा जारी किया जाता है, जिस प्रक्रिया द्वारा कोई कंपनी शेयर जारी करती है. कोई डिबेंचर किसी कंपनी के आम मुहर (कॉमन सील) द्वारा ही जारी की जाती है. डिबेंचर के कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं,

वायदा और विकल्प: वित्तीय साधनों को समझना

निस्संदेह, स्टॉक और शेयरमंडी भारत में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। हालाँकि, जब बड़े पैमाने पर बात की जाती है, तो एक बाजार जो इससे भी बड़ा होता हैइक्विटीज देश में इक्विटी डेरिवेटिव बाजार है।

इसे सरल शब्दों में कहें, तो डेरिवेटिव का अपना कोई मूल्य नहीं होता है और वे इसे a . से लेते हैंआधारभूत संपत्ति। मूल रूप से, डेरिवेटिव में दो महत्वपूर्ण उत्पाद शामिल हैं, अर्थात। वायदा और विकल्प।

इन उत्पादों का व्यापार पूरे भारतीय इक्विटी बाजार के एक अनिवार्य पहलू को नियंत्रित करता है। तो, बिना किसी और हलचल के, आइए इन अंतरों के बारे में और समझें कि ये बाजार में एक अभिन्न अंग निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं कैसे निभाते हैं।

फ्यूचर्स और ऑप्शंस को परिभाषित करना

एक भविष्य एक हैकर्तव्य और एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक विशिष्ट तिथि पर एक अंतर्निहित स्टॉक (या एक परिसंपत्ति) को बेचने या खरीदने का अधिकार और इसे पूर्व निर्धारित समय पर निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं वितरित करें जब तक कि अनुबंध की समाप्ति से पहले धारक की स्थिति बंद न हो जाए।

इसके विपरीत, विकल्प का अधिकार देता हैइन्वेस्टर, लेकिन किसी भी समय दिए गए मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का दायित्व नहीं है, जहां तक अनुबंध अभी भी प्रभावी है। अनिवार्य रूप से, विकल्प दो अलग-अलग प्रकारों में विभाजित हैं, जैसे किकॉल करने का विकल्प तथाविकल्प डाल.

फ्यूचर्स और ऑप्शंस दोनों वित्तीय उत्पाद हैं जिनका उपयोग निवेशक पैसा बनाने या चल रहे निवेश से बचने के लिए कर सकते हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच मौलिक समानता यह है कि ये दोनों निवेशकों को एक निश्चित तिथि तक और एक निश्चित कीमत पर हिस्सेदारी खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं।

लेकिन, ये उपकरण कैसे काम करते हैं और जोखिम के मामले में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बाजार अलग हैफ़ैक्टर कि वे ले जाते हैं।

एफ एंड ओ स्टॉक्स की मूल बातें समझना

फ्यूचर्स ट्रेडिंग इक्विटी का लाभ मार्जिन के निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं साथ प्रदान करते हैं। हालांकि, अस्थिरता और जोखिम विपरीत दिशा में असीमित हो सकते हैं, भले ही आपके निवेश में लंबी अवधि या अल्पकालिक अवधि हो।

जहां तक विकल्पों का संबंध है, आप नुकसान को कुछ हद तक सीमित कर सकते हैंअधिमूल्य कि आपने भुगतान किया था। यह देखते हुए कि विकल्प गैर-रैखिक हैं, वे भविष्य की रणनीतियों में जटिल विकल्पों के लिए अधिक स्वीकार्य साबित होते हैं।

फ्यूचर्स और ऑप्शंस के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि जब आप फ्यूचर्स खरीदते या बेचते हैं, तो आपको अपफ्रंट मार्जिन और मार्केट-टू-मार्केट (एमटीएम) मार्जिन का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन, जब आप विकल्प खरीद रहे होते हैं, तो आपको केवल प्रीमियम मार्जिन का भुगतान करना होता है।

एफ एंड ओ ट्रेडिंग के बारे में सब कुछ

ऑप्शंस और फ्यूचर्स क्रमशः 1, 2 और 3 महीने तक के कार्यकाल वाले अनुबंधों के रूप में कारोबार करते हैं। सभी एफएंडओ ट्रेडिंग अनुबंध कार्यकाल के महीने के अंतिम गुरुवार की समाप्ति तिथि के साथ आते हैं। मुख्य रूप से, फ़्यूचर्स का वायदा मूल्य पर कारोबार होता है जो आम तौर पर समय मूल्य के कारण स्पॉट मूल्य के प्रीमियम पर होता है।

