विदेशी मुद्रा बाजार में, एक मुद्रा जोड़ी के समापन मूल्य को कैसे तय किया जाता है?
Age of Deceit (2) - Hive Mind Reptile Eyes Hypnotism Cults World Stage - Multi - Language (दिसंबर 2022)
विदेशी मुद्रा बाजार, या विदेशी मुद्रा, बाजार है जिसमें दुनिया की मुद्राओं सरकारों, बैंकों, संस्थागत निवेशकों और सट्टेबाजों द्वारा कारोबार कर रहे हैं विदेशी मुद्रा दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और इसे 24-घंटे का बाजार माना जाता है क्योंकि मुद्राओं को विभिन्न बाजारों में दुनिया भर में कारोबार किया जाता है, जो कि व्यापारियों को मुद्रा व्यापार करने की निरंतर क्षमता प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा रविवार को 5 बजे ईएसटी में खुलता है और शुक्रवार 5 बजे ईएसटी तक चलता है, इस समय के दौरान दिन में 24 घंटे चल रहा है। लेकिन शुक्रवार बंद और रविवार के बीच खुला है, विदेशी मुद्रा बाजार व्यापार नहीं करता है।
सप्ताह के लिए शुरुआती कीमतें रविवार की शुरुआती व्यापारिक कीमतें हैं और सप्ताह के समापन मूल्य शुक्रवार को अंतिम व्यापार के हैं। हालांकि, सप्ताह के दौरान, वास्तव में विदेशी मुद्रा के लिए कोई समापन मूल्य नहीं है क्योंकि कम से कम एक बाजार दुनिया में किसी जगह पर हर समय खुला रहता है।
हालांकि, हम अक्सर वित्तीय मीडिया में मुद्रा जोड़े के लिए उद्घाटन और समापन कीमतों के लिए उद्धरण सुनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक समाचार लेख यह बता सकता है कि बुधवार को व्यापार के दौरान यू.एस. डॉलर कैनेडियन डॉलर के खिलाफ बंद कैसे हुआ। उद्धृत कीमत विदेशी मुद्रा बाजार में एक अलग-अलग बाजार के लिए समापन मूल्य है। वहाँ तीन मुख्य क्षेत्रों - उत्तरी अमेरिका, एशिया और यूरोप हैं - और प्रत्येक के भीतर कई विदेशी मुद्रा बाजार हैं उत्तरी अमेरिका में, मुख्य बाजार न्यूयॉर्क में है, एशिया में यह टोक्यो में है और यूरोप में यह लंदन में है। इन क्षेत्रों के भीतर कई अन्य व्यक्तिगत बाजार हैं जो कि विदेशी मुद्रा बाजार का हिस्सा हैं, और प्रत्येक व्यक्तिगत बाज़ार में खुली और नज़दीकी है (i। 24 घंटे एक दिन में कारोबार नहीं करता है)। न्यूयॉर्क मार्केट, उदाहरण के लिए, 8:00 EST से 3:00 पूर्वाह्न तक कारोबार करता है। उत्तर अमेरिकी मीडिया में, समापन मूल्य अक्सर न्यूयॉर्क के विदेशी मुद्रा बाजार के समापन मूल्य का उल्लेख करेगा
हालांकि ये उद्धरण वित्तीय-मीडिया प्रयोक्ताओं को वर्तमान बाजार की भावना प्रदान करते हैं, उद्धरण उतना सटीक नहीं हैं जितना वास्तविक वर्तमान बाजार मूल्य। किसी भी विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए, उपयोग करने के लिए सबसे अच्छा विदेशी मुद्रा समापन मूल्य उसके या उसके लेन-देन का समापन मूल्य है
विदेशी मुद्रा बाजार में अधिक जानकारी के लिए, विदेशी मुद्रा में आरंभ करना और विदेशी मुद्रा बाजार क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है पर एक प्राइमर पढ़ें
विदेशी मुद्रा: ओपन इंटरेस्ट के साथ विदेशी मुद्रा बाजार की भावना को ध्यान में रखते हुए
मुद्रा वायदा पर खुली ब्याज की जांच से आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं विदेशी मुद्रा बाजार भावना में प्रवृत्ति की ताकत
शेयरधारक मूल्य जोड़ी गयी (एसवीए) क्या है और यह क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है मूल्य निवेश में कैसे उपयोग किया जाता है? | इन्वेस्टमोपेडिया
शेयरधारक मूल्य के बारे में पढ़ें (एसवीए), कॉर्पोरेट लाभप्रदता मीट्रिक, और निवेश का मूल्य इसकी उपयोगिता के बारे में असहमत क्यों है।
विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं डुअल कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीसीआई) का उपयोग कैसे करूं? | क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है विदेशी मुद्रा बाजार के व्यापार के लिए एक अनूठी ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए इन्व्हेस्टॉपिया
दोहरी कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीआईआईआई) के वैकल्पिक व्याख्या का उपयोग करें।
शुरुआती कारोबार में गिरावट
देश के शेयर बाजारों में बुधवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख देखा गया.
