एसेट एलोकेशन का फंडा
एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है. ये आपकी रिस्क लेने और इन्वेस्टमेंट को होल्ड करने की क्षमता पर निर्भर करता है. अगर आप अधिक रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं तो 70 फीसदी निवेश इक्विटी में 20 फीसदी एफडी में और 10 फीसदी गोल्ड में लगा सकते हैं. अगर आपको रिस्क मध्यम रखना है तो इस अनुपात को 40:40:20 रख सकते हैं. अगर आप बिलकुल ही रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो एफडी में 70 फीसदी, इक्विटी में 20 फीसदी और गोल्ड में 10 फीसदी का निवेश कर सकते हैं. इन निवेश अनुपातों को आप अपनी क्षमता के अनुसार बदल सकते हैं.

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सोने में आपको अपने पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी निवेश करना चाहिए.

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जानकारों का मानना है कि सोने में निवेश करना काफी समझदारी भरा फैसला होता है. उनके अनुसार, इससे लघु अवधि में भले आपको इक् . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : August 09, 2022, 16:35 IST
सोने में निवेश करने से आपको लंबी अवधि में महंगाई से सुरक्षा मिलती है.
सोना असेट क्लास का एक बेहद सुरक्षित निवेश विकल्प है.
आपको अपने पोर्टफोलियो का 15-20 सोने में निवेश करना चाहिए.

नई दिल्ली. निवेश करना या पैसों को निवेश के ज़रिए बढ़ाना हर कोई बहुत आसानी से नहीं सीखता है. हालांकि, थोड़ी समझ-बूझ के साथ अपना पोर्टफोलियो तैयार कर व अपने खर्चों को मैनेजर कर वह अपने लंबी अवधि के आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है. लेकिन एक अच्छा पोर्टफ़ोलियो कैसे तैयार करना है यह बड़ा सवाल होता है. इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लोगों को अपना पैसा केवल एक जगह निवेश नहीं करना चाहिए. इससे आप खुद को आर्थिक रूप से अधिक सुरक्षित कर सकते हैं.

रिस्क लेने की क्षमता का आकलन जरूरी

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश रिटर्न की उम्मीद का आकलन करना चाहिए. उसके बाद आप सही म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करें जिसके ज़रिए आपको आपको बेहतर रिटर्न मिल सके. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप अगले दस सालों में एक निश्चित अमाउंट बनाना चाहते हैं और आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है. आप एक ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं जो आपको आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार हाई रिटर्न दे सके और 10 सालों के बाद आपके वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सके. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर यह समझना होगा कि किसी फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में कितना निवेश करने की जरूरत है.

निवेश का डायवर्सिफिकेशन जरूरी

एक या दो म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पूरे फंड का निवेश करने से आपको अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है. आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स और अलग-अलग म्यूचुअल फंड कंपनियों में डायवर्सिफाई करना चाहिए. एक निवेशक के तौर पर आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन कैसे किया जाए. निवेशक को अपनी पर्सनल इन्वेस्टमेंट गोल्स और जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए एसेट एलोकेट करना चाहिए. एसेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है. एसेट एलोकेशन का एक फायदा यह है कि अगर किसी एक एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो जरूरी नहीं है कि दूसरे में भी हो.

यहां कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं. इनके द्वारा कई तरह की स्कीम पेश की जाती हैं. आपको इनमें से अपनी जरूरत के अनुसार सही स्कीम का चुनाव करना होगा. अब सवाल यह है कि निवेश के लिए सबसे अच्छी स्कीम का चुनाव कैसे करें? किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से पहले आपको उनके पिछले प्रदर्शन, मैनेजमेंट एफिशिएंसी और एक्सपेंस रेश्यो की जांच करनी चाहिए. इसके साथ ही, अलग-अलग स्कीम की तुलना ऑनलाइन माध्यम से करनी चाहिए. रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट प्लान्स को प्राथमिकता दें क्योंकि इनका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है.

