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नहीं जानते वाटर प्रूफ, वाटर रिपेलेंट और वाटर रेसिस्टेंट में अंतर, तो जानें यहां

नहीं जानते वाटर प्रूफ, वाटर रिपेलेंट और वाटर रेसिस्टेंट में अंतर, तो जानें यहां

नई दिल्ली (जेएनएन)। स्मार्टफोन आजकल सिर्फ रैम, प्रौसेसर और कैमरा के अच्छे होने से ही स्मार्ट नहीं बन जाते। स्मार्टफोन में कई अलग फीचर्स भी आने लगे हैं, जो इसे स्मार्ट बनाते हैं। अब फोन वाटर और डस्ट रेसिस्टेंट आते हैं। इन फोन्स पर पानी और धूल का भी कोई असर नहीं होता। ऐसे फोन यूजर्स के लाइफस्टाइल को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। बाजार में ऐसे कई फोन हैं जिनमे कुछ वाटर प्रूफ, वाटर रिपेलेंट और ज्यादातर फोन वॉटर रेसिस्टेंट सर्टिफिकेट के साथ आते हैं।

यूजर्स को इन तीनों तरह के फीचर्स में आमतौर पर कन्फ्यूजन होता है। इस तरह का फोन लेने से पहले तीनों में अंतर जान लेना भी जरुरी है।

वाटर प्रूफ: वाटरप्रूफ फीचर के साथ आने वाले फोन को पानी में नुकसान नहीं होता। अक्सर कई स्मार्टफोन IP68 और IP67 सर्टिफिकेशन के साथ आते हैं, जिसका मतलब होता है कि फोन को 30 मीटर तक पानी में रखने के बाद भी कुछ नहीं होगा। इसी के साथ इस तरह के फोन्स को पानी के अंदर पिक्चर लेने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सैमसंग, सोनी और एप्पल के डिवाइस मुख्यत: इस फीचर के साथ आते हैं।

वाटर रिपेलेंट: यह वाटर प्रूफ फीचर से एक स्तर कम है। इस फीचर का मतलब है की आपके फोन पर एक थिन-फिल्म चढ़ाई गई है जो फोन में पानी नहीं जाने देगी। इसे फोन के अंदर और बाहर दोनों तरफ लगाया जाता है। पानी से बचाने के लिए इस तरह के फोन पर हाइड्रोफोबिक सतह तैयार की जाती है, जिससे फोन पर पानी का असर नहीं होता और वह गंदगी को जमने भी नहीं देता। एक आम डिवाइस की तुलना में इस तकनीक से लैस फोन ज्यादा समय पानी में बिना खराब हुए रह सकते हैं।

वाटर रेसिस्टेंट: वाटर रेसिस्टेंट इस श्रेणी में सबसे छोटे स्तर का फीचर है। अगर आपका फोन वाटर रेसिस्टेंट है तो पानी में जाने पर वो ठीक नहीं रहेगा। इसका मतलब यह है की आपके फोन पर पानी की कुछ छीटें पड़ने के बाद भी नुकसान नहीं होगा। लेकिन, अगर आपका फोन वॉटर रेसिस्टेंट है तो आप अपने फोन को पानी रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है में डालने की भूल मत करना।

इन तीनों में अंतर जानने के बाद आपके लिए इन फीचर्स से लैस फोन लेने में आसानी होगी। इसी के साथ आपको पता भी चल जाएगा की आपको कौन-से फीचर से लैस फोन लेना है।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में सबकुछ – देखते ही समझ जाओगे

नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम शेयर मार्केट के एक महत्वपूर्ण तकनीक को समझेंगे। जिससे आप कुछ ही मिनट में पैसे बना सकते हैं बिना किसी इंडिकेटर की मदद से। यह तकनीक सबसे बढ़िया है जहां आप बड़े आसानी से पैसे कुछ ही मिनट में बना सकते हैं।

सबसे पहले आपको मई यह बताना चाहता हूँ कि पैसा किस्मत से नहीं बल्कि स्किल से कमाया जाता है। टिप्स तो होटलों में मिला करते हैं। कभी भी मुफ्त की कोई भी चीज नहीं लेनी चाहिए।

SUPPORT AND RESISTANCE (S & R) क्या होता है?

