साझेदारी - परिक्षा उपयोगी प्रश्न | Partnership Concepts in Hindi

साझेदारी पर आधारित परिक्षा उपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे - एसएससी(SSC), आई बी पीएस (IBPS) में पूछे जाने वाले साझेदारी पर आधारित साझेदारी के सवाल तथा उनके हल , साझेदारी के प्रश्न को हल करने के लिए Shortcuts और Tricks , साझेदारी के सूत्र / फार्मूला

पिछले गणित अध्याय के टॉपिक्स में हमने गणित के महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स अनुपात और समानुपात , प्रतिशत , लाभ और हानि, शेयर और लाभांश , साधारण ब्याज तथा चक्रवृद्धि ब्याज को पढ़लें। साझेदारी Topics को समझने तथा साझेदारी पर आधारित के प्रश्नो को हल करने के निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला लिए गणित अध्याय के अनुपात और समानुपात, प्रतिशत , साधारण ब्याज , चक्रवृद्धि ब्याज तथा लाभ और हानि का कॉन्सेप्ट्स कही - कही प्रयोग होगा। अगर अभी तक आपने गणित के इन Topics को नहीं पढ़ा है तो पहले इन्हें पढ़लें।

पढ़ें: साझेदारी का अर्थ क्या है? साझेदारी की परिभाषा । साझेदारी में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न शब्द, जैसे- साझेदार, पूंजी आदि । साझेदारी में साझेदार के प्रकार ।

परिभाषा: " जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर कोई व्यापार करते हैं तो इसे साझेदारी कहते हैं। वे व्यक्ति जो धन का निवेश करते हैं , साझेदार कहलाते हैं। ये साझेदार उस व्यापार में होने वाले लाभ एवं हानि के लिए उत्तरदायी होते है। जो धन उस व्यापार में लगाया जाता है उसे पूंजी ( Capital) कहते है।"

साझीदारों द्वारा व्यापार में लगाया गया धन , व्यापार में प्राप्त लाभ , साझेदारों निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला के बीच निवेशित धन तथा समय के गुणनफल के अनुपात में किया जाता है।

सक्रिय साझेदार :- ऐसे व्यक्ति पूंजी लगाने के साथ साथ साथ व्यापार की देखभाल भी करते है , तो उन्हें सक्रिय साझेदार कहा जाता है।

निष्क्रिय साझेदार :- ऐसे साझेदार जो व्यापार में केवल धन का निवेश करते हैं , निष्क्रिय साझेदार कहलाते हैं ।

माना A और B मिलकर C1 और C2 पूँजी समय t1 और t2 के लिए लागाते हैं तथा इस समय आवादी ( Timeperiod ) के अंत में इनको P1 और P2 लाभ हो तो पार्टनरशिप के नियमानुसार

इस प्रकार यदि निवेश की अवधि प्रत्येक साझेदारों के लिए समान हो अर्थात t सामान हो, तो लाभ या हानि उनके निवेशों के अनुपात में विभाजित हो जाती है।

उदाहरण(1) : रमेश और सुरेश ने क्रमशः 10000 रु तथा 15000 रु लगाकर एक व्यापार आरम्भ किया । एक वर्ष के अंत में 5000 रु का कुल लाभ हुआ तो दोनों का लाभांश ज्ञात करो ?

उदाहरण (2) गीता ने 30 रू 6 महीने के लिए लगाये तथा नेहा ने 40 रू 5 महिने के लिए लगाये तो वर्ष के अन्त में लाभ 380 रू हुआ तो गीता व नेहा का लाभ में हिस्सा क्या होगा ?

