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वाटर ट्रीटमेंट प्लांट इन हिंदी

Water Treatment : यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा जल को किसी विशेष प्रयोग के लिए तैयार या शुद्ध करा जाता है। यह प्रयोग पीना, नहाना, पौधों की सिंचाई, जल खेल, मछली पालन, इत्यादि हो सकता है। इसमें जल से प्रदूषकों व अन्य पदार्थों को निकाला जाता है।

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नोएडा प्राधिकरण ने नहीं किया यमुना में गिरते नाले का समाधान, अब भरना पडे़गा ₹100 करोड़ जुर्माना

नोएडा: नेशनल ग्रीट ट्रिब्यूनल (NGT) ने नोएडा प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को नोएडा प्राधिकरण की ओर से दायर समीक्षा याचिका को भी ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया। दरअसल, यमुना नदी में गिरने कौन से दलाल एसटीपी हैं? वाली सीवेज को कोंडली सिंचाई नहर परियोजना के तहत ट्रीट नहीं कर पाने पर यह जुर्माना लगाया गया था।

NGT की पीठ ने कहा, आप शीर्ष अदालत जा सकते हैं

याचिकाकर्ता अभिष्ट कुसुम गुप्ता के वकील सुनील जे मैथ्यूज ने बताया कि एनजीटी ने नोएडा अथॉरिटी पर 100 करोड़ रुपये और दिल्ली जल बोर्ड पर 50 कौन से दलाल एसटीपी हैं? कौन से दलाल एसटीपी हैं? करोड़ रुपये का जुर्माना 6 अगस्त को लगाया है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की एनजीटी न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को प्राधिकरण की याचिका खारिज कर दी।

एनजीटी ने प्राधिकरण से कहा कि अगर वह चाहते हैं तो वह शीर्ष अदालत का रुख कर सकते हैं। आपको बता दें कि कौन से दलाल एसटीपी हैं? 20 किलोमीटर लंबा कोंडली नाला दिल्ली के कोंडली गांव से निकलता है और गाजियाबाद होते हुए नोएडा में प्रवेश करता है। कौन से दलाल एसटीपी हैं? कौन से दलाल एसटीपी हैं? नोएडा के सेक्टर-168 में यह नाला यमुना में गिरता है।

कई हाउसिंग सोसायटी में एसटीपी नहीं हैं

एनजीटी ने अपने अगस्त के आदेश में कहा कि नोएडा में ग्रुप हाउसिंग की 95 सोसाइटियों में से केवल 76 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। अन्य ने अभी तक एसटीपी स्थापित नहीं किया है, जबकि एसटीपी वाली 76 में से 38 सोसायटी (50%) अनुपालन नहीं कर रही हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि 231 एमएलडी की कुल क्षमता वाले नोएडा के छह ऑपरेशनल एसटीपी चलाए जाने का दावा किया जाता है, लेकिन इन प्लांट्स के नमूने इन दावों का खंडन करते हैं। अगर सही मानक लागू किए जाते तो ऐसा नहीं होता।

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सुशासन दिवस के अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाएं

प्रश्न-25 दिसंबर‚ 2020 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा कई योजनाओं की घोषणा की गई। विकल्प में इस दिन घोषित योजनाओं में कौन योजना शामिल नहीं है?
(a) सूक्ष्म सिंचाई से हर खेत में पानी की योजना
(b) मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना
(c) हरियाणा जमा धन प्रत्याभूति योजना
(d) म्हारा गांव-जगमग गांव योजना
उत्तर—(d)
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पुलिस की वर्दी पर लगे स्टार देखकर कैसे पहचानें कि वो किस रैंक का अधिकारी या पुलिसवाला है? ये रहा इसका जवाब

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पुलिस में भर्ती होना हर किसी का सपना होता है. भारत का पुलिस सिस्‍टम दुनिया के कुछ बड़े पुलिस सिस्‍टम का हिस्‍सा है. कई राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों के पास अपनी पुलिस फोर्स है जिसमें लाखों ऑफिसर और जवान शामिल हैं. सेनाओं की तरह ही पुलिस यूनिफॉर्म का भी अपना एक अलग महत्‍व है. आइए आपको बताते हैं कि आप यूनिफॉर्म पर लगे सितारों को देखकर कैसे पहचान सकते हैं कि कोई पुलिस कर्मी ऑफिसर है या जवान.