Support Price चार्ट का वो PRICE POINT होता है, जहा से आगे Seller के मुकाबले Buyers की संख्या ज्यादा होने की सम्भावना होती है, और इसलिए स्टॉक का भाव Support price point से ऊपर की तरफ चढ़ने की संभावना होती है।

दूसरी तरफ, Resistance Price चार्ट का वो PRICE POINT होता है, जहा से आगे Buyers के मुकाबले Seller की संख्या ज्यादा होने की सम्भावना होती है, और इसलिए स्टॉक का भाव Resistance price point से नीचे की तरफ गिरने की संभावना होती है।

SUPPORT AND RESISTANCE की उपयोगिता

  1. Entry Point – किसी ट्रेड में कब प्रवेश करना है, यानी शेयर को किस मूल्य पर खरीदना है।
  2. Exit Point – किसी ट्रेड में कब sell करना है या stop loss बुक करना ह।
  3. Target – किसी ट्रेड से कितना लाभ- Profit लिया जा सकता है।

अगर आप किसी चार्ट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस की पहचान करना सीख लेते है, तो आप बहुत ही आसानी से स्टॉक के price की पहचान कर सकते है, जहा से स्टॉक से या तो ऊपर की तरफ जाता है, या जहा से स्टॉक price नीचे की तरफ गिरता है, इस तरह आप ये भी समझ लेते है कि जहा से स्टॉक रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है का price ऊपर जाने वाला है, वहा आपका एंट्री पॉइंट होना चाहिए, और जहा से स्टॉक का price नीचे गिरने वाला है, वो आपका Exit point होगा, और इस तरह इन दोनो price के बीच आप अपना एक profit का target भी सेट कर सकते है।

SUPPORT के CONCEPT से समझ में आने वाली बाते –

  1. Support Price किसी स्टॉक के current market price से नीचे यानि कम होता है।
  2. Support price point से स्टॉक का price में bounce back आने की सम्भावना होंती है, और स्टॉक का price ऊपर की तरफ जा सकता है
  3. Support price point से हमें ये समझ आता है कि – इस price point पर ट्रेडर जितना अधिक उस स्टॉक को बेचना चाहते थे, बेच चुके है, और अब स्टॉक का price अपने पिछले सपोर्ट प्राइस पॉइंट पर आने के बाद, कम भाव के कारण उस स्टॉक को खरीदने वाले लोग पसंद करेंगे, और Buyers के खरीदने से उस स्टॉक का प्राइस सपोर्ट प्राइस से ऊपर की तरफ जाने लगेगा |
  4. Support से हमें Bearish Trend के बदलने और स्टॉक के भाव में तेजी आने की सम्भावना का Signal मिलता है,
  5. Support Point हमें बताता है कि – अगर किसी स्टॉक का price नीचे गिर रहा है, तो उस स्टॉक का price चार्ट पर दिखने वाले अपने पिछले सपोर्ट price के आस पास तक ही गिरेगा, और पिछले सपोर्ट price से स्टॉक का भाव और निचे जाने के बजाये bounce back करके ऊपर की तरफ जा सकता है ,
  6. किसी स्टॉक के सपोर्ट प्राइस पॉइंट पर इस बात की पूरी सम्भावना होती है कि – उस स्टॉक का गिरता हुआ प्राइस रुक जायेगा, और ये भी हो सकता है कि अगले कुछ trading session में स्टॉक का प्राइस अपने पिछले सपोर्ट प्राइस के आस पास ही घूमता रहे, और फिर ऊपर की तरफ जाए।