नेहा की पुंजी = 40*5=200
अनुपात = 180:200=9:10
अनुपातों का योग = 19
लाभ = 380 रू
गीता का हिस्सा जब लाभ 380 रू = ( 380x9)/19= 180 रू
नेहा का हिस्सा जब लाभ 380 रू = ( 380x10)/19 = 200 रू

उदाहरण ( 3 ) सीमा , रीना , सनिया और कल्पना ने मिलकर एक व्यापार आरम्भ किया और इन्होंने क्रमशः 20,00 रू , 30,00 रू , 50,00 रू तथा 70,00 रू लगाये वर्ष के अन्त में लाभ यदि 80,00 रू हुआ हो तो प्रत्येक का लाभ में हिस्सा ज्ञात करो ?
सीमा , रीना , सनिया और कल्पना की पुंजीयों का अनुपात = 20,00:30,00:50,00:70,00 = 20:30:50:70
अनुपातों का योग = 20+30+50+70 = 170 रू
सीमा का हिस्सा = ( 20/170)x80,00 =941.18 रू
रीना का हिस्सा =( 30/170)x80,00=1411.76 रू
सनिया हिस्सा =( 50/170)x80,00 =2352.76 रू
कल्पना का हिस्सा =( 70/170)x80,00 =3294.12 रू

उदाहरण ( 4 ) A , B तथा C एक व्यापार आरम्भ करते हैं A पहले 50,000 रू लगाता हैं और 6 महिने बाद 20,000 रू निकाल लेता है। B ने प्रारम्भ में 20,000 रू लगाये 5 माह बाद 30,000 रू ओर लगाये , C ने 60,000 रू एक वर्ष के लिए लगाये यदि वर्ष के अन्त में लाभ 80,000 रू का हुआ तो C का लाभ में हिस्सा कितना होगा ?

उदाहरण (5 ) मोहित और सोहित ने एक व्यापार में 7 : 8 के अनुपात में पूंजी का निवेश किया मोहित ने 8 महीने के बाद अपना निवेश वापस ले लिया। यदि उनको लाभ 7 : 9 के अनुपात में प्राप्त हुआ तो सोहित की पूंजी का कितने समय तक निवेश रहा?

पूंजी पर वापसी

पूंजी पर वापसी ( आरओसी ), या निवेशित पूंजी ( आरओआईसी ) पर वापसी , वित्त , मूल्यांकन और लेखांकन में उपयोग किया जाने वाला अनुपात है , जो शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई पूंजी की मात्रा के सापेक्ष कंपनियों की लाभप्रदता और मूल्य-निर्माण क्षमता के एक उपाय के रूप में है। अन्य देनदार। [१] यह इंगित करता है कि पूंजी को मुनाफे में बदलने में कंपनी कितनी प्रभावी है।

अनुपात की गणना निवेशित पूंजी (आईसी) के औसत बुक-वैल्यू से कर पश्चात परिचालन आय ( एनओपीएटी ) को विभाजित करके की जाती है ।

इस माप के तीन मुख्य घटक हैं जो ध्यान देने योग्य हैं: [२]

  • जबकि इक्विटी पर रिटर्न और परिसंपत्तियोंपर वापसी जैसे अनुपात शुद्ध आय का उपयोग अंश के रूप में करते हैं, आरओआईसी कर के बाद शुद्ध निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला परिचालन आय (एनओपीएटी) का उपयोग करता है , जिसका अर्थ है कि वित्तपोषण गतिविधियों से कर-पश्चात व्यय (आय) को वापस जोड़ा जाता है (से घटाया गया) शुद्ध आय।
  • जबकि कई वित्तीय गणनाएं बुक वैल्यू के बजाय बाजार मूल्य का उपयोग करती हैं (उदाहरण के लिए, डेट-टू-इक्विटी अनुपात की गणना या पूंजी की भारित औसत लागत (डब्ल्यूएसीसी) के लिए वजन की गणना ), आरओआईसी निवेशित पूंजी के बुक वैल्यू को हर के रूप में उपयोग करता है। यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है, क्योंकि बाजार मूल्यों के विपरीत, जो कुशल बाजारों में भविष्य की अपेक्षाओं को दर्शाते हैं, बुक वैल्यू अधिक बारीकी से रिटर्न उत्पन्न निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला करने के लिए निवेश की गई प्रारंभिक पूंजी की मात्रा को दर्शाती हैं।
  • हर साल के अंत के मूल्य के बजाय निवेशित पूंजी के औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है । ऐसा इसलिए है क्योंकि एनओपीएटी धन प्रवाह की राशि का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि निवेशित पूंजी का मूल्य हर दिन बदलता है (उदाहरण के लिए, 31 दिसंबर को निवेशित पूंजी 30 दिसंबर को निवेशित पूंजी से 30% कम हो सकती है)। चूंकि सटीक औसत की गणना करना मुश्किल है, इसलिए अक्सर वर्ष की शुरुआत में आईसी और वर्ष के अंत में आईसी के बीच औसत लेकर इसका अनुमान लगाया जाता है।