एक अनुबंध के लिए प्रत्येक स्टॉक के लिए, केवल एक भविष्य की कीमत होगी। उदाहरण के लिए, यदि आप टाटा मोटर्स के जनवरी के शेयरों में व्यापार कर रहे हैं, तो आप टाटा मोटर्स के फरवरी के साथ-साथ मार्च के शेयरों में भी समान कीमत पर व्यापार कर सकते निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं हैं।

दूसरी ओर, विकल्प में व्यापार अपने समकक्ष की तुलना में एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। इसलिए, अलग-अलग स्ट्राइक होने जा रहे हैं जो पुट ऑप्शन और दोनों के लिए एक ही स्टॉक के लिए कारोबार किया जाएगाबुलाना विकल्प। इसलिए, यदि ऑप्शंस के लिए स्ट्राइक अधिक हो जाती है, तो ट्रेडिंग की कीमतें आपके लिए उत्तरोत्तर गिरेंगी।

भविष्य बनाम विकल्प: प्रमुख अंतर

ऐसे कई कारक हैं जो वायदा और विकल्प दोनों को अलग करते हैं। इन दो वित्तीय साधनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर नीचे दिए गए हैं।

विकल्प

चूंकि वे अपेक्षाकृत जटिल हैं, विकल्प अनुबंध जोखिम भरा हो सकता है। पुट और कॉल दोनों विकल्पों में जोखिम की डिग्री समान होती है। जब आप एक स्टॉक विकल्प खरीदते हैं, तो निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं केवल वित्तीय दायित्व जो आपको प्राप्त होगा, वह है अनुबंध खरीदते समय प्रीमियम।

लेकिन, जब आप पुट ऑप्शन खोलते हैं, तो आप स्टॉक के अंतर्निहित मूल्य की अधिकतम देयता के संपर्क में आ जाएंगे। यदि आप कॉल विकल्प खरीद रहे हैं, तो जोखिम उस प्रीमियम तक सीमित रहेगा जिसका आपने पहले भुगतान किया था।

यह प्रीमियम पूरे अनुबंध के दौरान बढ़ता और गिरता रहता है। कई कारकों के आधार पर, पुट ऑप्शन खोलने वाले निवेशक को प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, जिसे ऑप्शन राइटर के रूप में भी जाना जाता है।

फ्यूचर्स

विकल्प जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन एक निवेशक के लिए वायदा जोखिम भरा होता है। भविष्य के अनुबंधों में विक्रेता और खरीदार दोनों के लिए अधिकतम देयता शामिल होती है। जैसे ही अंतर्निहित स्टॉक की कीमतें बढ़ती हैं, समझौते के किसी भी पक्ष को अपनी दैनिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए ट्रेडिंग खातों में अधिक पैसा जमा करना होगा।

इसके पीछे संभावित कारण यह है कि आप वायदा पर जो कुछ भी हासिल करते हैं वह स्वचालित रूप से दैनिक रूप से बाजार में चिह्नित हो जाता है। इसका मतलब है कि स्थिति के मूल्य में परिवर्तन, चाहे वह ऊपर या नीचे हो, प्रत्येक व्यापारिक दिन के अंत तक पार्टियों के वायदा खातों में ले जाया जाता है।

निष्कर्ष

बेशक, वित्तीय साधन खरीदना और समय के साथ निवेश कौशल का सम्मान करना एक अनुशंसित विकल्प है। हालांकि, इन फ्यूचर्स और ऑप्शंस निवेशों के जोखिम को देखते हुए, विशेषज्ञ इस महत्वपूर्ण कदम को उठाने से पहले खुद को आर्थिक और भावनात्मक रूप से तैयार करने का आश्वासन देते हैं। इसके अलावा, यदि आप इस दुनिया में काफी नए हैं, तो आपको लाभ बढ़ाने और नुकसान को कम करने के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।

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aajtak.in

  • 16 मार्च 2021,
  • (अपडेटेड 17 मार्च 2021, 3:07 PM IST)

लाइफ में अच्छी नौकरी और बैंक बैलेंस हर कोई चाहता है इसलिए अपनी लाइफ सिक्योर करने के लिए लोग सेविंग्स भी करते हैं. बैंक बाजार एस्पिरेशन इंडेक्स 2019 के मुताबिक 24 से 27 साल के बीच के ज्यादातर फीसदी नौजवान अपनी इनकम का 40 फीसदी बचा लेते हैं. लेकिन क्या बचत करना ही काफी है? हम में से कई लोग इस बात को नहीं समझ पाते कि सिर्फ बचत करना ही काफी नहीं है. बल्कि बचत को सही तरह से निवेश करना भी जरूरी है.

