शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम
एक इन्वेस्टर के लिए अधिकतम रिटर्न और न्यूनतम रिस्क, निवेश दो महत्वपूर्ण उद्देश्य होते हैं। इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखते हुए (ऋण या इक्विटी) में निवेश आज के शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क निवेशक के लिए महत्वपूर्ण विकल्प हो गया है | इसके अलावा उन्हें रिस्क और रिटर्न में संतुलन बनाये रखने में सहायता भी होती है |
Objective
लक्ष्य
भले ही आपके पास एक वेल मैनेज्ड पोर्टफोलियो है जिसमे रिस्क और रिटर्न्स दोनों ही स्टेबिलिटी बानी हुई है पर सिक्योरिटीज मार्किट के बेसिक्स की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक हैं| मैक्सिमम रिटर्न्स और मिनिमम रिस्क के फुन्दे को समझने के लिए ये कोर्स बहुत हे उपयोगी साबित शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क होगा| आज के युग में, जहां एक दिन की भी देरी भारी लागत देती है, यह बहुत ही ज़रूरी है की छात्र इन मूल बातों का उपयोग वास्तविक समय निर्णय लेने में कर सके |
Benefits
लाभ
इस कोर्स शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क से छात्रों को सिक्योरिटी मार्किट के बारे में जानकारी मिलेगी, इसके अलावा किस प्रकार सिक्योरिटीज को कंबाइन करना है, पोर्टफ़ोलिओस को कैसे बनाना है, और उनके एनालिसिस के बारे में भी जानकारी मिलेगी| इस कोर्स में भाग लेने के बाद, छात्र निवेश विकल्पों का सही एनालिसिस कर पाएंगे | इस सकतय मार्किट के कोर्स को अटेंड करने के बाद छात्र बहुत कॉन्फिडेंटली अपने कस्टमर्स को इन्वेस्टमेंट ओप्पर्टनिटीज़ के बारे में बता पाएंगे |
Topics Covered
विषेयों की सूची
- सिक्योरिटी एनालिसिस एंड पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्यों पढ़े?
- इक्विटी मार्किट पर केस स्टडीज
- एक बिज़नस को कैपिटल की ज़रूरत क्यों होती है
- स्टॉक मार्किट पार्टिसिपेंट्स
- स्टॉक मार्किट प्रोसेसेस एंड इससेनसील्स
- इक्विटी इन्वेस्टमेंट साइकिल
- स्टॉक मार्किट इंडिसेस
- मनी मार्किट इन इंडिया
- फंडामेंटल एनालिसिस
- टेक्निकल एनालिसिस
Intended Participants
प्रतिभागी
यह कोर्स नवसिखुआ के लिए सर्व श्रेस्ठ है जो की बाजार के लिए नए हैं और सिक्योरिटीज मार्किट में अपना सिक्का जमाना चाहते है| यह पाठ्यक्रम व्यापारियों, निवेशकों, छात्रों या ट्रेडिंग/ व्यापार में किसी भी तरह की रुचि रखने वालो के लिए भी है |
Section > : >
Chapter > : >
No processing fee, no interest cost
Axis Bank
Month | EMI | Overall Cost |
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3 | 0@ no cost | 0.00 |
6 | 0@ no cost | 0.00 |
ICICI Bank
Month | EMI | Overall Cost |
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3 | 0@ no cost | 0.00 |
6 | 0@ no cost | 0.00 |
Axis Bank
Month | EMI | Overall Cost |
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9 | [email protected]% pa | 0.00 |
12 | [email protected]% pa | 0.00 |
ICICI BANK
Month | EMI | Overall Cost |
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9 | [email protected]% pa | 0.00 |
12 | [email protected]% pa | 0.00 |
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निवेश से जुड़े जोखिम को समझिए इन 9 आसान टिप्स के जरिए
महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.
हाल में आयोजित ET Wealth Investment Workshop में मणिकरण शिरकत करने पहुंचे थे. उन्होंने अलग-अलग तरह के निवेश इंस्ट्रूमेंट से जुड़े जोखिमों के बारे बताया. साथ ही इनसे निपटने के तरीके भी सुझाए.
