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नीति आयोग ने राष्ट्रीय डेटा और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म लॉन्च किया

नीति आयोग ने 13 मई 2022 को खुली सार्वजनिक पहुंच के लिए राष्ट्रीय डेटा और विश्लेषिकी मंच (एनडीएपी) लॉन्च किया। मंच का उपयोगकर्ता के अनुकूल प्लेटफॉर्म उद्देश्य एक सुलभ, इंटरऑपरेबल, इंटरैक्टिव और उपयोगकर्ता के अनुकूल मंच पर डेटा उपलब्ध कराकर सार्वजनिक सरकारी डेटा तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण करना है।
यह विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बुनियादी डेटासेट को होस्ट करता है, उन्हें सुसंगत रूप से प्रस्तुत करता है, और विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए उपकरण प्रदान करता है। यह सार्वजनिक लॉन्च अगस्त उपयोगकर्ता के अनुकूल प्लेटफॉर्म 2021 में प्लेटफ़ॉर्म के बीटा रिलीज़ का अनुसरण करता है जिसने परीक्षण और प्रतिक्रिया के लिए सीमित संख्या में उपयोगकर्ताओं तक पहुँच प्रदान की।

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ई-कॉमर्स और डेटिंग एप्प पर भारी पड़ेगा सरकार का ये नया नियम, मनमानी पर लगेगी रोक

आईटी नियमों में नवीनतम संशोधनों के परिणामस्वरूप न केवल सोशल मीडिया दिग्गजों को उपभोक्ता शिकायतों के बारे में अधिक जागरूक होने की जरूरत है.

ई-कॉमर्स और डेटिंग एप्प पर भारी पड़ेगा सरकार का ये नया नियम, मनमानी पर लगेगी रोक

भारत सरकार ने आईटी नियमों में बड़ा बदलाव किया है. सरकार ने ई-कॉमर्स और डेटिंग एप्प पर सरकार द्वारा बनाया गया नए नियम भारी पड़ सकते हैं और सरकार के इस नियम से ई-कॉमर्स और डेटिंग एप्प की मनमानी पर भी रोक लगेगी. आईटी नियमों में नवीनतम संशोधनों के परिणामस्वरूप न केवल सोशल मीडिया दिग्गजों को उपभोक्ता शिकायतों के बारे में अधिक जागरूक होने की जरूरत है, बल्कि उपयोगकर्ता के अनुकूल कानूनों में वैवाहिक वेबसाइट, टिंडर और बम्बल जैसी डेटिंग साइट जैसी कंपनियां भी शामिल हैं. ऑनलाइन वर्गीकृत विज्ञापन प्लेटफॉर्म जैसे JustDial.com, और ई-कॉमर्स विक्रेता जैसे Amazon और Flipkart हैं.

ऐसे कई उदाहरण हैं जहां महिलाओं की फर्जी आईडी डेटिंग और वैवाहिक साइटों पर पोस्ट की गई है और इन आईडी को पीड़ित व्यक्तियों की दलीलों के बावजूद भी नहीं हटाई गईं. इसक साथ ही कुछ ऐसे मामले भी हैं, जहां महिलाओं के फोन नंबर, तस्वीरें और अन्य विवरण उनकी जानकारी के बिना अवैध रूप से डेटिंग साइटों पर पोस्ट किए गए हैं. जिससे उनका उत्पीड़न हो रहा है. जब उन्होंने शिकायत की, तो डेटिंग साइट्स और मैट्रिमोनियल प्लेटफॉर्म प्रतिक्रिया देने में धीमे थे, या बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं देते थे. नए नियमों के साथ कंपनियों के शिकायत अधिकारियों को तेजी से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता होगी, अन्यथा उपयोगकर्ता को उन्हें शिकायत निवारण समिति (जीएसी) में ले जाने का अधिकार होगा.

शिकायत न सुनने पर जीएसी का विकल्प

ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब ऑनलाइन क्लासीफाइड कंपनियां जिनमें से कई मसाज पार्लर के बारे में भी ब्योरा देती हैं, उन्होंने अवैध रूप से एक महिला उपयोगकर्ता के अनुकूल प्लेटफॉर्म का ब्योरा दिया है. अगर कोई महिला की जानकारी के बिना अवैध रूप से उसके नंबर पोस्ट करता है और शिकायत अधिकारी उसकी शिकायतों को सुनने से इंकार कर देता है तो उसके पास जीएसी से संपर्क करने का विकल्प है.

