पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है? Portfolio Management in Hindi?
निवेश का ज्यादा से ज्यादा फायदा तभी मिल सकता है, जबकि उसके लिए स्मार्ट तरीके से पोर्टफोलियो प्रबंधन किया निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो जाए। ये काम पूरी समझ-बूझ के साथ, बेहतर तरीके से निपटाने का जिम्मा पोर्टफोलियो मैनेजर का होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है? What is Portfolio Management in Hindi? कितने प्रकार का होता है? किसी बिजनेस या निवेश की योजना में पोर्टफोलियो मैनेजर क्यों महत्वपूर्ण होता है?
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है?
What is Portfolio Management?
कारोबार की भाषा में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, का मतलब ऐसे प्रोग्रामों और प्रोजेक्टों की सूची तैयार करने से है, जिससे उस संस्थान को ज्यादा से ज्यादा फायदे (returns की संभावना बने और कम से कम नुकसान की गुंजाइश (risks) बचे। ऐसे प्रोग्रामों और प्रोजेक्टों का चयन करना, प्राथमिकताएं तय करना और उनका नियंत्रण वगैरह भी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का हिस्सा होते हैं। जिस व्यक्ति या संस्था को या जिम्मेदारी सौंपी जाती है, उसे पोर्टफोलियो मैनेजर कहते हैं।
पोर्टफोलियो का मतलब क्या होता है?
What is a meaning of Portfolio
- कारोबार (business) के मामले में पोर्टफोलियो का मतलब कार्यक्रमों या प्रोजेक्ट की सूची से है।
- निवेश (investment) के मामले में पोर्टफोलियो का मतलब निवेश उपायों की सूची से होता है।
- शेयर बाजार (stock market) के मामले में पोर्टफोलियो का मतलब शेयरों के समूह से होता है।
निवेश के मामले में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है?
What is Portfolio Management in investment?
किसी व्यक्ति या संस्थान की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, उसके लिए ऐसी निवेश योजना तैयार करना जिससे कि ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके और कम से कम जोखिम रहे, उसे पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कहते हैं।
बाजार में उपलब्ध निवेश के विभिन्न विकल्पों जैसे कि bonds, shares, mutual funds , deposits वगैरह मैं निवेश का ऐसा संतुलन बनाने की कोशिश होती है जिससे कि वित्तीय संस्था को अधिकतम लाभ मिल सके।
पोर्टफोलियो मैनेजर क्या होता है?
Who is a Portfolio Manager?
पोर्टफोलियो मैनेजर वह व्यक्ति होता है जोकि किसी निवेशक (व्यक्ति/संस्थान) की वित्तीय आवश्यकताओं को समझते हुए, और उसकी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने वाली निवेश रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी निभाता है। पोर्टफोलियो मैनेजर के पास ही अपने क्लाइंट की ओर से निवेश रणनीति तैयार करने और उस पर पैसा लगाने की जिम्मेदारी होती है। पोर्टफोलियो मैनेजर निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो अपने क्लाइंट को सलाह देता है, संबंधित चीजों को समझाता है ताकि सर्वश्रेष्ठ निवेश योजना पर अमल किया जा सके और अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के प्रकार
Types of Portfolio Management
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-
- सक्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन | Active portfolio management
- निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन | Passive portfolio management
- विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन | Discretionary portfolio management
- गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन Non-discretionary portfolio management