एकमुश्त निवेश या SIP इन्वेस्टमेंट

यदि आप एकमुश्त राशि निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप अधिक जोखिम नहीं लेना चाहेंगे. इसलिए, डेट फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए मध्यम जोखिम लेने को तैयार हैं, तो आप बैलेंस्ड फंड में निवेश कर सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए आपको ज्यादा जोखिम उठाने होंगे. इसलिए, आप लार्ज-कैप इक्विटी फंड में निवेश के लिए जा सकते हैं. अलग-अलग स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में अपने फंड को डायवर्सिफाई करें. अगर आप जोखिम को और कम करना चाहते हैं, तो आप एकमुश्त फंड को लिक्विड फंड में रख सकते हैं और एसटीपी विकल्प का उपयोग करके एक उपयुक्त म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर सकते हैं.

अगर आप लंबी अवधि में किस्तों में निवेश करते हुए फंड तैयार करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. एसआईपी आपको आकर्षक रिटर्न पाने में मदद कर सकता है, खासकर जब आप उतार-चढ़ाव भरे बाजार के बीच लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं.

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इन्वेस्टमेंट जर्नी शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है.

Systematic Investment Plan (SIP): इन्वेस्टमेंट जर्नी शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है. इसमें आप या तो एकमुश्त निवेश कर सकते हैं या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) चुन सकते हैं. SIP में आप नियमित अंतराल में एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं. पहली बार निवेश करने वालों के लिए SIP सबसे अच्छा विकल्प है. इसमें आप कम जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. आप अपनी इनकम और फाइनेंशियल गोल्स के आधार पर निश्चित अवधि जैसे हर हफ्ते, महीने, तिमाही या छमाही में एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं.

अपने इन्वेस्टमेंट गोल्स को पहचानें

अपना निवेश शुरू करने अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें के लिए आपके पास शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह का लक्ष्य होना चाहिए. एसआईपी शुरू करने से पहले इस निवेश के जरिए हासिल किए जाने वाले लक्ष्य को समझना जरूरी है. यह आसान कदम आपको यह तय करने में मदद करेगा कि आप कितनी राशि कितने समय तक के लिए निवेश करना चाहते हैं. आपके पास अलग-अलग वित्तीय लक्ष्य हो सकते हैं जैसे कि कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की शिक्षा, शादी आदि. इसलिए एक SIP आपके सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है. फाइनेंशियल गोल्स की संख्या के आधार पर आप इनमें से प्रत्येक लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई एसआईपी में निवेश कर सकते हैं.

निवेश के जरूरी नियमों में से एक निवेश करते समय महंगाई को ध्यान में रखना है. एसआईपी चुनते समय आपको मौजूदा और भविष्य की मुद्रास्फीति को ध्यान में रखना चाहिए. हो सकता है कि आप अभी निवेश कर रहे हों, लेकिन आपके भविष्य के लक्ष्य बदल सकते हैं और आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक राशि की जरूरत पड़ सकती है. यह अक्सर देखा जाता है कि लोगों अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें को कई निवेशों के बावजूद पैसे कम पड़ जाते हैं क्योंकि वे मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखते. यह सलाह दी जाती है कि निवेश अवधि में अनुमानित मुद्रास्फीति को देखते हुए आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए फंड तय करना चाहिए और उसी के अनुसार एसआईपी राशि तय करनी चाहिए.

सावधानी से चुनें इन्वेस्टमेंट स्कीम

म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बाजार विकल्पों से भरा है. आप इक्विटी फंड, डेट फंड या हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं. जोखिम लेने की क्षमता, रिटर्न की उम्मीदों और आपके वित्तीय लक्ष्य के आधार पर म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है और आप उच्च रिटर्न की उम्मीद करते हैं और लंबी अवधि के निवेश करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी एसेट क्लास का विकल्प चुन सकते हैं. कम जोखिम वाले निवेशक डेट फंड में निवेश कर सकते हैं. औसत रिटर्न की तलाश में मध्यम जोखिम लेने वाले निवेशक हाइब्रिड फंड का विकल्प चुन सकते हैं.

