सेबी ने सामाजिक शेयर बाजार की संचालन परिषद के लिये रूपरेखा जारी की
नियामक के एक परिपत्र में कहा गया है कि संचालन परिषद सामाजिक उद्यमों के पंजीकरण, कोष जुटाने और खुलासे के संबंध में सामाजिक शेयर बाजार (एसएसई) के सुचारू संचालन को सुगम बनाने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
शेयर बाजार को अलग से इस तरह के बाजार की शुरुआत को लेकर सेबी से अंतिम मंजूरी लेने से पहले सामाजिक शेयर बाजार के लिये संचालन परिषद का गठन करना होगा।
नियामक के अनुसार, परिषद में क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले व्यक्ति शामिल होंगे जो एसएसई के विकास में योगदान कर सकते हैं।
परिषद में प्रतिनिधित्व संतुलित होगा। यानी इसमें परमार्थ, गैर-लाभकारी संगठन, सामाजिक ऑडिट पेशेवर समेत विभिन्न श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि शामिल होंगे। संचालन परिषद में न्यूनतम सात सदस्य होंगे।
शेयर बाजार के निदेशक मंडल को परिषद की बैठक के बारे में प्रक्रिया, दो बैठकों में अंतर, सदस्यों की संख्या निर्धारित करनी होगी। साथ ही हितों के टकराव को लेकर दिशानिर्देश जारी करने होंगे। परिषद की बैठक नियमित आधार पर होगी। वित्त वर्ष में इसकी न्यूनतम चार बैठकें होगी।
परिषद के पास सामाजिक शेयर बाजार के विकास के लिये मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी होगी। इसमें सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों के सूचीबद्ध होने, निवेशकों की संख्या और बाजार में सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया पर नजर शामिल है। साथ ही वह खुलासा प्रावधानों के क्रियान्वयन पर भी नजर रखेगा।
सेबी ने पिछले महीने सामाजिक शेयर बाजार के लिये विस्तार से रूपरेखा पेश की थी।
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आर्थिक विकास के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाएगा सेबी, स्पॉट मार्केट के जरिये सोने के आयात पर विचार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि कैपिटल मार्केट अर्थव्यवस्था के विकास में काफी अहम भूमिका निभाने जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए सेबी कैपिटल मार्केट को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? का विचार रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है।
उद्योग संगठन सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? फिक्की के कार्यक्रम में बुधवार को त्यागी ने बताया कि सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए फंड जुटाने को आसान बनाने के लिए सेबी की तरफ से अलग से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत सोशल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की जाएगी ताकि सामाजिक क्षेत्र के विकास से जुड़ी वित्तीय व्यवस्था के लिए एक पूरा वातावरण तैयार हो सके।
उन्होंने बताया कि सेबी ने स्टार्ट-अप्स को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने में सहूलियत के लिए इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफार्म का गठन किया है। प्रतिभूति बाजार में घरेलू बचत के तहत होने वाले निवेश की हिस्सेदारी बढ़ रही है सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? और इससे कैपिटल मार्केट के साथ अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसी कार्यक्रम में त्यागी ने यह भी कहा कि नियामक को जरूरी जानकारियां मुहैया कराने में कई कंपनियों का रवैया उदासीन सा रहा है। वे इस महत्वपूर्ण काम को खानापूर्ति के अंदाज में कर रही हैं, जो ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नियामक और बाजारों को जानकारियां देने के दो प्रारूप हैं। एक के तहत उन्हें नियमित अंतराल पर कुछ जानकारियां देनी होती हैं। इसके अलावा उन्हें दूसरे के तहत समय-समय पर वे जानकारियां देनी होती हैं जो निदेशक बोर्ड द्वारा लिए जाते हैं और निवेशकों के लिए अनिवार्य हैं। इन दोनों ही प्रारूपों के मामले में कई कंपनियों का रवैया बेहद उदासीन रहा है।
स्पॉट मार्केट के माध्यम से सोने के आयात पर विचार
पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का विचार रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस विचार को अभी तक सेबी ने किसी भी दस्तावेज का हिस्सा नहीं बनाया है। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में वित्त मंत्री ने नियमन के अधीन गोल्ड एक्सचेंज का विचार पेश किया था। इस वर्ष फरवरी में पेश बजट में उन्होंने सेबी को ऐसे एक्सचेंज का नियामक घोषित किया। सेबी ने इस तरह के एक्सचेंज की स्थापना के लिए विभिन्न पक्षों से विचार आमंत्रित किए हैं। लेकिन इसमें स्वर्ण आयात को स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से अंजाम देने की बात नहीं है।
आर्थिक विकास के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाएगा सेबी, स्पॉट मार्केट के जरिये सोने के आयात पर विचार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि कैपिटल मार्केट अर्थव्यवस्था के विकास में काफी अहम भूमिका निभाने जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए सेबी कैपिटल मार्केट को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का विचार सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है।
उद्योग संगठन फिक्की के कार्यक्रम में बुधवार को त्यागी ने बताया कि सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए फंड जुटाने को आसान बनाने के लिए सेबी की तरफ से सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? अलग से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत सोशल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की जाएगी ताकि सामाजिक क्षेत्र के विकास से जुड़ी वित्तीय व्यवस्था के लिए एक पूरा वातावरण तैयार हो सके।
उन्होंने बताया कि सेबी ने स्टार्ट-अप्स को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने में सहूलियत के लिए इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफार्म का गठन किया है। प्रतिभूति बाजार में घरेलू बचत के तहत होने वाले निवेश की हिस्सेदारी बढ़ रही है और इससे कैपिटल मार्केट के साथ अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसी कार्यक्रम में त्यागी ने यह भी कहा कि नियामक को जरूरी जानकारियां मुहैया कराने में कई कंपनियों का रवैया उदासीन सा रहा है। वे इस महत्वपूर्ण काम को खानापूर्ति के अंदाज में कर रही हैं, जो ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नियामक और बाजारों को जानकारियां देने के दो प्रारूप हैं। एक के तहत उन्हें नियमित अंतराल पर कुछ जानकारियां देनी होती हैं। इसके अलावा उन्हें दूसरे के तहत समय-समय पर वे जानकारियां देनी होती हैं जो निदेशक बोर्ड द्वारा लिए जाते हैं और निवेशकों के लिए अनिवार्य हैं। इन दोनों ही प्रारूपों के मामले में कई कंपनियों का रवैया बेहद उदासीन रहा है।
स्पॉट मार्केट के माध्यम से सोने के आयात पर विचार
पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का विचार रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस विचार को अभी तक सेबी ने किसी भी दस्तावेज का हिस्सा नहीं बनाया है। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में वित्त मंत्री ने नियमन के अधीन गोल्ड एक्सचेंज का विचार पेश किया था। इस वर्ष फरवरी में पेश बजट में उन्होंने सेबी को ऐसे एक्सचेंज का नियामक घोषित किया। सेबी ने इस तरह के एक्सचेंज की स्थापना के लिए विभिन्न पक्षों से विचार आमंत्रित किए हैं। लेकिन इसमें स्वर्ण आयात को स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से अंजाम देने की बात नहीं है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और यूनिसेफ ने उद्योगपतियों और कॉरपोरेट्स से बच्चों और युवाओं में निवेश करने का आग्रह किया
मुंबई, भारत, 05 अक्टूबर 2018: यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरीएटा फोर ने आज यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) में 'क्लोजिंग बेल' बजाकर आने वाले समय में बच्चों और युवाओं में निवेश करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस समारोह में श्री विक्रम लिमये, प्रबंध निदेशक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज; डॉ यास्मीन अली हक, राष्ट्र प्रतिनिधि, यूनिसेफ इंडिया; और श्री रितेश अग्रवाल, ओयो रूम्स के संस्थापक और सीईओ, भी मौजूद थे।