सक्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
Active portfolio management
इस प्रकार के पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में, पोर्टफोलियो मैनेजर, बाजार की चाल के हिसाब से रणनीति में लगातार परिवर्तन करता रहता है। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करना है रहता है। खासकर, तब जबकि आपके निवेश का ज्यादातर हिस्सा शेयरों में लगा हो तो फिर एक्टिव पोर्टफोलियो प्रबंधन की आवश्यकता ज्यादा होती है। आपका पोर्टफोलियो मैनेजर, जब शेयरों के दाम घटते हैं तो खरीद लेता है, जब शेयरों के दाम बढ़ने लगते हैं, तो वह बेच भी देता है।
निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
Passive portfolio management
इस प्रकार के पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में, शुरुआत में ही बाजार की चाल के हिसाब से, निवेशों की सूची या शेयरों की सूची निश्चित (fixed) कर दी जाती है। बाद में उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती। इस तरीके में इंडेक्स फंड्स में पैसा लगाया जाता है, जिनमें मजबूत रिटर्न की निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो उम्मीद होती है। दीर्घ अवधि में यह शेयर अक्सर लाभदायक सिद्ध होते हैं।
विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन
Discretionary portfolio management
इसमें पोर्टफोलियो मैनेजर को, पूरी छूट होती है कि वह अपनी समझ के हिसाब से निवेशक के पैसों को लगाए। निवेशक के लक्ष्य और उनकी जोखिम क्षमता के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजर उपयुक्त रणनीति बनाता है और निवेश करता करता है। उसे अपने क्लाइंट की ओर से शेयरों को बेचने या खरीदने की पूरी छूट होती है। ऐसी भूमिका वाले मैनेजर को discretionary portfolio manager कहते हैं।
गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन
Non-discretionary portfolio management
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के इस तरीके में पोर्टफोलियो मैनेजर की भूमिका सिर्फ सलाह देने (financial adviser) तक होती है। वह अपने ज्ञान के मुताबिक, पैसा लगाने वाले को, उसकी investment choices पर अपनी सलाह देता है। सलाह पर अमल करना या खारिज करना, पैसा लगाने वाले निवेशक (investors) की इच्छा पर निर्भर करता है। सी भूमिका वाले मैनेजर को non-discretionary portfolio manager कहते हैं।
दिग्गज निवेशक ने खरीदें इस कंपनी के 51,784 शेयर, इनमें भी बढ़ाई हिस्सेदारी, 10% चढ़कर ₹114 पर पहुंचा स्टॉक
डॉली खन्ना को नाॅन फेमस छोटे शेयरों में निवेश करने के लिए जाना जाता है। अब चेन्नई स्थित इस दिग्गज निवेशक ने अपने पोर्टफोलियो में नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड (National Oxygen Ltd) के शेयर जोड़े हैं।
Dolly Khanna Portfolio Stock: डॉली खन्ना को नाॅन फेमस छोटे शेयरों में निवेश करने के लिए जाना जाता है। अब चेन्नई स्थित इस दिग्गज निवेशक ने अपने पोर्टफोलियो में नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड (National Oxygen Ltd) के शेयर जोड़े हैं। नेशनल ऑक्सीजन उन मल्टीबैगर शेयरों (multibagger stocks) में से एक है जो भारतीय शेयर बाजार ने पिछले एक साल में मल्टीबैगर रिटर्न (Stock return) दिया है। इसके अलावा डॉली खन्ना के पोर्टफोलियो में दो नए मल्टीबैगर शेयरों ने अप्रैल से जून 2022 तिमाही में प्रवेश किया है।
10% तक चढ़ गए शेयर
नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड के शेयर आज सोमवार को 9.96% तक चढ़ गए। इंट्रा डे में कंपनी के शेयर 114.30 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं। पिछले एक साल निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो में यह शेयर 158.01% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। इस दौरान यह शेयर बीएसई पर 44.30 रुपये से बढ़कर 114.30 रुपये पर पहुंच गया। पिछले पांच ट्रेडिंग सेशंस में नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड का शेयर 19.06% चढ़ा है।
