ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर Online and Offline Trading in Hindi

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ब्रोकिंग हाउस की धोखाधड़ी: आप शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो समझिए कैसे ब्रोकर हाउस आपके पैसों का दुरुपयोग करते हैं, इस ब्रोकर हाउस पर 9 लाख की पेनाल्टी लगी

आजकल कई ब्रोकर्स ऐसे आ गए हैं जो ट्रेडिंग फ्री दे रहे हैं या कुछ रुपए में दे रहे हैं। ऐसे में आप को अपने पैसे और ट्रेड को लेकर सावधान रहना चाहिए - Dainik Bhaskar

आप अगर शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। हो सकता है कि आपके पैसों का दुरुपयोग हो जाए। ग्राहकों के पैसों का दुरुपयोग करने के आरोप में सेबी ने ब्रोकिंग हाउस मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर 9 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है। सेबी ने बुधवार को जारी अपने आदेश में यह जानकारी दी है। सेबी ने इसमें तीन अलग-अलग नियमों के उल्लंघन के आरोप में यह फाइन लगाई है। यह पेनाल्टी 45 दिनों के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया है।

NSE or BSE which is best: शेयर बाजार में एनएसई में लगाएं पैसे या बीएसई में, जानिए दोनों में होता है क्या अंतर!

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NSE or BSE which is best: शेयर बाजार में एनएसई में लगाएं पैसे या बीएसई में, जानिए दोनों में होता है क्या अंतर!

ये दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज हैं। बीएसई में करीब 5000 कंपनियां लिस्टेड हैं, जो एशिया का सबसे पुराना एक्सचेंज है। वहीं दूसरी ओर एनएसई में लगभग 1600 ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर के करीब कंपनियां लिस्टेड हैं। दोनों के ही जरिए आप शेयर बाजार में पैसे लगा सकते हैं। अधिकतर कंपनियां दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं, इक्का-दुक्का कंपनियां भी सिर्फ एक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है।

बीएसई और एनएसई में क्या है अंतर?

दोनों में पहला अंतर तो शेयर की कीमत का होता है, लेकिन ये इतना मामूली होता है कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे मान लीजिए कि रिलायंस का शेयर बीएसई पर 2000 रुपये का है, तो सकता है कि एनएसई पर इसकी कीमत 2001 रुपये हो। वहीं स्टॉक ब्रोकर एंजेल ब्रोकिंग के अनुसार एनएसई और बीएसई पर टैक्स लगाने का तरीका अलग-अलग होता है, लेकिन इसमें भी कोई बड़ा अंतर नहीं होता है।

तो एनएसई में लगाएं पैसे या बीएसई में?

एंजेल ब्रोकिंग के अनुसार अगर आप नए-नए शेयर बाजार में घुसे हैं तो आपके लिए बीएसई बेहतर है, जबकि अगर आप शेयर बाजार के मझे हुए खिलाड़ी हैं तो एनएसई बेहतर विकल्प है। अगर नई कंपनियों में निवेश करते हैं तो बीएसई बेहतर विकल्प है, जबकि अगर आप ट्रेडिंग करते हैं या डेरिवेटिव्स, फ्यूचर, ऑप्शंस में पैसे लगाते हैं एनएसई बेहतर विकल्प है। एंजेल ब्रोकिग के अनुसार एनएसई के सॉफ्टवेयर बेहतर हैं, जिससे हाई रिस्क वाले ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किए जा सकते हैं। वहीं जो लोग बस एक बार पैसे लगाकर बैठकर उसे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं, उन्हें बीएसई में पैसे लगाने चाहिए।

कैसे लगाएं पैसे?

वैसे तो आप जिस भी ब्रोकर के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे, वह बीएसई और एनएसई दोनों ही एक्सचेंज पर रिजस्टर्ड होगा। फिर भी अगर आप अपने पसंद के एक्सचेंज में पैसा लगाना चाहते हैं तो शेयर खरीदते वक्त आपको विकल्प मिलेगा। इसी तरह शेयर बेचते वक्त भी आपको विकल्प मिलेगा कि आप किस एक्सचेंज पर शेयर बेचना चाहते हैं। वैसे अगर आप नए-नए शेयर बाजार में आए हैं तो एक्सचेंज की चिंता ब्रोकर पर ही छोड़ दीजिए और सिर्फ कंपनी पर ध्यान दीजिए और मुनाफा कमाइए।

ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between Online and Offline Trading in Hindi

ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between Online and Offline Trading in Hindi

ऑनलाइन और ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between Online and Offline Trading in Hindi