कुछ अभ्यासी अंश में मूल्यह्रास, परिशोधन और रिक्तीकरण शुल्क वापस जोड़ने के लिए सूत्र में अतिरिक्त समायोजन करते हैं। चूंकि इन शुल्कों को "गैर-नकद खर्च" माना जाता है, जिन्हें अक्सर परिचालन खर्चों के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है, इसलिए कहा जाता है कि इन्हें वापस जोड़ने की प्रथा एक निश्चित अवधि में एक फर्म के नकद रिटर्न को अधिक बारीकी से दर्शाती है। हालांकि, अन्य लोग यह तर्क दे सकते हैं कि इन गैर-नकद शुल्कों को सूत्र से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि वे हर में कुछ संपत्तियों के उपयोगी जीवन में गिरावट को दर्शाते हैं।

क्योंकि वित्तीय सिद्धांत बताता है कि एक निवेश का मूल्य एक निवेशक के लिए उसके अपेक्षित नकदी प्रवाह की मात्रा और जोखिम दोनों से निर्धारित होता है, यह आरओआईसी और पूंजी की भारित औसत लागत (डब्ल्यूएसीसी) के साथ इसके संबंध पर ध्यान देने योग्य है ।

पूंजी की लागत निवेशकों से उस जोखिम को वहन करने के लिए अपेक्षित प्रतिफल है जो किसी निवेश का अनुमानित नकदी प्रवाह अपेक्षाओं से विचलित होता है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसे निवेशों के लिए जिनमें भविष्य में नकदी प्रवाह क्रमिक रूप से कम निश्चित होता है, तर्कसंगत निवेशकों को उच्च स्तर के जोखिम को वहन करने के लिए मुआवजे के रूप में वृद्धिशील रूप से उच्च दर की वापसी की आवश्यकता होती है। कॉर्पोरेट वित्त में, WACC किसी कंपनी में सभी निवेशकों के न्यूनतम अपेक्षित भारित औसत प्रतिफल का एक सामान्य माप है, जो इसके भविष्य के नकदी प्रवाह की जोखिम को देखते हुए दिया गया है।

चूंकि निवेशित पूंजी पर रिटर्न को फर्म की पूंजी पर रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता को मापने के लिए कहा जाता है, और चूंकि डब्ल्यूएसीसी को फर्म के पूंजी प्रदाताओं द्वारा मांगे गए न्यूनतम अपेक्षित रिटर्न को मापने के लिए कहा जाता है, आरओआईसी और डब्ल्यूएसीसी के बीच का अंतर कभी-कभी संदर्भित होता है एक फर्म के "अतिरिक्त रिटर्न", या " आर्थिक लाभ " के रूप में।

साझेदारी - परिक्षा उपयोगी प्रश्न | Partnership Concepts in Hindi

साझेदारी पर आधारित परिक्षा उपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे - एसएससी(SSC), आई बी पीएस (IBPS) में पूछे जाने वाले साझेदारी पर आधारित साझेदारी के सवाल तथा उनके हल , साझेदारी के प्रश्न को हल करने के लिए Shortcuts और Tricks , साझेदारी के सूत्र / फार्मूला