aajtak.in
- मुंबई,
- 09 जुलाई 2014,
- (अपडेटेड 09 जुलाई 2014, 11:32 AM IST)
देश के शेयर बाजारों में बुधवार को शुरुआती कारोबार में क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है गिरावट का रुख देखा गया.
प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह लगभग 9.40 बजे 12.74 अंकों की गिरावट के साथ 25,569.37 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 8.65 अंकों की गिरावट के साथ 7,614.55 पर कारोबार करते देखे गए.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 33.17 अंकों की तेजी के साथ 25,615.28 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 14.75 अंकों की तेजी के साथ 7,637.95 पर खुला.
रुपया 14 क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है पैसे कमजोर
आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में आज के शुरुआती कारोबार के दौरान डॉलर की तुलना में रुपया 14 पैसे कमजोर होकर 59.92 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया. फॉरेक्स बाजार के विश्लेषकों ने बताया कि आयातकों क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है की डॉलर मांग बढ़ने से रुपये की धारणा कमजोर हुई, हालांकि शेयर बाजार में तेजी के रुख से रुपये में ज्यादा गिरावट नहीं आ सकी.
LIVE : हरे निशान के साथ खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 40 हजार के पास
पिछले हफ्ते उथल-पुथल के साथ कारोबार करने वाले शेयर बाजार में इस सप्ताह कारोबार की शुरुआत हरे निशान के साथ की. 30 अंक वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सोमवार सुबह 171 अंक की बढ़त के साथ 39,787.33 के स्तर पर खुला.
5
5
5
6
पिछले हफ्ते उथल-पुथल के साथ कारोबार करने वाले शेयर बाजार में इस सप्ताह कारोबार की शुरुआत हरे निशान के साथ की. 30 अंक वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सोमवार सुबह 171 अंक की बढ़त के साथ 39,787.33 के स्तर पर खुला. वहीं 50 अंक वाले निफ्टी ने 64 अंक की तेजी के साथ 11,934.90 पर कारोबार की शुरुआत की. कुछ देर बाद ही शेयर बाजार में अच्छा माहौल दिखाई दिया और सेंसेक्स लिवाली के दम पर 40,000 के नजदीक पहुंच गया. इस दौरान करीब 9.35 बजे सेंसेक्स 338.97 अंक चढ़कर 39954.87 के स्तर पर दिखाई दिया. वहीं निफ्टी 92.25 अंक मजबूत होकर 11962.90 के स्तर पर चल रहा है.
शेयर बाजार में सोमवार सुबह दिखाई दिया तेजी का सिलसिला दोपहर बाद कमजोर पड़ गया. कारोबारी सत्र के दौरान दोपहर करीब 2 बजे सेंसेक्स 39,979 के हाई लेवल से 39,641.90 के स्तर पर आ गया. इस समय सेंसेक्स में 26 अंक की तेजी दिखाई दी. लगभग इसी समय निफ्टी 7.35 अंक बढ़कर 11878.00 के स्तर पर दिखाई दिया.
रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं
विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर.
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
इसे एक उदाहरण से समझें
अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. आप अपनी जरूरत क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.
मान लें कि हम अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहे हैं. अमेरिका के पास 68,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 68 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,800 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.
अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 68,000 रुपए थे, वो तो हैं ही, लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.
अगर भारत इतनी ही राशि यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है. इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
कौन करता है मदद?
इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.
आप पर क्या असर?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं.
डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
यह है सीधा असर
एक अनुमान क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिएयहां क्लिक करें
रुपये की हालत पतली, अपने रिकॉर्ड निचले स्तर को छुआ
पिछले कुछ समय से रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखी जा रही है | रुपये की कीमत आज पहली बार अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी | आज सोमवार को बाज़ार खुलने पर रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे गिरकर 78.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया| जबकि इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.20 पर खुला था, फिर ख़रीदारी शुरू होने के बाद से गिरकर 78.29 पर आ गया था | वहीं शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे गिरकर 77.93 के स्तर पर बंद हुआ था |
रुपये की गिरती कीमत को सुनते ही लोगों के मन में कई तरह के सवाल घूमने लगते हैं | सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि रुपये की क़ीमत गिरने से देश की अर्थव्यवस्था और आम लोगों की जेब पर क्या प्रभाव पढ़ने वाला है |
बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रुपये की कीमत गिरने में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां दोनों जिम्मेदार होती हैं | जैसे मौजूदा समय में रूस-यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, अमेरिका में बढ़ती महंगाई आदि कई कारणों से रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है |
हम राजनीतिक दलों की बात करें तो, राजनीतिक दल विपक्ष में रहते हुए रुपये की गिरती कीमत को लेकर बड़ा मुद्दा बनाते हैं लेकिन खुद सत्ता में आते ही इसे भूल जाते हैं| जैसे 2014 से पहले नरेंद्र मोदी और भाजपा, यूपीए सरकार पर रुपये की गिरती कीमत को लेकर हमला बोलते रहते थे | और रुपये की कीमतों को काबू करने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते रहते थे | और अब ये देखने वाली बात है कि रुपये की सबसे बुरी हालत मोदी जी के कार्यकाल में ही हुई है। इससे भी बड़ी बात यह है कि सत्ता में आने बाद से मोदी जी लगातार पतले होते रुपये को लेकर न तो चिंतित दिखाई देते हैं, न ही कभी इस पर चर्चा करते हैं| आख़िर क्या कारण है की सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इसको काबू कर पाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं, इस मुद्दे पर बात करने से पहले हम बात कर लेते हैं कि रुपये की गिरती कीमतों से आम लोग कितने प्रभावित होते हैं|
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रुपये की कीमत गिरने के जो भी कारण रहे हों लेकिन एक आम आदमी की जेब पर इसका क्यों और कितना असर पढ़ने वाला है इसका सीधा उत्तर है कि हम अपनी जरूरतों का बड़ा क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है हिस्सा विदेशों से आयात करते है| किसी भी देश से वस्तुओं का आयात डॉलर में किया जाता है, यानी डॉलर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं को बेचने और ख़रीदने में इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा है, हालांकि देश के भीतर आम लोगों को उन वस्तुओं को खरीदने के लिए रुपये में ही भुगतान करना होता है | इसलिए जब भी हम बाहर देश से खरीदारी करेंगे तो हमें सौ डालर की चीज़ के लिए अपने ज़्यादा भारतीय रुपये ख़र्च करने होंगे।
अगर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कमज़ोर होगी तो हमारी स्थिति कमज़ोर होती जाएगी। हमें ज्यादा मुद्रा देकर वस्तुओं का आयात करना पड़ेगा, जिसके कारण आयात की गयी वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाएंगे जिसका सीधा असर लोगों की जेब क्या विदेशी मुद्रा बाजार हर समय खुला रहता है पर पड़ेगा|
वहीं अगर आप शिक्षा या स्वास्थ्य सुविघाओं के लिए विदेशों में जाना चाहते हैं तो, रुपये की कीमत गिरने के कारण आपको शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी |
हालांकि सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया कुछ उपाय अपनाकर रुपये की कीमत को एक हद तक काबू कर सकते हैं| जैसे आयात पर पाबंदियां, आयात शुल्क बढ़ाना, उससे भी रुपये की कीमत को काबू किया जा सकता है | लेकिन देश के भीतर इसके काफ़ी दुष्परिणाम हो सकते हैं | वहीं रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया भी ब्याज़ दरों में वृद्धि कर दे तो लोगों के क्रेडिट लेने की क्षमता कम हो जाएगी, जिसके कारण लोग कम ख़रीदारी करेंगे| लेकिन यह रास्ता बहुत ज्यादा नुकसान दायक हो सकता है | इसके अलावा कुछ देशों से अपनी ही मुद्रा में व्यापार करके भी अपने रुपये की कीमत और अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक संभाला जा सकता है।
बीबीसी में दिए गए अपने इंटरव्यू में वरिष्ठ अर्थशास्त्री इला पटनायक कहती हैं कि लोगों को ये उम्मीद करनी चाहिए कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया कोई पैनिक बटन इस्तेमाल न करे | क्योंकि अगर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया दबाव में आकर ब्याज़ दरों में वृद्धि करने लगे तो जिस तरह 2013 में ब्याज़ दरें बढ़ाने से अर्थव्यवस्था में और गिरावट देखी गई थी | निवेश कम हुआ था, क्रेडिट ग्रोथ कम हुई थी, रोजगार की दर भी कम हो गयी थी और फिर से वही सारी चीज़ें दोबारा होंगी जिससे आम आदमी को इससे ज़्यादा नुकसान पहुंचेगा |
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 659