कंपनियों को जीएसी के निर्णय का करना होगा पालन

सूत्रों के अनुसार, अब तक चर्चा फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब और सोशल मीडिया मैसेजिंग जैसी कंपनियों पर केंद्रित है, संशोधित नियमों का व्यापक दायरा है क्योंकि इसमें डेटिंग, वैवाहिक, ईकॉमर्स और ऑनलाइन क्लासीफाइड शामिल हैं जहां उपयोगकर्ताओं का बड़ा खेल है, लेकिन उनकी शिकायतों के लिए एक प्रभावी निवारण तंत्र नहीं है. यदि उपभोक्ता जीएसी से राहत प्राप्त करता है, तो कंपनियों को निर्णय का पालन करना होगा या फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा. अदालतों में भी जीएसी का एक अनुकूल निर्णय अधिक भार वहन करेगा और कंपनी जो कार्रवाई करने से इनकार कर रही हैं. उनको भी अवरुद्ध करने का आदेश दिया जा सकता है.

आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री ने कहीं ये बातें

आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अगर सरकार प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं है तो जुर्माना लगाया जा सकता है. विकल्प हमेशा खुला रहता है लेकिन हम पहले विश्लेषण करेंगे कि कंपनियां नए नियमों पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं. सरकार को लाखों में उपभोक्ता शिकायतें मिलती हैं, जहां उपयोगकर्ता कहते हैं कि कंपनियों के शिकायत अधिकारियों द्वारा उनकी दलीलों को अनसुना कर दिया जाता है. अच्छे विश्वास में हमें हमेशा उम्मीद थी कि बिचौलिए (उपभोक्ता मंच) केवल टोकनवाद में शामिल होने के बजाय उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को समझेंगे और उन पर ध्यान देंगे. हालांकि ज्यादा प्रगति नहीं हुई थी, इसलिए हमने जीएसी उपयोगकर्ता के अनुकूल प्लेटफॉर्म रखने की अवधारणा के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया.

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गैरकानूनी सामग्री प्लेटफार्मों नहीं होनी चाहिए पोस्ट

मंत्री ने कहा कि संशोधन इंटरनेट कंपनियों पर यह सुनिश्चित करने के लिए दायित्व डालते हैं कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत सूचना उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट न की जाए. पहले बिचौलियों के दायित्व नियमों के उपयोगकर्ताओं को सूचित करने तक सीमित थे, लेकिन अब प्लेटफार्मों पर और अधिक निश्चित दायित्व होंगे. बिचौलियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना होगा कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री प्लेटफार्मों पर पोस्ट नहीं होनी चाहिए.

उपयोगकर्ता के अनुकूल प्लेटफॉर्म

डिपो ऑनलाइन सिस्टम भा.खा. नि.डिपो के संपूर्ण संचालन के प्रबंधन के लिए एक समाधान है। डिपो ऑनलाइन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत में खाद्य वितरण आपूर्ति श्रृंखला के परिवर्तन के लिए 'डिजिटल इंडिया' दृष्टिकोण के साथ संरेखित करना है।

वीआईटी DepoSoft™ द्वारा संचालित, यह खाद्यान्न वितरण के प्रबंधन के स्वचालन, मानकीकरण और दक्षता की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा और संचालन की वास्तविक समय पर निगरानी और समय पर डेटा रिपोर्टिंग को सक्षम बनाएगा ।

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देश में छावनी बोर्डों के 194 स्कूलों में डिजिटल प्लेटफॉर्म स्कूल प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) देश के 15 राज्यों में 62 छावनी बोर्ड के प्रबंधन के तहत 194 स्कूलों में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म- स्कूल प्रबंधन प्रणाली (स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम- एसएमएस) लागू की गयी है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक छावनी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' (जीवन सुगमता) को सरल बनाने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गयी है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश के 15 राज्यों में 62 छावनी बोर्ड के प्रबंधन के तहत 194 स्कूलों में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म- स्कूल प्रबंधन प्रणाली (स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम-

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक छावनी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' (जीवन सुगमता) को सरल बनाने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गयी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश के 15 राज्यों में 62 छावनी बोर्ड के प्रबंधन के तहत 194 स्कूलों में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म- स्कूल प्रबंधन प्रणाली (स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम- एसएमएस) लागू की गई है। रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) ने इन-हाउस एसएमएस विकसित किया है, जिससे 61,943 छात्र और 1,965 शिक्षक लाभान्वित हुए हैं और छावनी तथा आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सेवा प्रदान कर रहे हैं।

मौजूदा समय में यह प्रणाली अंग्रेजी माध्यम में काम करती है तथा स्थानीय भाषाओं में सेवाएं देने के लिए इसे और विकसित किया जा रहा है।

एसएमएस प्रणाली स्कूल में प्रवेश के लिए माता-पिता को ऑनलाइन आवेदन करने, अपने बच्चों की प्रगति की निगरानी, शिकायत, डिजिटल मोड में फीस का भुगतान करने आदि में सक्षम बनाती है।

यह पहल उपयोगकर्ता के अनुकूल है और इसके जरिए अभिभावकों के लिए स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया गया है।

गौरतलब है कि छावनी बोर्ड देश में 62 छावनियों में 20 लाख से अधिक निवासियों को रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) की ई-छावनी परियोजना के माध्यम से विभिन्न ऑनलाइन नागरिक सेवाएं प्रदान करते हैं।

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