सबसे अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है?
इसी तरह क्या आप सप्ताह में 7 दिन विदेशी मुद्रा व्यापार कर सकते हैं? आप प्रति दिन 24 घंटे विदेशी मुद्रा व्यापार करने में सक्षम हैं, प्रति सप्ताह सात विदेशी मुद्रा निकास रणनीति दिन. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रमुख बाजार चार भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं जो अलग-अलग समय क्षेत्रों में हैं। चार प्रमुख विदेशी मुद्रा बाजार घंटे हैं: न्यूयॉर्क: दोपहर 1 बजे GMT खुलता है और रात 10 बजे GMT बंद हो जाता है।
मुझे सप्ताह में कितने दिन विदेशी मुद्रा व्यापार करना चाहिए? सब मिलाकर, मंगलवार, बुधवार और गुरुवार उच्च अस्थिरता के कारण विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छे दिन हैं। सप्ताह के मध्य में करेंसी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग एक्शन देखने को मिलता है। शेष सप्ताह के लिए, सोमवार स्थिर हैं, और शुक्रवार अप्रत्याशित हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, आप साप्ताहिक चार्ट्स का व्यापार कैसे करते हैं?
मैं एक दिन में 50 पिप्स कैसे बना विदेशी मुद्रा निकास रणनीति सकता हूं?
50 पिप्स एक दिन की रणनीति का उपयोग करते समय आवश्यक नियम
सुबह 7 बजे GMT कैंडलस्टिक बंद होने तक प्रतीक्षा करें और तुरंत खरीदें स्टॉप ऑर्डर (उच्च से 2 पिप्स ऊपर) खोलें और स्टॉप ऑर्डर (निम्न से 2 पिप्स नीचे) बेचें।. मूल्य उच्च या निम्न की ओर बढ़ेगा और लंबित आदेशों में से एक को सक्रिय करेगा। फिर, आप दूसरे आदेश को रद्द कर सकते हैं।
मैं एक दिन में 50 पिप्स कैसे प्राप्त कर सकता हूं? 50 पिप्स एक दिन की विदेशी मुद्रा रणनीति एक समग्र रणनीति है जो एक घंटे के अंतराल में काम करती है और इसका उद्देश्य है मुद्रा जोड़े के दैनिक संचलन के लगभग 50% का लाभ उठाते हुए. इस विदेशी मुद्रा निकास रणनीति विदेशी मुद्रा निकास रणनीति प्रकार की रणनीति का उद्देश्य कुछ चुनिंदा मुद्रा जोड़े के साथ काम करना भी है। इन जोड़ियों में GBP/USD और EUR/USD शामिल हैं।
कौन सी विदेशी मुद्रा रणनीति सबसे अधिक लाभदायक है? तीन सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियाँ
- स्केलिंग रणनीति "बाली" यह रणनीति काफी लोकप्रिय है, कम से कम, आप कई व्यापारिक वेबसाइटों पर इसका विवरण पा सकते हैं। …
- कैंडलस्टिक रणनीति "बाघ से लड़ो" .
- मूविंग एवरेज पर आधारित "परवलयिक लाभ" ट्रेडिंग रणनीति।
कितने पिप्स स्केलिंग कर रहे हैं? स्कैल्पर कोशिश करना और खोपड़ी करना पसंद करते हैं पांच और 10 पिप्स के बीच प्रत्येक व्यापार से वे करते हैं और पूरे दिन इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराते हैं। पिप "प्रतिशत में बिंदु" के लिए छोटा है और एक मुद्रा जोड़ी ले सकता है सबसे छोटा विनिमय मूल्य आंदोलन है।
50 पिप्स का मूल्य कितना है?
कमोडिटीज़ | प्रति 1 मानक लॉट के लिए पिप मूल्य | प्रति 0.01 मानक लॉट के लिए पिप मूल्य |
---|---|---|
XTIUSD | 10 USD | 0.10 USD |
एक्सबीआरयूएसडी | 10 USD | 0.10 USD |
XAGUSD | 50 USD | 0.50 USD |
XAUUSD | 10 USD | 0.10 USD |
क्या आप विदेशी मुद्रा व्यापार करके समृद्ध हो सकते हैं? विदेशी मुद्रा व्यापार आपको अमीर बना सकता है यदि आप गहरी जेब वाले हेज फंड या असामान्य रूप से कुशल मुद्रा व्यापारी हैं. लेकिन औसत खुदरा व्यापारी के लिए, धन के लिए एक आसान रास्ता होने के बजाय, विदेशी मुद्रा व्यापार भारी नुकसान और संभावित गरीबी के लिए एक चट्टानी राजमार्ग हो सकता है।
क्या स्केलिंग एक अच्छी रणनीति है?