1. मार्केट रिस्क : यह जोखिम शेयर बाजार की अस्थिरता से शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क जुड़ा है. इसमें आपके निवेश के मूल्य को खतरा होता है. मणिकरण कहते हैं, "इस तरह के जोखिम से निपटने का सबसे आसान तरीका डायवर्सिफिकेशन है. अपनी जरूरत के अनुसार इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे अलग-अलग एसेट क्लास में अपने निवेश को डायवर्सिफाई किया जा सकता है."
2. इंफ्लेशन रिस्क : इंफ्लेशन यानी महंगाई को मणिकरण धीमा जहर करार देते हैं. महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.
3. इंटरेस्ट रेट रिस्क : यह जोखिम ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होता है. सिंघल मानते हैं कि डेट प्रोडक्टों को समझ लेने पर इस जोखिम को मैनेज किया जा सकता है. पीपीएफ के साथ भी ब्याज दर का जोखिम होता है. कारण है कि यह भी मार्केट से जुड़ा है.
4. करेंसी रिस्क : यह जोखिम अंतरराष्ट्रीय निवेश से जुड़ा होता है. सिंघल ने कहा, "2017 में उन पोर्टफोलियो का रिटर्न अच्छा रहा जिनमें घरेलू फंडों के मुकाबले अमेरिकी इंटरनेशनल फंड थे. जोखिम को कम करने के लिए इंटरनेशनल फंडों में निवेश किया जा सकता है. यह भारतीय रुपये के कारण निवेश में होने वाली उठापटक के जोखिम से बचाने में मददगार होता है."
5. क्रेडिट रिस्क : IL&FS और DHFL जैसी ट्रिपल ए (एएए) रेटिंग वाली कंपनियों के हालिया संकट के कारण यह जोखिम इन दिनों काफी चर्चित है. यह जोखिम आपको केवल तभी लेना चाहिए जब आप इसके नतीजों से वाकिफ हों.
6. सेक्टर रिस्क : जब आप किसी खास सेक्टर में निवेश करते हैं तो केंद्रीकरण यानी कॉन्सेन्ट्रेशन का जोखिम रहता है. इस जोखिम को कम करने के लिए तमाम सेक्टरों में निवेश को फैला देना चाहिए. सेक्टर रिस्क को कम करने के लिए म्यूचुअल फंडों का भी सहारा ले सकते हैं.
7. हेल्थ रिस्क/ज्यादा जीने का जोखिम : देश में चिकित्सा सुविधाएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसने औसत उम्र में इजाफा किया है. सिंघल ने वर्कशॉप में हिस्सा लेने पहुंचे लोगों से सवाल किया, "मान लेते हैं कि आपने फाइनेंशियल प्लानिंग करते हुए माना कि 80 साल जीवित रहेंगे. लेकिन, तब क्या होगा अगर आप 90 साल जीते हैं? अतिरिक्त 10 सालों के लिए कौन भुगतान करेगा? क्या आप इसके लिए तैयार हैं?" फिर सिंघल ने खुद इसका जवाब दिया. कहा, "आपका हेल्थ इंश्योरेंस एक सीमा तक आपकी जरूरतों की देखभाल करता है. आपको एक हेल्थ प्लान बनाना चाहिए. इस जोखिम से नहीं बचा जा सकता है."
8. लाइफस्टाइल रिस्क : सिंघल ने कहा कि इन दिनों कई लोग अपने पड़ोसियों या दोस्तों से प्रभावित होते हैं. ये अपने बजट के अनुसार नहीं खर्च करते हैं. यह लाइफस्टाइल रिस्क है. ऐसा तब होता है, जब आप अपनी चादर से ज्यादा पांव फैलाते हैं. सिंघल कहते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग बजट बनाने से शुरू होती है. जब आप बजट से चलते हैं तभी आपके पास निवेश के लिए पैसा बचता है. इसी से आप लाइफस्टाइल रिस्क को मैनेज कर सकते हैं.
