RBI के डिजिटल रूपी का लोगों पर क्या होगा असर, जानिए एक्सपर्ट की राय
आने वाले कुछ समय में रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी Digital rupee को लॉन्च करेगा. डिजिटल रूपी का आमलोगों पर किस तरह असर होगा आइए इसके बारे में जानते हैं.
कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजैक्शन (Digital transactions) में बहुत ज्यादा उछाल दर्ज किया गया. दूसरी तरफ बिटक्वॉइन, इथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने भी निवेशकों को खूब लुभाया. प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी (RBI digital currency) पर काम कर रहा है. बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रूपी (Digital rupee) को लॉन्च करेगा. डिजिटल रूपी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC भी कह सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के काट के रूप में रिजर्व बैंक डिजिटल आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? रूपी को लॉन्च कर रहा है. यह समझना जरूरी है कि डिजिटल रूपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी नहीं है.
डिजिटल रूपी को लेकर बिटक्रंच (BitsCrunch) के फाउंडर और सीईओ विजय प्रवीण महाराजन ने कहा पिछले कुछ समय में ट्रांजैक्शन के पैटर्न में काफी बदलाव आया है. खासकर कोरोना महामारी के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शन में बहुत ज्यादा उछाल आया है. अब छोटे-बड़े दुकानों में भी डिजिटल पेमेंट स्वीकार किए जा रहे हैं. ऐसे में आर्थिक स्वतंत्रता के लिहाज से रिजर्व बैंक का डिजिटल रूपी (RBI Digital rupee) एक मील का पत्थर साबित होगा. RBI के डिजिटल रूपी के कई फायदे होंगे.
यूजर्स के प्राइवेसी का पूरा खयाल
उन्होंने कहा कि इसमें यूजर्स के प्राइवेसी का पूरी तरह खयाल रखा जाएगा. इसके अलावा यह आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है, ट्रांजैक्शन प्रोसेस सिंपल होगा साथ ही हर कोई इसका अच्छे से इस्तेमाल कर सकता है. डिजिटल रूपी के कारण बिजनेस और कंज्यूमर को फाइनेंशिल सिक्यॉरिटी भी मिलेगी. RBI का डिजिटल रूपी डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. इसमें ट्रांजैक्शन को पीयर-टू-पीयर आधार पर सेटल किया जाएगा.
विजय प्रवीण महाराजन ने कहा कि डिजिटल करेंसी के कारण करेंसी मैनेंजमेंट बहुत ज्यादा सस्ता हो जाएगा. उन्होंने इसके कई फायदे बताए. आइए डिजिटल रूपी के फायदे और लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं.
- नेशनल पेमेंट सिस्टम को डिजिटल रूपी से कई फायदे होंगे. अगर डिजिटल रूपी का इस्तेमाल प्राइमरी फाइनेंशियल सर्विस के तौर पर किया जाता है तो पेमेंट का तरीका और ज्यादा लचीला और सरल हो जाएगा.
- डिजिटल रूपी की मदद की मदद से रेमिटेंस यानी क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन सस्ता हो जाएगा. डिजिटल करेंसी के कारण रेमिटेंस में फाइनेंशियल सिस्टम का मेंटिनेंस सस्ता हो जाता है.
- डिजिटल रूपी का ट्रांसफर आसान और तेज होगा. मेंटिनेंस और प्रोसेस सिंपल होने के कारण ट्रांजैक्शन चार्ज घट जाएंगे. ट्रांसफर प्रोसेस तेज होने के कारण इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार तेज होगी. इससे गरीब लोगों को काफी फायदा पहुंचेगा. इसके कारण फंड की पहुंच आसान होगी.
- डिजिटल रूपी के कारण किसी भी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करने बहुत ज्यादा आसान हो जाएगा. साथ ही बैंकिंग सेक्टर के लिए रिस्क मॉनिटरिंग का काम भी घट जाएगा.