स्कैल्पिंग उन व्यापारियों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है जो इसे प्राथमिक रणनीति के रूप में उपयोग करने का निर्णय लेते हैं, या यहां तक कि जो लोग इसका उपयोग अन्य प्रकार के व्यापार के पूरक के लिए करते हैं।. सख्त निकास रणनीति का पालन करना छोटे मुनाफे को मिलाकर बड़े लाभ में बदलने की कुंजी है।
मैं कैसे एक समर्थक की तरह विदेशी मुद्रा व्यापार कर सकता हूँ?
आप विदेशी मुद्रा रुझानों की भविष्यवाणी कैसे करते हैं?
फॉरेक्स की भविष्यवाणी करने के लिए रुझानों की पहचान करना
- मूविंग एवरेज: यह विदेशी मुद्रा बाजार में रुझान खोजने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले टूल में से एक है। …
- मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (एमएसीडी): यह मूविंग एवरेज को एक छोटी समय सीमा में और एक औसत को लंबी समय सीमा में ले जाता है।
क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं?
खोपड़ी की कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि 600 ई. कुछ खोपड़ी खोपड़ी की चोटों से ठीक होने के प्रमाण दिखाती हैं, जो सुझाव देती हैं कम से कम कुछ पीड़ित कभी-कभी कम से कम कई महीनों तक जीवित रहते हैं.
क्या स्केलिंग अवैध है? जबकि स्केलिंग के खिलाफ कोई संघीय कानून नहीं है, अर्कांसस, कैलिफोर्निया, डेलावेयर, केंटकी, ओहियो, रोड आइलैंड और विस्कॉन्सिन सहित 15 राज्यों ने किसी न किसी रूप में इस अभ्यास पर प्रतिबंध लगा दिया है।, अधिकांश इसे एक दुराचार के रूप में लेबल करते हैं जिसमें जुर्माना और 1 वर्ष तक की जेल होती है।
क्या आप फॉरेक्स स्कैल्प कर सकते हैं? विदेशी मुद्रा स्केलिंग में केवल एक संक्षिप्त होल्डिंग समय के साथ व्यापारिक मुद्राएं शामिल हैं, और प्रत्येक दिन कई ट्रेडों को निष्पादित करना शामिल है. लाभ के लिए छोटे मूल्य आंदोलनों को पकड़ने के प्रयास में विदेशी मुद्रा स्केलर जोखिम को छोटा रखते हैं। लीवरेज और बड़े पोजीशन साइज के साथ छोटे मूल्य आंदोलन महत्वपूर्ण मात्रा में धन बन सकते हैं।
100 पिप्स कितने डॉलर है?
अमेरिकी डॉलर के लिए, जब पिप मूल्य की बात आती है, तो 100 पिप्स बराबर होता है 1 प्रतिशत, और 10,000 पिप्स $1 के बराबर है। इस नियम का अपवाद जापानी येन है। येन का मूल्य इतना कम है कि प्रत्येक पाइप एक इकाई के दस-हज़ारवें हिस्से के लायक नहीं है, बल्कि, प्रत्येक पाइप येन का 1 प्रतिशत है।
एक पिप कितने डॉलर है? व्यावहारिक रूप में, एक पिप है एक प्रतिशत का सौवां हिस्सा, या चौथा दशमलव स्थान (0.0001)।
Forex Card: कौन ले सकता है फॉरेक्स कार्ड, क्या हैं इसके फायदे और कितना देना होगा चार्ज; जानिए सबकुछ
फॉरेक्स कार्ड लोगों को विदेशी मुद्रा देने में मदद करता है। यह आसानी से कई देशों की मुद्रा प्रोवाइड करा सकता है।
जानिए Forex Card कार्ड के लाभ (फोटो-Freepik)
विदेश में सफर करने के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है। अगर आप विदेश में सफर करने वाले हैं, तो विदेशी मुद्रा हासिल करने में आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में फॉरेक्स कार्ड विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के काम को आसान बनाता है। यह एक डेबिट कार्ड की तरह है, जो विदेश में आवश्यकता पड़ने पर निकासी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