इस मौके पर सुश्री फोर ने कहा, "भारतीय व्यापार समूह में यह समझ बढ़ रही है कि साझी मान्यताएं - जो इस विचार से उत्पन्न होती है कि परोपकार ही अच्छा व्यापार है - स्वस्थ, बेहतर शिक्षित, और अधिक संपन्न जन समूह को समर्थन देकर विकसित की जा सकती है। व्यापार जगत के लिए यह अनिवार्य नहीं कि उसका मुनाफा समुदाय हित की अनदेखी कर के ही प्राप्त किया जाए। वास्तव में, उनका मुनाफा स्थानीय समुदाय और वहां रहने वाले लोगों की बेहतर सेवा और मदद करके भी कमाया जा सकता है। एक पैनल चर्चा के दौरान पैनलिस्ट्स ने चर्चा की, कि कैसे व्यवसायी और उद्योगपति यूनिसेफ और एनएसई जैसे संगठनों के साथ मिलकर बच्चों और युवाओं के हित के लिए समाधान खोज सकते हैं। चर्चा में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि किस तरह व्यवसाय लिंग भेद का मुकाबला करने के लिए अधिक कार्य कर सकते हैं, और ऐसी सामाजिक बाधाओं का विरोध कर सकते हैं जो कार्यस्थल में लैंगिक असमानताओं को मजबूत करती हैं। पैनलिस्टों ने इस बात पर भी गौर किया कि विश्व में किशोरों और युवाओं की तेज़ी से बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए कार्यकुशलता में कमी को पूरा करने के लिए शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण में तत्काल निवेश की आवश्यकता है।
एनएसई के एमडी और सीईओ, श्री विक्रम लिमये ने कहा, “आने वाले समय में नवीन सामाजिक उद्यमों, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप जैसे सब को साथ लेकर चलने वाले व्यापार मॉडलों पर एक केंद्रित रणनीति तैयार करने कि आवश्यकता है, जिससे महिलाओं, बुजुर्गों और हाशिए पर रहने वाले अन्य वंचित वर्गों का वित्तीय सशक्तिकरण होगा। इस तरह के निष्पक्ष व्यवसाय मॉडल की नवरचना देश के आर्थिक विकास को एक नयी दिशा देगी, ताकि कारोबार का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। एनएसई फाउंडेशन के माध्यम से एनएसई दृढ़ता से उन नए और केंद्रित कदमों का समर्थन करने में विश्वास रखता है जो हाशिए और वंचित समुदायों के सबसे गरीब लोगों को प्रभावित करते हैं, जो आज भारत के विकास की तस्वीर का हिस्सा हैं।"
ओयो रूम्स के सीईओ और संस्थापक श्री रितेश अग्रवाल ने कहा, “हम जैसे युवा जो कर सकते हैं, उसकी क्षमता की कोई सीमा नहीं है। हमें ज़रूरत है सही अवसर और कौशल की। मैं हर तरह से यूनिसेफ के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।" वर्तमान परिवेश में युवा लोगों में समान निवेश ही सबसे अच्छा और मूल्यवान लम्बी अवधि का निवेश है, जो सरकारें और व्यवसाय कर सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? सकते हैं। युवा लोगों में निवेश करना वास्तव में उपयोगी है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था और समाज को सकारात्मक लाभ मिलते हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली में यूनिसेफ ने नीति आयोग के साथ मिलकर 'युवाह!' का शुभारंभ किया। यह युवाओं, सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र को एक साथ लाने वाला मंच है, जिसका उद्देश्य है ऐसे समाधान खोजना जो युवाओं के लिए आवश्यक बदलावों में तेजी ला सके।
संपादकों के लिए टिपप्णी
सुश्री फोर, जो 1 जनवरी 2018 को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की सातवीं कार्यकारी निदेशक बनीं, उन्हें सार्वजनिक विकास, निजी क्षेत्र और गैर-लाभकारी क्षेत्र में आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, मानवीय सहायता और आपदा राहत में अपने काम व नेतृत्व के लिए जाना जाता है।
अपने चार दशक से अधिक के कार्यकाल में, सुश्री फोर ने 2007 से 2009 तक एडमिनिस्ट्रेटर ऑफ़ यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और डायरेक्टर ऑफ़ यूनाइटेड स्टेट्स फॉरेन असिस्टेंस के रूप में कार्य किया। 2009 में उन्हें डिस्टिंग्विशड सर्विस अवार्ड (विशिष्ट सेवा का पुरस्कार) मिला, जो कि संयुक्त राज्य अमरीका के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।