9. व्यवहार से जुड़ा जोखिम : जब आप केवल रिटर्न की अपेक्षा के साथ निवेश करते हैं और नुकसान उठा बैठते हैं तो हतोत्साहित हो जाते हैं. तब आप निवेश को रोकने के बारे में सोचने लगते हैं. यही व्यवहार से जुड़ा जोखिम है. अपने रिस्क प्रोफाइल को समझकर इस तरह के जोखिम से बचा जा सकता है.
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शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?
महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?
कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम आपको बता रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
1. शेयर क्या है?
किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.
अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.
2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?
शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.
3. डीमैट अकाउंट क्या है
डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.
4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?
जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.
5. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या है?
जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.
6. ट्रेडिंग या निवेश?
एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.
7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?
अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.
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Real estate vs Stock market: कहां मिलेगा निवेश पर ज्यादा फायदा लेकिन जोखिम कम, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Real estate vs Stock market: जानकारों की मानें तो रियल एस्टेट एक अधिक भरोसेमंद और लंबी अवधि का निवेश विकल्प है. स्टॉक म . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 21, 2022, 08:00 IST
हाइलाइट्स
रियल एस्टेट में डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही है.
नियामकीय कार्रवाइयों के कारण इसमें रिस्क कम हुआ है.
स्टॉक मार्केट में अनिश्चितता और रिस्क ज्यादा होता है.
नई दिल्ली. रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट, दोनों ही पैसा कमाने और बढ़ावे के भरोसेमंद तरीकों में शामिल हैं. हालांकि, निवेशकों के बीच इसको लेकर हमेशा विवाद भी रहता है कि आखिर इन दोनों में से बेहतर विकल्प क्या है. वह विकल्प जहां आपको कम रिस्क में ज्यादा कमाई करने का मौका मिलेगा. अगर आप इस भी दुविधा में हैं तो आज इस लेख से कुछ हद आपकी ये परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी.
एक सोची-समझी निवेश रणनीति आपको अपने फ्यूचर गोल्स के लिए ज्यादा कुशल और प्रभावी तरीके से पैसा जमा करने में मदद करती है. इसलिए स्टॉक या प्रॉपर्टी में से किसी एक को चुनने लेने से पहले आपके लिए जान लेना जरूरी है कि आपकी जरूरत के हिसाब से कौन सा विकल्प ज्यादा बेहतर रहेगा. आज हम कुछ एक्सपर्ट्स की इस पर राय को आपके सामने रखेंगे जिसके आधार पर आपको फैसला लेने में थोड़ी आसानी होगी.
रियल एस्टेट वेल्थ बिल्डिंग एसेट
गौड़ ग्रुप के सीएमडी व क्रेडाई एनसीआर के प्रेसीडेंट मनोज गौड़ कहते हैं कि रियल्टी में निवेश लंबी अवधि का और वेल्थ बिल्डिंग वाला होता है. उनका कहना है कि इसकी मार्केट में वैल्यू शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क लगभग हमेशा अच्छी बनी रहती है और मूल्य में अच्छी वृद्धि होती रहती है. उन्होंने कहा कि ऐसा बहुत कम ही होता है जब विक्रेता अपनी प्रॉपर्टी मार्केट के दामों पर न बेच पाए. बकौल गौड़, लोगों के पास बढ़ती आमदनी और आराम से उपलब्ध होने वाले होम लोन्स ने इस क्षेत्र में और उछाल ला दिया है. वहीं, स्टॉक को लेकर वह कहते हैं कि ये शुरुआत में भले आपको अच्छा शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क रिटर्न दें लेकिन एक झटके में ही वह सारा रिटर्न खत्म भी हो सकता है. रियल एस्टेट आपको अधिक सुरक्षा और हाई रिटर्न का भरोसा देता है.