निवेश करना क्यों है जरुरी?

बचत की रकम को बढ़ाने के लिए निवेश करना जरूरी है. फंड का अपनी सूझबूझ से सही जगह निवेश करना कई बार फायदेमंद भी हो सकता है, लेकिन ये फायदे बाज़ार जोखिमों के आधीन होते है. साथ ही फिजूल खर्च से बचने के लिए अपनी सूझबूझ से सही जगह निवेश युवाओं के लिए एक बेहतर विकल्प है जो एडिशनल इनकम का नया जरिया बन चुका है.

निवेश करने के तरीके

‘सेविंग अकाउंट’ या ‘फिक्स्ड डिपॉज़िट’: बैंक के ‘सेविंग अकाउंट’ या ‘फिक्स्ड डिपॉज़िट’ कम समय के लिए अच्छा निवेश माना जाता है. इनमें आपको कम समय में ही आपके पैसे के साथ ब्याज भी मिल जाता है. इसमें निवेश करने के दौरान आपको बैंक के द्वारा 100 % सुरक्षा दी जाती है.

रियल एस्टेट में निवेश: मार्केट में निवेश के कई सारे विकल्प मौजूद हैं लेकिन रियल एस्टेट यानी प्रॉपर्टी में निवेश करना लोगों की पहली पसंद होती है. आमतौर पर लोग घर और निवेश के लिए ली गयी प्रॉपर्टी में अंतर नहीं कर पाते. हालाँकि दोनों की जरूरतें और प्राथमिकताएं अलग- अलग होती है. इसलिए प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले इन चीज़ों पर ध्यान देना बहुत जरुरी है.

गोल्ड में निवेश: गोल्ड को भारतीय संस्कृति का हिस्सा माना जाता है साथ ही निवेश करने का एक सुरक्षित माध्यम भी. गोल्ड में निवेश करने वालों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड ईटीएफ जैसे माध्यम भी हैं, जो अतिरिक्त आय और सुरक्षित धन के रूप में काम आता हैं. यही कारण है कि फिजिकल गोल्ड के साथ लोग अब लिक्विड गोल्ड में भी निवेश करने लगे हैं.

ऑनलाइन ट्रेडिंग में निवेश

ट्रेडिंग किसी भी सामान या सेवाओं को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया है, साथ ही किसी विशेष परिसंपत्तियों की कीमत पर पूर्वानुमान लगाने के लिए उसके ग्राफ का विश्लेषण करना भी ट्रेडिंग का एक हिस्सा है. ये मुख्य रूप से अतिरिक्त आय और लाभ कमाने की आशा से की जाती है. लेकिन क्‍या आपकी कंपनी को अच्‍छा करेगी, शेयर के दाम ऊपर जाएंगे और क्‍या आपको फायदा होगा? इन सभी बातों को ध्यान में रखना भी बहुत जरूरी है. अगर अपनी समझदारी और सतर्कता से निवेश न किया जाये तो ये घाटे का सौदा भी हो सकता है.

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घर बैठे ट्रेडिंग अब है सुविधाजनक

अगर आप अपनी सूझभूझ से काम लें तो Binomo ट्रेडिंग के लिए एक सुविधाजनक और यूज़र फ्रेंडली प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है. लेकिन ऑनलाइन ट्रेडिंग करना कोई बच्चों का खेल नहीं है यहाँ बड़े- बड़े अनुभवी ट्रेडर्स भी मात खा जाते हैं. इसलिए ट्रेडिंग की शुरुआत करने से पहले इसकी हर बारीकी को समझना बहुत जरूरी है ताकि आने वाले जोखिमों से कुछ हद तक बचा जा सके. ऐसे में Binomo ऑनलाइन ट्रेडिंग के क्षेत्र में यूजर्स को ट्रेनिंग देने पर फोकस करता है और दूसरी तरफ ऑनलाइन ट्रेडिंग में अनुभवी ट्रेडर्स को इस क्षेत्र मेंविशेषज्ञ बनने में मदद करता है.

