सरकार ने सिगरेट पर टैक्सों में कोई बदलाव नहीं किया है. इसके बाद से इस शेयर को काफी राहत मिली है, जो तेजी की पोजिशन की तरफ इशारा कर रहा है. मोतीलाल ओसवाल के तापड़िया ने कहा, "223 रुपये के स्तर के पास कई बाधाएं हैं. इसे पार करने के बाद यह 250 रुपये की तरफ जाने वाला है."
क्या विदेशी मुद्रा भंडार का 17% फूंक देगा RBI?
आरबीआई 100 अरब डालर खर्च करके रुपये के दाम को स्थिर करने की कोशिश कर रही है
• इस साल जनवरी से अब तक रुपया सात फीसदी टूट चुका है
• पिछले साल सितंबर में विदेशी मुद्रा का भंडार 642 अरब डालर था . अब ये गिरकर 580 अरब डालर हो गया
• यानी साठ अरब डालर विदेशी मुद्रा का भंडार वैसे ही कम हो गया है.
• उपर से क्रूड आयल के इम्पोर्ट पर अंधाधुंध डालर खर्च हो रहा है.
• एक क्वाटर में ही 47 अरब डालर के क्रूड आयल का निर्यात बढ़ चुका है. भी
• क्रूड आयल का इम्पोर्ट 89 परसेंट बढ़ गया है.
• इसका मतलब है कि चार महीने में डालर को ऊपर लाने के लिए आप 100 अरब खर्च करेंगे और अतिरिक्त पेट्रोल खरीदने पर ही मुद्राबाजार में चार महीने में इसका आधा खर्च हो जाएगा यानी रणनीति विदेशी मुद्रा मेहनत गई पानी में
• एक क्वाटर में इतनी बढ़ोतरी हुई है
• रणनीति विदेशी मुद्रा इसके अलावा पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी दस दशमलव सात प्रतिशत इम्पोर्ट हुए हैं
• यानी घरेलू जरूरतों के लिए आपको पेट्रोल बाहर से मंगाना पड़ा है
• दशा ये है कि कच्चे तेल का दाम आसमान छूने वाला है . एक आशंका जताई गई है कि रूसी कच्चे तेल पर अहर
• प्रतिबंध लगते हैं तो वो 200 डालर प्रति बैरल बढ़ जएगा यानी दाम होगा डबल से ज्यादा
• उस हालत में होने वाला है ये ऊंट के मुंह में जीरा
• 580 रणनीति विदेशी मुद्रा डालर विदेशी मुद्रा भंडार है
• 100 अरब डालर चार महीने में खर्च किया जा सकता है
• 47 अरब डालर तो एक तिमाही में ही क्रूड इम्पोर्ट का खर्च बढ़ गया.
• अब अगर दाम दो सौ डालर जाता है तो ये संख्या एक तिमाही में ही 100 अरब डालर पार कर जाएगी
• यानी इम्पोर्ट इतने का बढ़ेगा.
• हम किस ओर बढ़ रहे हैं
• भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है यानी आब इम्पोर्ट करने के मुकाबले रणनीति विदेशी मुद्रा एक्सपोर्ट ज्यादा कर रहेहैं.
• ये दुगुना हो गया है. 2020 में ये 51000 करोड़ था जो 2021 में एक लाख बारह हजार करोड़ हो गया.
• डालर में ही व्यापारहोता है. जितना ज्यादा व्यपार घाटा उतना डालर का बोझ
फॉरेक्स रिजर्व 580 अरब डॉलर: विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में रूस को पछाड़कर चौथे स्थान रणनीति विदेशी मुद्रा पर पहुंचा भारत, चीन इसमें सबसे आगे
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार बन गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंचा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर रणनीति विदेशी मुद्रा पर आ गया ।
चीन बना हुआ है टॉप पर
चीन के पास सबसे ज्यादा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत भंडार से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा मिलता है कि सरकार घटते फिजकल आउटलुक और अर्थव्यवस्था के चार दशकों में पहले एक साल रणनीति विदेशी मुद्रा के संकुचन की ओर बढ़ने के बावजूद अपने कर्ज को लेकर वादे को पूरा कर सकती है।
बजट के बाद इन शेयरों पर दांव लगा रहे हैं कारोबारी
कारोबारी उन सेक्टर की कंपनियों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिन्हें इस बजट से फायदा होगा. इनमें बैंकिंग, रणनीति विदेशी मुद्रा ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं.
एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय ने कहा कि अब नए सेक्टर में निवेश प्रवाह बढ़ेगा. पिछले साल मार्च के बाद से प्रमुख सूचकांक करीब 95-100 फीसदी रणनीति विदेशी मुद्रा तक चढ़ चुके हैं. ईटी लेकर आया है कुछ ऐसे शेयर, जो कारोबारियों की पहली पसंद हैं:
इंडसइंड बैंक
गुरुवार का भाव: 1,032.15 रुपये
शेयरों में आई तेजी: 28.6 फीसदी
कारोबारियों ने निजी सेक्टर के इस बैंक में तेजी की पोजिशन बनाई है. दिसंबर तिमाही में बैंक ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है. तकनीकी संकेत तेजी दिखा रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल के चंदन तापड़िया ने कहा, "सपोर्ट का स्तर 1,010 रुपये पर है. शेयर 1,120 रुपये के भाव तक जा सकता है."
रुपये की मजबूती को रणनीतिक पहल जरूरी
यकीनन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब चीन-ताइवान युद्ध और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच इस समय डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट दिखाई दे रही है। 8 अगस्त को एक डॉलर की कीमत 79.65 के स्तर पर पहुंच गई है। साथ ही रुपये में और नरमी की आशंकाएं हैं। इससे जहां भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ रही हैं, वहीं आर्थिक विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। इतना ही नहीं, असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी की चिंताएं और बढ़ती हुई रणनीति विदेशी मुद्रा दिखाई दे रही हैं।
वस्तुतः डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने का प्रमुख कारण बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग बहुत ज्यादा हो जाना है। वर्ष 2022 की शुरुआत से ही संस्थागत विदेशी निवेशक (एफआईआई) बड़ी संख्या में भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अमेरिका के केंद्रीय रणनीति विदेशी मुद्रा बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ाई जा रही हैं। दुनिया के कई विकसित देशों द्वारा भी ब्याज दरें तेजी से बढ़ाई जा रही हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी 4 अगस्त को 27 साल बाद सबसे अधिक ब्याज दर बढ़ाई है। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक निवेशक अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों में अपने निवेश को ज्यादा लाभप्रद और सुरक्षित मानते हुए भारत की जगह अमेरिका व विकसित देशों में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। यद्यपि जनवरी से जुलाई 2022 के बीच एफआईआई ने भारत के शेयर बाजार से करीब 30 अरब डॉलर खींच लिए, लेकिन अगस्त 2022 की शुरुआत में एफआईआई फिर से सतर्कतापूर्वक वापसी करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
इस पैकेज में शामिल हैं:
- पूर्ण वॉल्यूम विदेशी मुद्रा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
- एक्सचेंज में 30-दिन का उपयोग
- पूरक विनिमय साप्ताहिक वेबिनार और प्रशिक्षण सत्र जो आपको विदेशी मुद्रा बाजार का व्यापार करने के लिए खोजते समय जानने के लिए आवश्यक है।
- छात्रों के रणनीति विदेशी मुद्रा लिए अन्य व्यापारियों के खिलाफ बेंचमार्क करने के लिए निजी चैट रूम तक पहुंच।
- प्रश्न और सामग्रियों का उत्तर देने और स्पष्ट करने के लिए 1200 सदस्य समूह चैट।
- ई-बुक: छोटे खातों के लिए विदेशी मुद्रा बाजार के लिए नियम
- ऑनलाइन उपकरण और संसाधन उपलब्ध 24-7।
फुल वॉल्यूम ट्रेनिंग कोर्स के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्लेटफॉर्म ड्रॉपबॉक्स होगा। ड्रॉपबॉक्स एक आसान उपयोग प्रणाली है जिसमें पाठ्यक्रम के छात्र जितनी बार चाहें उतनी बार शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं!
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