पेमेंट और इन्वेस्टमेंट का तरीका बदल जाएगा
डिजिटल रूपी को लेकर फाइनेंस ऐप Koppr के को-फाउंडर और सीईओ मंडार मराठे ने कहा कि डिजिटल रूपी के कारण ट्रांजैक्शन कॉस्ट काफी घट जाएगा, साथ ही ट्रांसफर प्रोसेस काफी सुगम और एफिशिएंट हो जाएगा. डिजिटल करेंसी के कारण रेमिटेंस भेजना और प्राप्त करना भी तेज होगा. यह 24×7 सर्विस होगी, जिसके कारण बैंकों पर निर्भरता घट जाएगी. कैश निकासी के लिए ATM पर निर्भरता भी कम होगी. रिजर्व बैंक लगातार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है. डिजिटल रूपी पूरी तरह रेग्युलराज्ड और सेंट्रलाइज्ड होगा,जिसके कारण प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज कम होगा. कुल मिलाकर डिजिटल रूपया के लॉन्च होने से बिजनेस और शॉपिंग का पूरा तरीका बदल जाएगा. इसके अलावा इन्वेस्टमेंट और सेविंग का तरीका भी बदलेगा.
जानें क्या है डिजिटल रुपया जिसकी आज से शुरुआत करेगा RBI, कैश पर कैसे डालेगा असर
RBI to Launch E-Rupee: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डिजिटल रूपये की शुरुआत करने जा रहा है, आइये एक नजर इसके फायदे और फीचर्स पर डालते हैं.
- 9 बैंकों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया
- जानें क्या है डिजिटल रुपये के फायदे
ट्रेंडिंग तस्वीरें
RBI to Launch E-Rupee: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले महीने एक बहुमुखी प्रोजेक्ट डिजिटल रूपये (E-Rupee) को जल्द से जल्द शुरू करने का ऐलान किया था जिसकी शुरुआत आज (एक नवंबर) से होने जा रही है. आरबीआई आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? इसकी शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर करने जा रहा है, जिसके सफल होने के बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने पर भी विचार किया जा सकता है. 1 नवंबर से शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट के तहत आरबीआई होलसेल ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल रूपये की शुरुआत करेगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मानना है कि डिजिटल करेंसी की शुरुआत से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और लोगों के बीच ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को पहुंचने में मदद मिलेगी. साथ ही घर पर पैसे की जमाखोरी करने वालों से भी छुटकारा मिलेगा.
9 बैंकों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया
आरबीआई ने इस प्रोजेक्ट के शुरुआती दौर के लिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक समेत कुल 9 बैंकों को जोड़ा है. डिजिटल रूपी का इस्तेमाल सरकारी सिक्टोरिटीज के सेटलमेंट के लिए होगा.
जानें क्या है डिजिटल रुपये के फायदे
आरबीआई की ओर से डिजिटल करेंसी शुरू करने से सरकार और लोगों के बीच बिजनेस करने में काफी आसानी हो जाएगी, जिसका फायदा लोगों की जेब पर होगा. डिजिटल करेंसी को आप मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और नकद की तरह ही इस्तेमाल किया आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? जा सकेगा. इसे आरबीआई की तरफ से मान्यता होगी तो इसके बाद आपको कैश रखने की जरूरत नहीं होगी. आरबीआई का डिजिटल रुपये के सर्कुलेशन पर पूरा कंट्रोल होगा जिसकी वजह से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी, इसके चलते कर की दरों में कटौती देखने को मिल सकती है.
डिजिटल रुपया एक विकल्प न कि नकद को खत्म करने का जरिया
आरबीआई ने डिजिटल रुपये के बारे में जानकारी देते हुए साफ किया था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की ओर से शुरू की जा रही इस पहल का उद्देश्य करेंसी के मौजूदा रूप को बदलना नहीं है बल्कि डिजिटल करेंसी के रूप में अतिरिक्त ऑप्शन देना है. इसका मतलब है कि मौजूदा समय में जारी सभी माध्यम ऐसे ही बने रहेंगे.
सालाना बजट में लाने का किया गया था ऐलान
गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही इस योजना का ऐलान सालाना बजट के दौरान किया था जिसमें साफ किया गया था कि सरकार CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नोटों को एक डिजिटल रूप देने की तैयारी कर रही है. दुनिया भर के ज्यादातर बैंक इस तरीके को अपनाने पर विचार कर रहे हैं और भारत सरकार ने सालाना बजट 2022-23 में इसे पेश करने का ऐलान किया था.