इसके अलावा डेमो अकाउंट में Binomo ट्रेडिंग ऐप आपको $1000 के साथ शुरू करने का अवसर देता है. डेमो अकाउंट पर $1000 वर्चुअल होता है, जो निकालना मुमकिन नहीं है. लेकिन ट्रेड्स में नुकसान होने पर ये वर्चुअल अमाउंट वापस हो जाता है. ये केवल प्रैक्टिस के उद्देश्य के लिए है, जिसकी मदद से आप अपनी ट्रेडिंग स्किल्‍स को बेहतर और निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं तेज कर सकते हैं.

सिर्फ कुछ स्टेप्स में घर से शुरू करें ट्रेडिंग

Binomo.com की वेबसाइट पर जाकर ग्राहकों को रजिस्टर करने के बाद रियल अकाउंट पर ट्रेडिंग करने के लिए डिपॉजिट करने की जरूरत होगी. फंड विथड्रॉ निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं करने की स्थिति में वेरिफिकेशन की जरुरत पड़ती है. 350 रुपये की न्यूनतम रकम के साथ आप अपने अकाउंट को शुरू भी कर सकते हैं, जिसमें ट्रेड की न्यूनतम कीमत 70 रुपये होगी. जबकि ट्रेड्स के नंबर पर कोई पाबंदी नहीं है.

हालाँकि निवेश करना अच्छी बात है लेकिन ट्रेडिंग में निवेश करने से पहले उससे जुड़े जोखिमों को जानना और समझना बहुत जरुरी है. इसके साथ ही घर की सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही फंड का निवेश करना चाहिए. ट्रेडिंग किसी भी प्लेटफॉर्म पर की जाए इस क्षेत्र में अनुभव और जानकारी होना बहुत जरूरी है. अपनी सूझबूझ से किया गया निवेश आपको समय आने पर फायदा भी दिला सकता है.

Mutual Fund और SIP में अंतर ? SIP vs Mutual Fund

Mutual Fund क्या है और SIP का क्या मतलब होता है। म्यूच्यूअल फंड और SIP में क्या अंतर होता है। (SIP and Mutual fund Difference in Hindi). आप में से कई निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं लोग जानते हैं कि Mutual Fund और SIP में अंतर क्या होता है।

हालांकि कुछ लोग जानकारी के अभाव में Mutual Fund और SIP में अंतर नहीं कर पाते। तो आइए बिल्कुल सरल भाषा में समझते हैं कि आखिर म्यूच्यूअल फंड और SIP में क्या अंतर है।

Mutual Fund क्या है

sip vs mutual fund vs shares

SIP को समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि Mutual Fund क्या होता है। म्यूच्यूअल फंड हाउस अलग-अलग निवेशकों से पैसा इकट्ठा करके स्टॉक्स, बांड्स, में निवेश करते हैं। Mutual Fund अपने निवेशकों के लिए वेल्थ बनाने के उद्देश्य से कार्य करते हैं। एक फण्ड हाउस की बहुत सी schemes हो सकती है। जैसे की लार्ज कैप फण्ड ,स्माल कैप फण्ड, लिक्विड फण्ड आदि।

सरल भाषा में समझे तो म्यूच्यूअल फण्ड एक ऐसा बकेट है जिसमें फंड हाउस (AMC) अलग-अलग लोगों से पैसा इकट्ठा कर जमा करते हैं। जिसका उपयोग फंड हाउस बाजार से विविध प्रकार के स्टॉक्स, बांड्स, सिक्योरिटीज खरीदने में करते हैं। Mutual Fund का निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं मूल्य ट्रेडिंग डे के अंत में NAV (Net asset value) के आधार पर निकाला जाता है। किसी Mutual Fund स्कीम को फण्ड मैनेजर द्वारा संचालित किया जाता है। फण्ड मेनेजर AMC द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

Mutual Fund में निवेश करने के तरीके

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के दो मुख्य तरीके हैं। पहला Lump sum और दूसरा SIP. म्यूच्यूअल फंड स्टॉक मार्केट के ऊपर आधारित है। अगर आप ज्यादा रिस्क लेकर स्टॉक मार्केट में सीधा निवेश नहीं करना चाहते तो Mutual Fund कम रिस्क पर म्यूच्यूअल फंड में निवेश की सुविधा उपलब्ध करवाता है। आप इसके लिए लम्प सम या SIP में से किसी भी विकल्प का उपयोग कर सकते हैं।