(1) इंटरनेट और कम्प्यूटर की व्यापक असंबद्ध लोकप्रियता के साथ, ऑफलाइन ट्रेडिंग एक ऐसी अवधारणा बन गई है जिसके बारे में कभी नहीं सुना गया। हालाँकि, ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा होने ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर से पहले, ट्रेडिंग केवल ऑफलाइन की जाती थी। ऑफलाइन ट्रेडिंग में, आप अपना ऑर्डर किसी ब्रोकर को देते हैं जो फिर आपके लिए शेयर खरीदता या बेचता है। आपका ब्रोकर यहाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर है। ऑफलाइन ट्रेडिंग बोझिल हो सकती है, और इसके साथ कई कमियाँ जुड़ी हुई हैं यही वजह है कि लोग अब, तकनीक की समझ रखने वाले या नहीं, ऑनलाइन ट्रेडिंग पसंद करते हैं।

Career Tips: स्टॉक मार्केट में करियर कैसे बनाएं? इन्वेस्टमेंट के साथ ऐसे कमाएं रुपये

 भारतीय शेयर बाजार में टाटा मोटर्स, हीरो मोटरकॉर्प, टीवीएस, महिंद्रा जैसे ईवी सेक्टर में कुछ महत्वपूर्ण नाम हैं.

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Career Tips, Stock Broker Jobs: इन दिनों बहुत लोग स्टॉक मार्केट (Stock Market Jobs) में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कई लो . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 05, 2021, 14:28 IST

नई दिल्ली (Career Tips, Stock Broker Jobs). अगर आप देश-दुनिया की खबरों में दिलचस्पी रखते हैं तो शेयर ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर मार्केट (Share Market), स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange), स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker), निफ्टी (Nifty) और सेंसेक्स (Sensex) से जरूर परिचित होंगे. कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लिए भी लोग अक्सर स्टॉक एक्सचेंज में पैसे निवेश करते हैं. इसे शेयर मार्केट कहा जाता है और जो व्यक्ति किसी इन्वेस्टर और शेयर मार्केट के बीच काम करता है, उसे स्टॉक ब्रोकर कहा जाता है. इस फील्ड में भी जॉब की अपार संभावनाएं मौजूद हैं (Stock Broker Jobs).

आपकी जानकारी के लिए बता दें, ब्रोकर के बिना शेयर मार्केट का बिजनेस अधूरा रहता है. स्टॉक एक्सचेंज और इन्वेस्टर के बीच स्टॉक ब्रोकर एक कड़ी की तरह काम करता है. ब्रोकर के बिना किसी भी इन्वेस्टर या निवेशक के लिए स्टॉक मार्केट में बेस्ट परफॉर्मेंस दे पाना मुश्किल है (Stock Broker Work Profile). डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए भी स्टॉक ब्रोकर की जरूरत पड़ती है.

पारंपरिक और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में से आपके लिए कौन बेहतर?

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बाजार के एक्सपर्ट्स का ऑनलाइन खातों की संख्या में तेजी वृद्धि की तीन प्रमुख वजहें हैं - बेहतर नेटवर्क, किफायती भाव पर क्वालिटी शेयर की उपलब्धता और निवेशकों के पास अतिरिक्त समय.

सैमको सिक्योरिटीज के ब्रोकिंग कामकाज प्रमुख निलेश ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर शर्मा ने पारंपरिक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर के बीच निम्नलिखित फर्क बताया. उन्होंने दोनों के फायदे और नुकसान भी बताए.

पांरपरिक ब्रोकर्स के फायदे पांरपरिक ब्रोकर्स के नुकसान
निजी पहुंच, जो लोगों से सीधे जुड़ती है.अधिक ब्रोकरेज चार्ज क्योंकि बिजनेस मॉडल की लागत अधिक है.
बड़ी रिसर्च टीम, लगातार सलाह-मशवरा देती है.कई ऐसी सेवाएं भी मिलती हैं, तो हर निवेशक के मतलब की है. इसलिए निवेशक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है.
विशेष सेवाओं से जुड़ा बिजनेस मॉडल, जिसमें अलग ग्राहकों को अलग जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाती हैं.टर्नओवर के आधार पर ब्रोकरेज, जिससे कई ग्राहक गुरेज करते हैं.
अधिक कर्ज सीमा, ताकि ग्राहकों के साथ दीर्घावधि और गहरे संबंध ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर बनाए जा सकें.कई ब्रोकरेजेज पर पक्षपात के आरोप लगते हैं कि वे पैसा कमाने के लिए रिसर्च और रिपोर्ट पेश करते हैं.
ग्राहकों की सहूलियत के लिए T+2 ट्रेडिंग सिस्टम, जिसके तहत ट्रेड के दो दिन बाद ब्रोकरेज चुका सकते हैं.पुराना तरीका, जिसमे चेक, ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर फोन आदि के जरिए कारोबार को किया जाता है. नई पीढ़ी को यह रास नहीं आता.
कई अन्य सेवाएं, जिसमें टैक्स प्लानिंग, पीएमस, छोटी-मोटी गलतियों में सुधार आदि शामिल हैं, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे.नियामकीय बदलावों के चलते इनके फायदों पर खतरा मंड रहा है जिसमें अपफ्रंट मार्जिन के चलते T+2 सिस्टम खत्म हो सकता है.
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