अपने निवेश में विविधता लाना एक अच्छी निवेश रणनीति है. जैसा कि पहले भी कहा गया है कि आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और रिटर्न की उम्मीदों के अनुसार निवेश करना चाहिए. उम्र, वित्तीय जिम्मेदारियां, निवेश की अवधि, आय, देनदारी जैसी चीजें निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. डायवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है. डायवर्सिफिकेशन के लिए, आपको अलग-अलग एसेट क्लास, स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में निवेश करना चाहिए.

क्या है एसेट लोकेशन और यह एसेट एलोकेशन से किस तरह होता है अलग? कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ

एसेट लोकेशन का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया जाता है.

एसेट लोकेशन का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया जाता है.

जिन निवेशकों ने इक्विटी और फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में पैसा लगाया और अपनी इन्वेस्टमेंट को बैलेंस किया है, उन्हें इसक . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : November 03, 2022, 07:50 IST
एसेट लोकेशन का मकसद मुनाफा कमाने से ज्यादा टैक्स बचाना है.
एसेट एलोकेशन का मकसद पैसा बनाना और निवेश सुरक्षित रखना है.
एसेट एलोकेशन आपको बाजार के तेज उतार-चढ़ाव से बचाता है.

नई दिल्ली. एसेट लोकेशन टैक्स को कम करने का एक तरीका है. इसमें अलग-अलग निवेश विकल्पों को उनकी टैक्स लायबिलिटी के अनुसार चुना जाता है. एसेट लोकेशन में निवेशक तय करता है कि कौन सी सिक्योरिटीज टैक्स फ्री अकाउंट में जाएंगी और कौन सी टैक्सेबल अकाउंट्स में डाली जाएंगी. इससे वह टैक्स के बाद मिलने वाले रिटर्न को बढ़ाने की कोशिश करता है. एसेट लोकेशन कई कारकों पर निर्भर करता है. मसलन, निवेशक की वित्तीय स्थिति, टैक्स संबंधी कानून व निवेश को होल्ड करने की क्षमता आदि.

सेफ फ्यूचर के लिए किस उम्र में महिलाएं कहां और कितना करें इनवेस्‍टमेंट

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वक्‍त बदल रहा है और वक्‍त के साथ महंगाई, लाइफस्‍टाइल और लोगों की जरूरतें बदल रही हैं। घर की आर्थिक जरूरतें पूरी करने का‍ जिम्‍मा अब केवल पुरुषों पर ही नहीं है, बल्कि महिलाएं भी इस जिम्‍मेदारी को बराबर से निभा रही हैं। आज हर क्षेत्र में महिलाएं खुद को आजमा रही हैं और बढ़िया सैलरी पा रही हैं। मगर, आज के वक्‍त में जितना जरूरी खर्चों को पूरा करना है, उतना ही जरूरी है पैसे बचा कर सही जगह इनवेस्‍ट करना। अगर आप सही उम्र में सही जगह इनवेस्‍टमेंट करती है तो फ्यूचर में आपको कभी भी अर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि किस उम्र में आपको कहां पर इनवेस्‍टमेंट करनी चाहिए और इससे आपको क्‍या फायदा मिलेगा।

25 से 35 वर्ष की महिलाएं

इस उम्र में महिलाओं में आगे बढ़ने का उत्‍साह होता है साथ ही अपनी लाइफस्‍टाइल को अच्‍छे से मैनटेन करने के चक्‍कर में बेफिक्र होकर खर्च करती हैं। ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं। यह उम्र ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाने की ही होती है। इस उम्र में लोगों का वेतन बेशक कम होता है मगर छोटी-छोटी बचत करके उसे सही जगह इनवेस्‍ट करने की भी यही सही उम्र होती हैं। फाइनेंस एक्‍सपर्ट अर्विंद सेन कहते हैं, ‘इस उम्र में छोटी-छोटी बचत से लॉन्‍ग टर्म इनवेस्‍टमेंट करना बहुत अच्‍छा होता है। क्‍योंकि इस उम्र में कोई बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी नहीं होती और आने वाले 15 साल तक आप आराम से नौकरी भी कर सकती हैं।’ उदाहरण के लिए यदि कोई युवती 25 साल की है और वह हर महीने रु2,000 इनवेस्ट करती है और यह क्रम लगातार चलता रहता है, तो जब वह 60 वर्ष की होगी तो उसके अच्‍छी खासी धनराशी जमा हो जाएगी। इस उम्र में इस तरह एक छोटी राशि का निवेश किया जाना बहुत मायने रखता है। इस उम्र के लिए हर किसी का अलग-अलग प्लैन हो सकता है। क्योंकि कोई 15 हज़ार कमाता है, तो कोई एक लाख। अपनी क्षमता अनुसार निवेश करें। इस वक़्त आप थोड़ा ज़्यादा जोखिम लेकर अपने निवेश का बड़ा हिस्सा ग्रोइंग कंपनियों में भी लगा सकते अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें हैं।