रेंटल हाउसिंग की बढ़ी डिमांड
रेजिडेंशियल भारतीय अर्बन के सीईओ अश्विंदर आर. सिंह कहते हैं कि हाल में रेंटल हाउसिंग की मांग बहुत बढ़ी है. इसलिए ये वेल्थ जेनरेशन का भी अच्छा तरीका बन गए हैं. जैसे-जैसे लोगों वापस ऑफिस लौट रहे हैं किराए पर घर, फ्लैट या अपार्टमेंट की मांग में उछाल आ रहा है. अच्छी डिमांड के कारण रेंट भी बढ़ गया है और मकानमालिकों को अच्छा रिटर्न मिल रहा है. वह कहते हैं कि स्टॉक्स काफी जोखिम और अनिश्चितता से भरे होते हैं. लोगों ने कोविड-19 के दौरान काफी पैसा गंवाया है और अब वे किसी भरोसेमंद निवेश विकल्प की ओर देख रहे हैं जो उन्हें रियल एस्टेट में दिख रहा है.
इक्विटी मार्केट अपने हाई पर
भुटानी ग्रैंडथम के एमडी संचित भुटानी कहते हैं कि इक्विटी बाजार अपने हाई पर पहुंच चुका है. वहीं, बात अगर रियल्टी सेक्टर की बात करें तो इसमें ग्रोथ की बहुत संभावनाएं हैं. इसके अलावा बढ़ी हुई नियामकीय कार्रवाइयों के कारण अभी किसी प्रोजेक्ट के डूबने या फेल होने का खतरा लगभग खत्म हो चुका है. जबकि स्टॉक मार्केट अभी भी अनिश्चित ही है.
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मार्केट रिस्क क्या होता है, निवेश में कितने तरह के होते हैं जोखिम? यहां मिलेगी पूरी जानकारी
मार्केट की दिशा को प्रभावित करने में बहुत सारे कारक होते हैं, ऐसे में इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. मार्केट ही आपके निवेश की कीमत तय करता है.
- Vijay Parmar
- Publish Date - September 30, 2021 / 11:07 AM IST
Pixabay - निवेशक को यह पता होना चाहिए कि 'मार्केट' में किसी भी तरह की सिक्यॉरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है.
Market Risk in Mutual Fund: आखिर क्यों बार-बार ये कहा जाता है और हमारे सुनने में आता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिम के अधीन हैं? ये बाजार जोखिम (Market Risk) क्या हैं? एक जानकार और स्मार्ट निवेशक अपने निवेश से पहले सारी इंफॉर्मेशन कलेक्ट करता है और अपनी सिक्योरिटी की कीमत निर्धारित करने के लिए सभी प्रकार का होमवर्क करता है, फिर भी याद रखें कि अंततः तो मार्केट ही कीमत तय करता है. हरेक निवेशक शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क को ये पता होना चाहिए कि ‘मार्केट’ में किसी भी तरह की सिक्योरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है. आपको ये भी पता होना चाहिए कि म्यूचुअल फंड इस जोखिम को यथासंभव कम करने के लिए ही डिजाइन किए गए हैं.
क्या है मार्केट रिस्क
म्यूचुअल फंड द्वारा विभिन्न सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता हैं और सिक्योरिटीज की प्रकृति फंड के उद्देश्य पर निर्भर करती है.
उदाहरण के लिए, एक इक्विटी या ग्रोथ फंड द्वारा विभिन्न कंपनी के शेयरों में निवेश किया जाता हैं, वहीं लिक्विड फंड द्वारा सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉडिट (CoD) और कमर्शियल पेपर (CP) में निवेश किया जाता है.
हालांकि, इन सभी सिक्योरिटीज का कारोबार मार्केट में किया जाता है. जैसे कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं, जो कैपिटल मार्केट का हिस्सा है.
इसी तरह, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे ऋण उपकरणों में स्टॉक एक्सचेंज में एक मंच के माध्यम से या एनडीएस नामक विशेष प्रणालियों के माध्यम से कारोबार किया जा सकता है.
ये प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के लिए बाजारों के रूप में काम करते हैं और खरीदार और विक्रेता में काफी विविधता होती है. यानी, खरीदने और बेचने की पूरी प्रक्रिया, और मूल्य निर्धारण ‘मार्केट’ द्वारा किया जाता है.
मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल
किसी भी सिक्योरिटी की कीमत ‘मार्केट फॉर्स’ पर निर्भर होती है और बाजार किसी भी समाचार या गतिविधि के आधार पर अपनी दिशा तय करता है, इसलिए मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है, शॉर्ट-टर्म के लिए किसी शेयर या सिक्यॉरिटी की कीमत की भविष्यवाणी करना असंभव है. मार्केट कि दिशा को प्रभावित करने में बहुत सारे कारक और खिलाड़ी हैं.
मार्केट रिस्क विभिन्न प्रकार के होते हैं और कुछ तरीकों से उन्हें कम किया जा सकता है
कंसंट्रेशन रिस्कः किसी एक सेक्टर या एक स्टॉक या एक एसेट में पूरा पैसा लगाने से ये रिस्क बढ़ जाता है.
उपायः कंसंट्रेशन रिस्क से दूर रहने के लिए आपको डाइवर्सिफिकेशन का हथियार आजमाना चाहिए.
इंटरेस्ट रेट और इंफ्लेशन रिस्कः साइलेंट किलर कहा जाने वाला ये रिस्क आपके निवेश के मूल्य पर प्रभाव डालता है. आपके रिटर्न के मुकाबले इंफ्लेशन की दर ज्यादा हो, तो आपको नेगेटिव रिटर्न मिलता हैं और नुकसान होता है.
उपायः इंफ्लेशन रेट से अधिक रिटर्न मिले ऐसे साधनों में निवेश करना चाहिए. इंटरेस्ट रेट में बदलाव से बहुत जल्दी प्रभावित होने वाले सेक्टर्स (बैंक, NBFC, रियल एस्टेट, ऑटो) के साथ बॉन्ड इत्यादि में निवेश करके पोर्टफोलियो बनाना चाहिए.
करेंसी रिस्कः ये जोखिम डॉलर के मुकाबले आपके रुपये के पोर्टफोलियो प्रभावित करता हैं. आईटी, फार्मा और ऑटो सहायक अनिवार्य रूप से निर्यात-उन्मुख हैं और मजबूत डॉलर से लाभान्वित होते हैं, वहीं पूंजीगत सामान, बिजली और दूरसंचार जैसे क्षेत्र आयातक हैं और रुपये के मजबूत होने से लाभान्वित होते हैं.
उपायः पोर्टफोलियो बनाते वक्त अपने जोखिम को हेज करने के लिए डॉलर के रक्षात्मक और शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क रुपये के रक्षात्मक दोनों का मिश्रण रखें.
वोलैटिलिटी रिस्कः चाहे आप बॉन्ड या इक्विटी में निवेश कर रहे हों, वोलैटिलिटी (अस्थिरता) आपका पीछा नहीं छोड़ती. जब आप शॉर्ट-टर्म के लिए निवेश करते हैं, तो ये जोखिम काफी ज्यादा रहता हैं.
उपायः आप दीर्घकालिक और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाकर अस्थिरता का प्रबंधन कर सकते हैं. इक्विटी में उतार-चढ़ाव
लंबी अवधि के साथ बराबर हो जाता है. इसके अलावा, एक व्यवस्थित या चरणबद्ध दृष्टिकोण अस्थिरता को दूर करने में मदद करता है.
लिक्विडिटी रिस्कः यह जोखिम तब उत्पन्न होता है जब निवेशक बिना किसी नुकसान के अपना निवेश रीडिम करने में असमर्थ होता है. म्यूचुअल फंड में, इक्विटी-लिंक्ड फंड (ELSS) में शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क 3 साल का लोक-इन पीरियड होने की वजह से यह जोखिम इस अवधि के दौरान अधिक रहता है.
उपायः लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए लिक्विड फंड, बैंक एफडी जैसे साधनों में थोडा निवेश रखना चाहिए. स्टॉक के मामले में जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, तब यह समस्या और गंभीर हो जाती हैं. हालांकि, सामान्य बाजार स्थितियों में, आप कम प्रभाव-लागत वाले शेयरों पर टिके रहकर इस जोखिम से बच सकते हैं.
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