2005 से 2007 तक, उन्होंने अंडर सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर मैनेजमेंट के रूप में काम किया, जो कि डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट के चीफ ऑपरेटिंग अफसर हैं।
कृपया उनके शैक्षिक अभिलेख और कार्य अनुभव के लिए यह लिंक (link to her CV) देखें।
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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022
NSE को Social Stock Exchange (SSE) शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली, जानें इससे किसको होगा फायदा
देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज यानी Social Stock Exchange (SSE) शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसे अलग सेगमेंट के तौर पर शुरू करना होगा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को यह मंजूरी 19 दिसंबर को मिली।
सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज शुरू की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने पर एनएसई के एमडी और सीईओ आशीषकुमार चौहान ने कहा कि हमलोग एनएसई पर एक सेंगमेंट के तौर पर Social Stock Exchange (SSE) शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। इससे टिकाऊ विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal-SDG) को हासिल करने में जुटे सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? सामाजिक उद्यमियों को तुरंत लाभ होगा।
आमतौर पर शेयर बाजार में लिस्ट कंपनियां पहले खुले बाजार में अपनी कीमत पर पैसे जुटाने के लिए आईपीओ लाती हैं, फिर शेयर बाजार पर लिस्ट होती हैं। इसके बाद उन कंपनियों के शेयरों की बाजार कीमत पर खरीद-बिक्री होती है। कंपनियां आईपीओ से मिले पैसों का इस्तेमाल अपने कारोबार को संभालने और बढ़ाने के लिए लगाती है। एक तरह से कह सकते हैं कि स्टॉक एक्सचेंज कंपनियों के लिए पैसा जुटाने का एक जरिया है। हालांकि, शेयरों में पैसा लगाकर निवेशक भी पैसा कमाते हैं।
>सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज यानी Social Stock Exchange (SSE) से किसकों लाभ होगा?
-अलग अलग सामाजिक कामों में जुटे एनजीओ, गैर-लाभकारी संगठनों (Non Profit Organisations) बगैरह सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज से पैसे जुटा सकते हैं। इन संगठनों के पास पैसा जुटाने का सीमित जरिया होता है। अब ये इस एक्सचेंज के जरिया पैसा जुटा सकते हैं। इसके लिए ऐसे संगठन को एनपीओ लाना होगा।
-मौजूदा कानून के मुताबिक, एनपीओ लाने वाले संगठनों को कम से कम 1 करोड़ रुपए का एनपीओ लाना होगा और सब्सक्रिप्शन के लिए कम से कम एप्लीकेशन साइज 2 लाख रुपए का होना चाहिए।
- किस तरह के सामाजिक काम करने वाले संगठन ला सकते हैं एनपीओ: भूखमरी, गरीबी, कुपोषण और असमानता को दूर करने वाले काम में जुटे सामाजिक संगठन, हेल्थकेयर, शिक्षा को सपोर्ट करने वाले, रोजगार और रोजी-रोटी उपलब्ध कराने के काम में लगे संगठन, महिलाओं को सशक्त करके लिंग समानता को बढ़ावा देने के काम में लगे संगठन, सामाजिक उद्यमियों के इनक्युबेटर्स को सपोर्ट करने वाले सामाजिक संगठन इस एक्सचेंज से पैसा जुटा सकते हैं।
-कॉर्पोरेट फाउंडेशंस, राजनीतिक और धार्मिक संगठन या ऐसे गतिविधि चलाने वाले, पेशेवर या व्यापारिक संगठन, इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग कंपनी (सस्ता घर बनाने वाले को छोड़कर) को सोशल उद्यमी नहीं माना जाएगा यानी सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज से ऐसे लोग या संगठन पैसे नहीं जुटा सकते हैं।
आपको बता दूं कि 2019-20 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज लाने का प्रस्ताव किया था। इस साल अक्टूबर में सेबी ने बीएसई को सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज लाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 759