डॉली खन्ना शेयरहोल्डिंग
जून 2022 तिमाही के लिए नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड के शेयरधारिता पैटर्न के अनुसार, डॉली खन्ना ने कंपनी में 51,784 शेयर या 1.08 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। हालांकि, जनवरी से मार्च 2022 तिमाही के लिए नेशनल ऑक्सीजन के शेयरधारिता पैटर्न में डॉली खन्ना का निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो नाम पर्सनल शेयरधारकों की लिस्ट से गायब था, जिनके पास कंपनी के 1 प्रतिशत या उससे अधिक शेयर थे। यानी यह स्पष्ट है कि डॉली खन्ना ने अप्रैल से जून 2022 तिमाही के दौरान कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी। लेकिन, यह पता लगाना मुश्किल होगा कि डॉली खन्ना ने इन सभी शेयरों को एक बार में खरीदा या उन्होंने इन शेयरों को कैलिब्रेटेड तरीके से खरीदा। बता दें कि एक्सचेंज नियमों के अनुसार, लिस्टेड कंपनियों के लिए पर्सनल शेयरधारकों के नाम शेयर करना अनिवार्य है, जिनके पास कंपनी निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो के 1 प्रतिशत अधिक शेयर हैं।
इन शेयरों में भी बढ़ाई हिस्सेदारी
अप्रैल से जून 2022 की तिमाही में डॉली खन्ना ने दो कंपनियों अजंता सोया और टिन्ना रबर एंड निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में हिस्सेदारी बढ़ाई है, जबकि उन्होंने छह कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी में कटौती की है, लेकिन इन छह कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से ऊपर रखी है। डॉली खन्ना ने हाल ही में समाप्त जून 2022 तिमाही में दो पोर्टफोलियो शेयरों में मुनाफावसूली की है।
सिर्फ 1 हजार रुपये में बनाएं दमदार पोर्टफोलियो, ये ऑप्शन आपके तैयार करेंगे बड़ी रकम
बिज़नस न्यूज़ डेस्क- निवेश शुरू करना महत्वपूर्ण है। निवेश की गई राशि मायने नहीं रखती। आप चाहें तो सिर्फ 1000 रुपये का बड़ा पूंजी निवेश हो निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो सकता है। इसके लिए एक मजबूत पोर्टफोलियो बनाने की जरूरत है। यदि आप लंबे समय से निवेशक के रूप में चुने गए निवेश विकल्पों में पैसा लगाते हैं और परिपक्वता से पहले नहीं निकालते हैं, तो एक बड़ा फंड जुटाया जा सकता है। निवेश करने से पहले जरूरी होमवर्क कर लें। अपने पैसे का निवेश करने के विकल्पों को समझना भी महत्वपूर्ण है। आज हम आपको कुछ ऐसे विकल्प बताने जा रहे हैं जो आपकी संपत्ति को बढ़ा सकते हैं और एक मजबूत पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
म्यूचुअल फंड निवेश के लिए सबसे अच्छे हैं। छोटी पूंजी लगाकर वित्तीय बाजार में निवेश करने का सबसे अच्छा विकल्प। आपको बस इतना करना है कि निवेश करना है। बाकी पैसे की देखभाल फंड मैनेजर करेंगे। आप म्यूचुअल फंड में एक साथ या छोटा निवेश कर सकते हैं। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान-एसआईपी के जरिए निवेश की शुरुआत करें। फंड मैनेजर पोर्टफोलियो की निगरानी करेगा और रिटर्न को अधिकतम करने के लिए समय पर निर्णय लेगा। अगर आप लगातार 30 वर्षों तक एसआईपी में प्रति माह केवल 1000 रुपये का निवेश करते हैं, तो 14% के औसत रिटर्न के साथ, आपके पास 55,57,056 रुपये का फंड तैयार होगा।अगर आपके पास निवेश करने के लिए बड़ी पूंजी नहीं है। हालाँकि, यदि आप शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, तो स्टॉक एसआईपी यह विकल्प प्रदान करता है। इसके लिए आपको कुछ स्टॉक चुनना होगा और हर महीने कुछ पैसा निवेश करना होगा। यह विकल्प आपके पोर्टफोलियो में होना चाहिए, क्योंकि स्टॉक एसआईपी के जरिए निवेश करने से आपको लंबे समय में मजबूत रिटर्न मिलता है। आप अच्छी क्वालिटी के शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले जान लें ये तीन रिस्क, फायदे में रहेंगे आप