RESISTANCE के CONCEPT से समझ में आने वाली बाते –

  1. Resistance Price Point किसी स्टॉक के current market price से ऊपर यानी अधिक होता है,
  2. Resistance price point से स्टॉक का price में Down Reversal आने की सम्भावना होंती है, और स्टॉक का price नीचे की तरफ आ सकता है,
  3. Resistance price point से हमें ये समझ आता है कि – इस price point पर ट्रेडर जितना अधिक उस स्टॉक को खरीदना चाहते थे, उतना खरीद चुके है, और अब स्टॉक का price अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट पर आने के बाद, बहुत रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है अधिक भाव के कारण उस स्टॉक को बेचने वाले लोग पसंद करेंगे, और Seller के अधिक बेचने से उस स्टॉक का प्राइस, रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट से नीचे की तरफ आने लगेगा,
  4. Resistance से हमें bullish Trend के बदलने और स्टॉक के भाव में मंदी आने की सम्भावना का Signal मिलता है,
  5. Resistance Point हमें बताता है कि – अगर किसी स्टॉक का price ऊपर जा रहा है, तो उस स्टॉक का price चार्ट पर दिखने वाले अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट से नीचे की तरफ आने लगेगा,
  6. Resistance से रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है हमें bullish Trend के बदलने के और पिछले Resistance Point से स्टॉक का भाव और ऊपर जाने के बजाये Reversal करके , नीचे की तरफ जा सकता है ,
  7. किसी स्टॉक के रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट पर इस बात की पूरी सम्भावना होती है कि – उस स्टॉक का चढ़ता हुआ प्राइस रुक जायेगा, और ये भी हो सकता है कि अगले कुछ trading session में स्टॉक का प्राइस अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट प्राइस के आस पास ही घूमता रहे, और फिर नीचे की तरफ जाए।

दोस्तों हमेशा आपको क्लैयर कट मार्किट में नहीं मिलेगा। सपोर्ट और रेजिस्टेंस के लेवल पर कौन सा स्टॉक्स आ रहा है, यह आपको खुद से ढूढ़ने पड़ेंगे। जैसेकि हम कुछ शेयर निचे उदाहरण के लिए दे रहे हैं, जिसमे सपोर्ट और रेजिस्टेंस खीचें गए हैं :-

TCS
ITC
ICICI BANK

हमेशा आपको एक जोन में ट्रेड या निवेश करना चाहिए। न कि एक कट ऑफ प्राइस पकड़ रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है कर बैठना चाहिए। अगर आप लोगों को रिस्क फ्री ट्रेड करना है। तो निफ़्टी 50 वाले शेयरों में ही निवेश और ट्रेड करना चाहिए। कुछ शेयर ऐसे होते हैं जो की निफ़्टी की तरह ही चलते हैं। उन शेयरों में आप ट्रेड इस तकनीक का इस्तेमाल क्र सकते हैं।

दोस्तों उम्मीद करता हूँ यह लेख आपको सभी को पसंद आया होगा। हम सभी भारतीय हैं और अपने देश की सेवा करना हम सभी का कर्त्तव्य होना चाहिए। क्योंकि देश सबसे पहले। अगर लेख में कोई गलती हो या फिर आपको पसंद न आया हो तो कमेंट सेक्शन में हमें जरूर बताइये। लेखक खुद कोशिश करेंगे की आपके प्रत्येक सवाल का जबाब दिया जाये। बस एक छोटी से विनती यह है की इस लेख को आप अपने सभी दोस्तों को व्हाट्सप्प और फेसबुक, इंस्टाग्राम , twitter पर जरूर शेयर करें। धन्यवाद।।

शेयर मार्केटिंग क्या है, और कैसे काम करता है? ! What is Share marketing !

तो आज हम पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की स्टॉक मार्केट क्या है और कैसे काम करता है?

शेयर बाजार क्या है?