कौन ले सकता है फॉरेक्स कार्ड
केवल भारतीय नागरिक, जिन्होंने केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की है फॉरेक्स कार्ड के लिए अप्लाई कर सकता है। नॉन रेजिडेन्ट भारतीय फॉरेक्स कार्ड के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं। माता-पिता या पैरेंट की ओर से आवेदन पत्र पर सिग्नेचर करने के बाद 12 वर्ष से अधिक आयु के नाबालिगों को कार्ड जारी किया जा सकता है।
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत
फॉरेक्स कार्ड आवेदन फॉर्म ऑनलाइन और ऑफलाइन भरा जा सकता है। इस फॉर्म के साथ कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। फॉरेक्स कार्ड के लिए सेल्फ अटेस्टेड पासपोर्ट की एक कॉपी, वीज़ा और कन्फर्म टिकट की खुद से सत्यापित की गई कॉपी देनी होती है।
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कितना लगेगा चार्ज
फॉरेक्स कार्ड बनवाने से पहले लोगों को इसके चार्जेज के बारे में जान लेना चाहिए। कार्ड जारी करने, मुद्रा लोड करने या टॉप अप करने, एटीएम से निकासी, बैलेंस पूछताछ, सुविधा शुल्क इत्यादि के संबंध में कार्ड पर किए गए लेनदेन पर लगाए गए शुल्क की जांच करनी चाहिए। यह चार्ज बैंक या कंपनी की ओर से अलग-अलग लगाया जाता है।
फॉरेक्स कार्ड के फायदे
इस कार्ड के तहत कंपनी या बैंक यात्री पर बीमा भी प्रदान करती है। एक फॉरेक्स कोर्ड के तहत कई विदेशी मु्द्रा रखी जाती है। फॉरेक्स कार्ड की समय सीमा 5 साल के लिए होती है। इस कार्ड को 60 दिनों के अंदर प्राप्त किया जा सकता है। अगर विदेश यात्रा के दौरान धन का उपयोग नहीं किया गया है, तो इसे भारत आने की तारीख से 180 दिनों के भीतर बैंक को वापस करना होगा।
अर्थात्: भारतीय सियासत की हीन 'मुद्रा'
क्या अब बीजेपी स्वीकार करेगी कि रुपए के अवमूल्यन में पाप या राष्ट्रीय अपमान जैसा कुछ नहीं है.
अंशुमान तिवारी
- नई दिल्ली,
- 04 सितंबर 2015,
- (अपडेटेड 07 सितंबर 2015, 5:53 PM IST)
चीन की चरमराती अर्थव्यवस्था और ग्लोबल करेंसी व वित्तीय बाजारों में उठापटक का भारत तत्काल कोई बड़ा फायदा उठाए या न नहीं, लेकिन इस माहौल का एक बड़ा लाभ जरूर हो सकता है. इस वित्तीय बेचैनी के बीच हमारे नेता देश की करेंसी यानी रुपए को लेकर अपने दकियानूसी आग्रहों से निजात पा सकते हैं. भारत में, बीजेपी और वामदल हमेशा से इस ग्रंथि के शिकार रहे हैं कि राष्ट्रीय साख के लिए फड़कती मांसपेशियों वाली करेंसी जरूरी है. उन्होंने यह बात सफलता के साथ सड़क पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाई है कि रुपए का कमजोर होना आर्थिक पाप है.
लेकिन सियासत व बाजारों में पिछले एक साल के फेरबदल के बाद ऐसा संयोग बना है जब करेंसी जैसे एक परिवर्तनशील वित्तीय उपकरण की कीमत में गिरावट को राष्ट्रीय शर्म बताकर चुनाव लडऩे वाली बीजेपी सत्ता में है और मजबूती देने वाले तमाम कारकों की मौजूदगी के बावजूद रुपया अवमूल्यन की नई तलहटी छू रहा है. यह अनोखी परिस्थिति मुद्रा यानी करेंसी को लेकर हमें अपनी रूढ़िवादी सोच से मुक्त होने और डॉ. मनमोहन सिंह के उस सूत्र को स्वीकार करने का निमंत्रण देती है जो उन्होंने 1991 में रुपए के बड़े अवमूल्यन के बाद दिया था कि ''विनिमय दर केवल एक मूल्य मात्र है जिसका प्रतिस्पर्धात्मक होना जरूरी है.''