पिछले गणित अध्याय के टॉपिक्स में हमने गणित के महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स अनुपात और समानुपात , प्रतिशत , लाभ और हानि, शेयर और लाभांश , साधारण ब्याज तथा चक्रवृद्धि ब्याज को पढ़लें। साझेदारी Topics को समझने तथा साझेदारी पर आधारित के प्रश्नो को हल करने के लिए गणित अध्याय के अनुपात और समानुपात, प्रतिशत , साधारण ब्याज , चक्रवृद्धि ब्याज तथा लाभ और हानि का कॉन्सेप्ट्स कही - कही प्रयोग होगा। अगर अभी तक आपने गणित के इन Topics को नहीं पढ़ा है तो पहले इन्हें पढ़लें।

पढ़ें: साझेदारी का अर्थ क्या है? साझेदारी की परिभाषा । साझेदारी में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न शब्द, जैसे- साझेदार, पूंजी आदि । साझेदारी में साझेदार के प्रकार ।

परिभाषा: " जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर कोई व्यापार करते हैं तो इसे साझेदारी कहते हैं। वे व्यक्ति जो धन का निवेश करते हैं , साझेदार कहलाते हैं। ये साझेदार उस व्यापार में होने वाले लाभ एवं हानि के लिए उत्तरदायी होते है। जो धन उस व्यापार में लगाया जाता है उसे पूंजी ( Capital) कहते है।"

साझीदारों द्वारा व्यापार में लगाया गया धन , व्यापार में प्राप्त लाभ , साझेदारों के बीच निवेशित धन तथा समय के गुणनफल के अनुपात में किया जाता है।

सक्रिय साझेदार :- ऐसे व्यक्ति पूंजी लगाने के साथ साथ साथ व्यापार की देखभाल भी करते है , तो उन्हें सक्रिय साझेदार कहा जाता है।

निष्क्रिय साझेदार :- ऐसे साझेदार जो व्यापार में केवल धन का निवेश करते हैं , निष्क्रिय साझेदार कहलाते हैं ।

माना A और B मिलकर C1 और C2 पूँजी समय t1 और t2 के लिए लागाते हैं तथा इस समय आवादी ( Timeperiod ) के अंत में इनको P1 और P2 लाभ हो तो पार्टनरशिप के नियमानुसार

इस प्रकार यदि निवेश की अवधि प्रत्येक साझेदारों के लिए समान हो अर्थात t सामान हो, तो लाभ या हानि उनके निवेशों के अनुपात में विभाजित हो जाती है।

उदाहरण(1) : रमेश और सुरेश ने क्रमशः 10000 रु तथा 15000 रु लगाकर एक व्यापार आरम्भ किया । एक वर्ष के अंत में 5000 रु का कुल लाभ हुआ तो दोनों का लाभांश ज्ञात करो ?

उदाहरण (2) गीता ने 30 रू 6 महीने के लिए लगाये तथा नेहा ने 40 रू 5 महिने के लिए लगाये तो वर्ष के अन्त में लाभ 380 रू हुआ तो गीता व नेहा का लाभ में हिस्सा क्या होगा ?

नेहा की पुंजी = 40*5=200
अनुपात = 180:200=9:10
अनुपातों का योग = 19
लाभ = 380 रू
गीता का हिस्सा जब लाभ 380 रू = ( 380x9)/19= 180 रू
नेहा का हिस्सा जब लाभ 380 रू = ( 380x10)/19 = 200 रू

उदाहरण ( 3 ) सीमा , रीना , सनिया और कल्पना ने मिलकर एक व्यापार आरम्भ किया और इन्होंने क्रमशः 20,00 रू , 30,00 रू , 50,00 रू तथा 70,00 रू लगाये वर्ष के अन्त में लाभ यदि 80,00 रू हुआ हो तो प्रत्येक का लाभ में हिस्सा ज्ञात करो ?
सीमा , रीना , सनिया और कल्पना की पुंजीयों का अनुपात = 20,00:30,00:50,00:70,00 = 20:30:50:70
अनुपातों का योग = 20+30+50+70 = 170 रू
सीमा का हिस्सा = ( 20/170)x80,00 =941.18 रू
रीना का हिस्सा =( 30/170)x80,00=1411.76 रू
सनिया हिस्सा =( 50/170)x80,00 =2352.76 रू
कल्पना का हिस्सा =( 70/170)x80,00 =3294.12 रू