Share Marketing

share market और Stock Market एक ऐसा market है जहाँ बहुत से companies के shares ख़रीदे और बेचे जाते हैं, ये एक ऐसी जगह है जहां कुछ लोग बहुत से पैसे कमा लेते है और बहुत से लोग पेसे गवा देते है किसी कंपनी का share खरीदने का मतलब है उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाना |

आप जितने पैसे लगायेंगे उसी के हिसाब से उस कंपनी के मालिक आप हो जाते हैं. जिसका मतलब ये है की अगर उस कंपनी को भविष्य में मुनाफा होगा तो आपके लगाये हुए पैसे से दुगना पैसा आपको मिलेगा और अगर घाटा हुआ तो आपको एक भी पैसे नहीं मिलेंगे यानि की आपको पूरी तरह से नुकसान होगा.

जिस तरह Share market में पैसे बनाना आसान है ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही आसान है क्यूंकि stock market में उतार चढ़ाव होते रहते हैं|

शेयर बाजार में शेयर कब ख़रीदे?

आपको थोडा बहुत idea मिल गया होगा की शेयर मार्केट क्या है? आइये जान लेते है How to invest in share market? Stock Market में share खरीदने से पहले आप इस लाइन में पहले experience gain कर लें की यहाँ कैसे और कब invest करना चाहिये? और कैसी कंपनी में आप अपने पैसे लगायेंगे तब जा कर आपको मुनाफा होगा |

इन सब चीजों का पता लगायें ज्ञान बटोरे उसके बाद ही जा कर share market में invest करें. Share market में कौन सी कंपनी का share बढ़ा या गिरा इसका पता लगाने के लिए आपको हमारे साथ लास्ट तक जुड़े रहने होगा |

ये जगह बहुत ही risk से भरी हुयी होती है, इसलिए यहाँ तभी निवेश करना चाहिये जब आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक हो ताकी जब आपको घाटा हो तो आपको उस घाटे से ज्यादा फर्क ना पड़े. या तो फिर आप ऐसा भी कर सकते हैं की शुरुआत में आप थोड़े से पैसे से invest करें ताकि आगे जाकर आपको ज्यादा रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है नुकसान न हो जैसे जैसे आपका इस क्षेत्र में knowledge और experience बढेगा वैसे वैसे आप धीरे धीरे अपने invest को बढ़ा सकते हैं |

शेयर मार्किट में पैसे कब लगाये?

शेयर मार्किट में share खरीदने के लिए आपको एक Demat account होना जरुरी होता हैं | इसके भी दो तरीके होते हैं, पहला तरीका तो आप एक broker यानि की दलाल के पास जाकर एक Demat account खोल सकते हैं |

Demat account में हमारे share के पैसे जमा रखे जाते हैं, जिस तरह की हम किसी bank के खाते में अपना रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है पैसा रखते हैं ठीक उसी तरह अगर आप share market में invest कर रहे हैं, तो आपका demat account होना अतिआवश्यक है |

क्यूंकि कंपनी को मुनाफा होने के बाद आपको जितने भी पैसे मिलेंगे वो सारे पैसे आपके demat account में जमा हो जायेंगे ना की आपके bank account में और demat account आपके savings account के साथ लिंक हो कर जुड़ा रहता है, अगर आप चाहे तो उस demat account से अपने bank account में बाद में धन राशी ट्रासफ़ार कर सकते हैं |

Demat account बनाने के लिए आपका किसी भी bank में एक savings account होना बहुत ही जरुरी है, और proof के लिए pan card की copy और address proof चाहिये होती है |

दूसरा तरीका है, की आप किसी भी bank में जाकर अपना demat account खुलवा सकते हैं |

लेकिन आप अगर एक broker के पास से अपना account खुलवाते हैं, तो आपको उससे ज्यादा benifit होगा, क्यूंकि एक तो आपको अच्छा support मिलेगा और दूसरा आपके invest के हिसाब से ही वो आपको अच्छी कंपनी suggest करते हैं, जहाँ आप अपने पैसे invest कर सकते हैं, ऐसा करने के लिए वो आपसे पैसे भी लेते हैं |

Support Level क्या होता है?

support level, उस price level को refer करता है जिसके नीचे asset की price का गिरना सबसे कम होता है, उस समय में किसी भी asset का support level create किया जाता है, खरीदार के द्वारा जो की market में enter कर रहे होते हैं, जब भी asset एक lower price में चला जाता है |

कैसे बनाया जाता Support level है?