डायवर्सिफाइड कर अनसिस्टेमेटिक रिस्क को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही सिस्टेमेटिक रिस्क को एक हद तक कम किया जा सकता है.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) जैसे मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में निवेश करते समय हम सभी को पहले इसमें हमेशा ही मौजूद रहने वाले जोखिमों को समझना होगा और फिर यह भी समझना होगा निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो कि जोखिम को पूरी तरह से नष्ट या समाप्त नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल कम या ट्रांसफर ही किया जा सकता है. रिस्क को ट्रांसफर करने निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो का सीधा सा मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति आवश्यक सीमा तक रिटर्न (Return) प्राप्त करने के लिए अभी जोखिम नहीं लेता है. और अगर प्राप्त राशि सोची गई रकम से कम रह जाती है तो वह बाद में बहुत अधिक जोखिम उठा सकता है. दूसरी ओर जोखिम को कम करने का अर्थ है जहां तक संभव हो इसे कम करना और इस प्रकार परिणाम को सबसे बेहतर स्तर तक ले जाना.
इक्विटी में निवेश करने वाले प्रोडक्ट के लिए दो सबसे चर्चित जोखिम हैं, पहला अनसिस्टेमेटिक रिस्क (सेक्टर या कंपनी पर केंद्रित) और दूसरा सिस्टेमेटिक रिस्ट (पूरे बाजार में निहित जोखिम, उदाहरण के लिए जंग). कई विशेषज्ञ अस्थिरता और जोखिम के बीच के अंतर पर भी प्रकाश डालते हैं. अस्थिरता केवल कीमतों में रोजाना का उतार-चढ़ाव है, जबकि जोखिम को दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों या परिणामों को तैयार करने या प्राप्त करने में असमर्थता के रूप में माना जा सकता है. इस प्रकार, इक्विटी को अस्थिर कहा जा सकता है लेकिन शायद वह जोखिम भरा नहीं है, जबकि एक गारंटेड, पारंपरिक, फिक्स इनकम प्रोडक्ट देखने में स्थिर लेकिन अपेक्षाकृत जोखिम भरे हो सकते हैं.
स्ट्रैटेजी से कम करें रिस्क
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड (PGIM India Mutual Fund) के सीईओ अजीत मेनन ने कहा, अलग-अलग प्रकार के जोखिमों की बात करें तो इक्विटी में शामिल जोखिमों को कम करने के लिए पर्याप्त रणनीतियां हैं. विभिन्न शेयरों, सेक्टर्स, निवेश शैलियों आदि पर पोर्टफोलियो को एक बिंदु तक डायवर्सिफाइड कर अव्यवस्थित जोखिम को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही व्यवस्थित जोखिम को एक हद तक कम किया जा सकता है. ये दोनों विचार पीजीआईएम इंडिया में हमारे पोर्टफोलियो निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं. हम कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों, कमाई के ट्रैक रिकॉर्ड और स्थिरता, दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य और पूंजी दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ये कुछ ऐसे कारक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे पोर्टफोलियो में जोखिम काफी हद तक कम हो.
स्टॉक को चुनने के लिए हमारा दूसरे स्तर का फिल्टर कम डेट टु इक्विटी रेशियो, पिछली साइकिल में सकारात्मक ऑपरेटिंग कैशफ्लो से लेकर हमारे पोर्टफोलियो में अनिवार्य रूप से तैयार डाउनसाइड प्रोटेक्शन पर आधारित होता है. हम पीईजी अनुपात (मूल्य/आय से वृद्धि) जैसे विभिन्न अन्य मापदंडों को देखते हुए इसमें मदद करते हैं. यह हमें बताता है कि हम इस बात को लेकर सचेत हैं कि हम भविष्य के ग्रोथ पोटेंशियल के लिए आज कितना भुगतान कर रहे हैं.
