एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंडों के बारे में यहांं जान‍ि‍ए सब कुछ

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ निवेश के कई विकल्पों में से एक है. म्यूचुअल फंड सहित कई निवेशक ईटीएफ के बारे मुद्रा बास्केट ईटीएफ में बहुत नहीं समझते हैं. यही वजह है कि इसके बारे में बुनियादी चीजों को जानना जरूरी है. आइए, यहां इनके बारे में ऐसी ही 5 अहम चीजों के बारे में जानते हैं.

कैसे काम करते हैं?

कैसे काम करते हैं?

म्‍यूचुअल फंड की तरह ईटीएफ प्रतिभूतियों का एक समूह या बास्‍केट होता है. इस तरह के फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वजन होता है, स्कीम में उसी अनुपात में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है, जिसको वे ट्रैक करते हैं. इस तरह इंडेक्स फंडों का पोर्टफोलियो उस इंडेक्स से मिलता-जुलता होता है जिसे वे ट्रैक करते हैं. इस तरह के इंडेक्‍स में निफ्टी या एसएंडपी बीएसई सेंसेक्‍स आदि शामिल हो सकते हैं.

ईटीएफ और म्‍यूचुअल फंड में क्‍या फर्क है?

ईटीएफ और म्‍यूचुअल फंड में क्‍या फर्क है?

ईटीएफ म्यूचुअल मुद्रा बास्केट ईटीएफ फंड जैसे होते हैं. लेकिन, दोनों में बड़ा अंतर यह है कि ईटीएफ को किसी शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है. यानी शेयर बाजारों में इनकी ट्रेडिंग होती है. जिस तरह आप शेयरों को खरीदते-बेचते हैं. ठीक वैसे ही आप एक्सचेंज के कारोबारी घंटों के दौरान ईटीएफ को भी खरीद-बेच सकते हैं. ईटीएफ की पेशकश पहले एनएफओ के रूप में होती है. फिर ये शेयर बाजार में लिस्ट होते हैं. ट्रेडिंग पोर्टल या स्टॉक ब्रोकर के जरिये शेयर बाजार पर ईटीएफ की खरीद-फरोख्त होती है.

कितने तरह के होते हैं?

कितने तरह के होते हैं?

देश में 3 तरह के ईटीएफ हैं. इनमें इक्विटी ईटीएफ, डेट ईटीएफ और गोल्‍ड ईटीएफ शामिल हैं. तीनों तरह के ईटीएफ में अपनी जरूरत के अनुसार आप निवेश कर सकते हैं. जिस तरह दूध के दाम बढ़ जाने से पनीर और घी महंगे हो जाते हैं. ठीक वैसे ही ईटीएफ में भी इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर होता है. यानी ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है.

क्‍या होती है न‍िवेश की लागत?

क्‍या होती है न‍िवेश की लागत?मुद्रा बास्केट ईटीएफ

निवेश की लागत के लिहाज से ईटीएफ सस्‍ता विकल्‍प है. इनके साथ मुख्‍य रूप से तीन तरह की कॉस्‍ट जुड़ी होती है. इनमें ट्रांजेक्‍शन का ब्रोकरेज, एसटीटी और ईटीएफ का एक्‍सपेंस रेशियो शामिल है.

कैसे होता है कैलकुलेशन?

कैसे होता है कैलकुलेशन?

यह डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश का लागत कुशल विकल्‍प है. ईटीएफ के मूल्य वास्तविक समय में पता चल जाते हैं. यानी लेनदेन के समय ही इनके दामों का भी पता लग जाता है. जबकि म्यूचुअल फंडों के एनएवी के साथ यह नहीं होता है. एनएवी का कैलकुलेशन दिन के अंत में होता है.

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