करेंसी अवमूल्यन को लेकर भारत की राजनीति गजब की रूढ़िवादी रही है. 1991 के उथल-पुथल भरे आर्थिक दौर पर कांग्रेस के नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की ताजा किताब भारतीय राजनीति की रुपया ग्रंथि के बारे में दिलचस्प तथ्य सामने लाती है. जयराम रमेश संकट और सुधार के उस दौर में प्रधानमंत्री के सलाहकारों में शामिल थे. रमेश के संस्मरण बताते हैं कि रुपए को लेकर प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव के आग्रह भले ही वामदलों या बीजेपी जैसे रूढ़िवादी न रहे हों लेकिन अवमूल्यन को लेकर विदेशी मुद्रा निकास रणनीति वे बुरी तरह अहसज थे.
1991 के वित्तीय संकट के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रिजर्व बैंक के जरिए, 1 जुलाई और 3 जुलाई, 1991 को रुपए की कीमत क्रमशः 7 व 9 फीसदी घटाई. उस वक्त तक यह रुपए का सबसे बड़ा अवमूल्यन था और वह भी सिर्फ 72 घंटों में. उस दौर में रुपए की कीमत पूरी तरह सरकार तय करती थी, आज की तरह बाजार नहीं. रमेश लिखते हैं कि प्रधानमंत्री राव इस फैसले से इतने असहज थे कि 3 जुलाई को सुबह वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को बुलाकर दूसरा अवमूल्यन रोकने का आदेश दे दिया. डॉ. सिंह ने समझाने की भरसक कोशिश की लेकिन प्रधानमंत्री सहज नहीं हुए. अंततः सुबह 9.30 बजे डॉ. सिंह ने रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन से इसे रोकने को कहा लेकिन तब तक देर हो गई थी, रिजर्व बैंक सुबह नौ बजे रुपए के दूसरे और बड़े अवमूल्यन को अंजाम दे चुका था. डॉ. सिंह ने राहत की सांस ली और प्रधानमंत्री को उत्साह के साथ फैसला सूचित कर दिया. अलबत्ता, फैसला इतना सहज नहीं था. अवमूल्यन के बाद संसद में लंबे समय तक प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को अपनी पार्टी व विपक्ष की लानतें झेलनी पड़ीं.
1991 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक देश में काफी कुछ बदल गया लेकिन रुपए को लेकर नेताओं की हीन ग्रंथि में कोई तब्दीली नहीं आई. सत्ता में बैठने के बाद नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली को इस बात का एहसास हो रहा होगा कि कि उन्होंने रुपए की गिरावट को जिस तरह देश की साख से जोड़ा था, वह हास्यास्पद था. बाजार के जानकार रुपए की उठापटक को टेक्निकल चार्ट पर पढ़ते हैं. इस चार्ट के मुताबिक, रुपए में ताजी गिरावट (3 सितंबर 66.24 रुपए प्रति डॉलर) 2013 का दौर जैसी दिख रही है, जब रुपया 68.80 तक टूट गया था.
2013 का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि कमजोर रुपए को देश की कमजोरी बताने के राजनैतिक अभियान उसी दौरान जन्मे थे. 2013 में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर थीं. भारत में विदेशी मुद्रा की आवक-निकासी के सभी संतुलन ध्वस्त थे. हालत इस कदर बुरी थी कि रिजर्व बैंक को रुपए पर संकट टालने के लिए उपायों का पूरा दस्ता मैदान में उतारना पड़ा तब जाकर कहीं हालत सुधरी. लेकिन आज जब कच्चे तेल की कीमतें 44 डॉलर पर हैं, फॉरेक्स रिजर्व 355 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर है, महंगाई घट रही है, व्यापार घाटा गिर रहा है, विदेशी आवक-निकासी में अंतर कम हो रहा है तब भी रुपया ताकत की हुंकार लगाने की बजाए 2013 की तर्ज पर गोते खा रहा है. यह परिस्थित सिद्ध करती है कि करेंसी एक परिवर्तनशील वित्तीय उपकरण है, जिसे भावुक राष्ट्रीयता के संदर्भ में नहीं, बल्कि आर्थिक हालात की रोशनी में देखना ही समझदारी है.