एक हालिया उदाहरण हमारे प्रोसेस को बखूबी बयां करता है, जिसमें कुछ नए युग की टेक कंपनियों के आईपीओ से दूर रहने के कारण हम बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहे हैं. सकारात्मक नकदी प्रवाह पर हमारे इन्वेस्टमेंट फिल्टर ने इस मामले में हमारे पक्ष में काम किया है.
बिहेवियर रिस्क
तीसरे प्रकार का जोखिम जिसके बारे में विशेषज्ञ कम ही बात करते हैं, वह है बिहेवियर रिस्क. यह मनी मैनजर्स और इंन्वस्टर्स दोनों के रूप में हमारे पूर्वाग्रहों से संबंधित है. यह हमें डेटा को निष्पक्ष रूप से देखने से रोकता है और इस तरह त्रुटियां पैदा होती हैं. इनकी वजह से कभी-कभी पूंजी का स्थायी नुकसान हो सकता है. बेहतर रिटर्न की उम्मीद में उन शेयरों को होल्ड करने की प्रवृत्ति, जिनके फंडामेंटल में कमी आने के कारण उनके मूल्य में गिरावट आई है, ऐसा ही एक उदाहरण है. लोकप्रिय रूप से इसे डिसपोजीशन इफेक्ट के रूप में जाना जाता है, यहां हम अपने घाटे वाले शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में रखते हुए अपने मुनाफे वाले शेयरों को बेचते हैं.
वास्तव में अन्य पहलू भी हैं जो हमारी मदद करते हैं जैसे इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट टीम जो कि आंतरिक रूप से अपने विभिन्न दृष्टिकोणों पर चर्चा करती है. यह बिहेवियर रिस्क में कमी लाने के लिए भी काम करती है, क्योंकि यहां विचारों पर विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण रखते हुए काफी गहन चर्चा की जाती है.
एक और चीज जो हमारे दृष्टिकोण में विस्तार लाती है, वह है हमारी ग्लोबल टीमों से मिलने वाला समर्थन और इनपुट. यह मदद हमें वैश्विक स्तर पर घटने वाली घटनाओं को समझने में मदद करता है, और बाजारों पर पड़ने वाले प्रभाव को और भी बारीकी से समझने में मदद करता है. यह सब मिलकर मात्रात्मक फिल्टर के साथ व्यक्तिगत व्यवहार से जुड़े जोखिम को काफी हद तक कम करने करती हैं. इन फिल्टर्स की चर्चा हमने ऊपर की है.
Rakesh Jhunjhunwala Portfolio- 10 पेनी या कम कीमत वाले स्टॉक – क्या आपको निवेश करना चाहिए?