35 से 50 वर्ष की महिलाएं

35 वर्ष की उम्र तक महिलाएं लगभग सेटल हो चुके होती हैं। अगर आप भी सेटल हो चुकी हैं तो आपको अब अपने भविष्‍य को संवारने के लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करनी चाहिए। अगर आपके बच्‍चे हो चुके हैं तो आपको उनके भविष्‍य और उनकी पढ़ाई के लिए पैसों को ऐसी जगह इनवेस्‍ट करना चाहिए, जो सही वक्‍त पर आपको बड़ी धनराशि के रूप में मिल सकें। इस उम्र में आप गोल्‍ड, लॉन्‍ग टर्म बेनिफिट्स देने वाले बॉन्‍ड्स, शेयर्स आदि में निवेश कर सकती हैं। आप बैंक में लॉन्‍ग टर्म के लिए अपना फिक्‍स डिपॉजिट भी करवा सकती हैं। फिक्‍स डिपॉजिट सबसे सेफ इनवेस्‍टमेंट होती है। मगर इस में मिलने वाला ब्‍याज बहुत अच्‍छा नहीं होता। आप अगर एसआईपी या मिचुअल फंड्स में इनवेस्‍ट करना चाहें तो यह भी एक अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। आपको यह तय करना चाहिए कि आपको आने वाले दिनों में कितने पैसे की ज़रूरत है। फिर फायनेंशियल एड्वाइज़र के साथ मिलकर अपने पैसे निवेश करें। किसी भी क़ीमत पर एक ही स्थान पर निवेश न करें। इस उम्र में भी हमारी जोखिम उठाने की क्षमता ठीक होती है। इसलिए आप अपने निवेश का 50 प्रतिशत इक्विटी में लगा सकते हैं।” अपनी निवेश राशि का 30 प्रतिशत बैलेंस फ़ंड में डाल सकती हैं। बाक़ी बचे पैसों को अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार निवेश करें।

वर्किंग महिलाएं कहां करें निवेश

अगर आप एक वर्किंग वुमन हैं और आप चाहती हैं कि कहीं अच्‍छी जगह इन्‍वेस्‍ट किया जाए तो आप यह बिल्‍कुल सही सोच रही हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसे आप बचत करने के लिए अलग-अलग जगह पर निवेश कर सकती हैं:

सोना

महिलाओं को गोल्‍ड से बहुत लगाव होता है। वह इसे पहनना बहुत पसंद करती हैं। मगर आप श्रृंगार के साथ ही सोने को इनवेस्‍टमेंट के तौर पर भी देख सकती हैं। गोल्‍ड में इनवेस्‍टमेंट के लिए आपको किसी ब्रांडेड ज्‍वेलर्स शॉप में अपना गोल्‍ड अकाउंट खोलना चाहिए। इसमें आप साल भर या उससे ज्‍यादा एक निश्चित धनराशि जमा करती जाती हैं और कुछ धनराशि वह ज्‍वेलर्स शॉप द्वारा दी जाती है। जब आपकी स्‍कीम पूरी हो जाती है तो आपको उतनी धनराशि का कोई गोल्‍ड उत्‍पाद दिया जाता है। बेहतर हो कि गोल्‍ड इनवेस्‍टमेंट के लिए आप गोल्‍ड के सिक्‍के या ब्‍लॉक खरीदें।

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