उदाहरण ( 4 ) A , B तथा C एक व्यापार आरम्भ करते हैं A पहले 50,000 रू लगाता हैं और 6 महिने बाद 20,000 रू निकाल लेता है। B ने प्रारम्भ में 20,000 रू लगाये 5 माह बाद 30,000 रू ओर लगाये , C ने 60,000 रू एक वर्ष के लिए लगाये यदि वर्ष के अन्त में लाभ 80,000 रू का हुआ तो C का लाभ में निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला हिस्सा कितना होगा ?

उदाहरण (5 ) मोहित और सोहित ने एक व्यापार में 7 : 8 के अनुपात में पूंजी का निवेश किया मोहित ने 8 महीने के बाद अपना निवेश वापस ले लिया। यदि उनको लाभ 7 : 9 के अनुपात में प्राप्त हुआ तो सोहित की पूंजी का कितने समय तक निवेश रहा?

Mutual Funds Investment : अच्छे रिटर्न हासिल करने के हैं ये बड़े फॉर्मूले, नहीं डूबेगा पैसा

पैसों के बेहतर निवेश के लिए म्युचुअल फंड्स एक बेहतर विकल्प हैं, लेकिन अधिकांश लोग इसकी खासियत, प्रकार और निवेश की जानकारी नहीं होने से लाभ नहीं उठा पाते या नुकसान उठा बैठते निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला हैं.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 02 Jul 2021 02:53 PM (IST)

Investment : म्युचुअल फंड को लेकर कॉमन जानकारी है कि मॉडरेट रिस्क के साथ 5-10 सालों तक किया गया इनवेस्टमेंट आपको 15 प्रतिशत तक रिटर्न देने में सक्षम है. हालांकि निवेश करने से पहले फंड के बारे में पूरी जानकारी लेना बेहद जरूरी है. दरअसल म्युचुअल फंड इक्विटी में इंवेस्ट करते हैं, इसलिए इनकी वोलेटीलिटी अधिक होती है, यानी इसका उतार चढ़ाव, यह वजह है कि फाइनेंस एक्सपर्ट इसमें लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट की सलाह देते हैं. म्युच्युअल फंड्स में 5 या 10 साल तक किया गया निवेश मुद्रास्फीति या महंगाई की दर के अनुपात में बहुत अच्छे रिटर्न देने वाले होते हैं.

फीचर्स और टाइप
इसमें एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसे को अलग-अलग स्टॉक में लगाकर मुनाफा कमाता है और रिटर्न देकर एवज में अपने लिए कुछ अमाउंट कमीशन के तौर पर रख लेता है. फंड हाउस मैनेज करने के लिए ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी होती हैं, जैसे एचडीएफसी म्युचुअल फंड एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिरला म्युचुअल फंड आदि.

म्यूचुअल फंडस तीन तरह के होते हैं, इक्विटी, डेब्ट और हाईब्रीड. आप रिस्क लेने में सक्षम हैं तो इक्विटी में पैसा लगा सकते हैं, कम रिस्क लेकर ठीक मुनाफा चाहते हैं तो डेब्ट में निवेश कर सकते हैं, मॉडरेट रिस्क-रिटर्न लेना चाहते हैं तो हाइब्रिड में निवेश बेहतर होगा. म्यूचल फंड कई सेक्टर में भी बंटे होते हैं, जिसमें टेक्नोलॉजी, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, एग्रीकल्चर और एफएमसीजी हैं. अगर आप अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में कौन सा सेक्टर मुनाफे का हो सकता है तो आप वहां निवेश कर सकते हैं. कुछ टैक्स सेविंग फंड होते हैं, जहां निवेश कर आप टैक्स डिडक्शन अंडर सेक्शन 80c के तहत छूट पा सकते हैं. मगर यहां आप पैसा नहीं निकाल पाएंगे, क्योंकि 3 साल का लॉक इन पीरियड लग जाता है.