भारत के पास है एक बड़ी पुलिस फोर्स

भारत में 28 राज्‍यों के पास अपनी-अपनी पुलिस फोर्स है और ऐसे में सैलरी का सिस्‍टम भी अलग-अलग है. भारत में कुल पुलिस कर्मियों की संख्या लाखों में है. हर राज्‍य की पुलिस फोर्स की तय यूनिफॉर्म को पहनने के लिए लोग जी-जान मेहनत करते हैं. कड़ी मेहनत के बाद कोई इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में सेलेक्‍ट होकर ऑफिसर बनता है और कोई जवान.

कांस्टेबल

पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबल एक शुरुआती पोस्‍ट है और हर कॉन्‍स्‍टेबल की यूनिफॉर्म पर कोई भी बैज या फिर स्‍टार नहीं होता है. बैज या स्‍टार न होने के बाद भी यह सबसे महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट होती है और कॉन्‍स्‍टेबल को भी अपने सीनियर ऑफिसर कौन से दलाल एसटीपी हैं? कौन से दलाल एसटीपी हैं? की तरह ही ड्यूटी को पूरा करना होता है.

हेड कांस्टेबल

कांस्टेबल से एक रैंक होता है हेड कॉन्स्टेबल का होता है. इनकी यूनिफॉर्म पर काले रंग की पट्टी होती है जिस पर पीले रंग की दो पट्टी लगी होती है. हालांकि कई राज्यों की पुलिस की वर्दी हेड कॉन्‍स्‍टेबल की यूनिफॉर्म अलग होती है. कई जगह लाल रंग की चौड़ी पट्टी पर तीन काली पट्टी लगी होती हैं.

गोमती, सरयू, यमुना, राप्ती नदियों की धारा पहले से अधिक अविरल और निर्मल हुई

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उत्तर प्रदेश में गंगा समेत अन्य प्रमुख नदियों में प्रदूषण काफी कम हुआ है। नदियों की धारा अविरल और निर्मल हुई हैं। नदियों में गिरने वाले नाले-नालियों को टैप किया गया है। राज्य सरकार ने प्रदेश में 3298.84 एमलडीए के 104 एसटीपी चालू किये हैं। नमामि गंगे परियोजना के तहत संचालित परियोजनाओं ने दूषित हो चुकी नदियों को फिर से स्वच्छता प्रदान की है। तेजी से चलाए गये स्वच्छता अभियानो से गंगा ही नहीं प्रदेश की गोमती, सरयू, यमुना, राप्ती समेत सभी प्रमुख नदियों की हालत सुधरी है। गंदगी की मात्रा घटने से जलीय जीवों को जीवन मिला है और सिल्ट निकाले जाने से नदियों की सतही सफाई संभव हुई है।

नदियों की स्वच्छता और उसमें गिरने वाले सीवेज को रोकने के साथ ही शहरों में घरेलू सीवरेज कनेक्शन देने के प्रयास भी तेजी से किये जा रहे हैं। शहरों में सड़क पर बहने वाला सीवर का गंदा पानी अब नहीं दिखाई देता है। गंदगी और बदबू ने लोगों की परेशानी कम हुई है। साथ ही गंदगी से होने वाली बीमारी पर भी नियंत्रण संभव हो पाया है। वर्तमान में 3298.84 एमएलडी के 104 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण ने इसमें काफी निर्णायक भूमिका निभाई है। नमामि गंगा के तहत गंगा नदी से सटे अनूपशहर को मिली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) और सीवरेज लाइन की सौगात से नदी में दूषित पानी गिरना बंद हुआ। यहां 78 करोड़ की लागत से सीवरेज लाइन बिछाने का काम किया गया।

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