निम्नलिखित में से एक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि का घटक नहीं है।

Solution : आरबीआई के स्वामित्व वाली विदेशी मुद्रा/ परिसंपत्तियों, आरबीआई की स्वर्ण सम्पत्ति, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में जमा भारतीय मुद्रा को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल किया जाता है। 29 जनवरी, 2016 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ₹23,528 बिलियन था। 3 अक्टूबर, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के पास विदेशी विनिमय भंडार 400 बिलियन डॉलर को पार कर गया इस प्रकार भारत विदेशी विनिमय भंडार के मामले में आठवें स्थान पर पहुंच गया है।

श्रीलंका के बाद अब नेपाल में आर्थिक संकट की घंटी, बैंकों को लोन न देने का मिला आदेश

एनआरबी ने खत लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद के आयात को नियंत्रित करें. वहीं बैंकों को यह भी कहा गया है कि वे किसी प्रकार के बेवजह के लोन देने से बचें. एनआरबी ने 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ हुई बैठक में कहा है कि बैंक वाहन लोन या गैर जरूरी लोन देने से बचें.

Updated: April 8, 2022 3:58 PM IST

Nepal

श्रीलंका के बाद अब नेपाल की भी अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है. नेपाल का केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक अब अर्थव्यवस्था को संभालने में जुट गया है. एनआरबी ने खत लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद के आयात को नियंत्रित करें. वहीं बैंकों को यह भी कहा गया है कि वे किसी प्रकार के बेवजह के लोन देने से बचें. एनआरबी ने 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ हुई बैठक में कहा है कि बैंक वाहन लोन या गैर जरूरी लोन देने से बचें. बैंक अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक का यह फैसला डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने की खातिर है. बता दें कि आयातित पेट्रोलियम के लिए नेपाल सरकार हर महीने भारत को 24-29 अरब रुपये का भुगतान करता है.

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नेपाल केंद्रीय बैंक ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि इस रकम में कटौती कर इसे 12-13 अरब रुपये करे. वहीं केंद्रीय बैंक के सुझाव पर नेपाल के तेल निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नागेंद्र शाह ने कहा है कि अगर सुझाव मान लिया जाता विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार है तो पूरे नेपाल में पेट्रोल डीजल का गंभीर संकट पैदा हो सकता है.

बता दें कि चालू वित्तीय वर्ष के पहले ही सात महीने में भुगतान घाटा 2.07 अरब डॉलर है. वहीं पिछले इस समय यह घाटा 817.6 लाख डॉलर था. बैंकों को निर्देशित किया गया हैकि वे गैर जरूरी चीजें जिसमें वाहन शामिल है, इसके लिए लोन न दें. इससे ईंधन की खपत कम होगी. वहीं विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज की गई है. जानकारी के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक सा 2021 के जुलाई मध्य तक नेपाल के पास 11.75 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार विदेशी मुद्रा भंडार था जो कि फरवरी में घटकर 9.75 अरब डॉलर रह गया है.

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सभी फेमा या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के बारे में

विदेशी देशों को बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, (FEMA) को 1999 में पारित किया। इस अधिनियम ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम को बदल दिया। (फेरा), जो सरकार की प्रो-उदारीकरण नीतियों के बाद अस्थिर हो गया था। नए अधिनियम ने एक नए प्रबंधन शासन को सक्षम किया, जो विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप था। एफईएमA ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त किया, जो जुलाई 2005 में अस्तित्व में आया। FEMA ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को विदेशी मुद्रा से संबंधित नियमों और नियमों को पारित करने में भी सक्षम बनाया। भारत की विदेश व्यापार नीति के साथ।

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मलेशिया में तेजी के रुख से लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में आई तेजी की वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तेल तिलहन सहित कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में मजबूती का रुख देखने को मिला।

बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में छुट्टी थी जबकि मलेशिया एक्सचेंज में सात प्रतिशत की तेजी रही। मलेशिया में आई तेजी का असर स्थानीय तेल तिलहन कीमतों पर भी दिखाई दिया और इन तेलों के दाम में मजबूती रही।

सूत्रों ने कहा कि हाल-फिलहाल कुछेक बड़ी दूध कंपनियों ने दूध के दाम बढ़ाये। मदर डेयरी ने सोमवार को पांचवी बार दूध के दाम में लगभग दो रुपये लीटर की बढ़ोतरी की है। ऐसा मवेशीपालन करने वाले किसानों के लागत में वृद्धि होने की वजह से हुआ है। इस लागत वृद्धि की मुख्य वजह खल और ‘डीआयल्ड केक’ (डीओसी) का महंगा होना है।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों की कमी तो हम पाम और पामोलीन तेल जैसे आयातित तेलों से कर सकते हैं लेकिन इन तेलों से हमें मवेशियों या मुर्गीदाने के लिए जरूरी डीओसी या खल हमें प्राप्त नहीं होता। इन खल और डीओसी को हल्के तेलों (सॉफ्ट आयल) से ही प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए भी देश में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की खेती को बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे हम डीओसी और खल प्राप्ति के साथ साथ खाद्यतेलों के मामले में विदेशी आयात और वहां की मनमानी से खुद को बचा सकें तथा खाद्यतेल आयात पर होने वाले भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा के खर्च को कम कर सकें।

सूत्रों ने कहा कि तेल कारोबार में एक मुहावरा काफी प्रचलित है कि जब खाद्यतेल के दाम सस्ते होंगे तो खल और डीओसी महंगे होंगे। मिल वाले और तेल उद्योग, तेल के दाम में आई कमी के बाद उन्हें अपनी लागत निकालने के लिए खल और डीओसी ऊंची दरों पर बेचते हैं। इस परिस्थिति के कारण भी देशी तेल तिलहन का उत्पादन बढ़ाना अनिवार्य है।

इससे विदेशी मुद्रा का खर्च घटने के साथ साथ देश की तेल मिलें पूरी क्षमता से चलेंगी, उत्पादन बढ़ने से आयात पर निर्भरता घटेगी, लोगों को रोजगार मिलेगा, खल और डीओसी की उपलब्धता बढ़ने से दूध और अंडे, दुग्ध उत्पादों के दाम पर दवाब कम होगा।

सूत्रों ने कहा कि सबसे अधिक 80 प्रतिशत खल हमें बिनौला से प्राप्त होता है जो कपास गांठों से निकलने वाले बिनौला से जिनिंग मिल तेल निकालती हैं। लेकिन दो साल ऊंचे भाव का स्वाद चख चुके किसान इस बार मंडियों या जिनिंग मिलों में कपास गांठ कम ला रहे हैं। उनपर कोई भंडार सीमा भी नहीं होती। किसान अपनी उपज तेल मिलों तक लायें इसके लिए सरकार को कोई प्रोत्साहक उपाय करना होगा।

इसके अलावा बड़ी तेल कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) निर्धारण की विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार एक सीमा तय करनी चाहिये जिससे कि थोक दाम के मुकाबले एक सीमा तक ही खाद्यतेलों के एमआरपी का निर्धारण हो सके। इसकी सतत निगरानी भी किये जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय तिलहन उत्पादन बढ़ने से हल्के तेल के साथ साथ डीओसी और खल पर्याप्त मात्रा में मिलने से दूध, अंडों के दाम भी सस्ते होंगे। यदि सस्ते तेलों पर आयात शुल्क लगाकर हालत काबू में नहीं किया गया तो एक दो महीने के बाद पेराई होने वाली सरसों की बुवाई प्रभावित हो सकती है।

मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,080-7,130 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,535-6,595 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,460-2,725 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,150-2,280 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,210-2,335 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 5,370-5,390 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक

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