इन्वेस्टमेंट कैसे करें
पहला तरीका है एसआईपी दूसरा लमसम. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आप सीधे ले सकते हैं, इससे आपको रेगुलर सेविंग इन्वेस्टमेंट की आदत बन जाएगी. मगर लमसम इंवेस्ट की सलाह तब दी जाती है, जब मार्केट क्रैश कर चुकी हो और भविष्य में इसके बढ़ने की संभावना बन रही हो.

पहले इन्हें चेक करें

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पहले फंड का 5 से 10 साल का रिटर्न प्रोसेस चेक करना जरूरी है. कमीशन रेशो भी चेक करना होगा, यह 1-2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. एंट्री-एग्जिट लोड भी चेक करना होगा. यानी जब आप निवेश कर रहे हो तब आपका कितना पैसा कट सकता है और मेच्योरिटी के बाद पैसा पाएंगे तो कितना पैसा कटेगा.

ऐसे लगाएं पैसा

एक बार ऑनलाइन या कंसलटेंट के जरिए टारगेट गोल सेट कर केवाईसी कराएं. पैन, आधार और कैंसिल चेक म्युचुअल फंड कंपनी को देकर निवेश के लिए वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करना होगा. घर कर्मचारी आपसे घर आकर जरूरी डॉक्यूमेंट ले लेंगे. दूसरा तरीका है ऑनलाइन, जिसके लिए कई ऐप्स आ चुकी हैं, जिनके जरिए भी निवेश किया जा सकता है.

अंत में कितना फायदा
पहला फायदा, हाई रिटर्न का है, मॉडरेट रिस्क पर भी अच्छी लिक्विडिटी मिलती है. आप कभी भी पैसा डाल सकते हैं और कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. नुकसान है, हाई वोलैटिलिटी का. मार्केट के उतार-चढ़ाव के चलते यह -50% भी जा सकता है और इतना ही ऊपर जा सकता है. अगर मान भी लें कि हर साल 15 परसेंट रिटर्न नहीं मिलेगा, निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला लेकिन 5-10 के लंबे पीरियड के बाद एवरेज रिटर्न 13-15% तक मिल जाएगा.

Published at : 02 Jul 2021 02:53 PM (IST) Tags: Equity Finance Money Investment inflation Return Mutual fund risk expert formula Better Investment Volatility Moderate Risk Debt and Hybrid हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

पूंजी पर वापसी

पूंजी पर वापसी ( आरओसी ), या निवेशित पूंजी ( आरओआईसी ) पर वापसी , वित्त , मूल्यांकन और लेखांकन में उपयोग किया जाने वाला अनुपात है , जो निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई पूंजी की मात्रा के सापेक्ष कंपनियों की लाभप्रदता और मूल्य-निर्माण क्षमता के एक उपाय के रूप में है। अन्य देनदार। [१] यह इंगित करता है कि पूंजी को मुनाफे में बदलने में कंपनी कितनी प्रभावी है।

अनुपात की गणना निवेशित पूंजी (आईसी) के औसत बुक-वैल्यू से कर पश्चात परिचालन आय ( एनओपीएटी ) को विभाजित करके की जाती है ।

इस माप के तीन मुख्य घटक हैं जो ध्यान देने योग्य हैं: [२]