वित्त मंत्री जेटली को रुपए की ताजा गिरावट का बचाव करना पड़े तो वे यही कहेंगे कि पिछले कुछ माह में फिलिपीन पेसो, थाई बाट और भारतीय रुपए के अलावा, उभरते बाजारों की सभी मुद्राएं गिरी थीं. इसलिए रुपए का 66-67 पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं है. भारतीय मुद्रा निर्यात बाजार की अन्य प्रतिस्पर्धी मुद्राओं के मुकाबले कुछ ज्यादा ही मजबूत हो गई थी, इस अवमूल्यन से हमें निर्यात में बढ़त मिलेगी. यकीनन, उनके इस तर्क में आपको 1991 के डॉ. सिंह के ही शब्द सुनाई देंगे.
जयराम रमेश की किताब में डॉ. सिंह का वह जवाब दर्ज है जो उन्होंने 1991 में रुपए के बड़े अवमूल्यन के बाद राज्यसभा में हुई बहस पर दिया था. उन्होंने कहा था कि अंग्रेज भारत को प्राथमिक उत्पादों का निर्यातक बनाकर रखना चाहते थे, औद्योगिक उत्पादों का निर्यातक नहीं. इसलिए घरेलू मुद्रा को हमेशा ताकतवर रखने के संस्कार भर दिए गए. रुपए का संतुलित अवमूल्यन हमें आधुनिक व प्रतिस्पर्धात्मक बनाता है तो वह राष्ट्र विरोधी कैसे हो जाएगा? आज डॉलर की कीमत 67 रुपए पर पहुंचते देख क्या मोदी-जेटली समेत पूरी बीजेपी यह स्वीकार करेगी कि हमेशा ताकतवर रुपए की वकालत ब्रिटिश औपनिवेशिक आर्थिक नीति की हिमायत नहीं थी? क्या बीजेपी अब यह स्वीकार करेगी कि रुपए के अवमूल्यन में पाप या अपमान जैसा कुछ नहीं है. अगर आप बाजार में हैं तो आपको प्रतिस्पर्धी होना ही चाहिए.
विदेशी मुद्रा भंडार 2 अरब डॉलर बढा
देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत दो मई को समाप्त सप्ताह में 1.9448 अरब डॉलर बढकर 311.8578 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकडों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विभिन्न देशों.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत दो मई को समाप्त सप्ताह में 1.9448 अरब डॉलर बढकर 311.8578 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकडों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विभिन्न देशों की मुद्रा में है।
यह समीक्षाधीन अवधि में 2.5416 अरब डॉलर बढ़कर 284.571 अरब डॉलर हो गया है। इस अवधि में देश के सोने के भंडार का मूल्य 60.1 करोड़ डॉलर घटकर 20.9658 अरब डॉलर रहा एवं इस दौरान देश के विशेष निकास अधिकार (एसडीआर) 30 लाख डॉलर बढकर 4.4805 अरब डॉलर दर्ज किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में मौजूद देश के भंडार का मूल्य आलोच्य अवधि में 12 लाख डॉलर बढ़कर 1.8405 अरब डॉलर दर्ज किया गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार 25,209 अरब रुपए के बराबर हुआ, देश में हैं 20.35 अरब डॉलर का स्वर्ण भंडार
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.536 अरब डॉलर बढ़कर 392.867 अरब डॉलर हो गया, जो 25,209 अरब रुपए के बराबर है।
Abhishek Shrivastava
Published on: August 05, 2017 12:11 IST
विदेशी मुद्रा भंडार 25,209 अरब रुपए के बराबर हुआ, देश में हैं 20.35 अरब डॉलर का स्वर्ण भंडार
मुंबई। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.536 अरब डॉलर बढ़कर 392.867 अरब डॉलर हो गया, जो 25,209 अरब रुपए के बराबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले सप्ताह में यह भंडार 2.27 अरब डॉलर बढ़कर 391.33 अरब डॉलर पर पहुंचा था।
शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) आलोच्य सप्ताह में 160.99 करोड़ डॉलर बढ़कर 368.75 अरब डॉलर हो गई, जो 23,651.4 अरब रुपए के बराबर है। बैंक के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इस पर भंडार में मौजूद यूरो, पौंड, स्टर्लिंग, येन, जैसी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है।
आलोच्य अवधि में देश का स्वर्ण भंडार 20.34 अरब डॉलर रहा, जो 1,317.4 अरब रुपए के बराबर है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में देश के विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 39 लाख डॉलर बढ़कर 1.49 अरब डॉलर हो गया, जो 95.9 अरब रुपए के बराबर है। आईएमएफ में देश के मौजूदा भंडार का मूल्य 7.72 करोड़ डॉलर घटकर 2.26 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 145.2 अरब रुपए के बराबर है।
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