Technical analysis की बात करें तब, सबसे simple support level को chart करने के लिए एक line draw किया जाता है, asset के सभी lowest lows को ध्यान में रखकर उस time period के दौरान ये support line या तो flat होती है या फिर slanted up या down भी हो सकती है | overall price trend के हिसाब से वहीँ दुसरे technical indicators और charting techniques का इस्तमाल भी किया जाता है | ज्यादा advanced versions के Support Level को identify करने के लिए |

Resistance Level होता क्या है?

Resistance या resistance level, एक ऐसा price point होता है, जहाँ की asset की price rise में रुकावट दिखाई देती है क्यूंकि एकदम से बहुत सारे sellers अपने asset को उसी price में बेचना चाहते हैं.

Price Action पर निर्भर करता है की, resistance की line, flat हो या slanted हो, वहीँ ऐसे बहुत से advanced techniques हैं, resistance incorporating bands, trendlines और moving averages को identify करने के लिए |

होम वर्कआउट के लिए खरीदें ये 8 इक्युपमेंट, आपके साथ फैमिली भी कर सकेगी एक्सरसाइज

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जिम और फिटनेस स्टूडियो (Gyms and fitness studio) कोरोना महामारी के कारण बंद हैं। ऐसे में अधिकतर फिटनेस फ्रीक लोग होम वर्कआउट कर रहे हैं।

घर में वर्कआउट / एक्सरसाइज करने के दौरान कुछ फिटनेस इक्युपमेंट (Workout / exercise fitness equipment) शामिल करने चाहिए। इससे बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं। साथ ही आप रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है एक ही वर्कआउट करने से बोर भी नहीं होंगे।

यदि आप भी घर पर वर्कआउट कर रहे हैं तो इन इक्युपमेंट को खरीद लें। इन्हें खरीदने से आप और आपके परिवार के अन्य सदस्य भी एक्सरसाइज कर सकते हैं।

आइए जानते हैं घर में एक्सरसाइज के दौरान कौन से फिटनेस इक्युपमेंट आपको बेहतर रिजल्ट दे सकते हैं।

Table of Contents

1. डम्बल (Dumbbell)

Best Workout Equipment for Your Home Gym in hindi

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डम्बल से की जाने वाली होल बॉडी एक्सरसाइज काफी इफेक्टिव रहती है। शोल्डर, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, नेक, बैक, लोअर बैक, लेग्स, एब्स सभी बॉडी पार्ट की एक्सरसाइज डम्बल से की जा सकती है।

इसलिए डम्बल खरीदना सही रहेगा। आप अलग-अलग वजन वाली कुछ डम्बल की जोड़ी खरीदकर अपने घर में रखें।

डम्बल की जोड़ी आप 2.5 किलो, 5 किलो, 10 किलो, 12.5 किलो, 15 किलो और 17.5 या 20 किलो तक भी ले सकते हैं। ये आपके फिटनेस लेवल पर डिपेंड करेगा कि आप कितना वेट उठा सकते हैं। फिटनेस लेवल देखने के बाद ही डम्बल मंगाए। डम्बल से निम्न एक्सरसाइज कर सकते हैं। जैसे-

  • डम्बल बैंच प्रेस (Dumbbell bench press)
  • डम्बल फ्लाय (Dumbbell fly)
  • ट्राइसेप्स किकबैक (Triceps kickback)रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है
  • नीइंग वन आर्म रो (Kneeling one arm row)
  • लेटरल रेज (Lateral raise)
  • लाइंग फ्लाय (Lying fly)
  • रो रेज (Toe raise)

2. बार्बेल (Barbell)