आरबीआई ने पहले ही साफ कर दिया है कि पायलट प्रोजेक्ट में जैसे-जैसे बदलाव आयेगा हम E-Rupee से जुड़े फीचर्स और फायदे आम लोगों तक पहुंचाते रहेंगे. रिजर्व बैंक की ओर से लोगों के बीच सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया गया है.
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जानें क्या है डिजिटल रुपया जिसकी आज से शुरुआत करेगा RBI, कैश पर कैसे डालेगा असर
RBI to Launch E-Rupee: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डिजिटल रूपये की शुरुआत करने जा रहा है, आइये एक नजर इसके फायदे और फीचर्स पर डालते हैं.
- 9 बैंकों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया
- जानें क्या है डिजिटल रुपये के फायदे
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RBI to Launch E-Rupee: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले महीने एक बहुमुखी प्रोजेक्ट डिजिटल रूपये (E-Rupee) को जल्द से जल्द शुरू करने का ऐलान किया था जिसकी शुरुआत आज (एक नवंबर) से होने जा रही है. आरबीआई इसकी शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर करने जा रहा है, जिसके सफल होने के बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने पर भी विचार किया जा सकता है. 1 नवंबर से शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट के तहत आरबीआई होलसेल ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल रूपये की शुरुआत करेगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मानना है कि डिजिटल करेंसी की शुरुआत से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और लोगों के बीच ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को पहुंचने में मदद मिलेगी. साथ ही घर पर पैसे की जमाखोरी करने वालों से भी छुटकारा मिलेगा.
9 बैंकों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया
आरबीआई ने इस प्रोजेक्ट के शुरुआती दौर के लिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक समेत कुल 9 बैंकों को जोड़ा है. डिजिटल रूपी का इस्तेमाल सरकारी सिक्टोरिटीज के सेटलमेंट के लिए होगा.
जानें क्या है डिजिटल रुपये के फायदे
आरबीआई की ओर से डिजिटल करेंसी शुरू करने से सरकार और लोगों के बीच बिजनेस करने में काफी आसानी हो जाएगी, जिसका फायदा लोगों की जेब पर होगा. डिजिटल करेंसी को आप मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और नकद की तरह ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसे आरबीआई की तरफ से मान्यता होगी तो इसके बाद आपको कैश रखने की जरूरत नहीं होगी. आरबीआई का डिजिटल रुपये के सर्कुलेशन पर पूरा कंट्रोल होगा जिसकी वजह से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी, इसके चलते कर की दरों में कटौती देखने को मिल सकती है.
डिजिटल रुपया एक विकल्प न कि नकद को खत्म करने का जरिया
आरबीआई ने डिजिटल रुपये के बारे में जानकारी देते हुए साफ किया था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की ओर से शुरू की जा रही इस पहल का उद्देश्य करेंसी के मौजूदा रूप को बदलना नहीं है बल्कि डिजिटल करेंसी के रूप में अतिरिक्त ऑप्शन देना है. इसका मतलब है कि मौजूदा समय में जारी सभी माध्यम ऐसे ही बने रहेंगे.
सालाना बजट में लाने का किया गया था ऐलान
गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही इस योजना का ऐलान सालाना बजट के दौरान किया था जिसमें साफ किया गया था कि सरकार CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नोटों को एक डिजिटल रूप देने की तैयारी कर रही है. दुनिया भर के ज्यादातर बैंक इस तरीके को अपनाने पर विचार कर रहे हैं और भारत सरकार ने सालाना बजट 2022-23 में इसे पेश करने का ऐलान किया था.
आरबीआई ने पहले ही साफ कर दिया है कि पायलट प्रोजेक्ट में जैसे-जैसे बदलाव आयेगा हम E-Rupee से जुड़े फीचर्स और फायदे आम लोगों तक पहुंचाते रहेंगे. रिजर्व बैंक की ओर से लोगों के बीच सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया गया है.
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डिजिटल रुपया क्या है?
