क्योंकि उन्हें पता नहीं होता है कि धन का नियंत्रण कैसे रखना है और उसे किस प्रकार से और कहां निवेश करना है। फाइनेंस की जानकारी प्राप्त कर आप लाखों कमा सकते हैं वहीं इसके अभाव में आप अपने करोड़ों रुपए और संपत्ति गंवा भी सकते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने मनी मैनेजमेंट करके अपना बिजनेस खड़ा कर लिया और वो आज लाखों में खेल रह हैं।
फाइनेंस कितने प्रकार मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं का होता है
Finance का अर्थ होता है वित्त प्रबंधन या पैसे का प्रबंधन। फाइनेंस एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आप किसी बिजनेस या काम को करने के लिए धन प्रबंधन करते हो। धन प्रबंधन का अर्थ है की आपको पैसे का पूरा मैनेजमेंट रखना मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं होता है, जिसमें आपको पता होना चाहिये की आपको अपने काम के लिए पैसे कहां से उठाने हैं और उसे कैसे मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं इन्वेस्ट करना है।
इसे और आसान भाषा में समझ मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं सकते हैं की finance में किसी भी काम या व्यवसाय को करने के लिए धन जुटाकर उसका सही ढंग से इस्तेमाल किया जाता है।
फाइनेंस कितने प्रकार के होते है
फाइनेंस मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं :
- व्यक्तिगत वित्त ( Personal finance )
कब लोन बन जाता है NPA और कर्ज लेने वाले पर इसका क्या होता है असर, लोन लिया है तो आपको ये सब जरूर पता होना चाहिए
अगर किसी बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई जाती है, तो उस लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है. एनपीए बढ़ना किसी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ी करता है.
कब लोन बन जाता है NPA और कर्ज लेने वाले पर इसका क्या होता है असर, लोन लिया है तो आपको ये सब जरूर पता होना चाहिए (Zee Biz)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के मुताबिक अगर किसी बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई जाती मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं है, तो उस लोन को एनपीए घोषित मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं कर दिया जाता है. अन्य वित्तीय संस्थाओं मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं के मामले में यह सीमा 120 दिन की होती है. बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं. एनपीए बढ़ना किसी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ी करता है. जानिए किस तरह एनपीए लोन लेने वाले पर डालता है असर !
सिबिल रेटिंग होती है खराब
अगर कोई कर्जधारक लगातार तीन महीने तक बैंक की किस्त नहीं चुका पाता है और उस कर्जधारक के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है, तो इससे कर्जधारकों की सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है. कर्ज लेने के लिए सिबिल रेटिंग का अच्छा होना बहुत जरूरी है. अगर सिबिल रेटिंग खराब हो जाए तो कस्टमर्स को आगे किसी भी बैंक से लोन लेने में मुश्किलें होती हैं. अगर किसी तरह लोन मिल फाइनेंस कितने प्रकार का होता है भी जाए, तो आपको उस लोन के लिए बहुत ज्यादा ब्याज दरें चुकानी पड़ सकती हैं.
जब भी हम एनपीए के बारे में पढ़ते या सुनते हैं, तो लोगों को लगता है कि बैंक की रकम डूब गयी है. लेकिन ऐसा नहीं है. खाते मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं को एनपीए घोषित करने पर बैंक को तीन श्रेणियों में विभाजित करना होता है. सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स. जब कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है तो उसे डाउटफुल असेट्स कहा जाता है. लोन वसूली की उम्मीद न होने पर उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है.
हमारे ग्राहकों के अनुभव
मैं सवाई मानसिंह चिकित्सालय में काम करता हूँ। मुझे काफी समय से संपत्ति मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं खरीदनी थी। दादी का फाटक पर मैंने मकान देखा मुझे यह मकान पसंद आया। मुझे थोड़ा संपत्ति की जानकारी न होने के कारण मैंने आवास फाईनेंसियर्स से सम्पर्क किया। इन्होने मुझे संपत्ति खरीदने से लेकर अधिकार तक लोन दिलाने में हर तरह से मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं इन्होने मेरी मदद की जिसके लिए मैं इनका जीवन भर आभारी रहूँगा।
सुरेन्द्र कुमार शर्मा ,जयपुर
यहाँ जयपुर में कमा के खाने के लिए आया हूँ। मैं रंग-पेंट का कार्य करता हूँ। जयपुर में जो पेपर में विज्ञापन निकला था जेडीए की तरफ से उसमें हमारा जेडीए की तरफ से फ्लैट आवंटन हो गया। हमारे पास रुपयों की व्यवस्था बिल्कुल नहीं थी। हम गरीब आदमी हैं तो हमने आवास फाईनेंसियर्स से लोन लिया था, हमारा लोन पास भी हो गया, पास होने के बाद में हमें सब्सिडी भी मिल मैं विदेशी मुद्रा व्यापार में नुकसान की वसूली कैसे करूं गई, तो हम इसलिए आवास फाईनेंसियर्स के आभारी है।
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