SIP क्या है

एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान। इसमें निवेशक अपने लक्ष्य एवं उद्देश्यों के अनुसार निवेश करते है। SIP में एक निश्चित समय आम तौर पर 1 महीने के अंतराल पर पैसा म्यूचुअल फंड में डाला जाता है। जिससे पैसा लगातार म्यूच्यूअल फण्ड में जमा होता रहता है और आप लंबे समय में अच्छी वेल्थ बना पाते हैं। SIP एक ऐसा बेहतरीन तरीका है जो कम रिस्क के साथ लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है।

Mutual Fund और SIP में अंतर

दोस्तो SIP एक ऐसा टूल या माध्यम है जिसके द्वारा आप mutual fund में निवेश कर सकते हैं। Mutual Funds की अधिकतर स्कीम्स में SIP के माध्यम से निवेश का विकल्प मौजूद रहता हैं।

आपने कई बार सुना होगा कि mutual fund में निवेश करो। परंतु mutual fund में निवेश करें कैसे यह एक प्रमुख सवाल रहता हैं। SIP वह माध्यम है जो हमें म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने की सुविधा उपलब्ध करवाता है। जिसमें आप थोड़ा-थोड़ा करके म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते रहते हो।

Mutual Fund और SIP में अंतर को एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं जैसे कि SBI Mutual Fund House एक ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी है। इसकी एक mutual fund स्कीम है जिसका नाम है SBI Bluechip Fund. अभी आपको SBI Bluechip Fund में निवेश करना है। अब आपके पास यहां निवेश करने के 2 तरीके हैं पहला लम सम यानी आप इसमें बस एक बार पैसा डाल कर छोड़ दें। दूसरा SIP यानी आप इसमें एक निश्चित अंतराल पर लगातार निवेश करते रहें।

कई नए निवेशक जानकारी के अभाव में ऐसा सोचते हैं कि SIP स्वयं में एक निवेश विकल्प है परंतु ऐसा नहीं है। SIP एक स्मार्ट और बिना परेशानी के किए जाने वाला निवेश है। संक्षेप में अगर आपको mutual funds में निवेश करना है तो आप SIP के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

Mutual Fund और SIP में अंतर , SIP OR MUTUAL FUND ME ANTAR

SIP (Systematic Investment Plan)

SIP के माध्यम से हम कई प्रकार के फंड्स में निवेश कर सकते हैं। SIP या सिप हमें विकल्प देता है कि अगर हमारे पास बड़ा अमाउंट नहीं है परंतु हमें mutual fund में निवेश करना है तो हम SIP के जरिए म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं। SIP के माध्यम से हम ₹500 यहां तक कि कुछ फंड्स के मामले में ₹100 से भी निवेश प्रारम्भ कर सकते हैं। इस प्रकार हम mutual funds के SIP टूल के माध्यम से थोड़े-थोड़े पैसे जमा अच्छी वेल्थ का निर्माण कर सकते हैं।

SIP investment क्यों फायदेमंद है?

जैसा कि आपने जाना की SIP के माध्यम से हम mutual funds में निवेश कर सकते हैं। निम्न कारणों की वजह से हमें SIP के जरिए निवेश करना चाहिए।

  • एसआईपी के जरिए rupee average cost का फायदा मिलता है। आपकी SIP हर प्रकार की स्थिति वाले मार्केट में जाती है जो cost को average करने में कामयाब रहती हैं।
  • लंबे समय में अपने compounding returns के कारण SIP बहुत अच्छा रिटर्न दे सकती है। आप जितने समय के लिए invested रहेंगे आपका मुनाफा उतना ही अधिक होगा।
  • SIP में निवेश करने से निवेशक के ऊपर कोई बड़ा वित्तीय बोझ नहीं होता है। आप कम राशि से भी निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं SIP प्रारंभ कर सकते हैं। एसआईपी में निवेश करने की लागत भी नाम मात्र की होती है जिसकी वजह से आपको प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स की सेवाएं मिल जाती है।

उपरोक्त सभी कारणों के कारण एसआईपी निवेश करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है

निष्कर्ष

किसी भी mutual fund स्कीम में आप सिस्टमैटिक तरीके से निवेश करके पैसा बना सकते हैं। कम निवेश की आवश्यकता के कारण कोई भी इसमें निवेश कर सकता है। आशा करते हैं आपको Mutual Fund और SIP में अंतर समझ में आया होगा। अगर आपको Mutual Fund और SIP में अंतर से संबंधित कोई भी सवाल हो तो हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं ।

Indore News: शेयर बाजार में निवेश करना व्यापार करने जैसा ही है इसलिए सही ज्ञान होना जरूरी