जबकि अधिकांश लोग यह देखने के लिए इंतजार कर रहे थे कि क्या क्रिप्टोक्यूरैंक्स बंद हो जाएंगे, ऐसा लगता है कि सरकार ने अपना डिजिटल रुपया स्थापित करके एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है, जो बाद में 2022 और 2023 की शुरुआत में उपलब्ध होगा।
घोषणा, केंद्रीय करार दियाबैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), का दावा है कि डिजिटल रुपया मुद्रा "डिजिटल को बढ़ावा देगी"अर्थव्यवस्थातो, डिजिटल करेंसी क्या है, यह कैसे काम करती है, और यह बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी से कैसे भिन्न है? आपके लिए चीजों को समझना आसान बनाने के आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? लिए, इस लेख में सब कुछ संक्षेप में कवर किया गया है।
डिजिटल रुपया क्या है?
डिजिटल रुपया अनिवार्य रूप से पारंपरिक मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसका लोग आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? दैनिक उपयोग करते हैं। आप पैसे को सुरक्षित डिजिटल फॉर्मेट में रख सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है (रुपये में एक क्रिप्टोकरेंसी की तरह), जो मुद्रा रखरखाव की लागत को कम करता है और सरकार को भविष्य में कम नोट बनाने की अनुमति देता है।
चूंकि मुद्रा डिजिटल है, इसलिए इसका जीवनकाल बढ़ाया जाता है क्योंकि डिजिटल संस्करण नष्ट या खो नहीं सकते हैं।
सीबीडीसी क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने कानूनी धन के रूप में CBDC, या सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा जारी की है। CBDC किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का एक डिजिटल टोकन या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है जो एक विनिमय माध्यम, खाता इकाई, मूल्य स्टोर और आस्थगित भुगतान मानक के रूप में कार्य करता है। सीबीडीसी एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक मुद्रा प्रकार है जो आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार कागजी नकदी से अलग है। यह इलेक्ट्रॉनिक मोड में संप्रभु मुद्रा है, और यह केंद्रीय बैंक के पर दिखाई देगाबैलेंस शीट एक दायित्व के रूप में। CBDC को तब नकद में बदला जा सकता है।
डिजिटल रुपये का कार्य
भले ही डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन तकनीक से संचालित होगा, लेकिन इसे एक केंद्रीय निकाय द्वारा प्रबंधित और देखरेख किया जाएगा, जो विभिन्न कारकों के कारण मुद्रा अस्थिरता से बच जाएगा।
जैसा कि डिजिटल रुपया एक अन्य प्रकार का फिएट मुद्रा है, यह डिजिटल भुगतान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावना है। भारतीय रुपये में 1 क्रिप्टोकरेंसी एक आरबीआई डिजिटल रुपया होगा।
CBDC वर्तमान में एक प्रचार क्यों है?
निम्नलिखित कारणों से CBDC को अपनाना आवश्यक है:
- कागजी मुद्रा के घटते उपयोग का सामना करते हुए, केंद्रीय बैंक मुद्रा के अधिक उपयुक्त इलेक्ट्रॉनिक रूप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करते हैं
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए जनता की आवश्यकता को समायोजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसा कि निजी आभासी मुद्राओं के बढ़ते उपयोग से पता चलता है
- ये बैंक ऐसी निजी मुद्राओं के अधिक हानिकारक प्रभावों से भी बच रहे हैं
डिजिटल रुपया सिक्का और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर
डिजिटल रुपया कई मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, जो इस प्रकार है:
फ़ैक्टर भेदभाव का | cryptocurrency | डिजिटल रुपया |
---|---|---|
विकास और संचालन | क्रिप्टोक्यूरेंसी एक ब्लॉकचेन-आधारित, पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत संपत्ति और एक व्यापार माध्यम है। हालांकि, इसकी विकेन्द्रीकृत प्रकृति के कारण विवाद छिड़ गया है, जिसका अर्थ है कि यह बैंकों, वित्तीय संगठनों या केंद्र सरकारों जैसे किसी भी बिचौलियों का उपयोग किए बिना संचालित होता है। | इसके विपरीत, डिजिटल रुपया आरबीआई में क्रिप्टोकुरेंसी की सभी विशेषताएं हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है और इसका उद्देश्य भौतिक मुद्रा की भविष्य की जरूरतों को खत्म करना है। एक डिजिटल रुपया एक केंद्रीकृत वातावरण में काम करता है |