Rakesh Jhunjhunwala Portfolio-राकेश झुनझुनवाला प्रसिद्ध भारतीय निवेशकों में से एक हैं। उन्हें भारतीय warren buffet के रूप में वर्णित किया गया है। वह अपने कॉलेज के दिनों से ही भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते रहे हैं। हममें से कुछ लोग अपने निवेश को अपनी निवेश रणनीति के रूप में क्लोन करने में रुचि ले सकते हैं। वह कई पेनी स्टॉक या कम कीमत वाले शेयरों में भी निवेश करता रहा है। हालांकि उनके पोर्टफोलियो में इस तरह के निवेश का मूल्य छोटा हो सकता है, कोई सोच सकता है कि क्या हमारे निवेश पोर्टफोलियो में इस तरह के पैसे या कम कीमत वाले शेयरों को क्लोन करना समझ में आता है। एक पाठक चाहते थे कि हम किसी विषय के सुझाव पर इसका विश्लेषण करें। इस लेख में हम 10 पेनी या कम कीमत वाले शेयरों को कवर करेंगे, जो राकेश झुनझुनवाला निवेश कर रहे हैं, इनकी कीमत 4 साल पहले उनके पोर्टफोलियो में कैसी थी।
स्टॉक एक्सचेंजों पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह पोर्टफोलियो होल्डिंग अक्टूबर, 2021 के अंत तक है। हमने राकेश झुनझुनवाला के साथ-साथ उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला द्वारा निवेश किए गए इन शेयरों की मौजूदा बाजार कीमतों के आधार पर नीचे के 10 शेयरों को फ़िल्टर किया है।
Rakesh Jhunjhunwala Portfolio- 10 पेनी या कम कीमत वाले स्टॉक
फिलहाल राकेश झुनझुनवाला के पास इन कम कीमत वाले या पेनी स्टॉक्स में केवल 5.66% की हिस्सेदारी है।
4 कम कीमत वाले स्टॉक हैं निवेश करने के लिए तैयार पोर्टफोलियो जहां निवेश 100 करोड़ रुपये से अधिक निवेश है यानी एनसीसी, जीएमआर इंफ्रा, टीवी 18 ब्रॉडकास्ट और करूर वैश्य बैंक। शेष 6 स्टॉक वास्तविक कम कीमत वाले स्टॉक या पेनी स्टॉक हैं जहां निवेश राशि 18 करोड़ रुपये से कम है। इनके शेयर की कीमत 6.6 रुपये से 28.1 रुपये के बीच है
राकेश झुनझुनवाला के पास 4 साल से अधिक समय से 8 पेनी या कम कीमत वाले स्टॉक हैं, जहां पिछले 4 वर्षों में शेयर की कीमत उनके मूल्य के 38% से 93% के बीच गिर गई है।
राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में कुल पोर्टफोलियो का 5.6% पैसा या कम कीमत वाला स्टॉक है। उनके पोर्टफोलियो का अधिकांश हिस्सा लार्ज कैप और मिडकैप में है, कुछ राशि स्मॉलकैप में भी है।राकेश के पेनी स्टॉक या कम कीमत वाले पोर्टफोलियो की मौजूदा बाजार कीमतों में पिछले 4 सालों में 60% की गिरावट आई है। यह वर्तमान सक्रिय स्टॉक पर आधारित है और उन्होंने पिछले 4 वर्षों में अपनी हिस्सेदारी घटाई / बढ़ाई होगी। यानी 100 रुपये मूल्य के शेयर की कीमत अब केवल 22 रुपये है।हालांकि कम कीमत वाले शेयरों में 60% की गिरावट आई है
राकेश झुनझुनवाला का कुल पोर्टफोलियो 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये हो गया है। यह स्पष्ट रूप से स्टॉक के गुणवत्ता पोर्टफोलियो में 94%+ की वजह से है।इतनी कम कीमत / पेनी स्टॉक की कीमतों के लिए इस तरह के शेयर की कीमतों में गिरावट आम हो सकती है। यदि वे उच्च रिटर्न निवेश की तलाश में हैं तो निवेशकों को ऐसे जोखिमों को ध्यान में रखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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पेनी स्टॉक से बचने की हमेशा सलाह दी जाती है। यदि वे जोखिम उठाने के इच्छुक हैं तो कम कीमत वाले शेयरों (जैसे 20 रुपये से ऊपर) की कोशिश कर सकते हैं। कम कीमत वाले पोर्टफोलियो की नकल करना हमेशा निवेशकों को पुरस्कृत नहीं कर सकता है। यदि कोई दोहराना चाहे, तो वे ब्लू चिप स्टॉक, लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों के साथ जा सकते हैं। निवेशक हमेशा रिटर्न के भूखे रहेंगे। मैंने ठीक 4 साल पहले राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो के बारे में लिखा था। यहां कुछ सबक दिए गए हैं जो हम सीख सकते हैं।
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