  • जबकि इक्विटी पर रिटर्न और परिसंपत्तियोंपर वापसी जैसे अनुपात शुद्ध आय का उपयोग अंश के रूप में करते हैं, आरओआईसी कर के बाद शुद्ध परिचालन आय (एनओपीएटी) का उपयोग करता है , जिसका अर्थ है कि वित्तपोषण गतिविधियों से कर-पश्चात व्यय (आय) को वापस जोड़ा जाता है (से घटाया गया) शुद्ध आय।
  • जबकि कई वित्तीय गणनाएं बुक वैल्यू के बजाय बाजार मूल्य का उपयोग करती हैं (उदाहरण के लिए, डेट-टू-इक्विटी अनुपात की गणना या पूंजी की भारित औसत लागत (डब्ल्यूएसीसी) के लिए वजन की गणना ), आरओआईसी निवेशित पूंजी के बुक वैल्यू को हर के रूप में उपयोग करता है। यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है, क्योंकि बाजार मूल्यों के विपरीत, जो कुशल बाजारों में भविष्य की अपेक्षाओं को दर्शाता है, बुक वैल्यू अधिक बारीकी से रिटर्न उत्पन्न करने के लिए निवेश की गई प्रारंभिक पूंजी की मात्रा को दर्शाती है।
  • हर साल के अंत के मूल्य के बजाय निवेशित पूंजी के औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है । ऐसा इसलिए है क्योंकि एनओपीएटी धन प्रवाह की राशि का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि निवेशित पूंजी का मूल्य हर दिन बदलता है (उदाहरण के लिए, 31 दिसंबर को निवेशित पूंजी 30 दिसंबर को निवेशित पूंजी से 30% कम हो सकती है)। चूंकि सटीक औसत की गणना करना मुश्किल है, इसलिए अक्सर वर्ष की शुरुआत में आईसी और वर्ष के अंत में आईसी के बीच औसत लेकर इसका अनुमान लगाया जाता है।

कुछ अभ्यासी अंश में मूल्यह्रास, परिशोधन और रिक्तीकरण शुल्क वापस जोड़ने के लिए सूत्र में अतिरिक्त समायोजन करते हैं। चूंकि इन शुल्कों को "गैर-नकद खर्च" माना जाता है, जिन्हें अक्सर परिचालन खर्चों के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है, इसलिए कहा जाता है कि इन्हें वापस जोड़ने की प्रथा एक निश्चित अवधि में एक फर्म के नकद रिटर्न को अधिक बारीकी से दर्शाती है। हालांकि, अन्य लोग यह तर्क दे सकते हैं कि इन गैर-नकद शुल्कों को सूत्र से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि वे हर में कुछ संपत्तियों के उपयोगी जीवन में गिरावट को दर्शाते हैं।

क्योंकि वित्तीय सिद्धांत बताता है कि एक निवेश का मूल्य एक निवेशक के लिए उसके अपेक्षित नकदी प्रवाह की मात्रा और जोखिम दोनों से निर्धारित होता है, यह आरओआईसी और पूंजी की भारित औसत लागत (डब्ल्यूएसीसी) के साथ इसके संबंध पर ध्यान देने योग्य है ।

पूंजी की लागत निवेशकों से उस जोखिम को वहन करने के लिए अपेक्षित प्रतिफल है जो किसी निवेश का अनुमानित नकदी प्रवाह अपेक्षाओं से विचलित होता है। ऐसा कहा जाता है कि निवेश के लिए जिसमें भविष्य में नकदी प्रवाह वृद्धिशील रूप से कम निश्चित है, तर्कसंगत निवेशकों को उच्च स्तर के जोखिम को वहन करने के लिए मुआवजे के रूप में प्रतिफल की निवेश अनुपात पर वापसी फॉर्मूला उच्च दर की आवश्यकता होती है। कॉर्पोरेट वित्त में, WACC किसी कंपनी में सभी निवेशकों के न्यूनतम अपेक्षित भारित औसत रिटर्न का एक सामान्य माप है, जो इसके भविष्य के नकदी प्रवाह की जोखिम को देखते हुए दिया गया है।

चूंकि निवेशित पूंजी पर रिटर्न को फर्म की पूंजी पर रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता को मापने के लिए कहा जाता है, और चूंकि डब्ल्यूएसीसी को फर्म के पूंजी प्रदाताओं द्वारा मांगे गए न्यूनतम अपेक्षित रिटर्न को मापने के लिए कहा जाता है, आरओआईसी और डब्ल्यूएसीसी के बीच का अंतर कभी-कभी संदर्भित होता है एक फर्म के "अतिरिक्त रिटर्न", या " आर्थिक लाभ " के रूप में।

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