सरकार और सरकारी संगठनों का प्रभाव | यह सरकारी प्रभाव या हेरफेर से अप्रभावित है। इसका मूल्य भी नि:शुल्क स्थापित किया जाता है-मंडी बलों और किसी भी वस्तु से संबंधित नहीं है | जब डिजिटल रुपये की बात आती है, तो आरबीआई प्रभारी होगा, क्योंकि यह कुछ अन्य बैंकिंग संस्थानों के साथ अपना नेटवर्क स्थापित करेगा। नतीजतन, डिजिटल रुपये की नेटवर्क पहुंच स्थानीय निकायों और संस्थानों तक सीमित है |
मूल्य निर्धारण | क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं हैं | डिजिटल रुपये की कीमत आरबीआई की भौतिक नकदी के डिजिटल समकक्ष होगी और इस प्रकार सरकार द्वारा समर्थित होगी। यह एक भौतिक रुपया समकक्ष रखने के बराबर होगा। यह फिएट मुद्रा (सरकार द्वारा जारी धन) की तरह ही काम करता है और मौजूदा नकदी के लिए एक-एक के लिए कारोबार किया जा सकता है |
कानून बनाना | क्रिप्टोकरेंसी को नहीं माना जाएगाकानूनी निविदा भारत में कभी भी जल्द ही | RBI की डिजिटल मुद्रा कानूनी नकदी बन सकती है |
एक डिजिटल रुपये की आवश्यकता
डिजिटल रुपया पेश करने के आरबीआई के फैसले का एक प्रमुख कारण यह है कि भारत आभासी मुद्रा की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। सरकार के अनुसार, आभासी मुद्रा यहां रहने के लिए होगी।
आप इसे पसंद करें या न करें, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इस बात से इनकार करने के बजाय कि आभासी मुद्रा मौजूद है, सरकार ने अपना खुद का निर्माण करना चुना है। सामान्य रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को स्थानांतरित करने के लिए आपको बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी।
आप इसे तुरंत दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपया वॉलेट में भेज पाएंगे क्योंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा।
डिजिटल रुपया बनाम नियमित रुपया
डिजिटल रुपये को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा। यह कम भौतिक नकद नोटों को छापने और जालसाजी को कम करने में सरकार की सहायता करेगा। यह एक अधिक कुशल और लागत प्रभावी मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के विकास में सहायता करेगा।
इंटरनेट लेनदेन के लिए, मानक रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को बैंक बिचौलिए के उपयोग की आवश्यकता नहीं होगी। लेनदेन को प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों द्वारा ब्लॉकचेन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, जिसमें आरबीआई गारंटी के रूप में कार्य करता है।
डिजिटल रुपये की कमियां
यदि आप डिजिटल रुपये का उपयोग करते हैं तो हमेशा पैसे की कमी रहेगी। सरकार को पता चल जाएगा कि आपने इसके कारण पैसा कहां और कैसे खर्च किया। गोपनीयता की चिंता भी होगी क्योंकि इसमें शामिल लोगों के वित्तीय लेनदेन का खुलासा और शोषण किया जा सकता है। इसके अलावा, बैंकों के पास उधार देने के लिए कम पैसा हो सकता है क्योंकि डिजिटल मुद्रा सीधे आरबीआई द्वारा अंतिम उपयोगकर्ता को जारी की जाएगी।
निष्कर्ष
डिजिटल रुपये का उपयोग वास्तविक दुनिया में विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें सब्सिडी के लिए प्रोग्राम योग्य भुगतान और वित्तीय संस्थानों द्वारा तेजी से उधार और भुगतान शामिल हैं। जल्द ही, कैशलेस अर्थव्यवस्था में एक व्यावहारिक बदलाव हो सकता है जो कैशलेस भुगतान के लिए सरकार के जोर को बढ़ावा देगा और बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
जैसे-जैसे डिजिटल रुपये का उपयोग बढ़ता है, यह सीमा पार प्रेषण जैसी चीजों में सुधार कर सकता है। इंटरऑपरेबिलिटी के लिए एक वातावरण बनाया जा सकता है, जिससे तेजी से रीयल-टाइम ट्रांसमिशन की अनुमति मिलती है।
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