Indore News: शेयर बाजार में निवेश करना व्यापार करने जैसा ही है इसलिए सही ज्ञान होना जरूरी

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि) Indore News। इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट आफ इंडिया (आइसीएआइ) इंदौर ब्रांच ने शनिवार को पोस्ट कोविड मार्केट आउटलुक विषय पर फिजिकल एवं वर्चुअल सेमिनार आयोजित किया। इसमें 100 से ज्यादा चार्टर्ड अकाउंटेंट शामिल हुए। मुख्य अतिथि गाजियाबाद के सेंट्रल काउंसिल सदस्य सीए अनुज गोयल और रीजनल काउंसिल चेयरमैन सीए नीलेश गुप्ता थे। इंदौर ब्रांच के चेयरमैन सीए कीर्ति जोशी ने कहा कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग एक तरह से व्यापार है और सही ज्ञान एवं सटीक प्लान के बिना कोई भी व्यक्ति व्यापार में सफल नहीं हो सकता। केवल कुछ किताबें या वाट्सएप की जानकारी पढ़कर ट्रेडिंग में आ जाने से काम नहीं चल सकता। केवल ब्रोकरेज अकाउंट खोलकर और चार्टिंग प्रोग्राम खरीदकर शेयर बाजार में पैसा लगा देने से सफलता नहीं मिल सकती, उल्टे इससे नुकसान का डर ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टडी के अनुसार मार्केट में शेयर ट्रेडिंग के व्यापार में केवल एक फीसदी लोगों को ही सफलता मिली है।

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नागपुर से आए सीए अमित चांडक ने कहा कि कोई भी व्यक्ति मार्केट में निवेश करते समय सबसे पहले यह पूछता है कि मार्केट में क्या चल रहा है। यानी की मार्केट सेंटीमेंट्स पर चलता है। इसी कारण आठ माह में लाकडाउन के बाद किसी भी कंपनी के फंडामेंटल में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है। हालांकि मार्केट में तेजी दिखाई दे रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि आत्मनिर्भर भारत के कारण भी सेंटीमेंट्स में बदलाव आया है। यदि हम 1991 से 1997 तक के शेयर मार्केट को देखें तो ऐसी इंडस्ट्रीज के शेयर्स में तेजी थी जिसमे अत्यधिक पूंजी निवेश की आवश्यक्ता होती है। 1998 से आइटी एवं टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री के शेयर्स में तेजी का समय था एवं अब फिर से ऐसी कंपनियों की ओर फोकस दिख रहा है जो मेन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री हैं।

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सीए अंकुर सोडानी ने कहा कि शेयर बाजार में अगर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो उसमें एंट्री का रास्ता आसान है लेकिन आपको सही स्ट्रेटेजी पर काम करना जरूरी होगा। इसके लिए यह तय करना होगा कि आप कितना रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं और आपके निवेश का लक्ष्य क्या है। आपका कैपिटल अलोकेशन क्या है। आप शार्ट टर्म या लांग टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं यह सब तय होना चाहिए। एल्गो ट्रेडिंग पर दिल्ली के सीए सुजाय जैन ने कहा कि एल्गो ट्रेडिंग हिस्टोरिकल डाटा पर कार्य करता है और उस आधार पर रिजल्ट देता है जो हर बार सही नहीं हो सकता। अमेरिका में वर्ष 2010 का फ्लैश क्रैश इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, क्योंकि वर्ष 2010 में एक साफ्टवेयर की गड़बड़ से पूरा मार्केट गिर गया निवेश और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर क्या हैं था।

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अल्गोरिदम ट्रेडिंग में मानव का कम इन्वाल्वमेंट होने की वजह से रिस्क और बढ़ जाती है एवं इसमें छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है। सीएस अर्पित भार्गव ने कहा की जब भी आप निवेश का प्लान कर रहे हों तो आपकी सोच बहुत क्लियर होना चाहिए एवं अफवाह एवं नकारात्मक खबरों को लेकर एक दम से कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। निवेश में बेहतर रिटर्न आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है लेकिन आत्मविश्वास और अति आत्मविश्वास के बीच एक अंतर है जिसे समझना बहुत आवश्यक है। भावनाओं में आकर ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन सीए समकित भंडारी ने किया। कार्यक्रम में सीए पंकज शाह, सीए अभय शर्मा, सीए मनोज गुप्ता सहित कई सदस्य मौजूद थे।

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