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बार्बेल से एक नहीं कई एक्सरसाइज की जा सकती हैं। यह भी होम वर्कआउट के लिए अच्छा इक्युपमेंट है। घर पर एक्सरसाइज करने के लिए आप अपनी क्षमतानुसार वजन वाली बार्बेल ले सकते हैं।

ज्यादा वजन वाली बार्बेल घर पर नहीं ला सकते। आप 1-2 छोटी या मीडियम साइज वाली बार्बेल ले सकते हैं।

3. प्लेट्स (Plates)

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प्लेट्स से एक्सरसाइज करना काफी लोगों को पसंद होता है। इसका कारण है कि इनसे कई मूवमेंट किए जा सकते हैं।

वेटेड प्लेट को बार्बेल के साथ अटैच करके भी एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसलिए रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है 2.5 किलो, 5 किलो, 10 किलो, 12.5 किलो, 15 किलो की 2-2 प्लेट खरीद सकते हैं।

4. रेजिस्टेंस बैंड (Resistance band)

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रेजिस्टेंस बैंड से कई अलग-अलग एक्सरसाइज की जाती हैं। इनसे एक्सरसाइज करने से सीधे मसल्स पर टेंशन क्रिएट होती है और मसल्स अच्छे से ट्रेन होते हैं।

इसलिए रेजिस्टेंस बैंड को भी एक्सरसाइज के लिए ले सकते हैं। रेजिस्टेंस बैंड अलग-अलग लेवल के हिसाब से आते हैं। इसलिए अपने लेवल के हिसाब से आप रेजिस्टेंस बैंड खरीद सकते हैं।

5. रेजिस्टेंस लूप बैंड (Resistance loop band)

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ये साइज में छोटे होते हैं और रेजिस्टेंस लूप बैंड से अलग-अलग तरह के वर्कआउट किए जाते हैं। इससे एक्सरसाइज को मॉडिफाई कर सकते हैं और किसी पर्टिकुलर बॉडी पार्ट पर टेंशन क्रिएट की जाती है।

इनसे एक्सरसाइज करने से स्ट्रेचिंग भी कर सकते हैं। ये सस्ते आते हैं। इसलिए रेजिस्टेंस लूप बैंड का एक सेट भी खरीदें।

6. जंप रोप (Jump Rope)

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जंप रोप एरोबिक एक्सरसाइज का हिस्सा है। यह मीडियम इंटेंसिटी वर्कआउट है। इसे कोई भी आसानी से कर सकता है। इसलिए एक रोप जंप भी अपने घरेलू फिटनेस जिम इक्युपमेंट में शामिल करें।

7. फोम रोलर (Foam roller)

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1.5-2 फीट (18-24 Inches) का फोम रोलर सेल्फ-मायोफेशियल रिलीज टेक्निक पर काम करता है। इसका मतलब है मसाज करना।

मायोफेशियल रिलीज बॉडी वर्क टेक्निक है जिससे मसल्स टिश्यू रिलेक्स होते हैं। वर्कआउट से पहले और बाद में फोम रोलिंग करने से मसल्स रिलेक्स हो जाते हैं।

8. केटलबेल (Kettlebell)

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केटलबेल से कई एक्सरसाइज की जा सकती हैं। ये अलग-अलग वेट की आती हैं। इसलिए चाहें तो केटलबेल को भी घरेलू जिम इक्युपमेंट में शामिल करें।

अलग-अलग केटलबेल आपके मसल्स को अलग-अलग तरह से टारगेट करेंगी, जिनसे काफी फायदा होगा।

निष्कर्ष (Conclusion) : इन इक्युपमेंट को खरीदकर आप आसानी से घर में एक्सरसाइज कर सकते हैं। साथ ही फैमिली के अन्य मेंबर भी इन इक्युपमेंट का प्रयोग कर सकते हैं।

इन इक्युपमेंट को खरीदकर आप भी घर पर ही वर्कआउट शुरू करें। ऐसी ही हेल्थ संबंधित अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें…

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